अमेरिकी मगरमच्छ

VIDEO: 50 सेकंड में चल कर आई मौत, आठ फीट के मगरमच्छ का खात्मा
इंटरनेशनल डेस्क। चीता दुनिया का सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर है, इससे हम सभी इत्तेफाक रखते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि यह जानवर पानी में भी उतनी ही फुर्ती से तैरकर अपने शिकार पर जानलेवा हमला कर सकता है। वाइल्डलाइफ का ये नजारा ब्राजील की क्यूआबा Cuiaba नदी पर स्थित रेतीली जमीन का है।
तस्वीर में दिख रहा ये मगरमच्छ मौत से 50 सेकंड पहले तक बड़े आराम से जमीन पर सुस्ता रहा था। उसे इस बात की भनक तक नहीं लगी कि पीछे से चीता उसकी मौत बनकर आ रहा है। इस हैरतअंगेज नजारे को 39 वर्षीय फोटोग्राफर जस्टिन ब्लैक ने कैमरे में कैद किया है।
अमेरिकी फोटोग्राफर ब्लैक जब अपने साथी फोटोग्राफर मित्र जेफ फूट के साथ क्यूआबा नदी में बोट पर शानदार तस्वीरों के लिए भटक रहे थे, तभी उन्हें ये नजारा दिखा।
बता दें कि इंटरनेट पर चीते द्वारा इस आठ फीट लंबे मगरमच्छ के शिकार का वीडियो वायरल हो चुका है। करीबन 50 सेकंड के इस वीडियो में पहले तो बिल्कुल पता नहीं चलता है कि पानी में क्या तैरकर आ रहा है। अबूझ पहेली का ये सिलसिला 22 सेकंड तक बना रहता है।
लेकिन 26वें सेकंड के वीडियों में साफ हो जाता है कि मगरमच्छ की तरह तैर कर आ रहा जानवर चीता था। फिर क्या, चीते ने एकदम से मगरमच्छ पर छलांग लगा दी और उसकी गर्दन को अपने मजबूत जबड़े में जकड़ लिया। फिर कुछ ही सेकंड में उसने मगरमच्छ पर काबू पा लिया।
Bahraich News: घर में विशालकाय मगरमच्छ को देख सकते में आए लोग, कुत्तों ने बचा ली जान
Crocodile in House रेंजर राशिद जमील ने बताया कि मगरमच्छ को गायघाट के सरयू नदी में छोड़ा गया हैं। उन्होंने बताया कि मगरमच्छ लगभग सात फिट लम्बा और ढाई कुंतल वजन का था। यहां गांव में अक्सर मगरमच्छ घुसने की घटनाएं होती रहती हैं।
बहराइच, संवादसूत्र। कोतवाली नानपारा क्षेत्र के गांव जुलाहनपुरवा में एक व्यक्ति के घर के अंदर बुधवार को मगरमच्छ घुस गया। जिसकी भनक परिवार के लोगों को लगी तो हड़कंप मच गया। वहीं मामले की सूचना वन विभाग के अधिकारी और पुलिस को दी गई। इसके बाद पहुंची वन विभाग की टीम ने मगरमच्छ को घर से रेस्क्यू कर सरयू नदी में छोड़ा। इससे पहले भी जंगलवर्ती गांवों में रहने वाले ग्रामीणों के घरों में अक्सर मगरमच्छ घुसने की घटनाएं होती रहती है।
कुत्तों के भौंकने से टूटी नींद
इलाके के ग्राम अमेरिकी मगरमच्छ पंचायत इटहा के जुलाहन पुरवा में बुधवार भोर गांव के पास की नहर से निकलकर एक मगरमच्छ गांव निवासी रमजान के घर में घुस गया। सात फिट लंबाई वाले मगरमच्छ के घर में घुसने की भनक तक नहीं लगी। परिवारजन सो रहे थे, लेकिन मगरमच्छ को देखते ही कुत्तों ने भौकना शुरू कर दिया। लगातार कुत्तों के भौंकने की आवाज सुनकर परिवारजन की नींद टूट गई।
बाइक के पीछे छिपा था मगरमच्छ
अनहोनी की आशंका में कमरे से बाहर निकले परिवारजन ने अमेरिकी मगरमच्छ जैसे ही टार्च चलाकर इधर उधर देखना शुरू किया तो बरामदे में विशालकाय मगरमच्छ देखकर सभी हत्प्रभ रह गए। लोगों को देखकर मगरमच्छ बरामदे में खड़ी बाइक के पीछे दीवार के पास छिप गया। शोर मचाने पर अन्य ग्रामीण एकत्र हो गए। घटना की जानकारी वन विभाग के अधिकारियों को देने के साथ इलाकाई पुलिस को भी सूचना दी गई।
