अब कमा रहे लाखों रुपए

देश में बेरोजगारी तेजी से बढ़ती जा रही है. बड़े-बड़े डिग्रीधारी भी बेरोजगार बैठे हैं. कई लोगों को मन के मुताबिक़ नौकरी नहीं मिल रही. किसी को मिल रही है तो मन मुताबिक़ वेतन नहीं मिल रहा. ऐसे में भी एक ऐसे इंजीनियर हैं, जिन्होंने शहर में अपनी नौकरी केवल इसीलिए छोड़ दी क्योंकि उन्हें बचपन से पशुओं से काफी लगाव था. वे पशुपालन करना चाहते थे. पहले तो उनके फैसले का सभी ने मजाक बनाया था. लेकिन आज उन्होंने खुद को साबित कर दिया है कि किसी भी काम को सही सोच और रणनीति बनाकर किया जाए तो उससे सफलता हासिल की जा सकती है.
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महीने की दस लाख कमाई
दक्षिण कन्नड़ के मुंदरू गांव में रहते हैं जय गुरु आचार हिंदर . जो अब 27 साल की उम्र में ही एक सफल कारोबारी है और गाँव में अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं. महीने अब कमा रहे लाखों रुपए के लगभग दस लाख कमा रहे हैं. यह पढ़कर आपको भी थोड़ी हैरानी होनी, लेकिन आज हम आपको हिंदर के काम के बारे में बताने वाले हैं, जिससे आप भी महीने के लाखों रूपए कमा सकते हैं.
Stubble Management: आग की भेंट चढ़ने वाली पराली से अब लाखों रुपये कमा रहे हैं किसान, इन उपायों से मिले शानदार परिणाम
Crop Waste Management: अब किसानों को फसल अवशेष को निपटाने का एक इको फ्रैंडली विकल्प मिल चुका है. इससे प्रदूषण को रोकथाम और किसानों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है. ये विकल्प है कृषि मशीनीकरण का.
By: ABP Live | Updated at : 07 Oct 2022 01:43 PM (IST)
फसल अपशेष प्रबंधन (फाइल तस्वीर)
Crop Residue Management: भारत में अक्टूबर आते-आते पराली (Stubble) एक बड़ी समस्या बन जाती है. फसल के इस कचरे का सही निपटारा ना कर पाने के कारण कई किसान इसे आग की भेंट चढ़ा देते हैं. गैर कानूनी काम होने के बावजूद पराली जलती (Stubble Burning) है और पर्यावरण के साथ-साथ पशु-पक्षी और लोगों को भी स्वास्थ्य से जुड़ी समस्यायें हो जाती है. इससे मिट्टी की भी उर्वरता पर भी बुरा असर पड़ता है.
हरियाणा सरकार (Haryana Government) इस समस्या की रोकथाम के लिये किसानों को प्रति एकड़ 1,000 रुपये का अनुदान भी दे रही है. इतने प्रयासों के बावजूद पराली जलाने के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे. दूसरी तरफ राज्य के कैथल जिले में कई किसान ऐसे भी है, जो फसल अवशेष प्रबंधन (Crop Waste Management) करके 10 से 20 लाख रुपये तक की आमदनी ले रहे हैं.
मशीनों से मिली खास मदद
अब किसानों को फसल अवशेष को निपटाने का एक इको फ्रैंडली विकल्प (Eco Friendly Solution for Stubble) मिल चुका है. इससे प्रदूषण को रोकथाम और किसानों की आमदनी में भी इजाफा हुआ है. ये विकल्प है कृषि मशीनीकरण का. जी हां, अब हरियाणा के कैथल जिले के कई किसान स्ट्रॉ बेलर मशीन के साथ चॉपर मशीन के साथ-साथ स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम के जरिये लाखों की आमदनी ले रहे हैं. जानकारी के लिये बता दें कि जहां बेलर मशीन से खेत में पड़ी पराली के बंडल बनाये जाते हैं. वहीं चॉपर मशीन पराली को जड़ से काटकर पूरे खेत में फैला देती है.
