समर्थन क्या है?

गेहूं की एमएसपी 110 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 2125 रुपये हुई
2022-23 का समर्थन मूल्य क्या है [MSP बढ़ा]
2022-23 का समर्थन मूल्य क्या है samarthan mulya new msp list : खरीफ फसल एवं रबी फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 जारी कर दिया गया है। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विपणन सीजन 2022-23 के लिए सभी अनिवार्य खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को मंजूरी दे दी है।
सरकार ने उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करने के लिए विपणन सीजन 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी (msp) में वृद्धि की है, जैसा कि नीचे दी गई तालिका में दिया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य समर्थन क्या है? के बारे में सब कुछ
एमएसपी का फुल फॉर्म मिनिमम सपोर्ट प्राइस होता है। न्यूनतम समर्थन मूल्य एक प्रकार का बाजार हस्तक्षेप है जिसका उपयोग भारत सरकार द्वारा कृषि उत्पादकों को कीमतों में तेज गिरावट से बचाने के लिए किया जाता है। भारत सरकार कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर बढ़ते मौसम की शुरुआत में विशिष्ट फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है। भारत सरकार ने उत्पादकों – किसानों – को बंपर उत्पादन वर्षों के दौरान कीमतों में गिरावट से बचाने के लिए एमएसपी निर्धारित किया है। एमएसपी को सरकार से उनकी उपज के लिए मूल्य की गारंटी दी जाती है। मुख्य लक्ष्य किसानों को संकटग्रस्त बिक्री के माध्यम से समर्थन देना और सार्वजनिक वितरण के लिए खाद्यान्न प्राप्त करना है। यदि बंपर उत्पादन और बाजार की भरमार के कारण वस्तु का बाजार मूल्य घोषित न्यूनतम मूल्य से कम हो जाता है, तो सरकारी एजेंसियां किसानों द्वारा दी गई पूरी मात्रा को घोषित न्यूनतम मूल्य पर खरीद लेंगी। अब जब आपको एमएसपी का बुनियादी ज्ञान हो गया है, तो आइए इसके इतिहास और एमएसपी की कीमत निर्धारण प्रक्रिया के बारे में और जानें।
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MSP Hike: केंद्र ने खाद्यान्नों की एमएसपी बढ़ाई, गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 110 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा
केंद्र सरकार ने देश में खाद्यान्नों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का एलान किया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दलहन (मसूर) के एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्ण उच्चतम वृद्धि को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट ने सरसों की MSP में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। वहीं जूट की MSP में 110 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। CACP की सभी सिफारिशों को कैबिनेट से मंजूरी मिली है।
विस्तार
केंद्र सरकार ने देश में खाद्यान्नों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का एलान किया है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।
सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विपणन सीजन 2023-24 के लिए सभी रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को मंजूरी दे दी है। इसके तहत दलहन (मसूर) के एमएसपी में 500 रुपये प्रति क्विंटल की पूर्ण उच्चतम वृद्धि को मंजूरी दी गई है। कैबिनेट ने सरसों की MSP में 400 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की है। वहीं जूट की MSP में 110 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। CACP की सभी सिफारिशों को कैबिनेट से मंजूरी मिली है।
केंद्र सरकार ने एमएसपी बढ़ाने का फैसला कर किसानों को दिवाली का बड़ा तोहफा दिया है। बता दें कि कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) ने गेहूं समेत सभी रबी फसलों की एमएसपी में 9% बढ़ोतरी की सिफारिश की थी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है
न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी): भारत सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार करने हेतु, प्रत्येक वर्ष नई – नई योजनाएं लागू करती है, जिससे की किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हो सके | केंद्र सरकार का लक्ष्य 2022 तक किसानों की आय दुगुना करना है | इसी कड़ी में किसानों के अनाज का उचित मूल्य दिलाने के सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि कि एमएसपी (MSP) समर्थन क्या है? योजना लागू कर रखा है | इसके जरिये सरकार प्रतिवर्ष किसानों के अनाज के मूल्य में बढ़ोत्तरी करेगी |
इससे किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त हो सकेगा | भारत में माध्यम और निम्न वर्ग के किसानों कि स्थिति पहले से ही दयनीय रही है, लेकिन सरकार द्वारा जारी की रही वर्तमान में योजनाओं इसमें सुधार देखने को मिला है | यदि आप भी न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है, एमएसपी फुल फॉर्म, निर्धारण और किस-किस फसल पर एमएसपी मिलता है इसके बारे में जानना चाहते है तो यहां पर जानकारी उपलब्ध कराई गई है |
एमएसपी (MSP) क्या है [What is MSP in Hindi] ?
