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समर्थित क्रिप्टोकरेंसी

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डिजिटल करेंसी

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क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने की कोई योजना नहीं : सरकार Business Standard - Hindi | December 07, 2021 वित्त राज्य मंत्री का कहना है कि आरबीआई द्वारा समर्थित प्रस्तावित डिजिटल मुद्रा में फायदे और जोखिम दोनों ही इंदिवजल धस्माना

वित्त मंत्रालय ने सोमवार को संसद को बताया कि देश में क्रिप्टोकरेंसी क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है और प्रस्तावित सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) में अस्थिरता नहीं होगी, जो आमतौर पर निजी आभासी मुद्राओं के साथ जुड़ी रहती है। हालांकि लोकसभा को बताया गया है कि सीबीडीसी के साथ जोखिम भी जुड़े हुए हैं, जिनका सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

क्या है डिजिटल करेंसी, जो बन सकती है भारत की अधिकारिक मुद्रा

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) वो करेंसी होगी जो केंद्रीय बैंक, यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी एक डिजिटल मुद्रा होगी. यह "ब्लॉकचैन और अन्य तकनीकों" पर आधारित होगा. सरल शब्दों में कहें तो CBDC भारतीय रुपये का एक डिजिटल रूप होगा.

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gnttv.com

  • नई दिल्ली,
  • 07 फरवरी 2022,
  • (Updated 07 फरवरी 2022, 7:29 PM IST)

भारतीय मुद्रा का डिजिटल रूप होगी ये करेंसी

इसका आंतरिक मूल्य होगा

ये राज्य द्वारा समर्थित होगी

2022-23 का केंद्रीय बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजीटल करेंसी (Digital Currency) के बारे में बात की. उन्होंने कहा था कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया वित्त वर्ष 2022-23 में डिजीटल करेंसी को लॉन्च करेगा, और ये भारत सरकार की आधिकारिक डिजिटल करेंसी होगी. इसके अलावा उन्होंने बिटकॉइन जैसी वर्चुअल करेंसी से होने वाले मुनाफे पर फ्लैट 30% टैक्स की भी घोषणा की थी. तब से ये दोनों चीजें चर्चा का विषय बनी हुई हैं. हालांकि इस बारे में ज्यादा सूचना या विवरण सरकार ने नहीं दिया है. तो चलिए आज आपको डिजीटल करेंसी के बारे में बताते हैं.

क्या है डिजिटल करेंसी?
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) वो करेंसी होगी जो केंद्रीय बैंक, यानी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी एक डिजिटल मुद्रा होगी. यह "ब्लॉकचैन और अन्य तकनीकों" पर आधारित होगा. सरल शब्दों में कहें तो CBDC भारतीय रुपये का एक डिजिटल रूप होगा. एक बार जब आरबीआई डिजिटल करेंसी को जारी करना शुरू कर देगा तो हम और आप जैसे आम लोग नियमित रुपये समर्थित क्रिप्टोकरेंसी की तरह ही इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. डिजिटल रुपया आपके एनईएफटी, आईएमपीएस या डिजिटल वॉलेट की तरह होगा. आप इसका उपयोग थोक लेनदेन या खुदरा भुगतान करने के लिए कर सकते हैं. आप इसे विदेश भेज सकते हैं. आप इसके साथ बहुत कुछ कर सकते हैं.

क्यों चाहिए ये डिजीटल करेंसी?
फिलहाल इस बारे में अभी कोई खास जानकारी नहीं है लेकिन भारत सरकार डिजीटल करेंसी इसलिए लॉन्च कर रही है क्योंकि आज कल डिजीटल करेंसी का जमाना है और भारत किसी भी मायने में दूसरे देशों से पीछे नहीं रहना चाहता है. हम सब की तरह सरकार ने भी ये मान लिया है कि इस करेंसी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. सरकार ने वर्चुअल करेंसी के वजूद को नकारने के बजाय अपनी खुद की एक करेंसी लॉन्च करने का फैसला किया है. नियमित करेंसी के विपरीत आपको डिजिटल करेंसी को ट्रांसफर करने के लिए बैंक खाते की आवश्यकता नहीं होगी. चूंकि यह ब्लॉकचेन पर आधारित होगा, इसलिए आप इसे सीधे दूसरे व्यक्ति के डिजिटल रुपये वाले वॉलेट में ट्रांसफर कर सकते हैं.

