तकनीकी विश्लेषण के उत्तर

पत्र में अजय भट्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्री को लिखा तकनीकी विश्लेषण के उत्तर कि बार-बार एडीबी के पुनः विश्लेषण से केवल विलंब हो रहा है. जबकि कई दशकों से की जा रही मांग के बाद केंद्रीय जल आयोग (central water commission) ने जमरानी बांध योजना स्वीकृत की है. लंबे समय से उठ रही मांग और तराई भाबर में पेयजल का भारी संकट होने के कारण लोगों का पलायन प्रारंभ हो रहा था. इस योजना के बनने से 14 मेगावाट बिजली का उत्पादन बढ़ेगा और उत्तराखंड एवं उत्तर प्रदेश में डेढ़ लाख हेक्टेयर में सिंचाई होगी.
अजय भट्ट ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखा पत्र, जमरानी बांध को लेकर की ये मांग
उत्तराखंड में प्रस्तावित जमरानी बांध निर्माण को लेकर केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखा है. उन्होंने एडीबी के पूर्व विश्लेषण के आधार पर ही बांध निर्माण प्रारंभ करने की मांग की है.
हल्द्वानी: केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने जमरानी बांध निर्माण (Jamrani Dam Construction) को लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) को पत्र लिखा है. जिसमें उन्होंने 2584 करोड़ की लागत से बनने वाली जमरानी बांध परियोजना (Jamrani Dam Project) को एडीबी के पूर्व विश्लेषण तकनीकी विश्लेषण के उत्तर के आधार पर ही निर्माण प्रारंभ करने की मांग की है. उन्होंने पत्र में लिखा कि किसी भी प्रकार का विलंब होना उचित तकनीकी विश्लेषण के उत्तर नहीं होगा. लिहाजा पूर्व विश्लेषण के आधार पर ही जमरानी बांध का निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाना चाहिए.
तकनीकी विश्लेषण के उत्तर
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दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में गोरखपुर के एआरटीओ बोले, चिन्हित स्थलों की दूर होंगी तकनीकी कमियां
एआरटीओ संजय कुमार झा ने सड़क सुरक्षा सप्ताह से संबंधित साक्षात्कार में कहा कि सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सिर्फ कार्रवाई नहीं जागरूकता भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि चिन्हित स्थलों का वैज्ञानिक विश्लेषण कर इंजीनियरिंग डिफेक्ट दूर की जाएगी। साथ ही कुशल चालक तैयार किए जाएंगे।
गोरखपुर, जागरण संवाददाता। गोरखपुर के सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) संजय कुमार झा ने दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कहा हाईवे पर दुर्घटना वाले स्थलों को चिन्हित किया जा रहा है। दुर्घटना के कारणों का तकनीकी विश्लेषण के उत्तर सूक्ष्म वैज्ञानिक विश्लेषण कर सड़क मार्ग के इंजीनियरिंग डिफेक्ट को दूर कराने का प्रयास किया जाएगा। सड़क के निर्धारित गति और यातायात के नियमों से संबंधित बोर्ड लगाए जाएंगे। रोड के साथ बोर्ड अनिवार्य है।
इस वजह से भी होती हैं दुर्घटनाएं
उन्होंने कहा कि रोड पर यातायात नियमों और सड़क की सूचना संबंधित बोर्ड नहीं है तो दुर्घटनाओं पर अंकुश लगा पाना कठिन है। प्रशिक्षित चालकों के चलते भी मार्ग दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कुशल चालकों के लिए जल्द ही चरगांवा स्थित शहीद बंधू सिंह चालक प्रशिक्षण केंद्र शुरू हो जाएगा। प्रशिक्षण के लिए कंपनी निर्धारित कर दी गई है। मार्ग दुर्घटनाओं पर सिर्फ कार्रवाइयों से ही अंकुश नहीं लग पाएगा, इसके लिए आम जन को भी जागरूक होना जरूरी है। दैनिक जागरण कार्यालय में सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी ने सड़क सुरक्षा को लेकर विस्तार से चर्चा की। बातचीत में आ रहीं दिक्कतों और खामियों को स्वीकार किया। उन्हें दूर कराने का आश्वासन देते हुए दैनिक जागरण के प्रश्नों का उत्तर भी दिया। प्रस्तुत हैं प्रश्न और उत्तर।
देशभर में घूम-घूमकर चोरी करने वाले गिरोह का अंतर्राज्यीय सदस्य गिरफ्तार