फसल अवशेष प्रबंधन से आमदनी
कैथल जिले के किसान और ग्रामीण अब फसल अवशेष प्रबंधन के जरिये रोजगार का अवसर पैदा कर रहे हैं. यहां पराली के प्रबंधन में स्ट्रॉ बेलर मशीन और सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे एक ही सीजन में 10 लाख रुपये तक की आमदनी हो जाती है.
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इन दोनों ही उपरकरणों को सब्सिडी पर खरीदकर किसान और ग्रामीण इन्हें दूसरे किसानों को किराये पर उपलब्ध करवाते हैं. जाहिर है कि धान की खेती बड़े-बड़े खेतों में की जाती है. जहां बिना मशीनों के पराली प्रबंधन करना नामुमकिन है. ऐसी स्थिति में ये उपकरण ट्रैक्टर अब कमा रहे लाखों रुपए के साथ जोड़ दिये जाते हैं और किसान चंद समय में खेतों में फसल अवशेषों का प्रबंधन कर लेते हैं.
क्या है स्ट्रॉ बेलर और स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम
स्ट्रॉ बेलर (Straw Baler Machine) को ट्रैक्टर के पीछे लगाकर इस्तेमाल किया जाता है. ये कंबाइन से धान और गन्ने की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल अवशेषों को इकट्ठा करके उनकी गांठ बना देता है. इसके बाद इन गांठ-गठ्ठरों को इकट्ठा करके फैक्ट्रियों में बेच दिया जाता है. ये किसान के ऊपर निर्भर करता है कि वो फसल अवशेष प्रबंधन के बाद उसे बेचता है या किसी और काम में लेता है.
सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (Super Straw management System) भी एक तरह का उपकरण है, जिसे कंबाइन (Combine Harvester Machine)के साथ जोड़कर फसल की कटाई के साथ-साथ इस्तेमाल किया जाता है. ये उपकरण फसल की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेषों को हाथोंहाथ छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देता है और खेतों में मिला देता है. बाद में यही टुकड़े मिट्टी और फसल के साथ प्राकृतिक अब कमा रहे लाखों रुपए पोषण का काम करते हैं. इस तरह पराली जलाने की जरूरत ही नहीं पड़ती.
किसानों को भी फायदा
बता दें कि धान की फसल कटाई (Paddy Crop Harvesting) के बाद प्रति एकड़ से करीब 20 क्विंटल पर फसल अवशेष (Crop Waste Management) निकलते हैं. इन अवशेषों को फैक्ट्रियों में 135 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बचा जाता है.
इस तरह करीब एक एकड़ से करीब 2700 अब कमा रहे लाखों रुपए रुपये और राज्य सरकार की सब्सिडी (Subsidy on Stubble Management) मिलाकर प्रति एकड़ से करीब 1000 रुपये तक कमाई हो जाती है. इससे पर्यावरण को फायदा है ही, किसान और प्रशासन की चिंतायें भी दूर हो जाती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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Published at : 07 Oct 2022 01:43 PM (IST) Tags: Crop Residue Management Crop Waste Management Stubble Management हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Agriculture News in Hindi
Business Idea: डेयरी फार्म खोलकर कमाएं लाखों का मुनाफा, ये है सबसे शानदार तरीका
Dairy Business: डेयरी खोलने के लिए सबसे जरूरी है कि अच्छी नस्ल की गाय, भैंस का चयन करना. आपको सभी अच्छी नस्ल के जानवरों की जानकारी पहले से होनी चाहिए इसके अब कमा रहे लाखों रुपए अलावा पशुओं को रखने की ऐसी जगह का चुनाव करें जहां पर खुली हवा आती हो. आइए जानते हैं डेयरी फार्म कैसे शुरू करें.
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 08 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 08 अक्टूबर 2022, 8:41 AM IST)
Dairy Farming Business: डेयरी फार्म का व्यवसाय ग्रामीणों के लिए आय का एक बढ़िया स्रोत साबित हो रहा है. अगर आप गांव में रहकर बढ़िया आमदनी पाना चाहते हैं, तो डेयरी फार्म के व्यवसाय हाथ आजमा सकते हैं. इस बिजनेस में कम लागत में अच्छा मुनाफा है. इसके लिए आपको केवल आपको उन पशुओं की आवश्यकता अब कमा रहे लाखों रुपए है जो दूध देते हैं. साथ ही सरकार भी डेयरी खोलने के लिए आर्थिक मदद करते हैं.