यह बिटकॉइन जैसी निजी डिजीटल मुद्राओं से कैसे अलग होगा?
एक डिजिटल करेंसी मूल रूप से बिटकॉइन और एथेरियम जैसी निजी क्रिप्टोकरेंसी से अलग होगी क्योंकि यह राज्य द्वारा समर्थित होगी और इसका आंतरिक मूल्य होगा. सरकार ने बिटकॉइन और अन्य क्रिप्टोकरेंसी को वर्चुअल एसेट्स कहा है. यानी वो लीगल टेंडर नहीं होंगे.

क्या यह पारंपरिक रुपये की जगह लेगा?
इस डिजिटल करेंसी को मुद्रा के रूप में गिना जाएगा. इससे सरकार को कम नोट छापने और नकली मुद्रा पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. यह "अधिक कुशल और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली" बनाने में मदद करेगा. नियमित रुपये के विपरीत, डिजिटल रुपये को ऑनलाइन लेनदेन के लिए बैंक मध्यस्थ की आवश्यकता नहीं होगी. प्रेषक और प्राप्तकर्ता ब्लॉकचैन का उपयोग करके लेनदेन कर सकते हैं, और आरबीआई गारंटर होगा.

क्या डिजिटल रुपये के कोई नुकसान हैं?
डिजिटल रुपये का उपयोग हमेशा पैसे का निशान छोड़ देगा. इसका मतलब है कि सरकार यह ट्रैक कर सकेगी कि आपने पैसे का इस्तेमाल कहां और कैसे किया. यह गोपनीयता की चिंताओं को जन्म देगा क्योंकि इसमें शामिल पक्षों के वित्तीय लेनदेन को लीक और दुरुपयोग किया जा सकता है.

डिजिटल रुपया कब लॉन्च होगा?
कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह तभी होगा जब संसद क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विधेयक का विनियमन पारित करेगी, जो आरबीआई को डिजिटल रुपया जारी करने का अधिकार देगा. संसद के चालू बजट सत्र में इस बिल के पेश होने की संभावना नहीं है. हो सकता है, इसे कैलेंडर वर्ष के दूसरे भाग में मानसून या शीतकालीन सत्र में पेश किया जाए.

वेनेजुएला ने अमेरिकी नाकाबंदी से निपटने के लिए 'पेट्रो' डिजिटल मुद्रा शुरू की

निकोलस मैडुरो, वेनेजुएला के राष्ट्रपति ने यह घोषणा की है कि वेनेजुएला कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए पेट्रो नामक एक डिजिटल मुद्रा पेश करेगा. उन्होंने कहा कि वे वेनेजुएला के तेल, खनिज और सोने के भंडार द्वारा समर्थित एक क्रिप्टोकरेंसी पेट्रो की शुरुआत करेंगे. साथ ही सरकार ने अमेरिकी प्रतिबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि पेट्रो से वेनेजुएला को वित्तीय लेनदेन करने और वित्तीय नाकाबंदी को दूर करने में मदद होगी.

Venezuela to launch Petro

निकोलस मैडुरो, वेनेजुएला के राष्ट्रपति ने यह घोषणा की है कि वेनेजुएला कड़े अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए पेट्रो नामक एक डिजिटल मुद्रा पेश समर्थित क्रिप्टोकरेंसी करेगा. उन्होंने कहा कि वे वेनेजुएला के तेल, खनिज और सोने के भंडार द्वारा समर्थित एक क्रिप्टोकरेंसी पेट्रो की शुरुआत करेंगे. साथ ही सरकार ने अमेरिकी प्रतिबंधों का जिक्र करते समर्थित क्रिप्टोकरेंसी हुए कहा कि पेट्रो से वेनेजुएला को वित्तीय लेनदेन करने और वित्तीय नाकाबंदी को दूर करने में मदद होगी.

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों को संदेह है कि यह कदम देश की बीमार अर्थव्यवस्था को ठीक करेगा.

