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ईश्वर के दलाल

ईश्वर के दलाल
इस धंधे की अभूतपूर्व तरक्की का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है सत्य साईं बाबा के निजी कक्ष में मिला अपार सम्पत्ति का भण्डार जिसमें 98 किलो सोना, 307 किलो चाँदी, 11.5 करोड़ रुपये नकद तथा अनेकों हीरे-जवाहरात शामिल हैं। कुछ दिन बाद पुनः 76 लाख के गहने, 56.96 लाख रुपये का चांदी, 15.83 लाख रुपये का सोना अन्य आभूषण मिले। इसके कुछ दिन बाद केरल के पद्मनाभ मंदिर में अपार धन का खजाना मिला। अनुमानतः 5 लाख करोड़ की सम्पत्ति का आकलन है। वैष्णो देवी मन्दिर की आय भी रोजाना 40 करोड़ है। शिरडी साईं बाबा (महाराष्ट्र) के मन्दिर की प्रतिदिन की आय 60 लाख रुपये है। सिद्धी विनायक मन्दिर (मुम्बई) की सालाना आय 48 करोड़ है। गुजरात के अक्षरधाम मंदिर की वार्षिक आय 50 लाख रुपये मानी जाती है। इस तरह भारत में लाखों की संख्या में मन्दिर, मस्जिद, मठ और गुरुद्वारा हैं जिसके पास काले धन का अम्बार है जो शायद विदेशों में जमा काले धन से भी ज्यादा है।

विशुद्धब्लॉग

"It's my dream to make my country a Land of Harmony, joy, Prosperity ईश्वर के दलाल and Love."

विशुद्धब्लॉग

ईश्वर की खोज या स्वयं की खोज ?

अकसर मित्र मुझसे कहते हैं कि बड़ी असुविधा हो गयी, बचपन से सुनते आ रहे हैं कि ईश्वर की खोज करो, ईश्वर को पाना ही जीवन का सार है…. आदि इत्यादि | और आप कहते हैं कि स्वयं की खोज करो, स्वयं को जानो ! बहुत कोशिश की जानने की लेकिन अब और उलझते जा रहे हैं | कैसे जाना जाए स्वयं को ? क्या आपने जाना है स्वयं को ?

मैं उत्तर में कहना चाहता हूँ कि मैं कोई भी नई बात नहीं कह रहा, केवल कॉपी-पेस्ट ही है | श्रीकृष्ण से लेकर ओशो तक जितने भी महान आत्माएँ आयीं, सभी ने यही कहा | यहाँ तक कि एप्प्ल के संस्थापक स्टीव जॉब्स ने भी यही बात कही;

“Your time is limited, don’t waste it living someone else life. Don’t be trapped by dogma, which is living the result of other people’s thinking. Don’t let the noise of other opinions drown your own inner voice. And most important, have the courage to follow your heart and intuition, they somehow already know what you truly want to become. Everything else is secondary.”

| जितने भी महान आविष्कारक हुए वे सभी स्वयं से परिचित थे या दुनिया ने उन्हें विवश किया स्वयं की शक्तियों को पहचानने के लिए ईश्वर के दलाल जैसे कि थॉमस एडिसन | आप सभी को अवसर मिलता है, प्रकृति पूरा प्रयास करती है आपको जगाने के लिए, कभी भुखमरी और बेरोजगारी से, कभी किसी संत-महंतों के प्रवचनों से, कभी अन्याय व अत्याचार करने वालों द्वारा, कभी मेरे जैसे अनपढ़ के फेसबुक पोस्ट द्वारा…. जैसे कि अभी आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं |

