विदेशी मुद्रा व्यापार पर कैसे

मुख्य निवेश विकल्प

मुख्य निवेश विकल्प

मुख्य निवेश विकल्प

दो साल पहले जनवरी 2013 में जब बाजार नियामक सेबी द्वारा बेहद उत्साह के साथ म्युचुअल फंडों में डाइरेक्ट प्लान को पेश किया गया था तो यह उम्मीद जताई गई थी कि खुदरा निवेशकों में इस विकल्प का लाभ उठाने के लिए होड़ देखी जाएगी। लेकिन एक फंड हाउस के मुख्य कार्याधिकारी यह स्वीकार करते हुए कहते हैं कि इस पर लक्षित वर्ग यानी छोटे निवेशकों से धीमी प्रतिक्रिया देखने को मिली। इसके बजाय, डाइरेक्ट प्लान में निवेशक मुख्य मुख्य निवेश विकल्प रूप से डेट फंडों में संस्थागत निवेशक और इक्विटी योजनाओं में अमीर निवेशक के तौर पर शामिल हैं। डाइरेक्ट म्युचुअल फंड निवेशकों को बैंक या वितरक जैसे बिचौलियों के जरिये निवेश करने के बजाय फंड हाउस के साथ सीधे तौर पर निवेश का विकल्प मुहैया कराते हैं। इन योजनाओं में फंड हाउस वितरक कमीशन या शुल्क नहीं वसूलते हैं। इसकी वजह से खर्च अनुपात भी नियमित योजनाओं के मुकाबले 50-100 आधार अंक तक कम होता है जिससे डाइरेक्ट प्लान के लिए एनएवी अधिक रहती है।

स्पष्टï लाभ के बावजूद छोटे निवेशक इनसे क्यों परहेज करते हैं? जटिल केवाईसी प्रक्रिया इसकी एक मुख्य वजह है। जब गाजियाबाद के सेबी के साथ पंजीकृत निवेश सलाहकार जितेंद्र सोलंकी के ग्राहकों ने डाइरेक्ट योजनाओं में निवेश शुरू किया तो उन्हें इस प्रक्रिया को पूरा करने में चार-पांच दिन लगे। उन्हें अपना केवाईसी अपडेट कराना पड़ा, पोर्टफोलियो बनवाया और फंड हाउस के साथ वैयक्तिक रूप से सत्यापन कराना पड़ा। कुछ मामलों में तो इस काम में एक महीना लग गया। सोलंकी अभी भी अपने ग्राहकों को प्रक्रिया पूरी करने और फिर डाइरेक्ट योजनाओं में निवेश करने की सलाह देते हैं। सोलंकी कहते हैं, 'ये शुरुआती समस्याएं हैं। शानदार प्रतिफल 15-20 साल की अवधि के दौरान एक बड़ी रकम में तब्दील हो जाएगा। इसलिए, मैं निवेशकों को डाइरेक्ट योजनाओं में निवेश की सलाह देता हूं, भले ही निवेश महज 1,000 रुपये महीने का हो।'

आंकड़े इसे सही तरह से दर्शाते हैं। मान लीजिए कि आप प्रति महीने एसआईपी के जरिये 10,000 रुपये या 1.2 लाख रुपये सालाना का निवेश कर रहे हैं और पांच साल बाद इस रकम का इस्तेमाल विदेश दौरे के लिए करने की योजना बना रहे हैं। डाइरेक्ट प्लान के लिए 10.5 फीसदी प्रतिफल की सालाना दर को मानते हुए यह रकम बढ़कर 10.36 लाख रुपये हो जाएगी। दूसरी तरफ, किसी रेग्युलर प्लान में समान मात्रा में किया गया निवेश 9.5 फीसदी (अधिक खर्च की वजह से 1 फीसदी कम) के प्रतिफल के साथ बढ़कर 10.02 लाख रुपये हो जाएगा। यह 34,966 रुपये या लगभग 500 डॉलर का अंतर है और यदि आप विदेश दौरे पर भी जा रहे हैं तो यह एक बड़ी रकम है।