Table of Contents
Nyuntam Samarthan Mulya Kya Hota Hai: एमएसपी (MSP) को मंजूरी 24 दिसंबर 1964 को दी गई थी, परन्तु उसी समय इसे लागू नहीं किया गया था। उस समय के भारत सरकार के सचिव पद पर रहे बी शिवरामन ने 19 अक्टूबर 1965 को इस पर अंतिम मुहर लगाई थी, जिसके बाद 1966-67 में पहली बार गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि कि एमएसपी (MSP) की घोषणा की गई थी। जिसके बाद से प्रत्येक वर्ष सरकारों ने फसलों हेतु न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा के साथ शुरुआत की गई थी। समर्थन मूल्य की घोषणा फसलों की बुवाई से ठीक पहले घोषणा की जाती है।
एमएसपी (MSP) का फुल फॉर्म
MSP Full Form in Agriculture: MSP का फुल फॉर्म “Minimum Support Price” होता है, इसका शाब्दिक उच्चारण ‘मिनिमम सपोर्ट प्राइस’ होता है | इसका हिंदी में अर्थ “न्यूनतम समर्थन मूल्य” होता है | भारत एक कृषि प्रधान देश है, एमएसपी (MSP) का सम्बन्ध किसान की फसल के निम्नतम मूल्य से है | इसके द्वारा सरकार द्वारा प्रतिवर्ष अनाज के मूल्य बढ़ाने का नियम रखा गया है |
- देश के अलग-अलग क्षेत्रों में किसी भी फसल की प्रति हेक्टेयर लागत के अनुसार निर्धारित की जाती है |
- सरकारी और सार्वजनिक एजेंसियों जैसे एफसीआई और नेफेड की स्टोरेज क्षमता को देखकर MSP का निर्धारण होता है|
- देश के अलग-अलग इलाकों में प्रति क्विंटल अनाज की पूरी लागत के अनुसार तय होता है |
- प्रति क्विंटल अनाज उगाने में होने वाले खर्च और आने वाले वर्ष में किया जाने वाले बदलाव के मुताबिक किया जाता है|
- अनाज का मार्केट में मूल्य और अगले एक वर्ष में किया जाने वाला औसत बदलाव के अनुसार |
- किसान के बुवाई से लेकर बेचने तक के खर्च के अनुसार निर्धारण होता है |
- एक परिवार पर खपत होने वाले अनाज के मुताबिक होता है |
- इसके अलावा अनाज के भंडारण, लाने ले जाने का खर्च, लगने वाले टैक्स, बाजार की मंडियों का टैक्स और अन्य फायदे और नुक्सान के मुताबिक |
- विश्व बाजार (World Market) में उस अनाज की मांग और उसकी उपलब्धता को देखते किया जाता है |
एमएसपी (MSP) के लाभ
- एमएसपी (MSP) का नई तकनीकी को किसानों में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है |
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के द्वारा निर्धन व्यक्तियों का आय का हस्तांतरण होता है |
- इससे कृषि व्यापर की शर्तो को उचित स्तर पर बनाकर रखा जा सकता है | इसके द्वारा क्रॉपिंग पैटर्न को ऐच्छिक दिशा में ले जाने में मदद मिलती है | से निपटारे हेतु गेहूं , चावल ,आदि के क्षेत्र में क्रॉपिंग पैटर्न में बदलाव देखने को मिला है |
- इसके द्वारा भारत में खाद्द्यान उत्पादन में आत्मपूर्णता की स्थिति बनाई जा सकी है |
- इसके माध्यम से खाद्द्यान और अन्य फसलों की मार्केट में कीमत स्थिरता को लागू किया जाता है |
MSP Crops List in Hindi: भारत सरकार द्वारा किसानो को 4 प्रकार की फसलो पर एमएसपी दिया जाता है : –
किसानों के लिए खुशखबरी; केंद्र ने 6 रबी फसलों की MSP बढ़ाई, गेंहू की कीमत 2125 रुपये/क्विंटल हुई