ढाई कुंतल वजन का था मगरमच्छ
जानकारी मिलते ही रेंजर राशिद जमील वनकर्मीयो की टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। तकरीबन तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद वनकर्मियों ने ग्रामीणों की मदद से मगरमच्छ को पकड़ा। रेंजर ने बताया कि पकड़े गए मगरमच्छ को गायघाट के सरयू नदी में सुरक्षित छोड़ा गया हैं। उन्होने बताया कि मगरमच्छ लगभग सात फिट लम्बा और ढाई कुंतल वजन का था।
वो दौर जब अश्वेत गुलामों के बच्चों को मगरमच्छ का चारा बनाया जाता था, अश्वेतों अमेरिकी मगरमच्छ की खाल से बनते थे जूते
इतिहास गवाह है कि दुनियाभर के लोगों पर श्वेत व्यक्तियों ने असंख्य ज़ुल्म ढाए. गुलामी की जंज़ीरों के निशान आज भी मौजूद हैं. अमेरिका में गुलामी के दौर के बारे में हम सब परिचित हैं. Fitchburg State University के एक लेख के अनुसार, 1525 से 1866 के बीच 1,25,00,000 करोड़ अफ़्रीकियों को अगवा कर अमेरिका भेजा गया. अमेरिका तक का सफ़र 1,07,00,000 ही झेल पाए. हालांकि अफ़्रीका से अगवा अमेरिकी मगरमच्छ कर अमेरिका लाए गए लोगों की संख्या इससे कहीं ज़्यादा भी हो सकती है. अश्वेतों को रंग के आधार पर अमेरिकी मगरमच्छ पहचानना आसान था और उन्हें छुड़ाकर घर भेजना भी कठिन था. यूरोप के कुछ लोग बाइबल का हवाला देकर भी अश्वेतों को गुलाम बनाते थे.
अश्वेतों को लेकर इतिहास में भी काफ़ी फ़ेर बदल किया गया है. उन्हें हिंसक, जंगली, हबशी का तमगा दिया जाता है. अमेरिका में गुलामी के खिलाफ़ बहुत से अश्वेतों ने अपने-अपने स्तर पर विद्रोह किया. अश्वेत अमेरिकी मगरमच्छ छिप-छिपकर लिखना-पढ़ना सीखते, किताबें लिखकर विरोध भी किए लेकिन उन्हें बेड़ियों से आज़ादी मिलते-मिलते बहुत वक्त लग गया. कुछ लोगों का ये भी मानना है कि घर पर रखे जाने वाले गुलाम अश्वेतों की हालत, खेतों मे काम करने वालों से बेहतर थी. Vox के एक लेख के अनुसार ये एक मिथक है. अश्वेत महिलाओं का बलात्कार इतनी आम बात थी कि 16.7 प्रतिशत अफ़्रीकी अमेरिकी लोगों के पूर्वज यूरोप में मिलते हैं. अमेरिका में गुलामी को तो गैरकानूनी घोषित कर दिया गया लेकिन अश्वेतों की हालत आज भी बेहतर नहीं है.
अश्वेत बच्चों के बनाते थे मगरमच्छ का चारा
African Archives नामक ट्विटर अकाउंट ने श्वेतों के अत्याचार पर एक हैरतअंगेज़ खुलासा किया. 1800-1900 के बीच मगरमच्छ का शिकार बेहद लाभदायक बिज़नेस था. मगरमच्छ के चमड़े से जूते, बैग, बेल्ट जैसी चीज़ें बनाई जाती थी. ग़ौरतलब है कि श्वेत शिकारी, मगरमच्छ पकड़ते समय ज़ख़्मी होते और कई बार तो अपना हाथ तक गंवा देते. श्वेतों ने इस समस्या का बेहद क्रूर समाधान निकाला.
छोटे अश्वेत बच्चों को बतौर चारा इस्तेमाल किया जाने लगा
कुछ लोगों का कहना है कि फ़्लोरिडा और लुइज़ियाना और अन्य दक्षिणी अमेरिकी राज्यों के लोग ऐसा करते थे. श्वेत व्यक्ति कई बार अश्वेतों के बच्चे दिन में चुरा ले जाते. बच्चों को पकड़ कर उस तालाब के पास ले जाया जाता जहां मगरमच्छ हों. तालाब के किनारे रात में बच्चों को बांध दिया जाता.
