वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं

आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, टेरर फंडिंग है सबसे बड़ी समस्या: अमित शाह
Terror Funding: पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयासों को कमजोर और नष्ट करना चाहते हैं
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) ने टेरर फंडिंग (Terror Financing) को आतंकवाद (Terrorism) से बड़ा खतरा बताते हुए शुक्रवार को कहा कि इसे किसी धर्म, राष्ट्रीयता या ग्रुप से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (Delhi) स्थित होटल ताज पैलेस (Taj Palace) में 'नो मनी फॉर टेरर मिनिस्ट्रियल कॉन्फ्रेंस ऑन काउंटर-टेररिज्म फाइनेंसिंग (No Money for Terror Ministerial Conference on Counter-Terrorism Financing)' पर आयोजित तीसरे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में उन्होंने ये बात कही।
शाह ने कहा कि आतंकवादी को संरक्षण देना, आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है। यह सभी देशों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि ऐसे तत्व एवं ऐसे देश अपने इरादों में कभी सफल न हो सकें।
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि आतंकवादी हिंसा करने, युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने और वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए लगातार नए तरीके खोज रहे हैं। साइबर क्राइम के उपकरणों का इस्तेमाल कर एवं अपनी पहचान छुपाकर कट्टरपंथ की सामग्री फैला रहे हैं।
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करोड़ों खर्च कर होते हैं निकाय चुनाव वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं लेकिन नगर निगमों की हालत खस्ता
देश के 27 राज्यों के नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में कहा है कि निकायों के पास अपने राजस्व के लिए कोई मजबूत तरीका नहीं है.
By: पूनम पनोरिया | Updated at : 20 Nov 2022 12:34 PM (IST)
भारतीय रिजर्व बैंक (फाइल फोटो)
अगले महीने देश की राजधानी दिल्ली में नगर निगम चुनाव होने हैं. जिसके लिए सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव प्रचार-प्रसार में लगी हुई हैं. लेकिन इसी बीच देश के नगरीय निकायों को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने चौंकाने वाले आंकड़े जारी किए हैं. आरबीआई ने 27 राज्यों के नगर निकायों की आर्थिक स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. केंद्रीय बैंक ने ये रिपोर्ट जारी करते हुए चिंता जताते हुए कहा है कि नगर निकायों के पास अपने राजस्व के लिए कोई वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं ठोस तरीका नहीं है बल्कि केंद्र और राज्यों सरकारों से निकायों को जो कुछ अनुदान राशि मिलती से उसी से निकायों का काम चलता है. उनके पास खुद का राजस्व बढ़ाने का कोई मजबूत तरीका नहीं है.
आरबीआई ने कहा है कि जहां एक तरफ शहरों की आबादी बढ़ती जा रही है वहीं दूसरी तरफ शहरों को बेहतर सुविधा देने के लिए नगर निकायों के पास राजस्व की कमी है. जबकि निकायों के पास शहरों को विश्वस्तरीय सुविधा देने की जिम्मेदारी है लेकिन राजस्व की कमी के चलते ये बहुत दूर की बात है. हालांकि आरबीआई ने अपनी इस रिपोर्ट में इस बात को भी स्वीकार किया है कि पिछले कुछ दशकों में नगर निकायों के ढांचे में सुधार वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं भी हुआ है. लेकिन कामकाज अधिक बेहतर नहीं हुआ. और इसका कारण ये है कि नगर निकायों के पास अपने राजस्व के लिए मजबूत वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं साधन नहीं हैं.
बता दें आरबीआई की ओर से नगर निकायों की आर्थिक स्थिति को ये लेकर ये रिपोर्ट साल 2017-18 से 2019-20 तक के वित्तीय खातों की जांच-पड़ताल करने के बाद जारी की गई है. जिसमें आरबीआई का ये मानना है कि नगर निकाय तमाम कोशिशों वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं के बाद भी अपना राजस्व कमाने का कोई मजबूत तरीका नहीं निकाल पाए हैं. आरबीआई का मानना है कि शहरों में बेहतर सुविधाएं देने के लिए नगर निकायों को अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करने की जरूरत है जिसके लिए उन्हें चाहिए कि केंद्र और राज्य सरकारों से मिलने वाले अनुदान के अलावा अपने राजस्व के लिए मजबूत साधन जुटाए जाएं. क्योंकि शहरों में लोगों को विश्वस्तरीय सुविधाएं तभी मिलेगी जब नगर निकायों के पास अपना राजस्व होगा.
