म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा?

म्यूचुअल फंड एजेंट कमीशन संरचना
म्यूचुअल फंड एजेंटों द्वारा अर्जित कमीशन की विभिन्न दरों को समझना बहुत महत्वपूर्ण है। ग्राहकों को इसके बारे में पूछने और एजेंटों को सलाह देने का अधिकार है, उनके पास उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है क्योंकि वे एजेंटों के निवेश से पैसा कमाते हैं। उस मामले के लिए, यदि आप म्यूचुअल फंड निवेश के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप हमें Finbucket.com पर जा सकते हैं
म्यूचुअल फंड एजेंट के कमीशन में 4 भाग शामिल हैं: क्लाइंट से एक कमीशन, अपफ्रंट कमीशन, ट्रेल कमीशन और एक बार का ट्रांजेक्शन चार्ज।
ग्राहक से कमीशन:
एजेंट अपनी सेवाओं को प्रदान करने के लिए एक ग्राहक से कमीशन लेता है और यह राशि आम तौर पर 5% से 2% निवेश है। ग्राहक अपने एजेंट द्वारा प्रदान की जाने वाली सलाह की गुणवत्ता पर इस आयोग के मूल्य पर बातचीत कर सकता है। यह एक आवर्ती आयोग है और एजेंट को हर बार ग्राहक के निवेश पर कमीशन मिलता है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति हर महीने 10,0000 रुपये का निवेश करता है और उसके एजेंट का कमीशन 1% है, तो एजेंट को ग्राहक से कमीशन के हिस्से के रूप में हर महीने 1000 रुपये मिलते हैं।
अग्रिम आयोग:
ये कमीशन एजेंट पहले साल में म्यूचुअल फंड कंपनियों / एसेट मैनेजमेंट कंपनियों से प्राप्त करते हैं और यह म्यूचुअल फंड के कुल खर्च में शामिल होता है। आप इस खर्च की गर्मी को महसूस नहीं करेंगे लेकिन परोक्ष रूप से आप इसके लिए भुगतान कर रहे हैं। जब भी आप नया निवेश करेंगे तो आपका आपसी एजेंट इसे प्राप्त करेगा। म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? यह कमीशन एक कंपनी से दूसरी कंपनी में और उत्पाद से उत्पाद में भिन्न होता है, ईएलएसएस फंड्स में उच्च (लगभग 4.5% से 1%), इक्विटी स्कीम (लगभग 0.5% से 2.5%), और डेट फंड में कम (लगभग 0.2% से 0.8%) ) है।
ट्रेल कमीशन:
यह कमीशन आमतौर पर निवेशकों द्वारा अनदेखा किया जाता है लेकिन क्या यह म्यूचुअल फंड एजेंट के कमीशन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह म्यूचुअल फंड एजेंटों के लिए कमाई का प्राथमिक स्रोत है । यह कमीशन संरचना म्यूचुअल फंड कंपनियों और उत्पादों के आधार पर 0.5% से लेकर 1% तक है। प्रबंधन के तहत यह आपके कुल निवल संपत्ति से भुगतान किया जाता है। यह आपके एजेंटों को भुगतान किया जाएगा भले ही आप निवेश न करें लेकिन यदि आपका निवेश बिना निकासी के रहा।
मान लीजिए कि इस योजना के तहत लगभग 100 निवेशक हैं और उन सभी के पास जिनके पास प्रबंधन के तहत संपत्ति है, लगभग 5 करोड़ रुपये है और ट्रेल कमीशन 0.5% है, कंपनी एक एजेंट को सालाना 25,0000 रुपये का भुगतान करेगी, जो राशि से आ रही है निवेशक का पैसा।
यदि अगले साल खराब बाजार की स्थिति के कारण या कुछ ग्राहकों के कारण जिन्होंने अपना पैसा वापस ले लिया है, तो उसके तहत कुल संपत्ति रु .२५ करोड़ तक कम हो जाती है, तो उस वर्ष उन्हें १,२५,००० रुपये प्राप्त होंगे। लेकिन एक ही समय में मौजूदा ग्राहकों द्वारा अतिरिक्त निवेश के कारण, यह रु। 10 करोड़ तक बढ़ गया है, तो उसके अगले साल का कमीशन रु। 5,00,000 होगा।