African Archives/Twitter
कुछ ही मिनटों में मगरमच्छ उन पर टूट पड़ता. मगरमच्छ अपने पंजे बच्चों में घुसेड़ देता. ये हैवानियत से भरी हरकते पोस्टकार्ड, शीट म्यूज़िक आदि पर चिपकाई जाती. एक कैंडी बनाने वाले ने एक अफ़्रीकी बच्चे और उस पर हमला करते मगरमच्छ की तस्वीर अपने डब्बे पर चिपकाई थी.
African Archives/Twitter
'Whites' ने की थी क्रूरता की सारी हदें पार
WNYC Studios
जब भी श्वेतों की क्रूरता के बारे में पढ़ते हैं, यकीन करना मुश्किल हो जाता है कि मानव इतनी हैवानियत कैसे दिखा सकता है. श्वेत आज भी इससे इंकार करते हैं, स्वभाविक है. हकीकत यही है कि अश्वेतों को गोरे हमेशा खुद से ओछा ही समझते आए हैं, ये उनकी मानसिकता में अंदर तक घर कर चुका है. अश्वेतों की हालत दक्षिणी अमेरिका में बहुत ज़्यादा खराब थी.
Trove ऑनलाइन लाइब्रेरी से एक अखबार की क्लिपिंग मिली. इसमें तारीख लिखी थी 17 मार्च, 1888. इस लेख के मुताबिक, इस दौर में लोग अश्वेत व्यक्तियों की त्वचा से बने जूते पहनते थे. The New York Times के एक लेख के अनुसार, एक यूनिवर्सिटी छात्र ने अपने प्रोफ़ेसर को बताया कि उसके घर पर एक पर्स है जो अश्वेत व्यक्ति की त्वचा से बना है.
Trove
And Scape के एक लेख के अनुसार, 3 जून, 1908 को न्यू यॉर्क ज़ूलॉजिकल गार्डन्स के अमेरिकी मगरमच्छ जू़कीपर ने दो अश्वेत बच्चों को 25 मगरमच्छों के बाड़े में भेजा. यहां चारों तरफ़ से लोग देख रहे थे, आनंद उठा रहे थे और मासूम बच्चे मगरमच्छों से अपनी जान बचा रहे थे. उस शख़्स को और ये मौत अमेरिकी मगरमच्छ का खूनी खेल देखने वाले को कोई सज़ा नहीं मिली. इन बच्चों को Pickaninny कहा जाता था.
Chronicling America
सिर्फ़ मगरमच्छों के शिकार के लिए ही नहीं. चिड़ियाघर के अंदर लोगों के मनोरंजन के लिए भी अश्वेत बच्चों की बलि चढ़ा दी जाती थी. आज भी बहुत से लोग मानते हैं कि ये पोस्टकार्ड, पोस्टर आदि झूठे हैं, 'मज़ाकिया' हैं लेकिन सच मानिए तो ये सच्चाई की सतह भी नहीं है.
अमेरिकी मगरमच्छ
इंटरनेट पर मगरमच्छ के शिकार करने की खबर से सुर्खियां बटोर रहे शख्स का नाम एडगर बताया जा रहा है, जिसने एक धनुष और तीर (bow and arrow) की मदद से एक विशाल और अजीबोगरीब दिखने वाले मगरमच्छ को पकड़ा है. वायरल हो रहा यह वीडियो टेक्सास (Texas) के फाल्कन झील के तट का बताया जा रहा है, जहां मछुआरे ने धनुष और तीर की मदद से मछ्ली जैसे दिख रहे इस मगरमच्छ का शिकार किया.
आपने आज तक लोगों को मछलियों (fish) का शिकार करते देखा होगा या फिर सुना होगा, लेकिन क्या आपने कभी किसी को मगरमच्छ (Crocodile) का शिकार करते देखा है? ऐसा करना तो दूर, ऐसा करने के बारे में सोचने तक में अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाएंगे, लेकिन हाल ही में एक मछुआरे (Fisherman) ने ऐसा कर दिखाया है. सोशल मीडिया (Social Media) पर इन दिनों एक अमेरिकी मछुआरा मगरमच्छ के शिकार करने की खबर से खूब सुर्खियां बटोर रहा है. गौर करने वाली बात तो यह है कि यह मगरमच्छ हूबहू मछली की तरह दिखाई देता है.
