फिक्स्ड कैपिटल

Business: इस छोटे से बिजनेस से होगी हर महीने 1 लाख रु तक की कमाई! सरकार भी फिक्स्ड कैपिटल करेगी आपकी मदद, जानिए डिटेल्स
मोदी सरकार की मुद्रा योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसके तहत आपको किफायती ब्याज दरों पर 4 लाख रुपये का लोन मिलेगा.
Written by Dimple Yadav November 30, 2022
इस बिजनेस को शुरू करने के लिए आप मोदी सरकार की मुद्रा योजना का लाभ उठा सकते हैं. इसके तहत आपको किफायती ब्याज दरों पर 4 लाख रुपये का लोन मिलेगा. ये पापड़ बनाने का बिजनेस है. पापड़ का बिजनेस सिर्फ 2 लाख रुपये में शुरू किया जा सकता है. राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम ने इसके लिए एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की है, जिसके जरिए आपको मुद्रा योजना के तहत सस्ते दर पर 4 लाख रुपए का कर्ज मिल जाएगा.
इस रिपोर्ट के मुताबिक कुल छह लाख रुपये के निवेश से करीब 30 हजार किलोग्राम उत्पादन क्षमता तैयार की जाएगी. इस बिजनेस को शुरू करने में आपको 6.05 लाख रुपए खर्च होंगे. कुल लागत में अचल पूंजी और कार्यशील पूंजी की लागत शामिल है. फिक्स्ड कैपिटल में दो मशीन, पैकेजिंग मशीन उपकरण जैसे सभी खर्च शामिल होते हैं. वर्किंग कैपिटल में स्टाफ का तीन महीने का वेतन, तीन महीने में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल और उपयोगिता उत्पादों की लागत शामिल है. इसके अलावा किराया, बिजली, पानी, टेलीफोन बिल जैसे खर्चे भी इसमें शामिल हैं.
पापड़ बनाने का बिजनेस शुरू करे
पापड़ बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए आपको स्विफ्टर, दो मिक्सर, प्लेटफॉर्म बैलेंस, बिजली से चलने वाला ओवन, मार्बल टेबल टॉप, चकला बेलन, एल्युमीनियम के बर्तन और रैक जैसी मशीनरी की जरूरत होगी. पापड़ बनाने के बिजनेस के लिए कम से कम 250 स्क्वायर फीट जगह की जरूरत होगी. अगर आपके पास अपनी जगह नहीं है तो इसे किराए पर लिया जा सकता है. जिसके लिए आपको हर महीने कम से कम 5 हजार रुपए किराए के तौर पर देने होंगे. जनशक्ति के लिए तीन अकुशल श्रमिक, दो कुशल श्रमिक और एक पर्यवेक्षक की आवश्यकता होगी. इन सभी के वेतन पर 25 हजार रुपये खर्च होंगे, जिसे वर्किंग कैपिटल में जोड़ा गया है.
6 लाख रुपये की कुल पूंजी में से 2 लाख रुपये आपको खुद से लगाने होंगे. सरकार की मुद्रा योजना के तहत आपको 4 लाख रुपये का कर्ज मिलेगा. इसके लिए आप प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत किसी भी बैंक में आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए आपको एक फॉर्म भरना होगा, जिसमें कई सारी डिटेल्स भरनी होंगी. किसी तरह की प्रोसेसिंग फीस या गारंटी फीस देने की जरूरत नहीं है. लोन की रकम 5 साल में वापस की जा सकती है.
उत्पाद बनने के बाद उसे थोक में बेचना पड़ता है. इसके लिए छोटे किराना स्टोर व सुपर मार्केट व बड़े रिटेलर्स से संपर्क कर इसकी बिक्री बढ़ाई जा सकती है. एक अनुमान के मुताबिक पापड़ के कारोबार में मुनाफा निवेश राशि फिक्स्ड कैपिटल का पांचवां हिस्सा होता है. अगर आप 5 लाख रुपये का निवेश करते हैं, तो आप हर महीने 1 लाख रुपये कमा सकते हैं. इसमें आपका मुनाफा 35-40 हजार रुपए तक हो सकता है.
क्या हैं फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान, किसे करना चाहिए निवेश?
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (एफएमपी) डेट प्रोडक्टों में से एक हैं. इन्हें फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) का विकल्प माना जाता है. कारण है कि इनमें टैक्स की अधिक बचत होती है. हम यहां आपको एफएमपी के बारे में सब कुछ बता रहे हैं. इससे आपके लिए एफएमपी को समझना आसान होगा.
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान क्या होते हैं?
