मुद्रा बोर्ड

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने #Covid19 महामारी के बीच वैश्विक तरलता को बढ़ावा देने के प्रयास में, 65000 करोड़ डॉलर के बराबर विशेष आहरण अधिकार के एक नए सामान्य आवंटन को मंजूरी दे दी है। pic.twitter.com/s9lmPdwn0L— IANS Hindi (@IANSKhabar) August 3, 2021
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने #Covid19 महामारी के बीच वैश्विक तरलता को बढ़ावा देने के प्रयास . - Latest Tweet by IANS Hindi
The latest Tweet by IANS Hindi states, 'अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने #Covid19 महामारी के बीच वैश्विक तरलता को बढ़ावा देने के प्रयास में, 65000 करोड़ डॉलर के बराबर विशेष आहरण अधिकार के एक मुद्रा बोर्ड नए सामान्य आवंटन को मंजूरी दे दी है।'
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने #Covid19 महामारी के बीच वैश्विक तरलता को बढ़ावा देने के प्रयास में, 65000 करोड़ डॉलर के बराबर विशेष आहरण अधिकार के एक नए सामान्य आवंटन को मंजूरी दे दी है। pic.twitter.com/s9lmPdwn0L— IANS Hindi (@IANSKhabar) August 3, 2021
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विश्व मुद्रा भंडार में आई रिकॉर्ड 1 ट्रिलियन डॉलर की कमी, भारत की क्या है स्थिति?
भारत का फॉरेन करेंसी भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है.
विश्व मुद्रा भंडार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बाकी देशों की करेंसी का कमजोर होना है. हाल ही मे . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 06, 2022, 12:02 IST
हाइलाइट्स
विश्व मुद्रा भंडार रिकॉर्ड 1 ट्रिलियन डॉलर घट गया है.
अब 7.8% घटकर 12 ट्रिलियन डॉलर रह गया है.
यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं के सामने बड़ी समस्या है.
नई दिल्ली. दुनिया भर में ग्लोबल फॉरेन करेंसी रिजर्व में काफी तेजी से गिरावट आ रही है. इस वजह से उभरती एशियाई अर्थव्यवस्थाओं के सामने बड़ी समस्या खड़ी होती जा रही है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल विश्व मुद्रा भंडार रिकॉर्ड 1 ट्रिलियन डॉलर घट गया है. विश्व मुद्रा भंडार लगभग 1 ट्रिलियन डॉलर या 7.8% घटकर 12 ट्रिलियन डॉलर रह गया है. यह 2003 के बाद सबसे बड़ी गिरावट है.
विश्व मुद्रा मुद्रा बोर्ड भंडार में गिरावट की सबसे बड़ी वजह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बाकी देशों की करेंसी का कमजोर होना है. हाल ही में डॉलर अन्य रिजर्व करेंसी जैसे यूरो और येन के मुकाबले दो दशक के अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है.
कई देशों के सामने खड़ी हुई समस्या
इस समस्या से निपटने के लिए भारत और चेक रिपब्लिक जैसे कई देशों की सेंट्रल बैंक अपनी करेंसी को सपोर्ट करने के लिए जरूरी कदम उठा रही हैं. बहुत से केंद्रीय बैंक अपनी मुद्राओं में होने वाली गिरावट को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर रहे हैं. इन देशों करेंसी मार्केट में अपने विदेशी मुद्रा कोष से डॉलर की बिक्री के लिए मजबूर होना पड़ा है. इससे इन देशों खजाना दिनों-दिन खाली होता जा रहा है. मुद्राओं की रक्षा के लिए भंडार का उपयोग करने की प्रथा कोई नई बात नहीं है. जब विदेशी पूंजी की बाढ़ आती है तो केंद्रीय बैंक डॉलर खरीदते हैं और मुद्रा की वृद्धि को धीमा करने के लिए अपने भंडार का निर्माण मुद्रा बोर्ड करते हैं. बुरे समय में वे पूंजी की घटने से रोकने के मुद्रा बोर्ड लिए भंडार को बढ़ाते हैं.
96 अरब डॉलर कम हुआ फॉरेन करेंसी रिजर्व
उदाहरण के लिए भारत का फॉरेन करेंसी भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर हो गया है. देश के केंद्रीय बैंक ने कहा कि वैश्विक घटनाक्रमों के कारण रुपये की विनियम दर में गिरावट को रोकने के जारी प्रयासों के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी आई है. यह अप्रैल से वित्तीय वर्ष के दौरान रिजर्व में गिरावट का 67 प्रतिशत हिस्सा है. रुपये में इस साल डॉलर के मुकाबले करीब 9 फीसदी की गिरावट आई है और पिछले महीने यह रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया था.
क्या है भारत की स्थिति?
डॉयचे बैंक एजी के मुख्य अंतरराष्ट्रीय रणनीतिकार एलन रस्किन ने कहा, ” कई केंद्रीय बैंकों के पास अभी भी हस्तक्षेप जारी रखने के लिए पर्याप्त शक्ति है. भारत में विदेशी भंडार अभी भी 2017 के स्तर से 49% अधिक हैं और 9 महीने के आयात का मुद्रा बोर्ड भुगतान करने के लिए पर्याप्त है. लेकिन कई देशों के लिए वे जल्दी से समाप्त हो रहे हैं. इस साल 42% की गिरावट के बाद पाकिस्तान का 14 बिलियन डॉलर का भंडार तीन महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
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International Monetary Fund : क्या है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)? कार्य, इतिहास और विशेषताएं
International Monetary Fund एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन(international organisation) है जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक सहयोग (international monetary cooperation) को बढ़ावा देना है . IMF अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विस्तार और संतुलित विकास की सुविधा देता है. यह वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देने के मुद्रा बोर्ड लिए, वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय व्यापार की सुविधा, उच्च रोजगार और सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की सुविधा, और दुनिया भर में गरीबी को कम करने के लिए काम कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना 1945 में की गई थी. इससे दुनिया भर के 189 देश जुड़े हुए हैं. 12, अप्रैल 2016 – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सर्वेक्षण: नाउरू 189वे सदस्य के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से जुड़ा . प्रत्येक देश या क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कार्यकारी बोर्ड के सदस्य और कई स्टाफ के सदस्यों द्वारा किया जाता है. प्रत्येक देश से बोर्ड के सदस्यों का अनुपात उस देश की वैश्विक वित्तीय स्थिति पर आधारित होता, जिससे कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में सबसे शक्तिशाली देशों का प्रतिनिधित्व भी भारी हो . संयुक्त राज्य अमेरिका के उच्चतम मतदान की शक्ति है जिसके बाद जापान और चीन जैसे एशियाई देश और ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली के रूप में पश्चिमी यूरोपीय देश है.
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