ये है जरूरी
डेयरी खोलने के लिए सबसे जरूरी है कि अच्छी नस्ल की गाय, भैंस का चयन करना. आपको सभी अच्छी नस्ल के जानवरों की जानकारी पहले से होनी चाहिए इसके अलावा पशुओं को रखने की ऐसी जगह का चुनाव करें जहां पर खुली हवा आती हो.
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बनते हैं कई उत्पाद
डेयरी उद्योग की सबसे खास बात है कि किसान गाय के गोबर से लेकर दूध तक बेचकर लाखों रुपये महीने कमा रहे हैं. इसके अलावा आर्गेनिक खाद बनाने में भी इसके गोबर का इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं, इसके दूध से भी कई तरह के उत्पाद बनाए जाते हैं.
इतना है मुनाफा
अपने बजट के अनुसार आप इस व्यापार की शुरुआत कर सकते हैं. अगर पशुपालक एक पशु से रोजाना 10 लीटर दूध भी प्राप्त करता है. वहीं, अगर आपके पास 20 गाय-भैंस हैं,तो आपको 200 लीटर दूध मिलता है. अगर आप इसे बाजार में प्रति लीटर 50 रुपये में बेचते हैं तो आप प्रतिदिन 10 हजार रुपये कमा सकते हैं. इस हिसाब से आप महीने में आराम से तीन लाख रुपये हासिल कर सकते हैं. अगर आप पशुओं के देखभाल के लिए 1 लाख रुपये तक खर्च कर देते हैं तो भी आप दो लाख रुपये के फायदे में रहेंगे.
डेयरी फार्म खोलने पर मिलती है इतनी सब्सिडी
इस योजना के तहत नाबार्ड डेयरी फार्म खोलने को इच्छुक किसानों को 25 प्रतिशत तक की सब्सिडी देता है. वहीं, एसटी / एससी किसानों को इसी काम के लिए 33.33 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है. नाबार्ड की इस योजना के किसान, व्यक्तिगत उद्यमी, गैर सरकारी संगठन, कंपनियां आवेदन कर सकती हैं.
26 साल के इंजीनियर ने नौकरी छोड़कर पाली गायें, अब कमा रहे हैं महीने के 10 लाख रुपए
जय गुरु आचार हिंदर अब 27 साल की उम्र में ही एक सफल कारोबारी है और गाँव में अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं.
रंजीता पठारे, बेंगलुरु
देश में बेरोजगारी तेजी से बढ़ती जा रही है. बड़े-बड़े डिग्रीधारी भी बेरोजगार बैठे हैं. कई लोगों को मन के मुताबिक़ नौकरी नहीं मिल रही. किसी को मिल रही है तो मन मुताबिक़ वेतन नहीं मिल रहा. ऐसे में भी एक ऐसे इंजीनियर हैं, जिन्होंने शहर में अपनी नौकरी केवल इसीलिए छोड़ दी क्योंकि उन्हें बचपन से पशुओं से काफी लगाव था. वे पशुपालन करना चाहते थे. पहले अब कमा रहे लाखों रुपए तो उनके फैसले का सभी ने मजाक बनाया था. लेकिन आज उन्होंने खुद को साबित कर दिया है कि किसी भी काम को सही सोच और रणनीति बनाकर किया जाए तो उससे सफलता हासिल की जा सकती है.
NCDEX में धनिया, मक्का और अरंडी के स्पॉट भाव में तेजी, कपास-बाजरा-चना गिरे, जानिए बाजार का हाल
महीने की दस लाख कमाई
दक्षिण कन्नड़ के मुंदरू गांव में रहते हैं जय गुरु आचार हिंदर . जो अब 27 साल की उम्र में ही एक सफल कारोबारी है और गाँव में अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं. महीने के लगभग दस लाख कमा रहे हैं. यह पढ़कर आपको भी थोड़ी हैरानी होनी, लेकिन आज हम आपको हिंदर के काम के बारे में बताने वाले हैं, जिससे आप भी महीने के लाखों रूपए कमा सकते हैं.
