विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है

यह बात महत्वपूर्ण है कि रूस ने कहा है कि भारत की भुगतान व्यवस्था रुपए और रूस की भुगतान व्यवस्था रूबल के बीच उपयुक्त सामंजस्य बनाने की कोशिश दोनों देशों के लिए लाभप्रद होगी। ज्ञातव्य है कि पश्चिमी देशों के द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों की काट खोजने के मद्देनजर एशिया के कई देश रूस के साथ डॉलर और यूरो के बजाय एशियाई मुद्राओं में कारोबार करने लगे हैं। फरवरी 2022 के बाद से भारत ने रूस से काफी विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है ज्यादा क्रूड खरीदना शुरू कर दिया है जिसका असर द्विपक्षीय कारोबार पर भी दिखाई देने लगा है। सरकार के नए फैसले का देश की पेट्रोलियम कंपनियों को भी फायदा हुआ है और विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर के व्यय में भी कुछ कमी आई है। अगर भारत सरकार रुपए में कारोबार करने को प्रोत्साहन करने लगे तो इससे निर्यातकों के बीच रुपए को लेकर स्वीकार्यता बढ़ेगी। अभी डॉलर या यूरो में निर्यात की कमाई लाने वाले निर्यातकों को सरकार की तरफ से कर विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है छूट दी जाती है। यह छूट रुपए में निर्यात की कमाई लाने में उपलब्ध नहीं है। ऐसी स्कीम को तैयार किया जाना चाहिए जिससे रुपए में वैश्विक कारोबार की अनुमति बढ़े और व्यापार घाटे में कमी आ सके। यह जरूरी है कि घरेलू उत्पादन वृद्धि और स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन के साथ आत्मनिर्भर भारत आभियान को तेजी से आगे बढ़ाकर व्यापार घाटे में कमी की जाए। हमें विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने में प्रवासी भारतीयों का अधिक सहयोग लेना होगा।
विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है
Q. With reference to import substitution in the Indian economic history, which of the following statements is/are correct?
Select the correct answer using the codes given below:
Q. भारतीय आर्थिक इतिहास में आयात प्रतिस्थापन के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
भारत का घटता विदेशी मुद्रा भंडार
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है। हालांकि विदेशी मुद्रा भंडार के स्वर्ण आरक्षित घटक में बढ़ोतरी देखने को मिली है, लेकिन विदेशी मुद्रा भण्डार के अन्य घटकों, जैसे- विशेष आहरण अधिकार (SDR), विदेशी परिसंपत्तियों और IMF के पास “रिज़र्व ट्रेंच” आदि में गिरावट दर्ज की गई है।
गिरावट का मुख्य कारण:
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में गिरावट की वजह से मुद्रा भंडार में कमी हुई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुखभाग होती है।
क्या है विदेशी मुद्रा भंडार?
- विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सकें।
- यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं। ज्यादातर डॉलर और कुछ सीमा तक यूरो में विदेशी मुद्रा भंडार में शामिल होता है।
- विदेशी मुद्रा भंडार को फॉरेक्स रिजर्व या एफएक्स रिजर्व भी कहा जाता है।
- पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।
- यह आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में अर्थव्यवस्था को बहुत आवश्यक मदद उपलब्ध कराता है।
- इसमें आईएमएफ में विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति,स्वर्ण के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।
बढ़ते व्यापार घाटे की चुनौती
हम उम्मीद करें कि सरकार द्वारा निर्यात बढ़ाने और विदेशी मुद्रा भंडार को घटने से बचाने के मद्देनजर इस आलेख में दिए गए सुझावों के अमल से उत्पाद निर्यात और सेवा निर्यात बढऩे से भी अधिक विदेशी मुद्रा प्राप्त हो सकेगी। अनावश्यक आयात में कमी करके डॉलर के खर्च में बचत की जा सकेगी…