यह ट्रायल कमीशन संरचना वास्तव में निवेशकों को अच्छे फंड चयन देकर उनकी रक्षा करने के इरादे से बनाई गई है। अगर एजेंटों की सलाह अच्छी साबित होगी और निवेशकों का पैसा बढ़ेगा तो एजेंटों और निवेशकों दोनों को लाभ मिलेगा अन्यथा दोनों ढीले हो जाएंगे।
एक बार लेनदेन शुल्क:
यह मौजूदा निवेशकों के लिए 100 रुपये और म्यूचुअल फंड के नए निवेशकों के लिए 150 रुपये के रूप में तय किया गया है। यह लागत निवेशित राशि के निवेशकों से काटी जाएगी। निवेशक इस लागत की उपेक्षा कर सकता है क्योंकि यह अधिक नहीं है। यह निवेशक के खाते से या तो एक बार में कटौती की जाती है यदि निवेशक ने एकमुश्त 25 रुपये प्रति माह का निवेश किया है यदि आपने एसआईपी के माध्यम से निवेश किया है।
म्यूचुअल फंड एजेंट की कमाई के म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? उदाहरण के लिए, अपफ्रंट को 0.5% और ट्रायल को 0.5% मानें। लेकिन शुल्क को छोड़कर, वे अभी चार्ज करते हैं। साथ ही, 12% की वृद्धि के साथ इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश को ध्यान में रखा।
इसलिए म्यूचुअल फंड एजेंट की आय इस प्रकार होगी:
वर्ष की संख्या | निवेश | प्रबंध 12 % के तहत कुल संपत्ति | अग्रिम आयोग | परीक्षण आयोग | कुल कमीशन |
---|---|---|---|---|---|
1 है | 1,00,000 रु | NIL | 500 रु | NIL | 500 रु |
२ | 1,00,000 रु | 1,12,000 रु | 500 रु | Rs.560 | Rs.1,060 |
३ | 1,00,000 रु | Rs.2,37,440 | 500 रु | १,१ Rs7 रु | Rs.1,687 |
४ | 1,00,000 रु | Rs.3,77,932 | 500 रु | १,99 ९ रु | रु। 2,389 |
५ | 1,00,000 रु | Rs.5,35,284 | 500 रु | Rs.2,676 | Rs.3,176 |
६ | 1,00,000 रु | 7,11,518 रु | 500 रु | Rs.3,557 | 4,057 रु |
। | 1,00,000 रु | 9,08,901 रु | 500 रु | Rs.4,544 | Rs.5,044 |
। | 1,00,000 रु | 11,29,969 रु | 500 रु | Rs.5,649 | Rs.6,149 |
९ | 1,00,000 रु | Rs.13,77,565 | 500 रु | Rs.6,887 | 7,387 रु |
१० | 1,00,000 रु | Rs.16,म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? 54,म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? 873 | 500 रु | 8,274 रु | 8,774 रु |
1 1 | 1,00,000 रु | Rs.19,65,548 | 500 रु | 9,827 रु | 10,327 रु |
१२ | 1,00,000 रु | Rs.23,13,313 | 500 रु | 11,566 रु | 12,066 रु |
१३ | 1,00,000 रु | Rs.27,02,910 | 500 रु | Rs.13,514 | Rs.14,014 |
१४ | 1,00,000 रु | Rs.31,39,260 | 500 रु | 15,696 रु | Rs.16,196 |
१५ | 1,00,000 रु | Rs.36,27,971 | 500 रु | Rs.18,139 | 19,639 रु |
म्यूचुअल फंड डिस्ट्रीब्यूटर की कुल कमाई रु। 1,10,972 है
उपरोक्त तालिका से आप देख सकते हैं कि म्यूचुअल फंड एजेंट की कमाई शुरुआत में कम है लेकिन AUM (एसेट अंडर मैनेजमेंट) बढ़ता है।
आशा है कि यह आपके लिए उपयोगी है
By Pulkit Jain | 2021-01-30T11:28:19+00:00 January 30th, 2021 | Mutual Funds | Comments Off on म्यूचुअल फंड एजेंट कमीशन संरचना
Investment Tips : शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में कौन है सही विकल्प? निवेश पर मोटा रिटर्न हासिल करने अपनाएं एक्टिव या पैसिव फंड सिस्टम! समझें अंतर