पेट्रो के बारे में

पेट्रो का समर्थन सोने, तेल और खनिज भंडार से होगा. वेनेजुएला सरकार को एक सूत्र या फार्मूला बनाना होगा जिसके द्वारा पेट्रो की समर्थित क्रिप्टोकरेंसी एक निश्चित इकाई उन राशियों के एक निश्चित प्रतिशत के बराबर होगी.

वेनेजुएला में आर्थिक संकट
वेनेजुएला हाल के समय में विदेशी उधारदाताओं और बॉन्डधारकों के 120 अरब डॉलर के कर्ज के भुगतान के लिए संघर्ष कर रहा है. इन उधारदाताओं और बॉन्डधारकों में से ज्यादातर अमेरिका में हैं. लेकिन अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली का उपयोग करने में असमर्थ होने के कारण उन उधारदाताओं को वापस भुगतान करने में वेनेजुएला को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसे समय में पेट्रो वैनेजुएला को प्रतिबंधों (और भविष्य में अमेरिकी प्रतिबंधों) का सामना करने में मदद करेगा क्योंकि यह धन भेजने के लिए एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है.
हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया कि मुद्रा कैसे काम करेगी, इसके मूल्य की गणना कैसे की जाएगी, या इसे कब शुरू किया जाएगा. बोलिवार, वेनेजुएला की आधिकारिक मुद्रा, इस वर्ष अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बहुत ही ज्यादा कमजोर हो गयी है.
वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट और सरकार की प्रतिक्रियात्मक नीति के कारण पिछले कुछ सालों में देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है.
वर्ष की शुरुआत में, गैर-सरकारी विनिमय दर, जिसका अधिकतर लोग उपयोग करते हैं, एक डॉलर के बदले 3000 बोलिवार से 103,000 बॉलिवर्स तक पहुंच गया था.

पेट्रो के साथ समस्याएं
पेट्रो को सफल बनाने के लिए सबसे पहले कदम होगा लोगों का भरोसा जीतना. लेकिन, वर्तमान समय में जब लगभग कोई भी वेनेजुएला पर भरोसा नहीं करता है, क्रिप्टोकरेंसी 'पेट्रो' को लोगों के बीच स्वीकार करवाना एक चुनौती से कम नहीं होगा. साथ समर्थित क्रिप्टोकरेंसी ही पेट्रो की सबसे बड़ी समस्या यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय वेनेजुएला सरकार पर भरोसा नहीं करता है.

क्रिप्टोकरेंसी के बारे में
क्रिप्टोकुरेंसी एक प्रकार का आभासी पैसा है, जो लेनदेन को सुरक्षित रखने के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है जो एन्कोडिंग डेटा की एक जटिल प्रक्रिया के द्वारा किया जाता है. यह बाहरी किसी भी हस्तक्षेप जैसे विदेशी सरकारें जो प्रतिबंध लागू करने की कोशिश कर रहे हैं, से सुरक्षित रखता है.

‘क्रिप्टो बिल 2021’ के तहत भारत सरकार सभी ‘प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी’ को कर सकती है ‘बैन’?

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India Will Ban Cryptocurrency? क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार के नए बिल का रूख अब कुछ स्पष्ट होता नज़र आने लगा है और इसलिए अब ये क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक चिंता का विषय भी बन गया है। असल में भारत सरकार इस नए बिल के तहत देश के भीतर सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी बैन करने की योजना बना रही है।

जी हाँ! सरकार जल्द शुरू होने जा रहे संसद के शीतकालीन सत्र में नए ‘क्रिप्टोकरेंसी बिल’ को पेश करने जा रही है। इस बिल को सरकार ने ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ का नाम दिया है।

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इस विधेयक में की गई सिफ़ारिशों में से एक समर्थित क्रिप्टोकरेंसी है कि देश में सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाया जाए। और ज़ाहिर है अगर ये बिल संसद में पास हो गया, (जिसकी संभावनाएँ अधिक है) तो ये देश के भीतर बिटकॉइन (Bitcoin) जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वालों के लिए परेशानी का सबब बन सकता है।