रायपुर। देश भर में घूम-घूमकर चोरी/उठाईगिरी करने वाले नैल्लोर गिरोह के अंतर्राज्यीय सदस्य को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक प्रार्थी नितिन राठौर ने रिपोर्ट दर्ज कराया हैं कि वह दलदलसिवनी मेन रोड गुरूद्वारा के सामने मोवा में अपने परिवार के साथ रहता है तथा हिताची पेमेंट सर्विसेस प्रा.लि. एटीएम मेंटेनेंश का व्यवसाय करता है । दिनांक 09.11.2022 को करीबन 11.45 बजे मै मरीन ड्राईव के सामने आईसी आईसी आई बैंक से करीबन 2,96,000 रू. निकालकर अपने लैपटाप वाले काले ग्रे रंग के बैग मे रखकर तकनीकी विश्लेषण के उत्तर अपने घर दलदलसिवनी की ओर जा रहा था कि करीबन 12.00 बजे केनाल लिंकींग रोड जनसुविधा केन्द्र जोरन के सामने दो अज्ञात व्यक्ति बाईक में प्रार्थी के साईड से चलते हुए बोले कि आपके गाडी का कोई पार्ट्स गिर गया है । तो वह अपनी स्कूटर एक्टीवा क्रमांक सीजी-04-र्ज्ञ-3321 जिसमें अपने काले ग्रे रंग के बैग को एक्टीवा के सामने पायदान में रखा था को सडक किनारे खडी कर पीछे की तरफ गया । जहां पर कुछ सिक्के एवं नोटस बिखरे हुए थे वापस आकर देखा तो उसके एक्टीवा में रखा काले ग्रे रंग का बैग जिसमें करीबन 2,96,000 रू रूपये रखा था को दोनो अज्ञात व्यक्ति एक्टीवा से चोरी कर भाग गये । जिस पर थाना सिविल लाईन में अपराध क्रमांक 708/2022 धारा 379 भादवि. पंजीबद्ध किया गया है।
शिक्षा विचार
नमस्कार साथियों! शिक्षा विचार में आप सभी का स्वागत हैl दोस्तों आज की इस लेख में हम शैक्षिक तकनीकी के विभिन्न रूप अथवाVarious forms of educational technology की Study करेंगे। जिसके अंतर्गत हम तीन techniques का प्रयोग करेंगे।
- शैक्षिक तकनीकी प्रथम अथवा हार्डवेयर उपागम (Educational technology-I or software approach)
- शैक्षिक तकनीकी द्वितीय अथवा सॉफ्टवेयर उपागम (Educational technology-II or software approach)
- शैक्षिक तकनीकी तृतीय अथवा प्रणाली विश्लेषण (Educational technology-III or system approach)
✓✓उत्तर प्रदेश जूनियर शिक्षक भर्ती विज्ञान 2021
- अभियंत्रण की मशीन के प्रयोग को शैक्षिक तकनीकी प्रथम कहते हैं | स्मरण रहे कि तकनीकी प्रथम का जन्म भौतिक विज्ञान से हुआ है| डेविस के अनुसार शैक्षिक तकनीकी -प्रथम अथवा उपागम शिक्षा और शिक्षा प्रणाली में भौतिक विज्ञान का प्रयोग है, जिसके द्वारा शिक्षण प्रक्रिया का धीरे-धीरे मशीनीकरण किया जा रहा है, ताकि कम तकनीकी विश्लेषण के उत्तर से कम समय में थोड़े से थोड़ा धन खर्च करके अधिक से अधिक विद्यार्थी को शिक्षित किया जा सके
- अर्थात शैक्षिक तकनीकी के अंतर्गत चलचित्र, ग्रामोफोन, रेडियो, टेपरिकॉर्डर, प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, बंद- सर्किट टेलिविजन आदि सभी शिक्षण की मशीनें आती हैं| इनके प्रयोग से शिक्षण को तकनीकी विश्लेषण के उत्तर अधिक से अधिक प्रभावपूर्ण बनाकर शिक्षण के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सकता है |
- 1.संचय (Preservation)
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- ज्ञान के संचय का इतिहास छापने की मशीनों के आरंभ होने के समय से माना जाता है| इन मशीनों तकनीकी विश्लेषण के उत्तर के द्वारा ज्ञान को पुस्तकों के रूप में संचित किया जाता है, जो पुस्तकालय में रखी जाती है| आजकल ज्ञान को पुस्तकों के अतिरिक्त टेप-रिकॉर्डर तथा फिल्म आदि द्वारा भी संचित किया जा सकता है|
- मानवीय ज्ञान का दूसरा पक्ष उसका प्रसार अथवा हस्तांतरण करना हैl वैसे शिक्षक अपने विद्यार्थियों को स्वयं भी ज्ञान प्रदान कर सकता है| आजकल के ज्ञान के प्रसार में माइक, रेडियो तथा टेलीविजन आदि मशीनों का प्रयोग भी किया जाता है, जिससे असंख्य विद्यार्थी घर बैठे ही लाभ उठाते रहते हैं| इस प्रकार की ‘शैक्षिक तकनीकी प्रथम’ के कारण अब शिक्षा की प्रक्रिया में आश्चर्यजनक परिवर्तन हो गया है तथा विश्वविद्यालय भी ‘शैक्षिक तकनीकी- प्रथम’ की ही देन है|