ईश्वर की खोज करने वाले तो आपने देखे ही होंगे और उनको भी देखे होंगे जिन्होंने ईश्वर को पा लिया और ब्रम्हज्ञानी हो गये… आजकल ब्रह्मज्ञानी, ब्रह्मचारी, योगी, जगद्गुरु, महामंडलेश्वर….. आदि आपको उसी तरह गली-गली में मिल जायेंगे, जैसे डिग्रीधारी बेरोजगार | डिग्रीधारी बेरोजगारों और इन सब विभूतियों में एक समानता है और वह है कि दोनों के पास डिग्रियाँ (उपाधियाँ) हैं लेकिन दोनों ही अन्धकार में हैं | एक को नौकरी नहीं मिली और दूसरे को ईश्वर नहीं मिला लेकिन दोनों ही आस में धुनी रमाये बैठे हैं कि एक न एक दिन तो मिल ही जाएगा |

अब आइये समझते हैं ईश्वर और स्वयं की खोज में भेद को |

मान लीजिये मक्खन ईश्वर है, दही, छाछ और मलाई अवतार है | इन सबको बेचने वाला बाबा, पंडित, मौलवी, पादरी आदि हो गये | अब आप को कहा जा रहा है कि जय दही कहिये, जय छाछ कहिये, जय मलाई कही और मक्खन की खोज करिए | फिर ये दुकानदार बताते हैं कि कौन से ब्रांड या रंग के पैकेट वाला मक्खन खोजना है | फिर यही बताते हैं कि फलां दूकान में चले जाइए, भगवा पैकेट वाला मक्खन लीजिये या हरे पैकेट वाला या सफ़ेद पैकेट वाला…… | आप मक्खन लेकर घर में आ जाते हैं और मंदिर नुमा फ्रिज में लाकर रख देते हैं….. | लेकिन कोई भी दुकानदार आपको यह नहीं बताता कि दूध खोजिये |

ये दूध ही है आप स्वयं | स्वयं को मथिये, स्वयं को बिलोइए, और आपको मक्खन, छाछ दही, मलाई सभी कुछ प्राप्त हो जाएगा | एक बार आपको दूध से मक्खन निकालने की विधि समझ में आ गया तो आपको किसी ईश्वर के दलाल या एजेंट की आवश्यकता नहीं रहेगी | आपको किसी धर्म की दूकान में जाने या किसी ईश्वर के दलाल के पास जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी | आपको किसी मंदिर-मस्जिद नुमा दफ्तर में ईश्वर को रिश्वत देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी | फिर आपको धर्म, सम्प्रदाय, जाति, भाषा, प्रांत… ईशनिंदा, ईश्वर का अपमान आदि के नाम पर किसी की गर्दन काटने या जिन्दा जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी | फिर आपको महंगे महंगे भगवान् खरीदने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और न ही आवश्यकता पड़ेगी सोने के मुकुट और रेशमी चादर चढ़ाने की |

जब तक आप स्वयं से परिचित नहीं हो जायेंगे, तब तक आपका शोषण ये नेता, पंडित-पुरोहित, मौलवी-पादरी, बाबा आदि करते रहेंगे | एक बार आप स्वयं से परिचित हो गये तो फिर आप के लिए ईश्वर उतने ही निकट हो जायेंगे जितने कि सतयुग में थे | जब हर आम व्यक्ति ईश्वर से सीधे ही अपनी शिकायत कर लिया करता था | यह तो बाद में ईश्वर के नाम पर दफ्तर खुले, दलाल आये, रिश्वत और चढ़ावों का चलन शुरू हुआ…. पहले ऐसा नहीं था | पहले तो भेंट दी जाती थी स्वेच्छा से वह भी तब जब आप खुश होते थे | जबकि आज हर जगह फीस तय कर दी गयी है | हर पूजा और थाली की कीमत तय है | फूल से लेकर पत्ती तक मोल लेनी पड़ती है | और उसके बाद भी ईश्वर आपकी सहायता नहीं करता | क्योंकि ईश्वर आपके साथ ही रहता है हर क्षण हर पल, ठीक वैसे ही जैसे दूध के साथ मक्खन रहता है | तो वह भी आपके साथ ही ईश्वर के दलाल के पास जाता, ईश्वर के दफ्तर जाता है और आपको रिश्वत देते देखता है… तो वह भी निश्चिन्त हो जाता है कि शायद कोई ऐसा काम है जो आप किसी और ईश्वर से करवाना चाहते हैं, इसलिए वह आपके साथ होते हुए भी आपकी सहायता नहीं कर पाता |

