भारी उलटफेर पैटर्न

पिछले साल विधानसभा चुनावों में भारी जनादेश के बाद से सत्तारूढ़ दल का भाग्य अच्छा नहीं रहा है। तब से यह तीन लोकसभा उपचुनाव – मार्च में गोरखपुर (योगी आदित्यनाथ द्वारा रिक्त) और फूलपुर (उनके उप मुख्यमंत्री, केशव प्रसाद मौर्या द्वारा रिक्त) और मई में कैराना – खो चुकी है। सपा और बसपा ने पहले दो पर संयुक्त उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, जबकि कांग्रेस ने आरएलडी के टिकट पर एक संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार को मैदान में उतार कर उनके साथ हाथ मिला लिया था।
जलवायु परिवर्तन ने बिगाड़ा भारत में मॉनसून का मिजाज
भारत में हर साल 80 प्रतिशत बारिश उन चार महीनों में ही पड़ जाती है जो किसानों के लिए बड़े अहम हैं. समर मॉनसून की ये बरसात सामान्य नहीं है बल्कि कुछ असाधारण भौगोलिक कारणों से बेकाबू हो चुकी है.
जिस देश की 20 प्रतिशत अर्थव्यवस्था खेती पर टिकी हो, वहां फसलों को बहा ले जाने वाली भारी बारिश के भुखमरी बढ़ाने की आशंका ज्यादा होती है. अपने भोजन के लिए भारत में एक अरब से ज्यादा लोग अस्थिर और अनिश्चित जलवायु व्यवस्था पर निर्भर हैं. दो अलग-अलग अध्ययनों के मुताबिक अरब प्रायद्वीप में गर्मियों में उठने वाला धूल का तूफान और दुनियाभर में जलता जीवाश्म ईंधन, यहां भारी मौसमी बारिशों की वजह बन रहे हैं.
मौसमी उलटफेर की मार गरीब देशों पर
अप्रैल में अर्थ-साइंस रिव्यूज जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि पश्चिम एशिया (मध्यपूर्व) के रेगिस्तानों के वायुमंडल में दाखिल होने वाले धूल के कण, धूप से इतने गरम हो जाते हैं कि वे अरब सागर के ऊपर वायु के दबाव में भी बदलाव कर देते हैं. आसमान में इसके चलते एक किस्म का हीट पंप बन जाता है, जो महासागर के ऊपर से नमी को खींचता हुआ उसे भारतीय उपमहाद्वीप के ऊपर तान देता है. इसकी बदौलत ज्यादा बारिश वाला मॉनसून सीजन बनने लगता है जो हवाओं को और मजबूत करता हुआ, धूल के और ज्यादा कणों को ऊपर फेंकता रह सकता है.
दूसरा अध्ययन अर्थ सिस्टम्स डाइनेमिक्ट जर्नल में बुधवार को प्रकाशित हुआ. उसमें बताया गया है कि मानव-निर्मित जलवायु परिवर्तन भारत के समर मॉनसून को ज्यादा बरसाती और ज्यादा अस्थिर बना रहा है. सबसे ताजा जलवायु मॉडलों के जरिए जर्मनी में पोट्सडाम इन्स्टिट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च (पीआईके) के शोधकर्ताओं ने पाया कि तापमान में हर अतिरिक्त डिग्री का इजाफा, मॉनसून की बारिश में पांच प्रतिशत की वृद्धि कर देता है.
भारत में मॉनसून का बिगड़ा मिजाज
अंग्रेजी शब्द मॉनसून अरबी भाषा से आया हैः मौसम. इससे आशय हवाओं की दिशा में साल में दो बार होने वाले परिवर्तनों से है जो गर्मियों में जमीन पर ऊष्ण वर्षा (वॉर्म रेन) लाती है और सर्दियों में ठंडी सूखी हवा को समन्दर की ओर भेजती है. भारत के पश्चिमी घाट जैसे हिस्सों में, समर मॉनसून की आवाजाही, अर्ध-शुष्क पहाड़ों को हरेभरे लैंडस्केप में बदल देने की क्षमता रखती है.