लेकिन साफ़ कर दें कि प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने के साथ ही इस बिल में कुछ रियायतों या अपवादों (Exceptions) का भी ज़िक्र किया गया है, जिसका मक़सद इस नई तकनीक और इसके उपयोग को पूरी तरीक़े से ख़ारिच ना करते हुए, उसको उचित मायनों में बढ़ावा देने का है।

पर इसका मतलब क्या हुआ? सरल शब्दों में कहें तो अगर Bitcoin और Ethereum जैसी लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी अगर सरकार की अपवाद (Exceptions) लिस्ट की शर्तों के अंदर आती हुई नज़र आई तो शायद इनके ट्रेड में निवेशकों को उतनी परेशानी का सामना ना करना पड़े।

India Cryptocurrency Ban: Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021

दिलचस्प ये है कि ‘द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021’ में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा कथित रूप से जल्द जारी की जा सकनें वाली सरकार समर्थित डिजिटल करेंसी के लिए एक फ्रेमवर्क बनाने की भी मांग की गई है।

एक सवाल ये भी उठता है कि कुछ ही हफ़्तों पहले जब संसदीय समिति की एक बैठक के बाद दबी आवाज़ों में ऐसे संकेत मिल रहे थे कि क्रिप्टोकरेंसी को देश में बतौर संपत्ति (ऐसेट्स) मान्यता दी जा सकती है, तो ऐसे में अचानक क्या हुआ?

लेकिन ग़ौर से देखने समर्थित क्रिप्टोकरेंसी पर इस सवाल का जवाब शायद RBI की नई संभावित डिजिटल करेंसी में छिपा मिलता है। हम सब जानते हैं कि RBI शुरू से ही क्रिप्टोकरेंसी के चलन के तरीक़ों का आलोचक रहा है।

RBI के मौजूदा गवर्नर, शक्तिकांत दास ने यहाँ तक कहा है कि वे एक व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता को देखते हुए इस विषय को बेहद गंभीर और किसी भी वित्तीय प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा मानते हैं। ख़ासकर जब तक इसको रेगुलेट नहीं किया जाता।

और सबसे अहम बात ये कि हाल ही में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक रूप से क्रिप्टोकरेंसी को ख़तरा बता चुके हैं, जो युवाओं को बर्बाद कर सकता है।

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पीएम मोदी के अनुसार सभी लोकतांत्रिक देशों को साथ आकार ये प्रयास करने की ज़रूरत है कि क्रिप्टोकरेंसी किसी भी तरीक़े से गलत हाथो में ना जाए।

बता दें इस नए क्रिप्टो बिल के साथ ही सरकार इस बार के शीतक़ालीन संसद सत्र में क़रीब कुल 26 बिलों को पेश करती नज़र आएगी।

वैसे क्रिप्टो इंडस्ट्री से जुड़े लोगों और प्रतिनिधियों को उम्मीद है कि सारकर क्रिप्टो को बैन करने के बजाए उसको रेगुलेट करने की दिशा समर्थित क्रिप्टोकरेंसी में कोई कदम उठा सकती है।

देखिए ये तो ज़ाहिर है कि एक बार देश में क्रिप्टोकरेंसी का वैधानिक दायरा तय हो जाता है, तो इस बाजार में एक स्थिरता आ सकेगी और निवेशकों का भी हित इसी में है। जैसे अभी का उदाहरण ही देखिए, कुछ दिनों पहले तक तेज़ी से बढ़ रहे क्रिप्टोकरेंसी के दाम इस ख़बर के सामने आते ही वापस गिरने लगे हैं।

क्या है क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency in Hindi) तथा बिटकॉइन?