व्यापर, डेस्क रिपोर्ट। निवेश (Investment Tips) म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? का बाजार प्रतिदिन बदलता रहता है। पिछले कुछ महीनों से निवेशकों का झुकाव पैसिव म्यूच्यूअल फंड (mutual fund) की तरफ अधिक देखने को मिल रहा है। दरअसल पेसिव म्युचुअल फंड (passive mutual fund) रिस्क कम है और मार्केट इंडेक्स में शामिल कंपनियों के शेयर में निवेश करने पर लंबे और मोटे रिटर्न हासिल होते हैं। वहीँ कुछ निवेशक शेयर (share market) और म्यूच्यूअल फंड निवेश की कार्यशैली पर चिंतित होते हैं, आज बात करेंगे इन दोनों जगहों होने वाले निवेश और उनके रिटर्न्स पर
वही शेयर मार्केट की तुलना में म्यूचुअल फंड बाजार के जोखिम अधिक है। जिसमें निवेशकों के पास गलती करने की बहुत कम गुंजाइश होती है। निवेशक विशेष रूप से एक अनुभव हीन निवेशक एक उच्च बाजार में इक्विटी निवेश शुरू करके पहली गलती करते हैं। आइए जानते हैं क्या है एक्टिव और पैसिव म्यूच्यूअल फंड और किसके रिटर्न है ज्यादा बेहतर :-
एक्टिव-पैसिव फंड में अंतर
एक्सपर्ट की मानें तो एक्टिव म्यूचुअल फंड में निवेश की गई राशि फंड मैनेजर मैनेज करते हैं। मार्केट के किस सेक्टर के किस स्टॉक में पैसा लगाना है। यह फंड मैनेजर के तहत निर्धारित होते हैं जबकि पैसिव फंड पूरी तरह से बाजार को ट्रैक करते हैं। ऐसे में जब बाजार में तेजी आती है तो पैसिव फंड में निवेश की गति बढ़ जाती है। वही रिस्क कम करने के लिए आज के समय में हर व्यक्ति शेयर मार्केट में निवेश करना चाहता है।
शेयर मार्केट में निवेश के 2 तरीके होते हैं।
- पहला डिमैट अकाउंट खोले और इसके जरिए बाजार में निवेश करें।
- दूसरे म्यूचुअल फंड में एसआईपी की मदद से लंबे समय के लिए निवेश कर मोटे रिटर्न हासिल करें।
पैसिव फंड की सबसे बड़ी खासियत
वही पैसिव फंड की सबसे बड़ी खासियत उनके फंड मैनेजर का ना होना है। दरअसल इस फंडिंग सिस्टम में लंबी अवधि में मोटा रिटर्न प्राप्त होता है। वही इसकी मदद से राशि में वृद्धि की जा सकती है। वही इसके जोखिम भी कम है एक्सपर्ट के दावे की माने तो पिछले कुछ महीनों में निवेशकों की रुचि पैसे फंड की तरफ बढ़ी है। इस मामले में हाल ही में आए आंकड़े से ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। बेहतर रिटर्न की कोशिश में एक्टिव फंड का टारगेट मार्केट इंडिया से बेहतर रिटर्न प्राप्त करना होता है जबकि पैसिव पंडित के नियम में बाजार में तेजी बढ़ने से मोटी रकम की उम्मीद बढ़ जाती है। एक्टिव फंड में बाजार को समझने के लिए अधिक रिसर्च की आवश्यकता होती है जबकि पैसिव फंड बाजार के टारगेट मार्केट इंडेक्स और बदलते व्यापारी गतिविधियों से राशि की तुलनात्मक वैल्यू ज्ञात करते हैं।
क्या है सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान
वहीं सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के माध्यम से निवेशक निवेश इक्विटी एमएस योजना में निवेश करने का कार्य करते हैं। यह कम जोखिम भरा तरीका होता है। लंबी अवधि के लिए होने वाले इस निवेश से निवेशक को ऊंचे रिटर्न प्राप्त हो सकते हैं। हालांकि यह निवेश कई निवेशकों के मनोबल को गिरा देता है और कुछ ही अवधि के बाद निवेशक एसआईपी बंद कर देते हैं। जिसके बाद उनकी निवेश की गई राशि के स्क्रैप वैल्यू से हाई रिटर्न प्राप्त करने का मौका उनके हाथ से निकल जाता हैं।
इसी बीच शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश के बाद उच्च रिटर्न प्राप्त करने की स्थिति समझने के लिए एक बेहतर सलाह के बाद ही कार्यशैली अपनाएं। वही म्यूचुअल फंड में निवेश करने के बाद लंबी अवधि में बेहतर रिटर्न पाने की संभावना बढ़ जाती है जबकि यदि आप ज्यादा जोखिम के साथ अच्छे रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं तो शेयर मार्केट में निवेश आपके लिए एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं।