अब मान लीजिए कि आप 15 साल बाद अपने बच्चे की शिक्षा के लिए समान रकम की बचत कर रहे हैं जो 1.2 लाख रुपये सालाना है। डाइरेक्ट प्लान में यह रकम बढ़कर 49.76 लाख रुपये, जबकि किसी रेग्युलर प्लान में यह रकम बढ़कर 45.25 लाख रुपये हो जाएगी। इसमें यह अंतर 4.5 लाख रुपये का है। वैल्यू रिसर्च के मुख्य कार्याधिकारी धीरेंद्र कुमार कहते हैं कि केवाईसी सिर्फ एक बार की समस्या है जिसके बाद सीधे तौर पर निवेश करना बेहद आसान है। वह कहते हैं, 'जो लोग स्वयं निवेश कर सकते हैं, वे डाइरेक्ट प्लान का लाभ उठा सकते हैं। मुख्य रूप से डाइरेक्ट और रेग्युलर योजनाओं में अंतर कम से कम 75 आधार अंक पर है। कई मामलों में यह कम है क्योंकि जहां सेबी ने रेग्युलर प्लान के लिए खर्च अनुपात अनिवार्य है वहीं डाइरेक्ट प्लान के खर्च अनुपात के लिए कोई गाइडलाइंस नहीं है। इसलिए कई फंड हाउस इनमें अधिक मार्जिन कमाते हैं।'

डाइरेक्ट प्लान की वृद्घि को रिडम्पशन, पते में बदलाव या बैंक अनिवार्यता, एसआईपी शुरू करने आदि जैसी सेवा प्रक्रियाओं से मदद मिल सकती है। पारंपरिक तौर पर छोटे निवेशक सलाहकारों के जरिये निवेश करना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं होती है कि कौन से फंड में और कितना निवेश किया जाना चाहिए। इसलिए वे अधिक खर्च अनुपात की चिंता नहीं करते हैं, क्योंकि उन्हें लंबे समय के लिए सलाह हासिल होती है। मॉर्निंगस्टार इन्वेटमेंट एडवाइजर इंडिया के निदेशक (फंड रिसर्च) कौस्तुभ बेलापुरकर कहते हैं कि किसी सलाहकार के जरिये मुख्य निवेश विकल्प निवेश करना परिचालन की दृष्टिï से आसान है और निवेशक पोर्टफोलियो स्टेटमेंट आदि जैसी सेवाएं हासिल कर सकते हैं। वह कहते हैं, 'फंडों के प्रतिफल, निवेश धारणा आदि के बारे में छानबीन जैसे कार्य को पसंद करने वाले विश्वस्त निवेशक के लिए डाइरेक्ट प्लान का विकल्प उचित है। औसतन डाइरेक्ट प्लान की एनएवी डेट और सभी इक्विटी योजनाओं के रेग्युलर प्लान की तुलना में 50-90 आधार अंक तक अधिक होती है। सीडीएसएल (सेंट्रल डिपोजिटरीज सर्विसेज) जैसी व्यवस्थाओं के साथ डाइरेक्ट प्लान निश्चित रूप से अधिक फायदेमंद हैं क्योंकि इनमें निवेशक स्वयं ही संपूर्ण स्टेटमेंट आदि प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन परिचालन की दृष्टिï से इसे लेकर अभी भी चुनौती बनी हुई है।'

हालांकि हालात में सुधार आ रहा है। हाल में एमएफ यूटीलिटी प्लेटफॉर्म ने डाइरेक्ट प्लान की भी पेशकश शुरू की है। यह ऐसा मंच है जो निवेशकों को सिर्फ एक केवाईसी के साथ सभी फंड हाउसों में निवेश की अनुमति देता है। सेबी ने फंड हाउसों को आरआईए (पंजीकृत निवेश सलाहकार) के साथ डाइरेक्ट प्लान की जानकारी साझा करने का भी निर्देश दिया है। इन कदमों से छोटे निवेशकों को रेग्युलर प्लान के मुकाबले डाइरेक्ट प्लान का चयन करने में मदद मिलेगी।

सोलंकी कहते हैं, 'शुरू में, मैं ग्राहकों से अपने पोर्टफोलियो का स्टेटमेंट मुहैया कराने को कहता था जिससे कि मैं उनके निवेश पर नजर रख सकूं। अब मैं सीधे तौर पर उनके पोर्टफोलियो को देख सकता हूं। एमएफ यूटिलिटी के अलावा, तीन और ट्रांजेक्शन प्लेटफॉर्मों द्वारा 2016 में परिचालन शुरू किए जाने की संभावना है। यही वजह है कि इस साल हम अधिक तादाद में निवेशकों को डाइरेक्ट प्लान में निवेश करते देखेंगे।'