वहीं इस रिपोर्ट में ना केवल देश के नगर निकायों की आर्थिक स्थिति पर सवाल उठाए गए हैं बल्कि अपने राजस्व को जुटाने के लिए कई तरीके भी बताए हैं. जिसमें केंद्रीय बैंक का कहना है कि नगर निकायों को राजस्व के लिए जरूरी है कि वो खाली जमीन पर भी टैक्स लगाना शुरू कर दे. इसके साथ ही इमारतों के साथ साथ जमीन पर भी टैक्स वसूला जाए, और यदि कोई इमारत को बेहतर या आधुनिक करवाता है तो उसके लिए भी टैक्स लिया जाए. और निवेशकों को आकर्षित करने के लिए बांड्स जारी रखे जाएं. हालांकि ये सुझाव नागरिकों की जेब अधिक ढिली करवा सकते हैं. लेकिन राजस्व को बढ़ाने के लिए आरबीआई ने देश के निकायों को ये सुझाव दिए हैं.
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इसके साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से पहली बार ये रिपोर्ट जारी की गई है. जिसमें 27 राज्यों की आर्थिक स्थिति को लेकर साल 2017 से 2020 तक के राजस्व की जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2019-20 में राजधानी दिल्ली को जो कुल राजस्व प्राप्त हुआ था, उसमें नगर निकाय की केवल 0.67 फीसदी ही हिस्सेदारी थी. जबकि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य की महज 0.21 फीसदी, बिहार 0.61 फीसदी, झारखंड 0.27 फीसदी, पंजाब 0.48 फीसदी, उत्तराखंड 0.27 फीसदी, हरियाणा 0.52 फीसदी और हिमाचल प्रदेश की 0.50 फीसदी ही हिस्सेदारी थी. इस रिपोर्ट में ये कहा गया है कि केवल चंडीगढ़ ऐसा राज्य है जिसके निकाय की राजस्व में हिस्सेदारी 1 फीसदी थी.
केंद्रीय बैंक का सुझाव है कि राजस्व में इस हिस्सेदारी को बढ़ाया जाना चाहिए. जिससे की निकायों का आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके. और शहरो में लोगों को मिलने वाली सुविधाएं भी अधिक विकसित हो सकें. वहीं हाल ही में दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 की भी घोषणा की गई है. अगले महीने 4 दिसंबर को एमसीडी के निकाय चुनाव के लिए मतदान होना हैं. इससे पहले सभी पार्टियां जनता को लुभाने के लिए प्रचार- प्रसार कर रही हैं.
इसमें उम्मीदवार पैसा भी खर्च करते हैं लेकिन एमसीडी चुनाव को लेकर दिल्ली स्टेट इलेक्शन कमीशन ने प्रत्याक्षियों वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं के लिए चुनाव प्रचार में करने वाले खर्च की सीमा तय की हैं. जिसके मुताबित कोई भी एक उम्मीदवार प्रचार के दौरान केवल 8 लाख रूपये तक खर्च कर सकता है. हालांकि इससे पहले साल 2017 एमसीटी निकाय चुनाव में खर्च की सीमा 5.75 लाख रूपये थी. जिसे इस बार बढ़ाया गया.
लेकिन यहां जरूरी बात ये है कि जीतने वाले प्रत्याक्षी निकाय के राजस्व में बढ़ोत्तरी के साधन भी जुटाएं. क्योंकि इसी साल दिल्ली की तीनों निगमों को एक कर दिया गया. जिसमें आर्थिक स्थिति का मुद्दा अहम रहा. एमसीडी का आरोप था कि दिल्ली सरकार निगम को आर्थिक बजट महैया नहीं कराती, जिसके कारण निगम 3 इकाईयों का वहन नहीं कर पाता. जिसके बाद इसी साल मई महीने में दिल्ली के तीन निगमों का एकीकरण कर दिया गया. लेकिन इसी बीच आरबीआई की ये रिपोर्ट सबके लिए चिंताजनक है.