साल दर साल बदलते रहने वाले मॉनसून से संचालित समयावधियों के हिसाब से किसान, हजारों वर्षों से चावल और गेहूं जैसी प्रमख खाद्य फसलें उगाते और काटते रहे हैं. लेकिन जैसे जैसे ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से वायुमंडल अवरुद्ध हो रहा है, धूप रुकने लगी है और धरती गरम रहने लगी है, वैज्ञानिक मानते भारी उलटफेर पैटर्न हैं कि मॉनसून और ज्यादा अस्तव्यस्त होता जाएगा.
खेती पर निर्भर समाज की चुनौतियां
बहुत से भारतीय अपने जीवनयापन के लिए कृषि पर निर्भर हैं और उनकी फसलें बारिश की विभिन्नताओं के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील हैं. तीन अलग अलग संस्थानों से जुड़े जलवायु विशेषज्ञों ने डॉयचेवेले को ईमेल से बताया कि पीआईके का अध्ययन पिछले जलवायु मॉडल से मिलता-जुलता है जिसमें बताया गया है कि ग्रीन हाउस गैसों का लेवल बढ़ने से भारत में समर मॉनसून का मिजाज भी बिगड़ता जाएगा और बारिशें ज्यादा होंगी.
ब्रिटेन में रीडिंग यूनिवर्सिटी में मॉनसून सिस्टम्स के एसोसिएट प्रोफेसर एंड्रयू टर्नर कहते हैं, "सबसे हालिया मॉडलों पर आधारित ये नया शोधपत्र पुरानी रिसर्च को ही सपोर्ट करता है."
वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी वैंकूवर में स्कूल ऑफ एन्वायरोमेंट में असिस्टेंट प्रोफेसर दीप्ति सिंह कहती हैं कि इस अध्ययन में पाया गया है कि "कम उत्सर्जन वाली स्थितियों में प्रोजेक्ट की गयी सहने योग्य तपिश के दौरान भी मॉनसून बिगड़ भारी उलटफेर पैटर्न सकता है. एक प्रमुख निष्कर्ष ये है कि इन सबसे नये क्लाइमेट मॉडलों में मॉनसून की और ज्यादा घोषित तीव्रता का अनुमान लगाया गया है."
हरियाणा में अब होगी ठंड की शुरुआत, 17 और 18 अक्टूबर को बारिश की संभावना
चंडीगढ़ | हरियाणा राज्य में मानसून की वापसी के बाद एक बार फिर बारिश के लिए अनुकूल परिस्थिति बनती भारी उलटफेर पैटर्न हुई नजर आ रही है. मौसम केंद्र चंडीगढ़ की ओर से हरियाणा राज्य में आगामी दिनों के मौसम में होने वाले परिवर्तन की जानकारी साझा की गई है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के चंडीगढ़ केंद्र की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, हरियाणा राज्य में 17 से 19 अक्टूबर के बीच में बारिश होने की संभावना है. कई इलाकों में गरज चमक के साथ भारी बारिश भी हो सकती है. इस दौरान 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने का अनुमान लगाया गया है. आज रात से ही राज्य के मौसम में बदलाव होने की संभावना है.
महागठबंधन के बिना भी काँटों भरी हो सकती है 2019 में भाजपा की राह: 2014 चुनावों का डेटा
2019 के आम चुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए एक कठिन रास्ता हो सकता हैं ।पीटीआई
विश्लेषणों से पता चलता है कि यदि कांग्रेस, सपा,भारी उलटफेर पैटर्न बसपा, रालोद, जेएमएम, जेवीएम और जदयू पार्टियाँ एक साथ चुनाव लड़तीं तो भाजपा 2014 में 64 लोकसभा सीटें खो देती।
नई दिल्लीः वैसे तो पिछले चुनावी आंकड़े भावी मतदान पैटर्न का सही संकेत नहीं दे सकते हैं, लेकिन अगर कांग्रेस, बसपा, सपा और कुछ अन्य क्षेत्रीय पार्टियाँ एक साथ मिलकर 2014 की अपनी वोट साझेदारी को बनाए रखने में कामयाब रहें तो 2019 के आम चुनाव में भाजपा खुद को खराब स्थिति में पा सकती है।
हरियाणा में अब होगी ठंड की शुरुआत, 17 और 18 अक्टूबर को बारिश की संभावना
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क्या विक्रेता एक और ब्रेकडाउन प्रेरित कर सकते हैं?
स्रोत: ट्रेडिंग व्यू, DOGE/USD
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