रबी फसल की खेती करने वाले किसानों के लिए आज खुशी का दिन है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को विपणन सीजन 2023-24 के लिए छह रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दे दी है। मसूर के एमएसपी में अधिकतम 500 रुपये प्रति क्विंटल की मंजूरी मिली है। केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार के फैसले की जानकारी दी है।
केंद्रीय कैबिनेट और आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) के बीच आज बैठक में छह रबी फसलों का मिनिमम सपोर्ट प्राइस बढ़ाने का फैसला लिया गया। खास बात यह है की सबसे ज्यादा दालों पर MSP में बढ़ोतरी की गई है। वहीं जूट की MSP में 110 रुपये क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सभी सिफारिशों को कैबिनेट से मंजूरी मिली है।
छह रबी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ा
–
- गेहूं का MSP 110 रु बढ़कर 2125 र/क्विंटल
- जौ का MSP 100 रु बढ़कर 1735 रु/क्विंटल
- चने का MSP 105 बढ़कर 5335 रु/क्विंटल
- मसूर का MSP 500 रु बढ़कर 6000 रु/क्विंटल
- सरसो का MSP 400 रु बढ़कर 5450 रु/क्विंटल
- कुसुम का MSP 209 रु बढ़कर 5650 रु/क्विंटल
केंद्र सरकार ने कल, सोमवार को, पीएम किसान सम्मान निधि योजना का पैसा ट्रांसफर किया तो आज किसानों को दिवाली का एक और तोहफा दिया है। आज मंगलवार को सरकार ने रबी की फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाया है। इस खबर से किसानों के बीच खुशियों का माहौल है। किसान MSP में बढ़ोतरी का इंतजार कर रहे थे।
आपको बता दें कि एमएसपी कमेटी ने रबी की 6 फसलों के लिए 9 फीसदी तक की MSP समर्थन क्या है? बढ़ाने की सिफारिश की थी। इसके बाद कृषि मंत्रालय ने भी इन फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की सिफारिश की और आज केंद्रीय कैबिनेट ने इस पर मुहर लगा दी।
क्या है MSP दर
केंद्र सरकार किसानों के हित के लिए फसलों की एक न्यूनतम कीमत तय करती है। इसे ही मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) कहते हैं। मान लीजिए अगर कभी फसलों की क़ीमत बाज़ार के हिसाब से गिर भी जाती है, तब भी केंद्र सरकार इस MSP पर ही किसानों से फसल खरीदती है ताकि किसानों को नुक़सान से बचाया जा सके। 60 के दशक में सरकार ने अन्न की कमी से बचाने के लिए सबसे पहले गेहूं पर एमएसपी शुरू की ताकि सरकार किसानों से गेहूं खरीद कर अपनी पीडीएस योजना के तहत ग़रीबों को बांट सके। कृषि मंत्रालय का एक विभाग कमीशन फॉर एग्रीकल्चरल कोस्ट्स एंड प्राइसेस गन्ने पर एमएसपी तय करता है।
सरकार खरीफ और रबी दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली कुल 23 फसलों के लिए एमएसपी तय करती है।
इसमें 7 अनाज वाली फसलें हैं- धान, गेहूं, बाजरा, मक्का, ज्वार, रागी, जौ.
5 दालें – चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर
7 ऑयलसीड – मूंग, सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, तिल, नाइजर या काला तिल, कुसुम
4 अन्य फसल – गन्ना, कपास, जूट, नारियल