गुडग़ांव स्थित आरआईए अमित कुकरेजा का कहना है, 'समान लेखा नीतियों के साथ डाइरेक्ट प्लान अच्छी तरह प्रबंधित एवं नियंत्रित हैं। एकमात्र समस्या निवेश शुरू करना और कागजी कार्य को लेकर रही है। उदाहरण के लिए यदि मैं 'ए' फंड हाउस से मल्टी-कैप, 'बी' फंड हाउस से लार्ज-कैप और 'सी' फंड हाउस से डेट फंड खरीदने का सुझाव देता हूं तो ग्राहक को इन सबके लिए अलग अलग दस्तावेज सौंपने की जरूरत होती है।'

इस समस्या को आईफास्ट (वितरकों के लिए) और एमएफ यूटीलिटी (निवेशकों के लिए) जैसे प्लेटफॉर्मों का इस्तेमाल कर सुलझाया जा सकता है। ऐसे प्लेटफॉर्म सभी फंड हाउसों में सिंगल-विंडो निवेश प्रक्रिया की अनुमति देते हैं। यदि आप रेग्युलर प्लान में निवेश कर चुके हैं और इसे डाइरेक्ट प्लान में स्थानांतरित करना चाहते हैं तो इसका आसान उपाय यह है कि आप इक्विटी फंडों के मामले में एक साल के बाद, डेट फंड के संदर्भ में तीन साल बाद अपनी रकम को निकाल लें और डाइरेक्ट प्लान में लगा दें। अन्यथा आप कर चुका कर या एक्जिट लोड चुकाकर भी ऐसा कर सकते हैं। कुकरेजा का कहना है कि अगले दो-तीन साल में हम बड़ी तादाद में निवेशकों को डाइरेक्ट प्लान की तरफ आकर्षित होते देखेंगे।

वैल्यू रिसर्च के कुमार का कहना है कि डाइरेक्ट और रेग्युलर प्लान, दोनों के लिए विकास की भरपूर संभावना है। वह कहते हैं, 'अभी भी बड़ी तादाद में निवेशकों द्वारा म्युचुअल फंडों में निवेश किए जाने की संभावना बनी हुई है। ये ऐसे निवेशक हैं जो वितरक से मदद की जरूरत महसूस कर सकते हैं।' नियामक द्वारा ई-कॉमर्स पोर्टलों के जरिये कुछ खास फंडों की बिक्री की अनुमति दिए जाने से निवेशकों को फंडों के चयन के लिए फंड वितरण का एक अन्य विकल्प हासिल होगा।

ईएलएसएस म्यूचुअल फंड में निवेश करने के 5 मुख्य कारण

आज के कारोबारी सत्र में सोना और चांदी के भाव में मामूली गिरावट देखने को मिल रही है। आज बुलियन मार्केट में 10 ग्राम 24 कैरेट गोल्ड का रेट 163 रुपये सस्ता होकर 52,350 रुपये पर कारोबार कर रहा है। सिल्वर 61,200 रुपये के ऊपर कारोबार कर रही है। गोल्ड एक्सपर्ट के मुताबिक गोल्ड एक रेन्ज में कारोबार अगले महीने तक कर सकता है।

पहले दिन करीब 8% टूटकर सूचीबद्ध हुआ आईनॉक्स ग्रीन का शेयर

पहले दिन करीब 8% टूटकर सूचीबद्ध हुआ आईनॉक्स ग्रीन का शेयर

आईनॉक्स विंड की अनुषंगी कंपनी आईनॉक्स ग्रीन एनर्जी सर्विसेज की बाजार में शुरुआत बुधवार को कमजोर रही और सूचीबद्धता के पहले दिन इसके शेयर 65 रुपये प्रति शेयर के निर्गम मूल्य के मुकाबले करीब 8% की गिरावट पर रहे। कंपनी के शेयर ने कारोबार की शुरुआत BSE में 6.92% के नुकसान के साथ 60.50 रुपये के भाव पर की। कारोबार के दौरान एक समय यह 8.92% गिरकर 59.20 प्रति शेयर के भाव पर आया।