SIP Investment: हर महीने 1000 रुपये जमा करने पर मिलेंगे 16.2 लाख रुपये का मुनाफा, क्या है पूरी योजना
डीएनए हिंदी: म्यूच्यूअल फंड का एक बड़ा फंडा यह है कि कोई व्यक्ति जितनी जल्दी लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करना शुरू करता है उतना ही वह धन सृजन में मदद करता है. इसमें लंबी अवधि में कंपाउंडिंग के जबरदस्त फायदे हैं. इसलिए अपना निवेश शुरू करने में 2-5 साल की देरी से आपके अनुमानित फंड को लाखों म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? रुपये का नुकसान हो सकता है. डिजिटल इंडिया के इस युग में म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश शुरू करना काफी आसान है. आज के समय में कई ऐसे ऑनलाइन सेबी (SEBI) पंजीकृत प्लेटफॉर्म हैं जिनके ऐप के जरिए आप कुछ ही मिनटों में केवाईसी (KYC) पूरा करके निवेश शुरू कर सकते हैं. इसमें सिर्फ 100 रुपये मासिक से निवेश शुरू किया जा सकता है.
एक उदाहरण के साथ जल्दी निवेश करने के लाभों को समझें
आहान और अस्मिता (काल्पनिक नाम) दोनों कॉलेज के दोस्त हैं. दोनों एसआईपी में निवेश करते हैं. अंतर यह है कि आर्य ने 20 साल की उम्र से 1,000 रुपये का मासिक एसआईपी (SIP) शुरू किया था. वहीं यश ने 25 साल की उम्र में यह फैसला लिया था. हालांकि दोनों अब लंबी अवधि के नजरिए से म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? 1,000 रुपये मासिक निवेश करते हैं. उन्होंने इस निवेश को 50 साल की उम्र तक जारी रखने का फैसला किया है.
अब गणना पर गौर करें
लंबी अवधि में म्यूचुअल फंड एसआईपी में निवेश जारी रखने से सालाना औसत रिटर्न 12 फीसदी रहा है. SIP कैलकुलेटर के मुताबिक यदि आहान का 1,000 का मासिक SIP 50 वर्ष की आयु तक यानी अगले 30 वर्षों तक जारी रहता है और सालाना 12 प्रतिशत रिटर्न देता है तो उसका अनुमानित फंड 35.29 लाख रुपये होगा. इसमें आर्य का कुल निवेश 3.6 लाख रुपये और अनुमानित धन लाभ 31.7 लाख रुपये होगा.
दूसरी तरफ, अगर अस्मिता का 1,000 रुपये का एसआईपी भी 50 साल तक चलता है तो उसकी अनुमानित राशि 12 फीसदी सालाना के औसत रिटर्न पर करीब 19 लाख रुपये होगी. इसमें यश का कुल निवेश 3 लाख और अनुमानित संपत्ति लाभ 16 लाख रुपये है. यानी यश का अनुमानित फंड आर्य से करीब 16.29 लाख रुपए कम है. ऐसा इसलिए क्योंकि यश ने 5 साल बाद निवेश करना शुरू किया था. जबकि दोनों की कुल निवेश राशि में मात्र 60 हजार रुपये का अंतर है.
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Best Mutual Fund Choose Criteria Hindi 2021
अगर हम म्युचुअल फंड कि बातकरें तो आज के समय में 2000 से भी ज्यादा म्युचुअल फंड मार्केट में उपलब्ध हैं. कहते हैं Best Mutual fund Kaise Chune Hindi 2021 और सही कैसे चुनें? और सबसे बेस्ट म्युचुअल फण्ड कौन सा हैं ?
अगर हम आम आदमी की बात करें तो यह काफी चर्चा का विषय हैं, और यह सवाल सबसे पहले हमारे दिमाग में आता हैं जब हम म्यूच्यूअल फंड में इन्वेस्टमेंट करने कि सोचते हैं, जिसे शेअर मार्केट का गणित नहीं पता होता वह Mutual Fund कि और ही देखते हैं.