शहर की नौकरी छोड़ गाँव गए
जयगुरु आचार हिंदर ने अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. शहर में रहकर उन्होंने एक साल तक नौकरी भी. लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लगता था. उन्हें गांव जाने का मन करता. हिंदर का कहना है कि वे बचपन से पशुओं के बीच रहे हैं तो उन्हें वहां रहना अच्छा लगता था. इसीलिए साल 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और गाँव चले गए. शुरुआत में कुछ लोगों ने उनके इस फैसले को गलत बताया.
नए-नए एक्सपेरिमेंट से बढ़ा बिजनेस
हिंदर जब अपने गाँव लौटे तो वे पहले अपने पिता के साथ पशुपालन और खेती किया करते थे. लेकिन वे कुछ नया करना चाहते थे. इसीलिए धीरे-धीरे उन्होंने पशु पालन के काम को ही बढ़ाया और दस एकड़ जमीन खरीदकर 130 पशुओं का पालन शुरू किया. अब उन्हें खेती के साथ ही दूध, दही और घी से भी अच्छी आय होने लगी.
कुछ नया करने का इरादा
जयगुरु आचार हिंदर कहते हैं कि बचपन से ही उनके मन में कई सवाल आते रहे हैं कि खेती और पशुपालन को कैसे और आगे बढ़ाया जाए. बड़े होने पर सवाल के जवाब भी उन्होंने खोजे. वे अपने काम से जुड़ी अक्सर रिसर्च किया करते हैं. यू ट्यूब पर भी वे ऐसे कई वीडियो देखते हैं, जिससे उन्हें फायदा हो सके. ऐसे ही एक वीडियो को देखने के बाद वे पटियाला गए जहाँ उन्हें गाय के गोबर को सुखाने वाली मशीन मिली. वह उस मशीन को ले आये और हर महीने 1000 बैग गाय के गोबर बेचने लगे. इससे उनका मुनाफ़ा और बढ़ गया.
गोमूत्र-गाय को नहलाने वाले पानी से भी फायदा
देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गाय के गोबर और गोमूत्र की मांग तेजी से बढ़ रही है. लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि गाय को नहलाने से निकले पानी से भी पैसे कमाए जा सकते हैं ? जय गुरु आचार हिंदर ऐसा ही करते हैं. वे गोमूत्र और गोबर के अलावा, गाय को नहलाने वाले पानी को एकत्रित करके उसे भी बेचते हैं.
रोज सात हजार लीटर के इस मिश्रण से भारी कमाई
हिंदर जैविक खाद बनाने के लिए गोमूत्र, गोबर, और गायों को नहलाने पर निकलने वाले बेकार पानी को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करते हैं. फिर उसे बेचते हैं. वे हर रोज लगभग 7000 लीटर घोल को बेचते हैं. इसके लिए उन्हें 11 रुपए से 18 रुपए प्रति लीटर कमाई होती है. ये घोल जैविक खाद बनाने वाली कंपनियां और कई किसान खरीदते हैं.
अलग-अलग जरिये से कमाते हैं लाखों
जय गुरु आचार हिंदर केवल एक काम से नहीं कमाते. वे पशुओं को पालते हैं. उनसे मिलने वाले दूध, दही, घी से अच्छी खासी कमाई करते हैं. उनके अब कमा रहे लाखों रुपए दुग्ध फ़ार्म से रोज 750 लीटर दूध निकलता है. वहीँ हर महीने में 30 से 40 लीटर घी भी बेचते हैं. इसके अलावा कृषि से भी उन्हें आय मिलती है. कुल मिलाकर जय गुरु आचार हिंदर गाँव में रहते हुए कृषि और पशुपालन के जरिये महीने के दस लाख रुपए कमाते हैं. उनके काम को सीखने के लिए कई लोग उनके पास जाते हैं. सरकार भी अब कमा रहे लाखों रुपए उनके काम को प्रोत्साहित कर चुकी है.
सोशल मीडिया का करें सही उपयोग
हिंदर लोगों से कहते हैं कि यह सोशल मीडिया का जमाना है. सभी के पास मोबाइल तो रहते ही है. खासकर युवाओं के पास. हमें सोशल मीडिया का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए. इस पर ज्ञान का खजाना मिलता है. इसलिए लोगों को नई चीजें सीखनी चाहिए.