24 नवंबर से शुरू होगी भारत, खाड़ी सहयोग परिषद के बीच FTA पर वार्ता

24 नवंबर से शुरू होगी भारत, खाड़ी सहयोग परिषद के बीच FTA पर वार्ता

भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) दोनों क्षेत्रों के बीच वाणिज्य और निवेश को बढ़ावा देने की खातिर मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर वार्ता शुरू करने की बृहस्पतिवार को घोषणा करेंगे। GCCQ खाड़ी क्षेत्र के छह देशों सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, कुवैत, ओमान और बहरीन का संघ है। भारत सऊदी अरब और कतर जैसे खाड़ी देशों से मुख्य रूप से कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का आयात करता है।

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ज्यादा रिटर्न के लिए छोटी अवधि के निवेश विकल्प

ज्यादा रिटर्न के लिए छोटी अवधि के निवेश विकल्प

आपकी शादी, आपका पहला घर या फिर आपकी पहली कार की खरीदारी में अभी शायद दो साल का वक्त बाकी है। लेकिन, अगर आप पैसे बचाना नहीं शुरू करेंगे तो हो सकता है कि दो साल पांच, दस या फिर पंद्रह सालों में बदल जाएं।

आपकी पहली पसंद साधारण बैंक बचत खाता हो सकता है, लेकिन इस पर मिलने वाला रिटर्न बाकी निवेश विकल्पों के मुकाबले काफी कम होता है, बैंक बचत खाते का मुख्य फायदा बेहद कम जोखिम होता है।

छोटी अवधि के निवेश विकल्प के जरिए कम समय में बेहतर रिटर्न कमाया जा सकता है, चाहे निवेश कुछ महीनों या फिर एक साल के लिए ही न किया गया हो। अगर आप अगले दो सालों में शादी करने का इरादा रखते हैं, तो आप अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना चाहेंगे।

हम आपके लिए मौजूदा छोटी अवधि के निवेश विकल्पों में से 6 ऐसे विकल्प बता रहें जिनपर आपको गौर करना चाहिए:

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट सुरक्षित निवेश विकल्प है और आप फिक्स्ड डिपॉजिट में 30 दिन से लेकर 10 साल तक के लिए निवेश कर सकते हैं। वैसे तो आपके पास मैच्योरिटी के पहले पूंजी निकालने का विकल्प होता है, लेकिन मैच्योरिटी के बाद ही रकम निकालना सही रहता है क्योंकि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट कम लिक्विड होते हैं।

उदाहरण के तौर पर अगर आप 2 साल के फिक्स्ड डिपॉजिट में पूंजी लगाते हैं, जिसके तहत आपको 10 फीसदी ब्याज मिलता है। अगर आप 6 महीने के बाद ही पैसा निकालते हैं, तो बैंक आपको 6 महीने की अवधि वाले फिक्स्ड डिपॉजिट की दर पर ही ब्याज देगा, जो आपके निवेश के दौरान 6 फीसदी हो। साथ ही, जब आप मैच्योरिटी के पहले पूंजी निकालते हैं तो आपको ब्याज के 1 फीसदी तक बैंक को जुर्माने के तौर पर चुकाना पड़ सकता है, हालांकि ये बैंक की नीति पर निर्भर करता है।

इसी तरह एक और विकल्प है बैंक के रिकरिंग डिपॉजिट, जो नित्य बचत की आदत को बढ़ावा मुख्य निवेश विकल्प देने के लिए तैयार किया गया था। रिकरिंग डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज फिक्स्ड डिपॉजिट के मुकाबले कम होता है, लेकिन रिकरिंग डिपॉजिट ज्यादा लिक्विड होते हैं क्योंकि इसमें पैसे निकालने की इजाजत होती है हालांकि पूंजी निकालने पर जुर्माना देना पड़ सकता है।

इसलिए, पूंजी को लगाने के पहले निवेश की अवधि को जानना बेहद अहम है।

2. बचत खाता

अगर आप जोखिम लेना पसंद नहीं करते हैं, आपको काफी कम रिटर्न कमाने से हर्ज नहीं है और ज्यादा लिक्विडिटी चाहते हैं तो आपको बैंक बचत खाता शुरू करने के बारे में सोचना चाहिए। अलग-अलग बैंक बचत खातों पर अलग-अलग ब्याज दर देते हैं, इस बात को आपको ध्यान रखना चाहिए।