जिस दिन आप स्वयं के भीतर ही ईश्वर के दलाल स्थित ईश्वर यानि स्वयं से परिचित हो जायेंगे, उस दिन आप भजन सुने, या सूफियाना कलाम सुनें, शब्द-कीर्तन सुनें या कव्वाली सुनें…. सभी आपको भावविभोर कर देंगे क्योंकि अब आप बाहर से नहीं, भीतर से सब कुछ समझ पा रहे हैं | फिर आप मंदिर में बैठें, मस्जिद में बैठें, या गिरजाघर में बैठें…. कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि अब आप वास्तव में समझते हैं कि ईश्वर एक ही है और वह आपके भीतर ही है | जबकि अभी आप जानते हैं कि ईश्वर एक है, लेकिन यह नहीं जानते कि वह हिन्दू है, मुस्लिम है, ईसाई है, सिख है, बौद्ध है, जैन है, यहूदी है, पारसी है, यजीदी है….. शिया है, सुन्नी है, ब्राह्मण है, क्षत्रिय है, वैश्य है, यादव है, जाटव है, जाट है, कुम्हार है, सुनार है, लोहार है…… लेकिन लोग रटे चले जा रहे हैं ईश्वर एक है | ~ विशुद्ध चैतन्य

नोट: आशा है इस पोस्ट को किसी सम्प्रदाय या धर्म के अपमान के रूप में न लेकर शुद्ध धार्मिक विचार के रूप में लिया जाएगा | जो कुंठित बुद्धि के लोग हैं उनसे तो इस पोस्ट को समझने की आशा करना ही बेकार है |

आह्वान

करोड़पति बनने की सबसे पुरानी और बेहतरीन कला है, एक सर्वव्यापी, सबकी रक्षा करने वाला, सबको सुख, शान्ति और समृद्धि (तरक्की) देने वाले उस दयालु ईश्वर से मिलाने के काम में बिचौलिये और दलाल का धंधा करना! ज़ाहिर सी बात है सभी मनुष्यों को सुख-समृद्धी (तरक्की) और शान्ति चाहिए और अगर कोई कुछ फीस लेकर यह काम करता है तब तो यह एक तरह से परोपकारी धंधेवाला व्यक्ति हुआ! परोपकार के इस धन्धे में सदियों से साधु-सन्त, पंडित, मौलवी, पादरी, और बाबा लगे हुए हैं और दिन-दुगुनी रात-चौगुनी तरक्की भी कर रहे हैं।

sai baba

इस धंधे की अभूतपूर्व तरक्की का एक प्रत्यक्ष उदाहरण है सत्य साईं बाबा के निजी कक्ष में मिला अपार सम्पत्ति का भण्डार जिसमें 98 किलो सोना, 307 किलो चाँदी, 11.5 करोड़ रुपये नकद तथा अनेकों हीरे-जवाहरात शामिल हैं। कुछ दिन बाद पुनः 76 लाख के गहने, 56.96 लाख रुपये का चांदी, 15.83 लाख रुपये का सोना अन्य आभूषण मिले। इसके कुछ दिन बाद केरल के पद्मनाभ मंदिर में अपार धन का खजाना मिला। अनुमानतः 5 लाख करोड़ की सम्पत्ति का आकलन है। वैष्णो देवी मन्दिर की आय भी रोजाना 40 करोड़ है। शिरडी साईं बाबा (महाराष्ट्र) के मन्दिर की प्रतिदिन की आय 60 लाख रुपये है। सिद्धी विनायक मन्दिर (ईश्वर के दलाल मुम्बई) की सालाना आय 48 करोड़ है। गुजरात के अक्षरधाम मंदिर की वार्षिक आय 50 लाख रुपये मानी जाती है। इस तरह भारत में लाखों की संख्या में मन्दिर, मस्जिद, मठ और गुरुद्वारा हैं जिसके पास काले धन का अम्बार है जो शायद विदेशों में जमा काले धन से भी ज्यादा है।