एफएमपी क्लोज्ड-एंड डेट फंड हैं. इनमें एक महीने से लेकर फिक्स्ड कैपिटल पांच साल तक की मैच्योरिटी की अवधि होती है. चूंकि तीन साल बाद डेट फंड लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का फायदा उठाते हैं. लिहाजा, तीन साल के एफएमपी अभी ज्यादा लोकप्रिय हैं. एफएमपी मुख्य रूप से डेट आधारित होते हैं. इसका मकसद फिक्स्ड मैच्योरिटी पीरियड में नियमित रिटर्न देना होता है. इस तरह ये निवेशकों को बाजार की उठापटक से बचाते हैं.
कैसे काम करते हैं एफएमपी?
एफएमपी के पोर्टफोलियो में तमाम तरह के फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट होते हैं. इनकी मैच्योरिटी की अवधि एक-दूसरे से मेल खाती है. एफएमपी की अवधि के आधार पर फंड मैनेजर इंस्ट्रूमेंट में इस तरह निवेश करते हैं कि सभी करीब एक समय पर मैच्योर हों. प्लान की अवधि के दौरान मैच्योरिटी की तारीख तक सभी यूनिटें होल्ड की जाती हैं. इस तरह निवेशकों को रिटर्न का एक मोटा अनुमान लग जाता है.
एफएमपी कहां करते हैं निवेश?
एफएमपी अमूमन सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (सीडी), कॉमर्शियल पेपर (सीपी), मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट और नॉन-कंवर्टिबल डिबेंचर इत्यादि में निवेश करते हैं. यह पैसा निवेश की निर्धारित अवधि में लगाया जाता है. कुछ बार एफएमपी बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट में भी पैसा लगाते हैं.
क्या एफएमपी को मन मुताबिक बेचा जा सकता है?
पहले ही बताया गया है कि एफएमपी क्लोज्ड-एंडेड फंड हैं. इसलिए केवल स्टॉक एक्सचेंज में इनकी ट्रेडिंग होती है. हालांकि, यूनिटों की खरीद-फरोख्त नाममात्र है. यह एफएफपी को इललिक्विड बनाता है. यानी मन मुताबित इसे कभी भी बेचा या खरीदा नहीं जा सकता है. इसकी तुलना में ओपन-एंडेड डेट फंड को रोजाना आधार पर खरीदा-बेचा जा सकता है.
निवेशकों के लिए FMP के क्या फायदे हैं?
फायदा #1: पूंजी सुरक्षित रहती है चूंकि एफएमपी डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं. इसलिए इनमें इक्विटी फंडों के मुकाबले पूंजी के नुकसान का खतरा कम होता है. प्रतिभूतियों को मैच्योरिटी तक होल्ड करने के कारण एफएमपी पर ब्याज दरों की अस्थिरता का असर नहीं होता है. फायदा #2: टैक्स का फायदा एफडी या लिक्विड और अल्ट्रा शार्ट-टर्म डेट फंडों के मुकाबले एफएमपी में टैक्स के बाद बेहतर रिटर्न मिलता है. कारण है कि ये इंडेक्सेशन बेनिफिट की पेशकश करते हैं. इंडेक्सेशन कैपिटल गेंस को कम करने में मदद करता है. इस तरह टैक्स देनदारी घटती है. फायदा #3: कम एक्सपेंस रेशियो इन इंस्ट्रूमेंट को चूंकि मैच्योरिटी तक रखा जाता है. लिहाजा, इंस्ट्रूमेंट की खरीद-बिक्री की लागत में बचत होती है. इस तरह निवेशकों के लिए एक्सपेंस रेशियो कम बैठता है. यानी इनमें निवेश की लागत कम आती है.
Web Title : what are fixed maturity plans, who should invest in them?