3. मनी मार्केट अकाउंट

लिक्विड फंड के तौर पर जाने वाले मनी मार्केट अकाउंट म्यूचुअल फंड की मुख्य निवेश विकल्प विशेष श्रेणी है, जिसके तहत टर्म बॉन्ड. कमर्शियल पेपर, आदि जैसे मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है।

आमतौर पर लिक्विड फंड के एसेट की मैच्योरिटी 91 दिनों में कम होती है जिससे ये फंड काफी लिक्विड होते हैं। लिक्विड फंड की अवधि साधारण म्यूचुअल फंड के मुकाबले कम होती है और इनमें बचत खाते से ज्यादा ब्याज मिलता है।

ज्यादातर बड़े संस्थान लिक्विड फंड में निवेश करते हैं, लेकिन वैयक्तिक निवेशक के तौर पर अगर आप औसत से ज्यादा रिटर्न पाना चाहते मुख्य निवेश विकल्प हैं और महंगाई को मात देना चाहते हैं तो लिक्विड फंड आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकते हैं।

4. सोना या चांदी

क्या आपने कभी गौर किया है कि आपके माता-पिता दिवाली के दौरान सोना खरीदना पसंद करते हैं? सोना और चांदी लंबी मुख्य निवेश विकल्प और छोटी अवधि के लिए बेहतरीन निवेश विकल्प माने जाते हैं। अगर आप रिटर्न कमाने के लिए आसान और परेशानी से मुक्त विकल्प खोज रहे हैं, तो सोना-चांदी आपके लिए उपयुक्त हो सकते हैं।

5. शॉर्ट टर्म डेट फंड

शॉर्ट टर्म डेट फंड की निवेश रणनीति कम जोखिम वाली होती है जिसका उद्देश्य पूंजी को सुरक्षित रखना और शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के बावजूद अच्छे रिटर्न देना होता है। हालांकि, डेट फंड पेचीदा होते हैं और अगर आपको इनके जरिए पैसा कमाना है तो डेट फंड कैसे काम करते हैं ये जानना बेहद जरूरी है। अगर आप एक साल से ज्यादा अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो डेट फंड टैक्स छूट के मामले में बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट से बेहतर हैं।

6. लार्ज कैप म्यूचुअल फंड

लार्ज कैप म्यूचुअल फंड के तहत बड़ी कंपनियों के शेयरों में पूंजी का निवेश किया जाता ताकि कम समय में अच्छा रिटर्न मिले। एक से तीन साल की अवधि के निवेश के लिए लार्ज कैप म्यूचुअल फंड पर भी गौर करें।

Investment Tips: जानिए कैसे तय करें निवेश के लिए बेहतर विकल्प

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Investment Tips: रायपुर. निवेश करने से पहले अक्सर लोग इस उलझन में रहते हैं कि सोना-चांदी, रियल एस्टेट, फिक्स डिपॉजिट या शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में से किस एसेट क्लास में निवेश किया जाए, ताकि बेहतर रिटर्न मिले। निवेश सलाहकार बलवंत जैन का कहना है कि इनमें कोई भी निवेश विकल्प सबसे बढ़िया या खराब नहीं है। अच्छा निवेश विकल्प व्यक्ति की जरूरतों, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है।

कैसे तय करें विकल्प
सोना और रियल एस्टेट, दोनों लंबी अवधि के लिए अच्छे निवेश विकल्प हैं। गोल्ड भारत में भरोसेमंद निवेश के तौर पर देखा जाता है। आप फिजिकल गोल्ड के साथ डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। सोना महंगाई के खिलाफ सबसे सुरक्षित निवेश है। वहीं, रियल एस्टेट हमेशा ही एक बड़े निवेश के तौर पर देखा जाता है। रियल एस्टेट में जहां जोखिम कम रहता है, वहीं, गोल्ड में चोरी होने का डर बना रहता है। रियल एस्टेट में अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट के साथ नियमित आय पैदा करने की क्षमता है। चाहे आवासीय हो या वाणिज्यिक, रियल एस्टेट में मासिक किराए के रूप में निवेशकों के लिए आय उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जो कि सोने के निवेश में संभव नहीं है। जबकि इक्विटी और म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि मे सबसे अधिक रिटर्न मिलता है, पर इनमें जोखिम भी सबसे अधिक है।