इस धन्धे में सफल आय का मूल मंत्र है अव्वल दर्जे का धूर्त, पाखंडी, लालची और नौटंकीबाज होना। अगर आप लोकल स्तर पर यह काम करते है तो अंगूठा टेक भी चल जाएगा लेकिन अगर धन्धे को देश-विदेश में विस्तारित करना चाहते है तो पढ़ा लिखा होना ज़रूरी है। लेकिन कुछ ऐसे भी अंगूठा टेक हैं जिन्होंने ईश्वर के दलाल ‘‘कड़ी मेहनत’’ से अपना धन्धा विदेशों मे भी फैलाया है। भारत में इस क्षेत्र में पांच, छः बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ हैं जो लम्बे समय से स्थापित हैं जिसकी करोड़ों शाखा और उपशाखाएं देश के छोटे गाँवों से ईश्वर के दलाल लेकर बड़े शहरों तक व्याप्त है।

इन कम्पनियों में प्रमुख नाम हिन्दू धर्म, मुस्लिम धर्म, इसाई धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म, बौद्ध धर्म आदि हैं। इन कम्पनियों की छोटी से बड़ी दुकान मन्दिरों, मस्जिदों, चर्च, मठों आदि के रूप में चप्पे-चप्पे में है जहाँ जनता को सर्वशक्तिमान शक्ति के दर्शन और सुख-शक्ति तक पहुँचाने की दलाली का काम करना होता है। छोटे स्तर के मन्दिरों, मस्जिदों आदि में काम करने के लिए दो-चार धर्म की किताबें, नहीं तो, वहाँ पर होने वाले दैनिक क्रिया-कलाप को सीख लें तो नौकरी लग जाती है। और रहने-खाने के साथ कमाने का इन्तजाम होता है। यहाँ वंशवाद के साथ-साथ धार्मिक अध्ययन और धन्नासेठों से साठगांठ के आधार पर लाखों-करोड़ों की कमाई है। यहाँ पर नौकरी पाना थोड़ा कठिन है लेकिन मुश्किल नहीं । यहाँ पर सभी तरह के हथकंडे अपनाने पड़ते हैं जैसे कि नेता लोग चुनाव जीतने के लिए करते हैं-धर्म, जाति, वंशवाद, ढ़ोंग, नौटकी, अपहरण, हत्या कुछ भी। आखिर लाखों-करोड़ों का सवाल है!

इसके अलावा स्वतंत्र रूप से काम करते हुए कोई व्यक्ति करोड़पति बन सकता है। स्वतंत्र रूप से काम जमाने के ईश्वर के दलाल लिए थोड़ा समाज सुधार, परोपकार, पर्यावरण बचाव, योगा आदि-आदि की बात करते हुए अपना धंधा सेट कर सकता है। स्वतंत्र रूप से धंधा चलाने के लिए अव्वल दर्जे का धूर्त, लालची, नौटंकीबाज और अच्छा वक्ता होना चाहिए। ईश्वर के दलाल इसमें भी अलग-अलग स्तर है जो विभिन्न वर्गों, समुदायों, क्षेत्रों में अपना प्रचार-प्रसार करते हैं। कुछ उदाहरण से बाते और स्पष्ट हो जायेगी जैसे श्री-श्री रविशंकर जिनका आधार भारत के उच्चमध्यवर्ग में है जिनको ये ‘आर्ट ईश्वर के दलाल ऑफ लिविंग’ सिखाने के लिए 6000 रुपये से लेकर लाखों की फीस लेते हैं। ये कभी यमुना सफाई अभियान तो कभी कोई और सुधार काम करते रहते हैं। आसाराम बापू, आशुतोष महाराज, डेरा सच्चा सौदा, प्रजापति बह्मकुमारी जैसे लोगों का आधार निम्न मध्यवर्ग और अर्द्धसर्वहारा आबादी में होता है। ये समाज सुधार की थोड़ी नौटंकी और अलग-अलग किस्म से भक्ति संगीत करते रहते है। इनके आलावा बाबा रामदेव, निंरकारी जैसे लोग भी हैं जिनका मध्यवर्ग में ज्यादा आधार है। ये भी योगा सिखाने, दवाइयाँ बेचने, भण्डारा कराना, परोपकार का कुछ काम करते रहते हैं। दक्षिण भारत में अम्मा, सत्य साईं बाबा जैसे लोग का ज्यादा आधार है।