नमस्कार दोस्तो स्वागत है आपका जानकारी ज़ोन में जहाँ हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी, राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय राजनीति, अर्थव्यवस्था, ऑनलाइन कमाई तथा यात्रा एवं पर्यटन जैसे क्षेत्रों से महत्वपूर्ण तथा रोचक जानकारी आप तक लेकर आते हैं। आज इस लेख में हम बात करेंगे क्रिप्टोकरेंसी की, जानेंगे यह क्या है? (What is Cryptocurrency in Hindi) क्रिप्टोकरेंसी किस प्रकार कार्य करती है और अंत में देखेंगे क्यों अधिकांश देशों की सरकारें इसके इस्तेमाल को कानूनी मान्यता देने से बचती आई हैं।

मुद्रा (Currency)

मुद्रा से हम सभी वाकिफ़ हैं। दुनियाँ में प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मुद्रा की आवश्यकता होती है। इसका उपयोग हम प्रतिदिन वस्तुओं तथा सेवाओं को खरीदने में करते हैं। मुद्रा के प्रकारों में समय के साथ बदलाव आते रहे हैं। उदाहरण के तौर पर प्राचीन काल में वस्तुओं को मुद्रा के रूप में इस्तेमाल किया जाता था तत्पश्चात सोने तथा अन्य महँगी धातुओं का प्रयोग मुद्रा के रूप में होने लगा तथा आधुनिक समय में कागज की मुद्रा प्रचलन में आई जिसका वर्तमान में भी प्रयोग किया जाता है।

समय के साथ बैंकिंग क्षेत्र में प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रभाव पड़ा जिससे बैंक में उपलब्ध मुद्रा का ऑनलाइन इस्तेमाल कर कहीं भी कभी भी लेन-देन करना आसान हो गया तथा मुद्रा का एक नया रूप प्लास्टिक मुद्रा (क्रेडिट कार्ड तथा डेबिट कार्ड) प्रचलन में आई जिसका हम दैनिक जीवन में इस्तेमाल करते हैं। इन सब के अतिरिक्त मुद्रा का एक नया रूप हमारे सामने है जिसे आभासी या डिजिटल मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी कहा जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) क्या है?

किसी भी देश की मुद्रा जैसे भारतीय रुपया, अमेरिकी डॉलर, ब्रिटिश पाउंड आदि उनके केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी तथा समर्थित होती हैं। यह भौतिक मुद्रा होती हैं जिसे आप देख अथवा छू सकते हैं और नियमानुसार किसी भी स्थान या देश में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं वहीं क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency in Hindi) एक प्रकार की डिजिटल या आभासी करेंसी (मुद्रा) होती है जिसे आप देख या छू नहीं सकते।

पहली क्रिप्टोकरेंसी जिसे बिटकॉइन के नाम से जाना जाता है कि शुरुआत साल 2009 में सतोषी नकामोटो नामक व्यक्ति द्वारा की गई। इन्हीं ने सर्वप्रथम ब्लॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल करते हुए इस मुद्रा का निर्माण किया। 2008 में जारी अपने एक रिसर्च पेपर में उन्होंने बताया कि किस प्रकार किसी विकेन्द्रीकृत मुद्रा के प्रयोग से बैंकों या अन्य वित्तीय संस्थाओं को मध्यस्थ की भूमिका से बाहर किया जा सकता है। वर्तमान में दुनियाँ भर में तकरीबन 1500 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं। जिनमें बिटकॉइन, लाइटकॉइन, ईथर, डैशकॉइन, रिपल आदि शामिल हैं।

क्रिप्टोकरेंसी की कार्यप्रणाली

क्रिप्टोकरेंसी एक बेहद महत्वपूर्ण तकनीक ब्लॉकचेन पर आधारित है। इस तकनीक की सहायता से किसी भी प्रकार की सूचना का एक विकेन्द्रीकृत बहीखाता या Ledger तैयार किया जा सकता है। इस नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति के पास सूचना का यह बहीखाता मौज़ूद होता है। वर्तमान में इस तकनीक का इस्तेमाल मुख्यतः क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन में किया जा रहा है।

सामान्य बैंकिंग प्रक्रिया में लेन-देन का विवरण बैंकों द्वारा सत्यापित किया जाता है जबकि क्रिप्टोकरेंसी में किये गए विनिमय को ब्लॉकचेन तकनीक के माध्यम से ब्लॉकचेन नेटवर्क से जुड़े कुछ लोगों जिन्हें माइनर्स कहा जाता है द्वारा सत्यापित किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी के किसी लेन-देन को सत्यापित कर उसे सूचना के एक ब्लॉक रूप में परिवर्तित करना बेहद जटिल गणितीय कार्य होता है जिसके लिए अत्यधिक कंप्यूटर क्षमता, विद्युत आपूर्ति तथा हाई स्पीड इंटरनेट की आवश्यकता होती है।