इस समय एक ओर तेजी से बढ़ता देश का व्यापार घाटा तो दूसरी ओर तेजी से घटता हुआ देश का विदेशी मुद्रा भंडार आर्थिक चिंता का बड़ा कारण बन गया है। हाल ही में प्रकाशित विदेश व्यापार के आंकड़े तेजी से बढ़ते व्यापार घाटे का संकेत दे रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष 2022-23 में अप्रैल-जून की तिमाही के दौरान भारत का कुल निर्यात बढक़र 121 अरब डॉलर रहा, वहीं इस अवधि में आयात और तेजी से बढक़र 190 अरब डॉलर की ऊंचाई पर पहुंच गया। इस तरह इस तिमाही में भारत को 69 अरब डॉलर का घाटा हुआ। जहां जुलाई 2022 में देश में 66.27 अरब डॉलर मूल्य का आयात किया गया, वहीं 36.27 अरब डॉलर का निर्यात किया गया। विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है ऐसे में जुलाई 2022 में भी 30 अरब डॉलर का व्यापार विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है घाटा दिखाई दिया। यह व्यापार घाटा पिछले वर्ष जुलाई 2021 में 10.63 अरब डॉलर था। सालाना आधार पर जुलाई 2022 में आयात में 43.61 फीसदी वृद्धि हुई है। इसी तरह 19 अगस्त को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का आकार घटते हुए 564.05 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3 सितंबर 2021 को 642.45 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर था। अब तक रूस और यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक मंदी की आशंका और कच्चे तेल की ऊंची कीमत के कारण जो डॉलर लगातार मजबूत हुआ है, वह डॉलर चीन और ताइवान के बीच गहरे तनाव के मद्देनजर और मजबूत होने की प्रवृत्ति बता रहा है।
Edible Oil Price Down: आम जनता को महंगाई से बड़ी राहत, खाने का तेल हुआ बेहद सस्ता! तुरंत चेक करें ताजा रेट
Edible Oil Price Down Today: आम जनता को महंगाई से राहत देने वाली खबर है। दरअसर अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार तेजी के बाद अब घरेलु बाजार में तेल-तिलहन की कीमतों में गिरावट देखने को मिला है। आज सोयाबीन समेत कई तेल की रेट में गिरावट आई है। वहीं यदि बात की जाए सरसों के तेल, मूंगफली की कीमतों में कोई खास बदलाव विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है नहीं हुआ है। फिर भी सोयाबीन तेल के रेट में गिरावट से लोगों महंगाई से कुछ राहत तो जरूर मिलेगा।
किसानों को मिल रहा फायदा
Edible Oil Price Down Today: बाजार सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सूरजमुखी और सोयाबीन डीगम तेल की आपूर्ति कम होने की वजह से यह लगभग 10 फीसदी ऊपर के लेवल पर बिक रहा है। इससे किसानों को फायदा होगा क्योंकि उनके तिलहन के अच्छे दाम मिलेंगे, विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति क्या है आपूर्ति बढ़ने से उपभोक्ताओं को फायदा होगा और तेल मिलों को सस्ते आयातित तेलों की वजह से जो बाजार टूटा है उससे राहत मिलेगी और सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी।
Edible Oil Price Down Today: कारोबारी सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों के लिए आयात पर बढ़ती निर्भरता और इसके लिए भारी मात्रा में विदेशी मुद्रा के खर्च के जाल से निकलने की जरूरत है। इसके लिए एकमात्र रास्ता किसानों को लाभकारी कीमत देकर देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाना ही है।
चीनी पर्यवेक्षक ने यूक्रेनी संघर्ष जारी रहने की स्थिति में यूरोप के गैर-औद्योगीकरण की भविष्यवाणी की
यूक्रेन में शत्रुता और आर्थिक क्षेत्र में साथ की घटनाओं, रूसी संघ के खिलाफ प्रतिबंध और उनके मामले में अपरिहार्य ऊर्जा संकट सहित, इस तथ्य को जन्म देगा कि यूरोप अपनी अधिकांश औद्योगिक क्षमता को नष्ट कर देगा। ग्लोबल टाइम्स के चीनी संस्करण के लेखक, बी जिंग, इस बारे में लिखते हैं, यूरोपीय संघ के गैर-औद्योगीकरण की भविष्यवाणी करते हैं।
कई प्रयासों के बावजूद, यूरोप रूस के बिना ऊर्जा की समस्या का समाधान नहीं कर सकता। लेकिन सस्ती ऊर्जा के बिना वर्तमान राज्य में उद्योग का विकास और उसका रखरखाव भी असंभव है।