स्वतंत्र रूप से स्थापित ये परोपकारी बाबा और ईश्वर के दलाल करोड़ों के मालिक बन गए है और कोई काला धन वापस लाने की बात कर रहा है तो कोई भ्रष्टाचार मिटाने के लिए अन्ना हजारे के शो में फोटा खिंचवा रहा हैं। ये धन्धेबाज बाबा कभी भी मन्दिरों, मठों व अन्य धार्मिक स्थलों में छुपे हजारों-अरबों के काले धन के बारे में चूँ तक नहीं करते।

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जुलाई-अगस्‍त 2011

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दलाल पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप

Dehradun Bureau

देहरादून ब्यूरो
Updated Wed, 10 Apr 2019 12:04 AM IST

दलाल पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप

ब्यूरो/,अमर उजाला, लक्सर। दलाल की धोखाधड़ी से परेशान आत्महत्या कर चुके किसान के परिजनों ने कोतवाली पुलिस को तहरीर दी है। मृतक के परिजनों ने क्षेत्र के ही एक दलाल पर किसान को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।
सोमवार को ढाढेकी गांव निवासी 65 वर्षीय किसान ईश्वर चंद्र शर्मा ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी। उस दौरान मृतक किसान की जेब से सुसाइड नोट भी मिला था। मृतक के पुत्र अरुण कुमार ने कोतवाली पुलिस को तहरीर देकर बताया कि उसने पिता ने वर्ष 2017 में कोतवाली क्षेत्र के हुसैनपुर गांव निवासी एक दलाल के माध्यम से लक्सर कस्बे में स्थित एक सरकारी बैंक से ऋण लिया था। मृतक ईश्वर चंद शर्मा ने दलाल को जमानत के तौर पर एक कोरा चेक दिया गया था। बैंक का कर्ज वापस करने के बाद भी चेक वापस नहीं किया जा रहा था। इसके बाद चेक को बाउंस कराकर किसान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप यह ईश्वर के दलाल भी है कि आरोपी दलाल मुकदमा वापस लेने के लिए चार लाख रुपये देने का दबाव बना रहा था। इसे लेकर उसके पिता तनाव में थे। तहरीर में अरुण ने आरोपी दलाल पर उसके पिता को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। उधर कोतवाल वीरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि तहरीर के आधार पर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है। जांच करने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

ब्यूरो/,अमर उजाला, लक्सर। दलाल की धोखाधड़ी से परेशान आत्महत्या कर चुके किसान के परिजनों ने कोतवाली पुलिस को तहरीर दी है। मृतक के परिजनों ने क्षेत्र के ही एक दलाल पर किसान को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने तहरीर के आधार पर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।