Published at : 20 Nov 2022 11:23 AM (IST) Tags: MCD Election RBI civic body elections हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं
बचत किसी व्यक्ति या परिवार को आर्थिक रूप से सुरक्षित बनने में मदद करती है। साधन के भीतर कम खर्च करने का नियम या जो कोई कमाता है उससे कम खर्च करने से कुछ अप्रत्याशित घटनाओं के लिए बहुत सारा वित्तीय धन बच सकता हैं।
बचत का महत्व
अपने वित्त पर नियंत्रण रखने से वित्तीय सुरक्षा प्राप्त करने के लिए आपकी बचत और खर्चों की योजना बनाने में मदद मिलेगी।
यह लेख बचत की अवधारणा और इसके महत्व को संक्षेप में प्रस्तुत करता है। यह आपको कुशलता से पैसे वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं बचाने और अपने खर्चों को ट्रैक करने के तरीकों के बारे में बताएगा ताकि आप वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त कर सकें।
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इस पहल के बारे में
द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) की इच्छा है कि सभी भारतीयों को भारत सरकार के राष्ट्रीय मिशन के अनुरूप आर्थिक रूप से साक्षर होना चाहिए वित्तीय साक्षरता या वित्तीय शक्ति जो जी -20 देशों द्वारा प्रवर्तित सबसे महत्वपूर्ण सतत विकास लक्ष्यों में से एक है । इस अभियान में इस समर्पित माइक्रो साइट के माध्यम से जागरूकता पैदा करना, सेमिनार और व्याख्यान आयोजित करना, पुस्तिकाओं और गाइडों का वितरण और चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के एक समुदाय को विकसित करना शामिल है जो कि वित्तीय मित्र के रूप में कार्य कर सकते हैं।
भारत में लाेगाें के पास 30 लाख कराेड़ रुपए की राशि है !
जनवरी, 2009 में अपनी लाॅन्चिंग के बाद से बिटकाॅइन ने दुनिया भर में क्रिप्टाे मुद्राओं के विस्तार में अहम भूमिका निभाई.नवंबर, 2021 में अपने चरम पर इसके 10,000 से अधिक स्निके बाजार में थे और इनका बाजार मूल्य करीब तीस खरब डाॅलर था, जिसमें बिटकाॅइन का बाजार मूल्य 12.8 खरब डाॅलर था. वर्ष 2022 में बाजार में सुधार के चलते सभी क्रिप्टाे मुद्राओं का मूल्य लगभग 10 खरब अमेरिकी डाॅलर रह गया है, जिसमें कई मुद्राओं का वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं मूल्य शून्य रह गया है और क्रिप्टाे क्षेत्र में काम करने वाली कई कंपनियां दिवालिया हाे रही हैं. क्रिप्टाे मुद्राओं में इस बड़ी गिरावट ने क्रिप्टाे दलालाें, उधारदाताओं, फंडाें और ए्नसचेंजाें काे खुद काे दिवालिया घाेषित करने के लिए अर्जी लगाने पर बाध्य किया है, जिससे इनमें निवेश करने वालाें काे भारी नुकसान हुआ है.
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक क्रिप्टाे उत्पादाें की अनियमित प्रकृति पर चिंता जता रहे थे, जिसका मनी लाॅन्ड्रिंग, ग्राहकाें के साथ धाेखाधड़ी और आपराधिक गतिविधियाें के लिए उपयाेग हाे सकता है.
पिछले एक साल में ऐसे मामलाें में कई गुना वृद्धि हुई है, जिसमें ऋण एप्स क्रिप्टाे का उपयाेग विदेशाें में धन भेजने के लिए हाेता है. क्रिप्टाे उत्पादाें की बुनियाद रखने वाली ब्लाॅकचेन प्राैद्याेगिकी और डेफी अर्थव्यवस्था के लिए उपयाेगी है, पर उत्पाद का वर्तमान स्वरूप (जिसका न ताे काेई आंतरिक मूल्य है और न ही काेई नियामक ढांचा) एक चुनाैती पेश करता है कि ‘प्राैद्याेगिकी से कैसे लाभ उठाएं और क्रिप्टाे की वर्तमान संरचना में निहित खतरनाक पहलुओं से कैसे बचें?’ वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2022-23 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए घाेषणा की थी कि भारतीय रिजर्व बैंक डिजिटल रुपया पेश करेगा. यह भारत की अपनी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) हाेगी. सीबीडीसी एक डिजिटल भुगतान साधन है, जिसे राष्ट्रीय मुद्रा (भारतीय रुपया) में वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं अंकित किया गया है. यह केंद्रिय बैंक, आरबीआई की प्रत्यक्ष देयता है.