प्रत्येक क्रिप्टोकरेंसी का एक विशेष ब्लॉकचेन नेटवर्क होता है जिसमें उस करेंसी का सम्पूर्ण लेन-देन मौजूद होता है। किसी क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency in Hindi) के लेन-देन को सत्यापित कर उसे ब्लॉक में दर्ज किए जाने के बदले माइनर्स को प्रोत्साहन के तौर पर उस क्रिप्टोकरेंसी की कुछ मात्रा प्राप्त होती है। इस प्रक्रिया से नई निर्मित क्रिप्टोकरेंसी बाज़ार में आती है, इसीलिए इस प्रक्रिया को क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग कहा जाता है।

क्रिप्टोकरेंसी के फायदे

  1. चूँकि क्रिप्टोकरेंसी किसी देश या सरकार के नियंत्रण में नहीं है अतः किसी देश की आर्थिक स्थिति या आर्थिक निर्णयों जैसे नोटबंदी या घरेलू मुद्रा के अवमूल्यन का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
  2. जहाँ बैंकों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर लेन-देन करने में अधिक शुल्क तथा समय लगता है वहीं क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन त्वरित तथा अत्यंत कम शुल्क में हो जाता है।
  3. इसमें लेन-देन करने के लिए किसी पहचान पत्र आदि की आवश्यकता नहीं होती अतः किन्हीं दो व्यक्तियों के मध्य होने वाला लेन-देन गुप्त रहता है।

क्रिप्टोकरेंसी के नुकसान

  1. क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन करने वाले व्यक्तियों की जानकारी पूर्णतः गोपनीय होती समर्थित क्रिप्टोकरेंसी है अतः इसका प्रयोग गैर-कानूनी गतिविधियों जैसे किसी के निजी डेटा को बेचना, फिरौती, गैर-कानूनी वस्तुओं का व्यापार तथा मानव तस्करी आदि करने में भी किया जाता है।
  2. इसके इस्तेमाल में अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है। किसी गलत पते पर क्रिप्टोकरेंसी के हस्तांतरण हो जाने की स्थिति में उसे पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता न ही उस व्यक्ति की पहचान करना संभव है।
  3. चूँकि क्रिप्टोकरेंसी पूर्णतः बाजार के नियंत्रण में है अतः यह बहुत अस्थिर है। इसकी कीमतों में अचानक गिरावट आने की संभावना बनी रहती है जिससे ऐसी समर्थित क्रिप्टोकरेंसी मुद्राओं में निवेश करने वाले निवेशकों की पूँजी डूब सकती है। उदाहरण के तौर पर साल 2013 में बिटकॉइन में एक ही दिन में 70 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई।
  4. क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन में अत्यधिक मात्रा में कंप्यूटर क्षमता की आवश्यकता होती है जो ऊर्जा अपव्यय का एक मुख्य कारण है।
  5. सरकारों तथा केन्द्रीय बैंकों के नियंत्रण में न होने के चलते इसके प्रयोग से कर चोरी जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार का रुख

साल 2018 में रिजर्व बैंक ने अपने द्वारा विनियमित सभी बैंकों एवं अन्य वित्तीय संस्थाओं को क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार से स्वयं को अलग करने के निर्देश दिये तथा भारत मे क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज की सुविधा उपलब्ध कराने वाली विभिन्न कंपनियों को बैंकिंग सुविधा उपलब्ध न कराने का निर्णय लिया। इसके विरोध में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।

4 मार्च 2020 को आए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने रिजर्व बैंक के फैसले समर्थित क्रिप्टोकरेंसी को खारिज़ करते हुए इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के पक्ष में फैसला सुनाया। वर्तमान परिदृश्य में भारत मे क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना गैरकानूनी नहीं है हालाँकि इनकी अस्थिरता को देखते हुए सरकार इनमें निवेश करने से बचने की सलाह देती रही है। भारत मे क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट की सुविधा मुहैया कराने वाली कंपनियों में Unocoin, ZebPay आदि प्रमुख हैं।

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