कैसे करें पशु पालन का व्यवसाय?
पशु पालन के व्यवसाय में मुनाफ़ा काफी है. यदि आप भी यह काम करना चाहते हैं तो इसके लिए गाँव में आपके पास पशुओं को रखने के लिए जगह होनी चाहिए. लागत की बात करें तो पशुओं को खरीदने की लागत और उनके रहने और चारे की लागत लगेगी. गाँव में चारा आसानी से मिल जाता है. लेकिन पशुओं से अच्छा दूध मिले इसलिए उन्हें अन्य चीजें भी खिलाई जाती है. शुरुआत में आप केवल दूध, दही, घी बेचकर काम की शुरुआत कर सकते हैं. इसके बाद जैविक खाद को खरीदने वालों से सम्पर्क करके उनका निर्माण किया जा सकता है. ताकि यहाँ आप व्यर्थ पानी से भी कमाई कर सके.
26 साल के इंजीनियर ने नौकरी छोड़कर पाली गायें, अब कमा रहे हैं महीने के 10 लाख रुपए
जय गुरु आचार हिंदर अब 27 साल की उम्र में ही एक सफल कारोबारी है और गाँव में अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं.
रंजीता पठारे, बेंगलुरु
देश में बेरोजगारी तेजी से बढ़ती जा रही है. बड़े-बड़े डिग्रीधारी भी बेरोजगार बैठे हैं. कई लोगों को मन के मुताबिक़ नौकरी नहीं मिल रही. किसी को मिल रही है तो मन मुताबिक़ वेतन नहीं मिल रहा. ऐसे में भी एक ऐसे इंजीनियर हैं, जिन्होंने शहर में अपनी नौकरी केवल इसीलिए छोड़ दी क्योंकि उन्हें बचपन से पशुओं से काफी लगाव था. वे पशुपालन करना चाहते थे. पहले तो उनके फैसले का सभी ने मजाक बनाया था. लेकिन आज उन्होंने खुद को साबित कर दिया है कि किसी भी काम को सही सोच और रणनीति बनाकर किया जाए तो उससे सफलता हासिल की जा सकती है.
NCDEX में धनिया, मक्का और अरंडी के स्पॉट भाव में तेजी, कपास-बाजरा-चना गिरे, जानिए बाजार का हाल
महीने की दस लाख कमाई
दक्षिण कन्नड़ के मुंदरू गांव में रहते हैं जय गुरु आचार हिंदर . जो अब 27 साल की उम्र में ही एक सफल कारोबारी है और गाँव में अपने बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं. महीने के लगभग दस लाख कमा रहे हैं. यह पढ़कर आपको भी थोड़ी हैरानी होनी, लेकिन आज हम आपको हिंदर के काम के बारे में बताने वाले हैं, जिससे आप भी महीने के लाखों रूपए कमा सकते हैं.
शहर की नौकरी छोड़ गाँव गए
जयगुरु आचार हिंदर ने अच्छे कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. शहर में रहकर उन्होंने एक साल तक नौकरी भी. लेकिन उनका मन नौकरी में नहीं लगता था. उन्हें गांव जाने का मन करता. हिंदर का कहना है कि वे बचपन से पशुओं के बीच रहे हैं तो उन्हें वहां रहना अच्छा लगता था. इसीलिए साल 2019 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और गाँव चले गए. शुरुआत में कुछ लोगों ने उनके इस फैसले को गलत बताया.
नए-नए एक्सपेरिमेंट से बढ़ा बिजनेस
हिंदर जब अपने गाँव लौटे तो वे पहले अपने पिता के साथ पशुपालन और खेती किया करते थे. लेकिन वे कुछ नया करना चाहते थे. इसीलिए धीरे-धीरे उन्होंने पशु पालन के काम को ही बढ़ाया और दस एकड़ जमीन खरीदकर 130 पशुओं का पालन शुरू किया. अब उन्हें खेती के साथ ही दूध, दही और घी से भी अच्छी आय होने लगी.