डिजिटल साॅवरेन करेंसी का यह नया रूप भारतीय रिजर्व बैंक में रखे गए भाैतिक नकद रुपये या उसके भंडार के बराबर हाेगा. यह आरबीआई द्वारा जारी और विनियमित किया जाएगा और भाैतिक रुपये की तरह साॅवरेन गारंटी द्वारा समर्थित हाेगा. क्रिप्टाे मुद्राओं काे न ताे किसी केंद्रीय बैंक ने जारी किया है और न ही यह कानूनी ताैर पर मान्य है. क्रिप्टाे मुद्राएं किसी संस्था की देयता नहीं हैं और न ही किसी संपत्ति द्वारा समर्थित हैं. अत्यधिक अस्थिरता के कारण उनके मूल्य में उतार-चढ़ाव आता है. सीबीडीसी ई-रुपया रिजर्व बैंक द्वारा समर्थित है, जिसे जारी करने पर ई-रुपये की शेष राशि आरबीआई की बैलेंस शीट परप्रतिबिंबित हाेगी और देश की बेलेंस शीट का भी हिस्सा बनेगी. इसलिए डिजिटल रुपया सीबीसीडी आरबीआई द्वारा जारी करेंसी नाेटाें का डिजिटल रूप है.
यह बैंक नाेटाें से बहुत अलग नहीं है, लेकिन डिजिटल हाेने के कारण, इसमें लेन-देन करना आसान, तेज और सस्ता हाेने की संभावना है. इसमें सभी तरह के डिजिटल धन के लेन-देन संबंधी सभी लाभ भी हैं, जैसे-सुरक्षा, सुविधा और पारदर्शिता. रिजर्व बैंक ने पिछले महीने भारतीय सीबीडीसी पर अपनी परिकल्पना के विवरण का खुलासा किया, और थाेक में डिजिटल रुपये काे लेन-देन में शामिल करने वाली पहली पायलट परियाेजना एक नवंबर काे लाॅन्च की गई. केंद्रीय बैंक ने थाेक में डिजिटल रुपये की पहली पायलट परियाेजना शुरू करने के लिए नाै बैंकाें काे नियु्नत किया है. एक महीने में रिवर्ज बैंक खुदरा स्तर पर भी पायलट परियाेजना शुरू करेगा. बैंक बचत की तरह डिजिटल वाॅलेट में काेई डिजिटल बचत का पता लगा सकेगा.
डिजिटल रुपया वित्तीय परिस्थितिकी तंत्र में धन प्रवाह की व्यापक दृश्यता की अनुमति देगा. भारत में लाेगाें के पास 30 वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं लाख कराेड़ रुपये की एक बड़ी राशि है. लेकिन नीति-निर्माताओं काे जरा भी अंदाजा नहीं है कि यह किसके पास, कब से और क्यों रखी हुई है. डिजिटल सीबीडीसी हाेने से अधिक पारदर्शिता और बेहतर माैद्रिक नीति लक्ष्यीकरण भी संभव हाेगा. डिजिटल रुपये के उपयाेग में वृद्धि के साथ भाैतिक मुद्रा की छपाई, भंडारण और वितरण की लागत कम हाे जाएगी. सीबीडीसी के व्यापक उपयाेग से अर्थव्यवस्था का विनियमीकरण और वित्तीयकरण बढ़ेगा. कर संग्रह में भी सुधार हाेगा, क्योंकि कर विभाग पता लगाने में सक्षम हाेगा. काॅरपाेरेट जगत के लिए, सीबीडीसी तत्काल निपटान, ट्रैकिंग और नियंत्रण की पेशकश करेगा. इससे अर्थव्यवस्था में समग्र टकराव भी कम हाे जाएगा.
भारत में काेविड के बाद तेजी से डिजिटल भुगतान और यूपीआई के शुरू हाेने से बड़े पैमाने पर जनता काे फायदा हुआ है. जन-धन खाताें, माेबाइल डाटा पैठ और आधार के संयाेजन ने वित्तीय वित्तीय साधन कैसे काम करते हैं परिदृश्य काे काफी हद तक बदल दिया है. रेहड़ी-पटरी वाले दुकानदाराें से लेकर पांच सितारा हाेटलाें तक यूपीआई स्वीकृत है और ्नयूआर काेड़ स्कैनिंग सार्वभाैमिक हाे गई हैं. इसने बड़ी संख्या में लाेगाें काे औपचारिक वित्तीय प्रणाली में शामिल किया है और अर्थव्यवस्था की गति बढ़ाई है.हालांकि, अन्य देशाें का अनुभव ‘सीबीडीसी के साथ ्नया नहीं करना हैं’ से संबंधित कुछ सबक देता है. जब नाइजीरिया सीबीडीसी शुरू करने वाला पहला अफ्रीकी राष्ट्र बना, ताे यह उस देश के लगभग चार कराेड़ बिना बैंक खाते वाले लाेगाें काे आंशिक रूप से निशाना बना रहा था.