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सिग्नल प्रकार

सिग्नल प्रकार
फ्लैशिंग ग्रीन लाइट (Flashing Green) - उड़ान के दौरान एक विमान के लिए चमकती हुई हरी लाइट सिग्नल का अर्थ है कि विमान को लैंडिंग के लिए वापस आना चाहिए और अनिवार्य रूप से यह एक एक गो-अराउंड कमांड होता है. विमान को जमीन पर उतरने की मंजूरी नहीं होने के कारण उसको गो-एराउंड के माध्यम से लैंडिंग के लिए वापस जाना होगा.

Analog Signal और Digital Signal Image

एनालॉग और डिजिटल सिग्नल क्या है पूरी जानकारी

किसी वस्तु को चित्रित करने के लिए रंगों की एक अनंत राशि होती है अनंत संख्या में स्वर हैं जिन्हें हम सुन सकते हैं और अनंत संख्या में गंध हैं जिन्हें हम सूंघ सकते हैं.

इन सभी अनुरूप संकेतों के बीच आम विषय उनकी अनंत संभावनाएं हैं. डिजिटल सिग्नल और ऑब्जेक्ट परिमित एनालॉग सिग्नल के दायरे में आते हैं जिसका अर्थ है कि वे उन माध्यमों का एक सीमित सेट हैं जो वे हो सकते हैं वास्तविक दुनिया की वस्तुएं डेटा प्रदर्शित कर सकती हैं. एनालॉग या डिजिटल माध्यमों से इनपुट एकत्र किया जाता है

इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ काम करने का मतलब है एनालॉग और डिजिटल सिग्नल इनपुट और आउटपुट दोनों से निपटना यानी हमारी इलेक्ट्रॉनिक्स परियोजनाओं में किसी न किसी तरह से वास्तविक एनालॉग दुनिया के साथ जुड़ाव है

लेकिन हमारे अधिकांश माइक्रोप्रोसेसर, कंप्यूटर और तर्क इकाइयां विशुद्ध रूप से Digital components हैं ये दो प्रकार के संकेत विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक भाषाओं की तरह हैं.

एनालॉग सिग्नल क्या है – What is Analog Signal in Hindi

एनालॉग सिग्नल क्या है – What is Analog Signal in Hindi

आगे जाने से पहले हमें इस बारे में थोड़ी बात करनी चाहिए कि वास्तव में एक Signal क्या है? तो आपकी जानकारी के लिए बता दूं विशेष रूप से Signal संचार के लिए एक सामान्य साधन है. जो किसी प्रकार की जानकारी को व्यक्त करते हैं.

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एनालॉग सिग्नल भिन्न-भिन्न है जो समय-समय पर बदलता है. आमतौर पर वोल्टेज की तरह इन्हें आप मान सकते हैं इसलिए जब हम संकेतों के बारे में बात करते हैं तो बस उन्हें एक वोल्टेज के रूप में सोचें जो समय के साथ बदल रहा है.

अगर इसी प्रकार हम एनालॉग सिग्नल की बात करें तो सूचना भेजने और प्राप्त करने के लिए उपकरणों के बीच एनालॉग सिग्नल पास किए जाते हैं. जो कि वीडियो, ऑडियो या किसी प्रकार का Encoding data हो सकता है.

डिजिटल सिग्नल क्या है – What is Digital Signal in Hindi

दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें डिजिटल सिगनल कुछ मायने में एनालॉग सिग्नल की तरह ही होते हैं. डिजिटल सिग्नल द्वारा Binary फॉर्म में डाटा और सूचनाओं का परिवहन किया जाता है यानी कि डिजिटल सिग्नल Bits के रूप में सूचनाओं का आदान प्रदान करते हैं.

डिजिटल सिग्नल को सरल साइन तरंगों के रूप में विभाजित किया जा सकता है जिन्हें की Harmonics कहा जाता है डिजिटल सिग्नल डिजिट के रूप में डाटा को प्रदर्शित करते हैं.

सरल तरंग में विभिन्न प्रकार के आवृत्ति, आयाम और चरण हो सकते हैं डिजिटल सिग्नल के संबंध में हम 2 शब्दों का उपयोग किया करते हैं जिनमें की पहला है Bit Rate और दूसरा है Bit Interval किसी भी प्रकार के 1 Bit को भेजने में लगा हुआ समय बिट अंतराल के नाम से जाना जाता है.

उदाहरण के लिए यदि हम एक सेकंड में 9 Bit डाटा को भेजते हैं तो बीच अंतराल 1/9 होगा अर्थात 0.11111 समय सिग्नल प्रकार होगा

Moving Average Convergence Divergence​- मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस

क्या है मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (एमएसीडी)?
Moving Average Convergence Divergence: मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (एमएसीडी) एक ट्रेंड फॉलोइंग मोमेंटम इंडीकेटर है जो किसी सिक्योरिटी की कीमत के दो मूविंग औसतो के बीच के संबंध को प्रदर्शित करता है। एमएसीडी की गणना 12 पीरियड ईएमए से 26 पीरियड एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (ईएमए) घटाने के द्वारा की जाती है। उस गणना का परिणाम एमएसीडी लाइन है। एमएसीडी के नौ दिनों के ईएम को ‘सिग्नल लाइन' कहा जाता है जिसे इसके बाद एमएसीडी लाइन के शीर्ष पर प्लॉट किया जाता है जो खरीद और बिक्री संकेतों के लिए एक ट्रिगर के रूप में काम कर सकता है। जब एमएसीडी सिग्नल लाइन के ऊपर क्रॉस कर जाता है तो ट्रेडर सिक्योरिटी खरीद सकते हैं। वहीं जब एमएसीडी सिग्नल लाइन के नीचे क्रॉस कर जाता है तो सिक्योरिटी को बेच या शॉर्ट कर सकते हैं। मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस डायवर्जेंस (एमएसीडी) इंडीकेटर की व्याख्या कई प्रकार से की जा सकती है लेकिन अधिक सामान्य पद्धतियां क्रॉसओवर, डायवर्जेंस और रैपिड राइज/फाॅल हैं।