सोमवार को ढाढेकी गांव निवासी 65 वर्षीय किसान ईश्वर चंद्र शर्मा ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी। उस दौरान मृतक किसान की जेब से सुसाइड नोट भी मिला था। मृतक के पुत्र अरुण कुमार ने कोतवाली पुलिस को तहरीर देकर बताया कि उसने पिता ने वर्ष 2017 में कोतवाली क्षेत्र के हुसैनपुर गांव निवासी एक दलाल के माध्यम से लक्सर कस्बे में स्थित एक सरकारी बैंक से ऋण लिया था। मृतक ईश्वर चंद शर्मा ने दलाल को जमानत के तौर पर एक कोरा चेक दिया गया था। बैंक का कर्ज वापस करने के बाद भी चेक वापस नहीं किया जा रहा था। इसके बाद चेक को बाउंस कराकर किसान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप यह भी है कि आरोपी दलाल मुकदमा वापस लेने के लिए चार लाख रुपये देने का दबाव बना रहा था। इसे लेकर उसके पिता तनाव में थे। तहरीर में अरुण ने आरोपी दलाल पर उसके पिता को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। उधर कोतवाल वीरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि तहरीर के आधार पर मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है। जांच करने के बाद आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

दलाल की धोखाधड़ी के कारण किसान ने लगाया मौत को गले

Dehradun Bureau

देहरादून ब्यूरो
Updated Mon, 08 Apr 2019 11:48 PM IST

दलाल की धोखाधड़ी के कारण किसान ने लगाया मौत को गले

ब्यूरो/अमर उजाला, लक्सर
दलाल की धोखाधड़ी से परेशान किसान ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। इलाज के लिए ले जाते समय रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। वहीं पुलिस मृतक की जेब में मिले दो सुसाइड नोट के माध्यम से मामले की जांच करने में जुटी है।
ढाढेकी गांव निवासी 65 वर्षीय ईश्वर चंद शर्मा पुत्र बाबूराम शर्मा खेतीबाड़ी का कार्य करता था। परिजनों के मुताबिक ईश्वर चंद ने वर्ष 2017 में कोतवाली क्षेत्र के हुसैनपुर गांव निवासी एक दलाल के माध्यम से लक्सर कस्बे में स्थित सरकारी बैंक से कर्ज लिया था। परिजनों का आरोप है कि दलाल ने ईश्वरचंद को ऋण दिलाने के बाद उससे जमानत के लिए एक कोरा चेक भी लिया था। उन्होेंने बताया कि पिछले दिनों गन्ने का भुगतान होने के बाद उन्होंने बैंक द्वारा दिए गए ऋण को चुका दिया था, लेकिन बैंक का ऋण चुकाने के बाद भी दलाल द्वारा ईश्वर चंद शर्मा को उसका चेक वापस नहीं दिया जा रहा था। परिजनों ने बताया कि दलाल ने ईश्वर चंद शर्मा द्वारा दिए गए चेक को बाउंस करा दिया और ईश्वर चंद पर मुकदमा भी करा दिया था। जब ईश्वर चंद को इसकी जानकारी हुई तो उसने दलाल को मुकदमा वापस लेेने की बात कही, लेकिन दलाल ईश्वरचंद से मामले को निपटाने के लिए चार लाख रुपये की मांग कर रहा था। इसी मामले को लेकर ईश्वरचंद पिछले काफी दिनों से तनाव में चल रहा था। परिजनों के मुताबिक सोमवार को उसी ईश्वर के दलाल चेक के मामले में ईश्वरचंद की तारीख थी। रात में ईश्वरचंद रोजमर्रा की तरह सो गया था। सोमवार की सुबह नहाने धोने के बाद उसने जहरीला पदार्थ खा लिया। जब वे मकान की छत से सुबह ईश्वरचंद के पास आए तो वह अपनी चारपाई पर लेटा हुआ छटपटा रहा था। ईश्वरचंद ने उन्हें जहरीला पदार्थ खाने की जानकारी दी। आनन-फानन में परिजन ईश्वरचंद को लेकर कस्बे के एक प्राइवेट अस्पताल में पहुंचे, लेकिन हालत नाजुक देखते हुए उसके लिए रेफर कर दिया। इसके बाद परिजन ईश्वरचंद को लेकर हायर सेंटर ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। जानकारी मिलते ही सीओ राजन सिंह, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक वीरेंद्र सिंह नेगी व दरोगा उमेश नेगी भी मौके पर पहुंचे तथा उन्होंने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। सीओ राजन सिंह ने बताया कि ईश्वर चंद शर्मा की जेब से दो सुसाइड नोट भी मिले हैं। इसमें उसने बैंक से ऋण दिलाने वाले दलाल व अपने परिवार के एक व्यक्ति पर उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। कोतवाल वीरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि तहरीर मिलने के बाद मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।


