ट्रेंड मूवमेंट क्या है

हालांकि इस तरह की स्थिति में अन्य रिट्रेसमेंट स्तर, जैसे 23.6 फीसदी, 38.2 फीसदी और 50 फीसदी, भी बेकार नहीं जाते, और वे बाजार को आगे ले जाने के लिए महत्वपूर्ण प्रतिरोध का काम कर सकते हैं।
ट्रेंड मूवमेंट क्या है
हालांकि फिबोनाची सीरीज सबसे पहले ईसा पूर्व 200 बीसी में प्राचीन भारतीय गणितज्ञ पिंगला ने दुनिया को समझाई ट्रेंड मूवमेंट क्या है थी, लेकिन मौजूदा समय में इस ज्ञान का श्रेय 13वीं सदी के इतालवी गणितज्ञ लियोनार्डो फिबोनाची को जाता है जिन्होंने संख्याओं की ऐसी आसान सीरीज की खोज की जिसने विश्व में चीजों के प्राकृतिक अनुपात को दर्शाने वाला रेशियो बनाया।
यह अनुपात इन नंबर श्रृंखलाओं से विकसित हुआ - 0, 1, 1, 2, 3, 5, 8, 13, 21, 34, 55, 89, 144 . इस अनुक्रम में प्रत्येक संख्या स्पष्ट रूप से अपने से पहले की दो संख्याओं का योग है और यह क्रम असंख्य रूप से जारी है। इस संख्यात्मक अनुक्रम की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक यह है कि प्रत्येक संख्या अनुमानित रूप से पूर्ववर्ती संख्या की तुलना में 1.618 गुना बड़ी है।
61.8 फीसदी का महत्वपूर्ण फिबोनाची रेशियो को सीरीज में एक संख्या में इसके बाद की संख्या से भाग देकर हासिल किया जाता है। इसे 'गोल्डन रेशियो' या 'गोल्डन मीन' के तौर पर भी जाना जाता है। उदाहरण के लिए : 813 = 0.6153, और 5589 = 0.6179 । इसी तरह हमने फिबोनाची सीरीज से 76.4 फीसदी, 50 फीसदी, 38.2 फीसदी और 23.6 फीसदी के रिट्रेसमेंट रेशियो प्राप्त किए।
शादी करने या ना करने के लिए नो शेम कैम्पेन
कोई लड़की अगर शादी ना करने का फैसला लेती है तो उसे तरह-तरह की उलाहने दी जाती है। शादी को लेकर माना जाता है कि अगर लड़की 30 पार कर गई है तो उसकी सारी जिंदगी ही व्यर्थ है। लड़की अगर कुंवारी बैठी रहे तो उसे ही नहीं उसके परिवार वालों को भी ताने दिए जाते हैं। ऐसे में एक नो शेम कैम्पेन इसके लिए भी होनी चाहिए। (शादी के बाद लड़कियों की जिंदगी में आते हैं ये बड़े बदलाव)
इमोशनल होने या ना होने के लिए नो शेम कैम्पेन
लड़कियां अगर इमोशनल हो जाएं तो उन्हें लेकर बहुत ज्यादा बातें बनाई जाती हैं। अगर वो इमोशनल ना हों तो भी बहुत ज्यादा बातें बताई जाती हैं। लड़की इमोशनल ना हो उसे पत्थर दिल मान लिया जाता है ट्रेंड मूवमेंट क्या है और रोना शुरू करे तो ये समझा जाता है कि बस ये तो रोती ही रहती है। इसके लिए भी एक नो शेम कैम्पेन होना चाहिए। (इमोशनल ईटिंग को कैसे रोकें)
अगर कोई लड़की मां बनना चाहती है तो ये उसकी मर्जी होनी चाहिए ना कि समाज के दबाव में आकर उसे ये फैसला लेना चाहिए। आजकल के ट्रेंड में अगर कोई लड़की मां ना बनना चाहे तो उसे ताने मारे जाते हैं और ये समझाने की कोशिश की जाती है कि उसकी जिंदगी तो बच्चे के बिना अधूरी है। उसपर दबाव डाला जाता है उस जिम्मेदारी के लिए जो उसे निभानी ही नहीं है। इसके लिए भी एक नो शेम कैम्पेन होनी चाहिए।
मॉर्डन कपड़े या फिर ट्रेडिशनल कपड़ों के लिए नो शेम कैम्पेन