रेलवे में गड़बड़ी ऐसी भी: सिग्नल नेटवर्किंग के लिए पांच साल पहले 100 करोड़ के सामान की खरीदी, 35 करोड़ के उपकरण हो गए कबाड़

भिलाई-3 रेलवे स्टेशन में खुले में पड़े हैं लोकेशन बॉक्स और केबल तार, अब बिना मेंटेनेंस के उपयोग के लायक भी नहीं। - Dainik Bhaskar

5 साल पहले राजनांदगांव से दुर्ग तक बिछी तीसरी रेलवे लाइन के लिए सिग्नल नेटवर्किंग सिस्टम की खरीदी हुई। इस पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इन पैसों से लोकेशन बॉक्स, केबल और इंग्लैंड मॉडल एलईडी सहित अन्य लाया गया। सिग्नल प्रकार इसके बाद ऑटोमेटिक सेंसर युक्त सिग्नल लगाने का काम हुआ। ताकि ट्रेन के स्टेशन से एक किलोमीटर दूर रहते ही लोकेशन पता चल सके। इस सिग्नल प्रकार सिस्टम से ही पता चलता है कि ट्रेन स्टेशन के किस प्लेटफार्म में आएगी।

क्या आप विमान के लाइट सिग्नल के बारे में जानते हैं?

विमानन लाइट सिग्नल, पायलट और वायु यातायात नियंत्रक (air traffic controller) दोनों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण संचार की भूमिका निभाता है. पायलट और वायु यातायात नियंत्रक के बीच संचार लाइट के संकेतों के रूप में होता है. जब संचार सही से नहीं हो पाता है या जब कोई विमान रेडियो से लैस नहीं होता है, तो सिग्नल लैंप का उपयोग करके लाइट सिग्नल का इस्तेमाल किया जाता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं विमानन लाइट सिग्नल के बारे में.

Aviation Light Signals

ये हम सब जानते हैं कि संचार की हमारे दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है. सब में अलग-अलग प्रकार का संचार होता है जैसे कि जानवर ध्वनि, गंध और शरीर की भाषा से एक दूसरे से संवाद करते हैं, लोग अलग-अलग तरीकों से एक दूसरे के साथ संवाद करते हैं जैसे सुनना, भाषा बोलना, संगीत, चित्र इत्यादि. इसी प्रकार से विमान में भी संचार का उपयोग किया जाता है. क्या आप जानते हैं कि विमान में किस प्रकार का और कैसे संचार होता है, यह क्यों जरुरी होता है? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

रेलवे के सिग्नल और टेली कम्युनिकेशन विभाग ने कोरोना के दौर में किया अभूतपूर्व कार्य, आप भी जानिए

कोरोना काल में काम करते रेलवे के कर्मचारी। फाइल फोटो

South eastern Railway. कोरोना काल में दक्षिण- पूर्व रेल के टेली कम्युनिकेशन विभाग ने सरकारी नियमों का पालन करते अपने कार्य को अपडेट करने के लिए अपने काम को जारी रखा। इससे गुड्स व यात्री ट्रेनों की रफ्तार निर्बाध रूप से जारी रही।

जमशेदपुर, जासं। कोविड 19 के दौर में जब देश भर में लॉकडाउन था तब दक्षिण- पूर्व रेल का टेली कम्युनिकेशन विभाग ने सरकारी नियमों का पालन करते अपने कार्य को अपडेट करने के लिए अपने काम को जारी रखा। इससे गुड्स व यात्री ट्रेनों की रफ्तार निर्बाध रूप से जारी रही।

टेली कम्युनिकेशन विभाग ने अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को प्रशिक्षित कर ट्रंक लाइन, सिग्नल प्वाइंट और सिग्नलिंग और इंटर लॉकिंग उपकरणों को आधुनिक बनाने का काम किया ताकि ट्रैफिक सुविधा आसानी से चलती रहे। दक्षिण- पूर्व रेलवे प्रबंधन का कहना है कि हम अपने कार्य क्षेत्र में सिग्नल प्रकार सिग्नल प्रकार यात्रियों को सुरक्षित और आरामदायक यात्रा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए कोविड 19 के दौर में सिग्नल प्रकार सभी विभागों, यांत्रिक, विद्युत, इंजीनियरिंग और सिग्नल और टेली संचार क्षेत्र में सभी प्रकार के सुरक्षा संबंधी कार्यों की देखरेख की। दक्षिण- पूर्व रेलवे का सिग्नल एंड टेली कम्युनिकेशन विभाग अपनी पूरी मशीनरी के साथ चार डिवीजनों, खड़गपुर, आद्रा रांची और चक्रधरपुर में नियमित सेवाओं पर आवश्यक रख-रखाव और मरम्मत कार्यों का संचालन किया, ताकि रेल सेवाओं को सुरक्षित रूप से चलाया जा सके।

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