1. रियल एस्टेट
प्रॉपर्टी में निवेश मोटी पूंजी निवेश करने वालों के लिए अतिरिक्त आय का बेहतर विकल्प है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत और वैल्यू लगातार बढ़ती जाती है, लेकिन इसके रजिस्ट्रेशन में स्टांप ड्यूटी सहित कई तरह के शुल्क चुकाने पड़ते हैं। इसके मेंटेनेंस की लागत भी अधिक है व तरलता की कमी है।

किनके लिए बेहतर: जो निवेशक मासिक नियमित आय चाहते हैं और जो लंबी अवधि के लिए मोटा निवेश कर सकते हैं, यह उनके लिए बेहतर है।

2. इक्विटी में बेहतर रिटर्न
कंपनियों के स्टॉक्स यानी इक्विटी में सबसे अधिक जोखिम है, लेकिन इसमें रिटर्न भी अधिक है। निवेशक इसमें 500-1000 रुपए की छोटी रकम भी निवेश कर सकते हैं। अगर लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाए तो सालाना 14 से 15 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है। हालांकि बाजार की उठापटक के कारण शॉर्ट टर्म में पैसे डूबने का जोखिम भी अधिक होता है।

किनके लिए बेहतर: जो निवेशक जोखिम उठाकर अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, यह उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। लेकिन निवेशकों को कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए।

3. सोना
गोल्ड में निवेश हमेशा बेहतर विकल्प रहा है। इसमे लंबी अवधि में तगड़ा रिटर्न मिला है, लेकिन वैश्विक कारणों और रुपए में उतार-चढ़ाव से सोने की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। साथ ही यह शॉर्ट टर्म के लिए अच्छा निवेश विकल्प नहीं है। साथ ही टैक्स बेनिफिट भी नहीं मिलता है।

किनके लिए बेहतर: जो कमोडिटीज में निवेश कर लंबी अवधि में मुनाफा कमाना चाहते हैं और महंगाई दर से अधिक स्थिर रिटर्न चाहते हैं। साथ ही जोखिम भी नहीं लेना चाहते, उनके लिए सोना बेहतर विकल्प है। पिछले 10 साल में गोल्ड ने औसतन 10 फीसदी रिटर्न दिया है।

4. म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड्स इक्विटी, सरकारी प्रतिभूतियों, सोना, कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं, जिससे निवेश मुख्य निवेश विकल्प का जोखिम कम हो जाता है और बेहतर रिटर्न मिलता है। इक्विटी में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड किसी एक कंपनी के शेयर में निवेश नहीं करते, बल्कि कई कंपनियों के शेयर में निवेश करते हैं। म्यूचुअल फंड्स में सालाना औसतन 10 से 12 फीसदी रिटर्न मिलता है।

किनके लिए बेहतर: जो निवेशक सीधे स्टॉक में निवेश करने से घबराते हैं, लेकिन मध्यम से ऊंचा स्तर का जोखिम उठाने को तैयार हैं, उनके लिए म्यूचुअल फंड्स बेहकर रिटर्न पाने का बेहतर विकल्प है।

निवेश की बात: म्यूचुअल फंड में कम जोखिम अच्छा फायदा, कम प्रदर्शन करने वाली थीम में लगाएं पैसा

भारत में खुदरा निवेशक तब निवेश करते हैं, जब शेयर बाजार तेजी पर होता है। अच्छे मुनाफे के लिए इस तरह की रणनीति सही नहीं होती है। जानकार कहते है कि आप शेयर बाजार में पहले तो सीधे निवेश करने से बचें, क्योंकि बहुत ज्यादा जानकारी नहीं होती है। म्यूचुअल फंड में निवेश का गणित बताती अजीत सिंह की रिपोर्ट-

म्यूचुअल फंड (सांकेतिक तस्वीर)

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) एस. नरेन कहते हैं कि इस समय ऐसी थीम में निवेश करें, जो अभी तक प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं। आप चाहें तो इसके लिए एसेट अलोकेशन या फिर हाउसिंग थीम का चुनाव कर सकते हैं क्योंकि एसेट अलोकेशन बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है और कोरोना के बाद से हाउसिंग सेक्टर तेजी में है।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कई कारण हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, आपके पैसे का प्रबंधन एक ऐसा फंड प्रबंधक करता है, जिसे इसमें महारत हासिल होती है और दशकों से वह इसी काम को करता है। इसलिए फंड प्रबंधन को आपके पैसे के निवेश की जानकारी होती है। फंड प्रबंधक नुकसान से बचाने के लिए आपके पैसे को बहुत ही सोच-समझकर मुख्य निवेश विकल्प मुख्य निवेश विकल्प इक्विटी मार्केट, डेट मार्केट या किसी अन्य साधन में निवेश करता है।