न्यूज़वीक के अनुसार (According to Newsweek), घड़ियाल गार (alligator gars) की यह सबसे बड़ी प्रजाति है और यह 10 फीट तक लंबी हो सकती है. वे बहुत लंबे समय तक जीवित भी रह सकते हैं, जिसका अनुमान मछली के आकार से लगाया जा सकता है. विश्व रिकॉर्ड लगभग 9 फीट लंबा था और 90 साल से अधिक अमेरिकी मगरमच्छ पुराना होने का अनुमान है.
एक मछुआरे ने तीर-धनुष से पकड़ा मछली की तरह दिखाई देने वाला मगरमच्छ, Video देख लोगों के छूटे पसीने
Crocodile Viral Video: एक धनुष और तीर का उपयोग करते हुए अमेरिका के टेक्सास में एक मछुआरे ने हाल ही में एक विशाल और अजीबोगरीब दिखने वाले मगरमच्छ को पकड़ा है.
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US Fisherman Catches Giant Alligator Gar: एक धनुष और तीर का उपयोग करते हुए अमेरिका के टेक्सास में एक मछुआरे ने हाल ही में एक विशाल और अजीबोगरीब दिखने वाले मगरमच्छ को पकड़ा है. मछुआरे के भाई गेरार्डो बेनिटेज (Gerardo Benitez) ने फेसबुक पर 7 फुट, 8 इंच के विशाल मगरमच्छ की तस्वीरें और एक वीडियो अपलोड किया. पोस्ट में मछुआरे एडगर अमेरिकी मगरमच्छ के बगल में विशालकाय मगरमच्छ को देखा जा सकता है. यह मामला टेक्सास के फाल्कन झील के तट का है, जहां मछुआरे ने अपने तीर से मगरमच्छ का निशाना बनाया, जो मछली की तरह दिखाई देता है.
शख्स ने तीर-धनुष से किया मगरमच्छ पर हमला
सोशल मीडिया पोस्ट में गेरार्डो बेनिटेज ने समझाया कि उनके भाई एडगर ने धनुष और तीर का उपयोग करके विशाल मगरमच्छ को पकड़ा और मार डाला. कभी-कभी मछुआरे मछली पकड़ने के लिए जाल या काटा पानी अमेरिकी मगरमच्छ में डालते हैं, लेकिन बड़े स्तनपाई जीव पकड़ में आ जाते हैं. हालांकि, मगरमच्छ जैसे विशाल जानवर का शिकार करने के लिए सतर्क होना बहुत जरूरी है. बेनिटेज ने अपने पोस्ट में कहा, 'बात यह है कि जब आप मगरमच्छ के लिए शिकार करने जाते हैं तो यह उतना आसान नहीं है. मगरमच्छ का शिकार करने के लिए तेज होना पड़ता है, क्योंकि एक या 2 सेकंड में ही आपको हमला करना होता है.'
सोशल मीडिया पर लोगों ने कुछ ऐसे दिए रिएक्शन
वीडियो शेयर किए जाने के बाद से कई लोगों ने फेसबुक पोस्ट पर अपनी प्रतिक्रिया दी. कुछ लोगों ने अमेरिकी मगरमच्छ इस शिकार को हत्या करने के बराबर कहा. एक यूजर ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा, 'मैं इस घटना से बेहद निराश हूं. जानवरों के साथ ऐसा व्यवहार कोई नैतिकता नहीं है. विशाल प्रजनकों का शिकार नहीं बनाना चाहिए. तीर-धनुष के साथ-साथ गोली भी मार दी.' एक अन्य ने सहमति व्यक्त की और कहा, 'उन्हें इस मगरमच्छ का शिकार नहीं बनाना चाहिए था. मारने के बाद इस मगरमच्छ के साथ क्या करना चाहते हैं? बस तस्वीर लें और लोग पोस्ट को लाइक करें.'
न्यूज़वीक के अनुसार, घड़ियाल गार की सबसे बड़ी प्रजाति है और यह 10 फीट तक लंबी हो सकती है. वे बहुत लंबे समय तक जीवित भी रह सकते हैं, जिसका अनुमान मछली के आकार से लगाया जा सकता है. विश्व रिकॉर्ड लगभग नौ फुट लंबा था और 90 साल से अधिक पुराना होने का अनुमान है.