विदेशी मुद्रा क्यों?

Photo:FILE Representational Image
अगर नहीं थामा गया घटता विदेशी मुद्रा भंडार, तो श्रीलंका जैसी हो सकती है भारत की स्थिति, AIBEA ने जताई चिंता
Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Updated on: September 29, 2022 18:39 IST
Photo:FILE Representational Image
AIBEA: भारत के घटते विदेशी मुद्रा भंडार पर चिंता जताते हुए अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि अगर इस समस्या की अनदेखी की विदेशी मुद्रा क्यों? विदेशी मुद्रा क्यों? जाती रही, तो आगे चलकर देश को पड़ोसी श्रीलंका जैसे भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। एआईबीईए के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने इंदौर में संगठन की केंद्रीय समिति की बैठक के बाद कहा, ‘‘सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के कारण देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम होता जा रहा है। हमारा आयात लगातार बढ़ रहा है, जबकि निर्यात घटता जा रहा है।’’
India's Forex Reserves: रुपया कमजोर होने से विदेशी मुद्रा भंडार 2 साल के निचले स्तर पर, क्या होगा गिरावट का असर?
Reserve Bank of India: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है और यह घटकर दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. विदेशी मुद्रा भंडार 21 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 3.847 अरब डॉलर घटकर 524.52 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली. इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 4.50 अरब डॉलर घटकर 528.37 अरब डॉलर रह गया था. पिछले कई महीनों से विदेशीमुद्रा भंडार में कमी होती देखी जा रही है.
अक्टूबर 2021 में सबसे ऊंचे स्तर पर था
एक साल पहले अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. देश के मुद्राभंडार में गिरावट का मुख्य कारण यह है कि रुपये की गिरावट को थामने के लिए केंद्रीय बैंक विदेशी मुद्रा भंडार से मदद ले रहा है. अक्टूबर 2021 से अब तक रुपये में गिरावट की वजह से आरबीआई घरेलू करेंसी के मूल्य को गिरावट से बचाने के लिए 100 अरब डॉलर से ज्यादा लगा चुका है.
‘रुपये को बचाने की कीमत’- हर हफ्ते $3.6 बिलियन गंवाए, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक दशक में सबसे बड़ी गिरावट दिखी
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली: फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साप्ताहिक स्टेटिस्टिकल सप्लीमेंट के मुताबिक, 9 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 550.8 अरब डॉलर था. ये 2020 के बाद सबसे कम है, जब यह आंकड़ा 580 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.
जनवरी के पहले सप्ताह में भारत के पास 633 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसका मतलब है कि इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 82 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है जो कि पिछले एक दशक में सबसे अधिक है.
एक दशक में सबसे ज्यादा कमी
पिछले 10 सालों की तुलना में यह कमी भारत में अब तक की सबसे तेज गिरावट है. कैलेंडर वर्ष 2011 (0.6 अरब डॉलर), 2012 (1.7 अरब डॉलर), 2013 (1.8 अरब डॉलर) और 2018 (13.28 अरब डॉलर) भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के घटने के गवाह हैं—लेकिन यह गिरावट उनके आकार की तुलना में मामूली थी.
बाकी सालों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई है और इसमें से वर्ष 2020—जब सारी दुनिया कोविड-19 महामारी से प्रभावित रही—सबसे अधिक लाभकारी रहा. उस विदेशी मुद्रा क्यों? साल भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति में करीब 119 अरब डॉलर (2019 के अंत में 461 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 के अंत तक 580 बिलियन डॉलर) की वृद्धि दर्ज की गई. 2021 के अंत तक, आंकड़ा 52 अरब डॉलर बढ़कर 633 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पिछले साल 3 सितंबर को भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को 642.45 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर देखा था.
ऐसा क्यों हुआ?
विदेशी मुद्रा में कमी का मतलब है कि आरबीआई रुपये के गिरते मूल्य पर काबू पाने के लिए डॉलर बेच रहा है, जो जुलाई विदेशी मुद्रा क्यों? में 80 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था.
ऐसा होने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. इस साल, यूएस फेड ने अब तक चार मौकों पर कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ाई है—यह अगस्त में 2.25-2.5 प्रतिशत रही, जो मार्च में 0.25-0.5 प्रतिशत थी.
ऋण दर में बढ़ोतरी करके यूएस फेड दरअसल मुद्रा के तौर पर डॉलर का उपयोग करने वाले लोगों की क्रय शक्ति सीमित करना चाहता है. और जैसा इकोनॉमिक टाइम्स का एक विश्लेषण बताता है, इसका नतीजा यह हुआ कि भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले एक साल में 39 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की.
भारत के बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार से अमेरिका चिंतित, रखेगा नजर
यूएस ट्रेजरी के इस फैसले का भारत पर सिर्फ इतना असर पड़ेगा कि दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार से संबधित होने वाली बातचीत में अमेरिका इस मसले पर चर्चा कर सकता है. यूएस ट्रेजरी ने भारत के विदेशी मुद्रा भंडार पर जारी रिपोर्ट में कहा है कि वह भारत के फॉरेन एक्सचेंज और अर्थव्यवस्था से जुड़ी नीतियों पर करीबी नजर बनाए रखेगा.
2017 के पहले छह महीने में भारत के विदेशी मुद्रा खरीदने की रफ्तार में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. यह जून तिमाही में बढ़कर करीब 42 अरब डॉलर पर पहुंच गया. यह देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का करीब 1.8 फीसदी है. यूएस ट्रेजरी की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के साथ व्यापार में भारत का पलड़ा भारी है.
यह भी पढ़ें | देश के कई शहरों में पहुँच रहा महाकाल का प्रसाद
RBI ने जारी किए आंकड़े
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सप्ताह के दौरान एफसीए 1.048 अरब डॉलर घटकर 574.664 अरब डॉलर रह गया. डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशीमुद्रा आस्तियों में विदेशीमुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट बढ़ को भी समाहित किया जाता है.
गोल्ड रिजर्व में भी आई गिरावट
इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 1.566 अरब डॉलर घटकर 38.825 अरब डॉलर रह गया. समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास विशेष आहरण अधिकार 7.4 करोड़ डॉलर घटकर 19.036 विदेशी मुद्रा क्यों? अरब डॉलर रह गया. अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का मुद्रा भंडार 2.5 करोड़ डॉलर घटकर 5.162 अरब डॉलर रह गया.