आजकल कपड़ों को लेकर बहुत सारी बातें कही जा रही हैं। ईरान में हिजाब हटाने को लेकर आंदोलन किया जा रहा है और भारत में हिजाब पहनना जारी रखने को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। इन दोनों ही मामलों को लोग बहुत कम्पेयर कर रहे हैं, लेकिन ये नहीं सोच रहे हैं कि आखिर यहां बात आज़ादी की है। जिसे ये पहनना है वो पहने और जिसे नहीं पहनना वो ना पहने। महिलाओं को इसकी आजादी मिलनी चाहिए कि वो चाहे मॉर्डन कपड़ों में कंफर्टेबल हो सके या फिर ट्रेडिशनल में उन्हें टोकने वाला कोई ना हो। इसके लिए भी एक नो शेम कैम्पेन जरूरी है।
रात में घूमने के लिए या ना घूमने के लिए नो शेम कैम्पेन
जैसा कि हम जानते हैं कि विक्टिम ब्लेमिंग भारत की एक बहुत बड़ी समस्या है जहां पर रात में घूमने वाली महिलाओं को लेकर तरह-तरह की बातें की जाती हैं। इसके अलावा, जो लड़कियां बाहर नहीं जाती उन्हें लेकर भी तरह-तरह की बातें कही जाती हैं और उन्हें बोर माना जाता है। ऐसे में भला लड़कियां करें तो क्या करें।
ऐसे कई सारे मुद्दे हैं जिन्हें लेकर लड़कियों को गाहे-बगाहे ट्रोल किया जाता है और आइरनी यही है कि लोग ये समझना पसंद नहीं करते कि आखिर जीने की आज़ादी तो हर किसी को होनी चाहिए ना। अगर ब्रा की स्ट्रैप भी दिखने लगे तो ये माना जाता है कि लड़कियों के लिए तो ये बहुत ही गलत हो गया, लेकिन आखिर ऐसा क्यों? क्या वो उनके पहनावे का हिस्सा नहीं है? इस तरह की छोटी-छोटी बातों को लेकर रोजाना लड़कियों को परेशानी से जूझना पड़ता है और इसे लेकर रोज़ाना उन्हें शर्मिंदा किया जाता है।
Trade Spotlight: हफ्ते के पहले दिन नजारा टेक्नोलॉजीज, मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट और रैडिको खेतान पर निवेशकों की क्या हो रणनीति ?
Nazara Technologies के शेयर ने डेली और वीकली टाइम फ्रेम पर शॉर्ट टर्म ट्रेंड रिवर्सल की पुष्टि की है और इसमें एक हायर टॉप और बॉटम फॉर्मेशन बन ट्रेंड मूवमेंट क्या है रहा है
आज कारोबारी हफ्ते के पहले दिन बाजार में तेजी बढ़ती हुई नजर आई है। फिलहाल निफ्टी के 50 में से 44 शेयरों में खरीदारी जबकि सेंसेक्स के 30 में से 26 शेयरों में तेजी देखने को मिल रही है। बैंक निफ्टी के 12 में से 10 शेयरों में बुलिश मूवमेंट दिख रहा है। IT, मेटल शेयरों में खरीदारी नजर आ रही है जबकि रियल्टी, इंफ्रा शेयरों में बढ़त नजर आई है।
एक्सिस सिक्योरिटीज के राजेश पालवीय ने नजारा टेक्नोलॉजीज, मैक्स हेल्थकेयर इंस्टीट्यूट, रैडिको खेतान पर दांव लगाने की सलाह दी है। जानते हैं इन तीनों शेयरों पर निवेशकों को क्या करना चाहिए
Technical Analysis- 1st Post (Introduction & Basics – In Hindi)
टेक्निकल एनालिसिस पर पहली पोस्ट में आपका स्वागत है 🙂 । मेरे हिसाब से, ट्रेडिंग के लिए यह सबसे अच्छा टूल है। आज मैं आपके साथ टेक्निकल एनालिसिस के बारे में एक बुनियादी विचार साझा करुँगी। उदाहरण के लिए: – टेक्निकल एनालिसिस क्या है? आपको यह क्यों इस्तेमाल करना चाहिए? ट्रेडिंग में इसका इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? और टेक्निकल एनालिसिस की मूल बातें (प्राइस, वॉल्यूम, ओपन इंटरेस्ट)। तो चलिए शुरू करें!!
टेक्निकल एनालिसिस क्या है?