Hindi News from Economic Times, TIL Network
यह बैंक दे रहे हैं 5 साल की फिक्स्ड डिपोजिट पर सबसे ज्यादा रिटर्न
फिक्स्ड डिपॉजिट को आज भी लोग सबसे ज्यादा सुरक्षित निवेश मानते हैं। उन्हें यह सबसे सेफ और कभी ना डूबने वाला निवेश लगता है। वैसे कुछ सालों में एफडी पर होने वाली कमाई काफी कम हुई है, उसके बाद भी लासेगों का रुझान इस ओर है।
वरिष्ठ नागरिकों की फिस्क्ड डिपॉजिट पर होने वाली कमाई आधी हो गई। इसका कारण ब्याज दरों में लगातार कटौती होना। ( Express photo by Nirmal Harindran )
एक आदर्श और सुरक्षित निवेश के लिए, निश्चित रूप से डेट कैटेगिरी के फिक्स्ड डिपॉजिट एक अच्छा दांव है। जोखिम से बचने वाले निवेशक, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिक जिनके पास अल्पकालिक से लेकर लंबी अवधि तक के वित्तीय लक्ष्य हैं, वे अपने पोर्टफोलियो में अच्छे रिटर्न का स्वागत करने और टैक्स बेनिफिट लेने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट को एक सुरक्षित निवेश शर्त के रूप में मानने के कारण हैं, ब्याज दरें या रिटर्न बाजार के व्यवहार से प्रभावित नहीं होते हैं।
वहीं दूसरी ओर किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र या छोटे वित्त बैंक के पास आपकी जमा राशि का डीआईसीजीसी द्वारा 5 लाख रुपए तक का बीमा किया जाता है। . इसलिए, जमा बीमा कवर और गारंटीड रिटर्न को ध्यान में रखते हुए, आज हम आपको टॉप 10 सरकारी, प्राइवेट और स्मॉल फाइनेंस बैंक के बारे में बताने जा रहे हैं जो 2021 में 5 साल के फिक्स्ड डिपॉजिट पर सबसे ज्यादा रिटर्न दे रहे हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट पर हाई इंट्रस्ट रेट्स वाले टॉप 10 प्राइवेट बैंक
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बैंकों के नाम | सामान्य एफडी ब्याज दर | वरिष्ट नागरिक एफडी ब्याज दर |
आरबीएल बैंक | 6.50% | 7.00% |
डीसीबी बैंक | 6.50% | 7.00% |
यस बैंक | 6.25% | 7.00% |
इंडसइंड बैंक | 6.00% | 6.50% |
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक | 5.75% | 6.25% |
एक्सिस बैंक | 5.40% | 5.90% |
आईसीआईसीआई | 5.35% | 5.85% |
एचडीएफसी बैंक | 5.30% | 5.80% |
बंधन बैंक | 5.25% | 6.00% |
कोटक महिंद्रा बैंक | 5.25% | 5.75% |
फिक्स्ड डिपॉजिट पर हाई इंट्रस्ट रेट्स वाले टॉप 10 सरकारी बैंक
बैंकों के नाम | सामान्य एफडी ब्याज दर | वरिष्ट नागरिक एफडी ब्याज दर |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | 5.50% | 6.00% |
केनरा बैंक | 5.50% | 6.00% |
पंजाब एंड सिंध बैंक | 5.30% | 5.80% |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 5.25% | 6.25% |
इंडियन बैंक | 5.25% | 5.75% |
आईडीबीआई बैंक | 5.25% | 5.75% |
पंजाब नेशनल बैंक | 5.25% | 5.75% |
इंडियन ओवरसीज बैंक | 5.20% | 5.70% |
बैंक ऑफ इंडिया | 5.15% | 5.65% |
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया | 5.00% | 5.50% |
फिक्स्ड डिपॉजिट पर फिक्स्ड कैपिटल हाई इंट्रस्ट रेट्स वाले टॉप 10 एनबीएफसी
उत्तर प्रदेश सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर देगी सब्सिडी
उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग एंड मोबिलिटी पॉलिसी 2022 को मंजूरी दी है। इस पॉलिसी के तहत राज्य में खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहनों के फैक्ट्री मूल्य पर 15 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश (यूपी) सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग एंड मोबिलिटी पॉलिसी 2022 को मंजूरी दी। इस पॉलिसी के तहत राज्य में 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य भी रखा है। इससे 10 लाख लोगों को रोजगार मिल सकेगा। राज्य सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर भारी सब्सिडी देगी। इस नई ईवी पॉलिसी में हर तरह फिक्स्ड कैपिटल से प्रोत्साहन व्यवस्था का प्रावधान, इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी, ईवी मैन्युफैक्चरिंग, चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग सेवाओं के लिए कई प्रावधान रखे गए हैं।