दलाल की धोखाधड़ी से परेशान किसान ने जहरीला पदार्थ निगल लिया। इलाज के लिए ले जाते समय रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। वहीं पुलिस मृतक की जेब में मिले दो सुसाइड नोट के माध्यम से मामले की जांच करने में जुटी है।
ढाढेकी गांव निवासी 65 वर्षीय ईश्वर चंद शर्मा पुत्र बाबूराम शर्मा खेतीबाड़ी का कार्य करता था। परिजनों के मुताबिक ईश्वर चंद ने वर्ष 2017 में कोतवाली क्षेत्र के हुसैनपुर गांव निवासी एक दलाल के माध्यम से लक्सर कस्बे में स्थित सरकारी बैंक से कर्ज लिया था। परिजनों का आरोप है कि दलाल ने ईश्वरचंद को ऋण दिलाने के बाद उससे जमानत के लिए एक कोरा चेक भी लिया था। उन्होेंने बताया कि पिछले दिनों गन्ने का भुगतान होने के बाद उन्होंने बैंक द्वारा दिए गए ऋण को चुका दिया था, लेकिन बैंक का ऋण चुकाने के बाद भी दलाल द्वारा ईश्वर चंद शर्मा को उसका चेक वापस नहीं दिया जा रहा था। परिजनों ने बताया कि दलाल ने ईश्वर चंद शर्मा द्वारा दिए गए चेक को बाउंस करा दिया और ईश्वर चंद पर मुकदमा भी करा दिया था। जब ईश्वर चंद को इसकी जानकारी हुई तो उसने दलाल को मुकदमा वापस लेेने की बात कही, लेकिन दलाल ईश्वरचंद से मामले को निपटाने के लिए चार लाख रुपये की मांग कर रहा था। इसी मामले को लेकर ईश्वरचंद पिछले काफी दिनों से तनाव में चल रहा था। परिजनों के मुताबिक सोमवार को उसी चेक के मामले में ईश्वरचंद की तारीख थी। रात में ईश्वरचंद रोजमर्रा की तरह सो गया था। सोमवार की सुबह नहाने धोने के बाद उसने जहरीला पदार्थ खा लिया। जब वे मकान की छत से सुबह ईश्वरचंद के पास आए तो वह अपनी चारपाई पर लेटा हुआ छटपटा रहा था। ईश्वरचंद ने उन्हें जहरीला पदार्थ खाने की जानकारी दी। आनन-फानन में परिजन ईश्वरचंद को लेकर कस्बे के एक प्राइवेट अस्पताल में पहुंचे, लेकिन हालत नाजुक देखते हुए उसके लिए रेफर कर दिया। इसके बाद परिजन ईश्वरचंद को लेकर हायर सेंटर ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। जानकारी मिलते ही सीओ राजन सिंह, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक वीरेंद्र सिंह नेगी व दरोगा उमेश नेगी भी मौके पर पहुंचे तथा उन्होंने शव का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। सीओ राजन सिंह ने बताया कि ईश्वर चंद शर्मा की जेब से दो सुसाइड नोट भी मिले हैं। इसमें उसने बैंक से ऋण दिलाने वाले दलाल व अपने परिवार के एक व्यक्ति पर उसे प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। कोतवाल वीरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि तहरीर मिलने के बाद मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।

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