आज हम इसी के बारे में इस आर्टिकल में विस्तार से चर्चा करनेवाले हैं, अगर आप यह पुरा पढ़ लेते हैं तो आपको म्यूचुअल फंड कौन सा लेना योग्य होगा यह कभी भी ख्याल नहीं आयेगा.
म्युचूअल फंड क्या होता हैं?
यह एक सामुहिक निवेश होता हैं, म्युचूअल यानी आपसी और फंड यानी निवेश. अलग अलग निवेशकों द्वारा एक बड़ी राशी कि निवेश को एक व्यक्ती द्वारा अलग अलग या किसी एक सेक्टर पर निवेश किया जाता हैं जैसे शेयर मार्केट सेक्टर हो गया , असेट फंड हो गया ऐसे करके निवेश किया जाता हैं.
जिसे शेयर मार्केट का ज्ञान नहीं होता और जिसे बैंक से ज्यादा रिटर्न्स चाहिते होते हैं या तो शेयर मार्केट में निवेश करने कि ज्यादा रिस्क नहीं देनी होती वह ज्यादातर म्यूचुअल फंड को सही मानते हैं, लेकिन इससे पहले यह सवाल आता है कि 2000+ से भी म्यूचुअल फंड मार्केट में हैं हमे किसमे निवेश करना योग्य होगा तो इसी की विस्तार से हम चर्चा करेंगे चलिये देखते हैं.
सही म्युचूअल चुनने के लिये इन 7 बातों पर जरुर ध्यान दे
1. फंड मैनेजर का ट्रैक रेकॉर्ड पर ध्यान दें ( Fund Manager Track Record)
जब हम कोई म्युचुअल फंड को चुनने कि बात करते हैं तब सबसे पहले हमें जो भी फंड को कोई मैनजर चलाता है तो उसका Track Record को देखना बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि फंड में क्या बदलाव करने हैं फंड में से कब किस सेक्टर अथवा शेअर कंपनी को निकालना है या उसमें ऐंड करना है यह सब पुरी तरह फंड मैनेजर के साथ में ही होता है, इसलिये इबसे पहले इसे पुरी तरह जांच ले.
2. डियवरसिफिकेशन से रिस्क कम होता हैं (Diversification Risk Minimise)
इसका मतलब जो भी फंड होता है वह किस अलग-अलग सेक्टर में इसको Include किया गया हैं? मतलब बैंकिंग सेक्टर, फार्मा सेक्टर, रियालीटी प्रोपर्टी सेक्टर ऐसे कितने अलग अलग सैक्टर में फंड द्वारा निवेश किया गया हैं, क्योंकी अगर एक हि सेक्टर पर सारा फंड डिपेंड होता है तो किसी न्युज के कारण या मंदी के कारण इसमें अचानक गिरावट आती है तो आपका निवेश में आपको बहुत छोटा सहन करना पड़ेगा इसलिए अगर एक से अधिक सेक्टर हो तो अगर एक किसी कारण वश नीचे भी जाता है तो बाकी सेक्टर उसे बैलैंन्स कर देंगे और आपको ओवरऑल प्रोफिट हि होगा.
3. फंड के रोलिंग रिटर्न देखना है जरुरी (Mutual Fund Rolling Returns)
ज्यादातर लोग जब म्यूचुअल फंड पर ध्यान देते हैं म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? तो म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? वह सिर्फ 1 या 2 साल कि ही रिटर्न्स देखते हैं और वह अच्छा या बुरा इस नतिजे पे आते हैं लेकिन इससे हम गलत जगह पर इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं क्योंकि म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? आजकल ज्यादातर फंड मैनेजर या कंपनीया अपने फंड का बहुत हि अच्छे तरिके से मार्केटिंग करती हैं,और एक साल में कुछ जुगाड करके अच्छे रिर्टन्स लाते हैं और उसी एक साल के रिटर्न्स को दिखाकर ग्राहकों को लुभाया जाता हैं, आजकल बहुत काॅपिटेशन कि वजह से लोग सिर्फ एक या दो साल के Quarterly Returns Result को देखकर फंड का Good हैं या Bad हैं इस नतिजे पे पोहच जाते हैं, लेकिन हमें इसके बदले Rolling Returns Observed करना चाहियें मतलब इसमें हम साल या दोसाल कि बजह आजतक के रिटर्न्स को 5 -5 सालो में डिवाइड करतें हैं. इससे हि हम कंपनी के रिकाॅर्ड को अच्छी तरह से जान सकते हैं.