यह अतीत मार्केट के डेटा, मुख्य रूप से प्राइस और वॉल्यूम के अध्ययन के द्वारा प्राइसिस की दिशा की भविष्यवाणी की विधि है।
आपको यह क्यों इस्तेमाल करना चाहिए?
आपको इसका इस्तेमाल प्राइसिस के पूर्वानुमान लगाने के लिए करना चाहिए। यह प्राइस मूवमेंट के संदर्भ में भविष्य में क्या होने जा रहा है, के बारे में एक स्पष्ट तस्वीर देता है, क्योंकि-
What is #MeToo Campaign in Hindi | मीटू” “METOO” क्या है ? सबसे पहले किसने की थी शुरूआत ?
हेलो दोस्तों नमस्कार, आज हम बात करने वाले हैं ये “मीटू” “METOO” क्या है ? आजकल सोशल मीडिया (व्हाट्सउप, फेसबुक, ट्विटर) हो या फिर न्यूज़ चैनल सभी जगह #MeToo की चर्चा देखने को मिल जाती है। लेकिन यह “#MeToo“ क्या है ? आज भी देश में ऐसे काफी लोग मौजूद हैं जिन्हे इसके बारे में कुछ भी मालूम नहीं है। लेकिन इसके बावजूद यह सब आपको काफी बार अपने आसपास सुनने को मिल जाता है, अगर आपको इसके बारे में नहीं मालूम तो आपको निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आज हम इस आर्टिकल में आपको #MeToo के बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं, जिसे जानने के लिए हमारे साथ बने रहे।
What is #MeToo Campaign in Hindi
दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि #मी टू एक मूवमेंट यानी एक आंदोलन है। इस हैशटैग की सहायता से महिलाएं खास तौर पर कामकाज करने वाली महिलाएं अपने साथ वर्कप्लेस/ऑफिस हो रहे, यौन उत्पीड़न/ छेड़छाड़ के मामलों को हैशटैग मीटू (#ME Too) कैम्पेन द्वारा शोशल मीडिया पर साझा करती है। जैसे की इस मूवमेंट के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि इस कैंपिंग का क्या मकसद है, ME Too (मतलब मै भी या मेरे साथ भी) अर्थात जो भी महिलायें इस तरह की घटनाओं का शिकार हुई हैं, या हो रही हैं, वो यह बताने के लिए कि मेरे साथ भी ये हो चुका है या हो रहा है, इस हैशटैग के साथ #ME Too कैम्पेन से जुड़ रही है।
आपकी जानकारी बता दे की #MeToo कैंपेन की शुरुआत साल 2006 में अमेरिका से हुई थी, लेकिन भारत में इस ट्रेंड की शुरूआत कुछ सालों पहले हुई है। वैसे देखा जाए तो भारत में इस ट्रेंड की शुरुआत अभिनेत्री तनुश्री दत्ता ने की थी। जब तनुश्री बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिग्गज कलाकार और पद्माश्री पुरस्कार से सम्मानित नाना पाटेकर पर एक फिल्म की शूटिंग के दौरान गलत तरीके से छेड़छाड़ के गम्भीर आरोप लगाए। इसके बाद सोशल मीडिया पर जोरो जोरो से #MeToo का ट्रेंड चल पड़ा और एक बार एक बड़ी-बड़ी हस्तियों पर मी टू कैंपेन के तहत यौन उत्पीडन के आरोप लगने लगे।
# Me ट्रेंड मूवमेंट क्या है Too Campaign Kya Hai ?
यह सत्य है कि #MeToo हैशटैग की सहायता से फिल्म इंडस्ट्री के सफेद लोगो का काला सच सामने आ सका। जिन लोगों की उम्मीद नहीं थी उन लोगों के भी नाम सामने आई जिसमे छोटे पर्दे पर संस्कारी बाबूजी की भूमिका निभाने वाले आलोक नाथ, निर्माता निर्देशक साजिद खान, सुभाष घई, विकास बहल, चेतन भगत, रजत कपूर, कैलाश खैर, जुल्फी सुईद, सिंगर अभिजीत भट्टाचार्य, तमिल राइटर वैरामुथु इत्यादि शामिल है। यही नहीं ट्रेंड मूवमेंट क्या है बल्कि बॉलीवुड इंडस्ट्री की कई फिल्में और कई बड़े सितारे मीटू के लपेटे में आ चुके है।