महंगाई से पार पाने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट घाटे का सौदा
फिक्स्ड डिपॉजिट एक तरह से घाटे का सौदा होता है। फिलहाल ज्यादातर बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर 5-6 फीसदी का ब्याज देते हैं, जबकि महंगाई की दर 7 फीसदी के करीब है। ऐसे में आपका फायदा एक फीसदी कम होता है। इसलिए आप चाहें तो इस पैसे को म्यूचुअल फंड की शॉर्ट टर्म फंड में रखें, जहां पर सालाना 7-8% तक फायदा मिल सकता है। सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में भी निवेश कर सकते हैं। यानी शॉर्ट टर्म से सीधे आपका पैसा एसआईपी में चला जाएगा तो आपको दो तरह से इस पर फायदा मिलेगा।

बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न की कोशिश
फंड प्रबंधन की यह जिम्मेदारी होती है कि वह निवेशकों को उनके निवेश पर कम-से-कम बेंचमार्क यानी स्टॉक एक्सचेंज की तुलना में ज्यादा रिटर्न दे और ऐसा होता भी है। म्यूचुअल फंड की एक ही योजना के जरिये आपका निवेश कई शेयरों में होता है क्योंकि फंड हाउसों के पास काफी सारे पैसे आते हैं तो वे इसे अलग-अलग क्षेत्र और अलग-अलग थीम वाले शेयरों में लगाते हैं। साथ ही जब जोखिम दिखता है तो वे उस समय इसे ऑटोमेटिक तरीके से एक से दूसरी स्कीम में बदल भी देते हैं।

शेयर बाजार में 10 फीसदी की गिरावट
इस समय शेयर बाजार में इसके सर्वोच्च स्तर से 10 फीसदी की गिरावट है। अक्तूबर में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 62 हजार से ऊपर था जो अब 57,300 से ऊपर है। ऐसे में इस गिरावट में आपको सस्ते भाव पर शेयर मिलेंगे जिसके लिए आप इक्विटी स्कीम का सहारा ले सकते हैं। इसके जरिए आप कई शेयर्स में निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड क्या होता है?
बीमा, एफडी या किसी और विकल्प की तरह यह भी निवेश का साधन है। हालांकि विदेशी बाजारों के मुकाबले भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग अभी उतना परिपक्व नहीं है, लेकिन 5-7 वर्षों में इसने अच्छी बढ़त हासिल की है। इस समय उद्योग 38 लाख करोड़ रुपये के पार है यानी निवेशकों का जो निवेश किया हुआ पैसा है, उसका मूल्य इस स्तर पर है।

एसआईपी के जरिए निवेश करें
निवेशकों को एसआईपी के जरिये निवेश करना चाहिए। लंबे समय में अगर आप संपत्ति का निर्माण करना चाहते हैं तो फिर यह एक व्यवस्थित तरीके से सभी स्तर के इक्विटी बाजार में अनुशासित तरीके से निवेश का अवसर देता है। हालांकि, बाजार की भारी गिरावट में निवेशक एकमुश्त भी निवेश कर सकते हैं। मध्यम से लंबी अवधि मुख्य निवेश विकल्प को लेकर हमारा नजरिया शेयर बाजार के प्रति सकारात्मक है। अगर आप मौजूदा माहौल में म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो कम-से-कम तीन से पांच साल का लक्ष्य लेकर चल सकते हैं। - संजीव गुप्ता जीसीआईसी इन्वेस्टमेंट