अगर म्युचुअल फंड सही में अच्छा है तो Long Term Rolling Returns भी अच्छे होंगे, तब आप उसमे Investment कर सकते हों. अगर आप इन्वेस्टमेंट के ऊपर अधिक जानकारी चाहते है तो हमारा इन्वेस्टमेंट कहा करनी चाहिये यह ब्लाॅग अवश्य पढ़ सकते हैं.
4. एएमसी ट्रॅक रेकाॅर्ड को जानें ( Company AMC Track Record)
म्युचुअल फंड चुनते समय में AMC Track Record का चेक करना भी बहुत जरुरी होता हैं, अगर एक कंपनी हैं और वह 10 फंड चलाती है तो हमें एक कि बजह वो 10 Fund कैसे चल रहे हैं सारे फंड ने हर साल कितने रिटर्न्स दिये हैं यह सब जानना होगा, क्योंकी कईबार क्या होता हैं कि किसी कंपनी का एक ही फंड ने Quarterly Returns ज्यादा दिये होते हैं तो वह उसे ही फोकस करती है ना कि बाकी फंड पे और हम मार्केटिंग से प्रभावित होकार ऐसी कंपनीयों में निवेश करते हैं बिना जादा सोचे हुयें म्यूच्यूअल फंड क्या करेगा? तो हमें ऐसा नहीं करना हैं.
किसी एक फंड को देखने कि बजह हम अगर पुरी AMC Track Record Analysis करें तो हमें Long term Investment Profit या Money Returns मिल सकते हैं.
5. म्युचुअल फंड कि हिस्ट्री देखना जरुरी (Mutual Fund History)
अगर आप कोई भी में Mutual Fund Investment करने कि सोचते हो तो कम से कम उसकी 6 या 7 साल कि रेकाॅर्ड उपलब्ध होनी चाहिये तभी उसमें इन्वेस्टमेंट करें.
कई बार लक कि वजह से या तो किसी अन्य कारणों से एक साल के रिटर्न्स ज्यादा आते हैं तो हम उसी साल के Returns को देखकर उससे प्रभावित होते हैं ऐसा हमें नहीं करना चाहिये बहुत बार कंपनीया मर्ज होती है की बार नाम Mutual Fund Name Change किया जाता है, या तो नया नया फंड Launch हुआ होता हैं तो ऐसे में इससे प्रभावित ना हों कम से कम 6-7 सारे के रेकाॅर्ड होनेवाले फंड का विचार करना बेहतर होगा.
6. कम एक्सपेंन्स रेशों वाले फंड चुने ( Low Expense Ratio)
एक बात ध्यान रखें कि जितना कम फंड रेशों होगा उतना हि कम राशी आपकी आपके निवेश से Fund Manager या Mutual Fund Company को जायेंगी और उतना ही ज्यादा निवेश आपका फंड में लगेगा तो जितना Low Expense Ratio होगा उतना आपके लिये अच्छा होगा.
7. पोर्टफोलियो टर्नओवर रेशों भी जांच लें ( Portfolio Turn Over)
कई बार अचानक से Portfolio Turn Over Increase हो जाता है यह अक्सर तभी होता है जब फंड मॅनेजर या Filund manager Team Change कर दि जाती है तो वह अपने तरिके से स्टाॅक या सेक्टर में बदलाव करते हैं तभी ऐसा होता या , की बार किसी और फंड को या Scheme को Merge किया जाता है या Mutual Fund Reclassification हो जाता हैं, ऐसे में Mutual Fund Portfolio TurnOver अचानक से बढ़ रहा है तो आपको अलर्ट हो जाना होगा कि कुछ तो हो रहा है फंड में ऐसे में आपको इसका भी बखुबी से ध्यान रखना होगा जब आप म्युचुअल फंड को चुनने जाते हों तो.
तो अगर आप इन 7 बातों को ध्यान रखते हो तो तो आपको बेस्ट म्युचुअल फंड 2021 चुनने के लिये कोई भी परेशानी नहीं रहेगीं.
अगर आपको यह आर्टिकल Best Mutual fund Kaise Chune Hindi 2021 कैसा लगा ?अगर अच्छा लगा तो यह आर्टिकल को अपने मित्रों से जरुर साझा करें.और कोई सवाल और सुझाव हो तो हमें अवश्य लिखें.