कुछ नया करने का इरादा
जयगुरु आचार हिंदर कहते हैं कि बचपन से ही उनके मन में कई सवाल आते रहे हैं कि खेती और पशुपालन को कैसे और आगे बढ़ाया जाए. बड़े होने पर सवाल के जवाब भी उन्होंने खोजे. वे अपने काम से जुड़ी अक्सर रिसर्च किया करते हैं. यू ट्यूब पर भी वे ऐसे कई वीडियो देखते हैं, जिससे उन्हें फायदा हो सके. ऐसे ही एक वीडियो को देखने के बाद वे पटियाला गए जहाँ उन्हें गाय के गोबर को सुखाने वाली मशीन मिली. वह उस मशीन को ले आये और हर महीने 1000 बैग गाय के गोबर बेचने लगे. इससे उनका मुनाफ़ा और बढ़ गया.
गोमूत्र-गाय को नहलाने वाले पानी से भी फायदा
देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गाय के गोबर और गोमूत्र की मांग तेजी से बढ़ रही है. लेकिन क्या आपने कभी यह सुना है कि गाय को नहलाने से निकले पानी से भी पैसे कमाए जा सकते हैं ? जय गुरु आचार हिंदर ऐसा ही करते हैं. वे गोमूत्र और गोबर के अलावा, गाय को नहलाने वाले पानी को एकत्रित करके उसे भी बेचते हैं.
रोज सात हजार लीटर के इस मिश्रण से भारी कमाई
हिंदर जैविक खाद बनाने के लिए गोमूत्र, गोबर, और गायों को नहलाने पर निकलने वाले बेकार पानी को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करते हैं. फिर उसे बेचते हैं. वे हर रोज लगभग 7000 लीटर घोल को बेचते हैं. इसके लिए उन्हें 11 रुपए से 18 रुपए प्रति लीटर कमाई होती है. ये घोल जैविक खाद बनाने वाली कंपनियां और कई किसान खरीदते हैं.
अलग-अलग जरिये से कमाते हैं लाखों
जय गुरु आचार हिंदर केवल एक काम से नहीं कमाते. वे पशुओं को पालते हैं. उनसे मिलने वाले दूध, दही, घी से अच्छी खासी कमाई करते हैं. उनके दुग्ध फ़ार्म से रोज 750 लीटर दूध निकलता है. वहीँ हर महीने में 30 से 40 लीटर घी भी बेचते हैं. इसके अलावा कृषि से भी उन्हें आय मिलती है. कुल मिलाकर जय गुरु आचार हिंदर गाँव में रहते हुए कृषि और अब कमा रहे लाखों रुपए पशुपालन के जरिये महीने के दस लाख रुपए कमाते हैं. उनके काम को सीखने के लिए कई लोग उनके पास जाते हैं. सरकार भी उनके काम को प्रोत्साहित कर चुकी है.
सोशल मीडिया का करें सही उपयोग
हिंदर लोगों से कहते हैं कि यह सोशल मीडिया का जमाना है. सभी के पास मोबाइल तो रहते ही है. खासकर युवाओं के पास. हमें सोशल मीडिया का सही दिशा में उपयोग करना चाहिए. इस पर ज्ञान का खजाना मिलता है. इसलिए लोगों को नई चीजें सीखनी चाहिए.
कैसे करें पशु पालन का व्यवसाय?
पशु पालन के व्यवसाय में मुनाफ़ा काफी है. यदि आप भी यह काम करना चाहते हैं तो इसके लिए गाँव में आपके पास पशुओं को रखने के लिए जगह होनी चाहिए. लागत की बात करें तो पशुओं को खरीदने की लागत और उनके रहने और चारे की लागत लगेगी. गाँव में चारा आसानी से मिल जाता है. लेकिन पशुओं से अच्छा दूध मिले इसलिए उन्हें अन्य चीजें भी खिलाई जाती है. शुरुआत में आप केवल दूध, दही, घी बेचकर काम की शुरुआत कर सकते हैं. इसके बाद जैविक खाद को खरीदने वालों से सम्पर्क करके उनका निर्माण किया जा सकता है. ताकि यहाँ आप व्यर्थ पानी से भी कमाई कर सके.