इलेक्ट्रिक व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग एंड मोबिलिटी पॉलिसी 2022 का उद्देश्य न केवल राज्य में पर्यावरण के अनुकूल परिवहन प्रणाली विकसित करना है बल्कि ईवी, बैटरी एवं संबंधित उपकरणों के मैन्युफैक्चरिंग के लिए यूपी को एक वैश्विक केंद्र भी बनाना है। अगले तीन वर्षों के दौरान ईवी की सभी श्रेणियों की खरीद पर 100 प्रतिशत रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क में छूट मिलेगी। यदि ईवी की मैन्युफैक्चरिंग राज्य में होती है,तो समान छूट चौथे व पांचवे वर्ष में भी जारी रहेगी।
इस पॉलिसी के अनुसार राज्य में खरीदे गए इलेक्ट्रिक वाहनों के फैक्ट्री मूल्य पर 15 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी। इसमें पहले दो लाख टू व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहनों पर पांच हजार रुपये प्रति वाहन, पहले 50,000 थ्री व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहनों पर अधिकतम 12,000 रुपये तक, पहले 25,000 फॉर वीलर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए प्रति वाहन पर एक लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। राज्य में खरीदी गई पहली 400 बसों पर प्रति ई-बस 20 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाएगी। साथ ही अधिकतम एक हजार ई गुड्स कैरियर्स को प्रति वाहन एक लाख तक ई-गुड्स कैरियर्स की खरीद के लिए फैक्ट्री मूल्य पर 10 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी।
चार्जिंग एवं बैटरी स्वैपिंग सुविधाओं को विकसित करने वाले सेवाप्रदाताओं को अधिकतम 2,000 ऐसे चार्जिंग स्टेशनों की सीमा के अधीन प्रति परियोजना अधिकतम 10 लाख रुपये तक तथा अधिकतम 1,000 ऐसे स्वैपिंग स्टेशनों की सीमा के अधीन अधिकतम पांच लाख रुपये प्रति स्टेशन तक पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करने का प्रावधान किया गया है। यूपी में 4000 करोड़ रुपये से स्टार्टअप फंड बनाने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई है। इसमें राज्य सरकार का योगदान 400 करोड़ रुपये होगा जबकि 3600 करोड़ रुपये बाजार से लिए जाएंगे। वर्तमान में यूपी में कुल 6654 स्टार्टअप काम कर रहे हैं।
इन राज्यों में ऐसी है पॉलिसी
राजस्थान :- राजस्थान सरकार ने इसी वर्ष ईवी पॉलिसी को मंजूरी दी थी। राज्यस सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद को प्रोत्साहित करने के लिए राजस्थान बिजली चालित वाहन नीति (आईपीवी) लेकर आई है। सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद बढ़ाने के लिए 40 करोड़ रूपए की राशि को मंजूरी दी थी। इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर 30 से 50 हजार रुपये की छूट मिलेगी। इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर खरीदददार को मोटर वाहन टैक्स नहीं देना होगा। यह नीति सितंबर 2022 से पांच साल की अवधि के लिए लागू है।
हरियाणा :- हरियाणा सरकार की नई ईवी पॉलिसी के तहत निर्माताओं को 20 साल की अवधि के लिए बिजली शुल्क में छूट और स्टाम्प ड्यूटी पर 100 प्रतिशत रिएम्बर्समेंट दी जाएगी। वहीं, एसजीएसटी के लिए 10 वर्षों की अवधि में लागू नेट एसजीएसटी का 50 प्रतिशत रिएम्बर्समेंट होगा। इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहन और इसके कंपोनेंट्स, ईवी बैटरी, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी चीजें बनाने वाली कंपनियों को कैपिटल सब्सिडी फिक्स्ड कैपिटल के साथ इंसेंटिव दी जाएगी।
इन सेगमेंट के अलावा निर्माताओं को फिक्स्ड कैपिटल इनवेस्टमेंट (एफसीआई) के लिए भी कई तरह के लाभ मिल रहे हैं। मेगा इंडस्ट्री को एफसीआई के 20 प्रतिशत या 20 करोड़ रुपये जो भी कम होगा, इसके आधार पर कैपिटल सब्सिडी मिलेगी। वहीं, लार्ज इंडस्ट्री में एफसीआई का 10 प्रतिशत कैपिटल सब्सिडी के रूप में मिलेगा। हालांकि, यह अधिकतम 10 करोड़ रुपये तक ही दी जाएगी। मध्यम उद्योग को एफसीआई की 20 प्रतिशत लाभ दी जाएगी, जो अधिकतम 50 लाख रुपये तक होगी।
इस नीति की खास बात है कि इसमें निर्माताओं को रोजगार सृजन करने पर भी सब्सिडी दी जा रही है। इस पॉलिसी के तहत हरियाणा के अधिवासी जनशक्ति के साथ जुड़ने पर ईवी कंपनियों को 10 सालों के लिए प्रति कर्मचारी प्रति वर्ष 48,000 रुपये की रोजगार सृजन सब्सिडी का भी प्रावधान है। इसके अलावा, हरियाणा राज्य परिवहन उपक्रमों के तहत बसों पर भी सब्सिडी है।