विस्तार

आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड के मुख्य निवेश अधिकारी (सीआईओ) एस. नरेन कहते हैं कि इस समय ऐसी थीम में निवेश करें, जो अभी तक प्रदर्शन नहीं कर पाई हैं। आप चाहें तो इसके लिए एसेट अलोकेशन या फिर हाउसिंग थीम का चुनाव कर सकते हैं क्योंकि एसेट अलोकेशन बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाता है और कोरोना के बाद से हाउसिंग सेक्टर तेजी में है।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के कई कारण हो सकते हैं। उदाहरण के तौर पर, आपके पैसे का प्रबंधन एक ऐसा फंड प्रबंधक करता है, जिसे इसमें महारत हासिल होती है और दशकों से वह इसी काम को करता है। इसलिए फंड प्रबंधन को आपके पैसे के निवेश की जानकारी होती है। फंड प्रबंधक नुकसान से बचाने के लिए आपके पैसे को बहुत ही सोच-समझकर इक्विटी मार्केट, डेट मार्केट या किसी अन्य साधन में निवेश करता है।

महंगाई से पार पाने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट घाटे का सौदा
फिक्स्ड डिपॉजिट एक तरह से घाटे का सौदा होता है। फिलहाल ज्यादातर बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट पर 5-6 फीसदी का ब्याज देते हैं, जबकि महंगाई की दर 7 फीसदी के करीब है। ऐसे में आपका फायदा एक फीसदी कम होता है। इसलिए आप चाहें तो इस पैसे को म्यूचुअल फंड की शॉर्ट टर्म फंड में रखें, जहां पर सालाना 7-8% तक फायदा मिल सकता है। सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में भी निवेश कर सकते हैं। यानी शॉर्ट टर्म से सीधे आपका पैसा एसआईपी में चला जाएगा तो आपको दो तरह से इस पर फायदा मिलेगा।

बेंचमार्क से ज्यादा रिटर्न की कोशिश
फंड प्रबंधन की यह जिम्मेदारी होती है कि वह निवेशकों को उनके निवेश पर कम-से-कम बेंचमार्क यानी स्टॉक एक्सचेंज की तुलना में ज्यादा रिटर्न दे और ऐसा होता भी है। म्यूचुअल फंड की एक ही योजना के जरिये आपका निवेश कई शेयरों में होता है क्योंकि फंड हाउसों के पास काफी सारे पैसे आते हैं तो वे इसे अलग-अलग क्षेत्र और अलग-अलग थीम वाले शेयरों में लगाते हैं। साथ ही जब जोखिम दिखता है तो वे उस समय इसे ऑटोमेटिक तरीके से एक से दूसरी स्कीम में बदल भी देते हैं।

शेयर बाजार में 10 फीसदी की गिरावट
इस समय शेयर बाजार में इसके सर्वोच्च स्तर से 10 फीसदी की गिरावट है। अक्तूबर में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 62 हजार से ऊपर था जो अब 57,300 से ऊपर है। ऐसे में इस गिरावट में आपको सस्ते भाव पर शेयर मिलेंगे जिसके लिए आप इक्विटी स्कीम का सहारा ले सकते हैं। इसके जरिए आप कई शेयर्स में निवेश कर सकते हैं।

म्यूचुअल फंड क्या होता है?
बीमा, एफडी या किसी और विकल्प की तरह यह भी निवेश का साधन है। हालांकि विदेशी बाजारों के मुकाबले भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग अभी उतना परिपक्व नहीं है, लेकिन 5-7 वर्षों में इसने अच्छी बढ़त हासिल की है। इस समय उद्योग 38 लाख करोड़ रुपये के पार है यानी निवेशकों का जो निवेश किया हुआ पैसा है, उसका मूल्य इस स्तर पर है।


एसआईपी के जरिए निवेश करें
निवेशकों को एसआईपी के जरिये निवेश करना चाहिए। लंबे समय में अगर मुख्य निवेश विकल्प आप संपत्ति का निर्माण करना चाहते हैं तो फिर यह एक व्यवस्थित तरीके से सभी स्तर के इक्विटी बाजार में अनुशासित तरीके से निवेश का अवसर देता है। हालांकि, बाजार की भारी गिरावट में निवेशक एकमुश्त भी निवेश कर सकते हैं। मध्यम से लंबी अवधि को लेकर हमारा नजरिया शेयर बाजार के प्रति सकारात्मक है। अगर आप मौजूदा माहौल में म्यूचुअल फंड में निवेश करना चाहते हैं तो कम-से-कम तीन से पांच साल का लक्ष्य लेकर चल सकते हैं। - संजीव गुप्ता जीसीआईसी इन्वेस्टमेंट

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