ट्रेडर्स की पसंद

CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों के इन बयानों का कड़ा विरोध किया है. CAIT ने कहा है की दोनों कंपनियों का बयान बिलकुल तर्कहीन है और अपने प्लेटफॉर्म पर चल रही गलत प्रथाओं को सही ठहराने की ट्रेडर्स की पसंद एक कोशिश है.
निवेशकों की पहली पसंद सोना
आर्थिक सुस्ती के बीच सोना नित नई ट्रेडर्स की पसंद ऊंचाई छू रहा है और चांदी की चमक भी बढ़ रही है। विश्लेषकों का अनुमान है कि पीली धातु की चमक अभी कुछ और समय तक बनी रहेगी। इस समय जबकि देश-दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में नरमी या गिरावट का दौर चल रहा है, शेयर बाजार टूट रहे हैं और प्रॉपर्टी बाजार भी ठंडा है, ऐसे में सोना उन गिनी-चुनी परिसंपत्तियों में है जो निवेशकों के लिए सुरक्षित और आकर्षक लग रही है। भारत में बहुमूल्य धातुओं में निवेश करने वाले निवेशक इस समय चांदी काट रहे हैं। विश्लेषकों का अनुमान है कि सोने में तेजी अभी जारी रहेगी और दीवाली तक इसकी कीमत नया रिकॉर्ड बना सकती है।
इस कैलेंडर वर्ष में सोना निवेशकों को 20 प्रतिशत से अधिक लाभ दे चुका है, जबकि 2018 में इसमें निवेश का प्रतिफल करीब छह प्रतिशत था। गत 31 दिसंबर को दिल्ली में सोने का भाव 32,270 रुपये प्रति दस ग्राम था जो आज 39,000 पर चल रहा है। इस तरह वर्ष 2019 में सोना निवेशकों को अब तक 20 प्रतिशत से अधिक का प्रतिफल दे चुका है। इसी तरह चांदी भी 39,000 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर इस कैलेंडर साल में 50,000 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच चुकी है। इस तरह बहुमूल्य धातुओं ने निवेशकों को उम्मीद से बेहतर रिटर्न दिया है।
यह है भारत के उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म
भारत के श्रेष्ठ स्टॉक ब्रोकर्स की सूची नीचे दी गई है:
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: खास तौर पर मोबाइल से ट्रेडिंग करने के लिए
एंजेल ब्रोकिंग – Angel Broking
एंजेल ब्रोकिंग भारत में उन शुरुआती कंपनियों में से एक है जिन्होंने उस दौरान रिटेल निवेशकों को सस्ता एवं उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म प्रदान करना शुरू कर दिया था। 2.15 मिलीयन ग्राहकों के साथ एंजेल ब्रोकिंग आज भारत का श्रेष्ठ स्टॉक ब्रोकर बन चुका है।
मैं एंजेल ब्रोकिंग ऐप का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं जो कि प्रयोग करने में सरल है और आसान सुविधाओं से लैस है। जब कभी भी मैं घर से बाहर होता हूं या अपने लैपटॉप से दूर होता हूं उस समय ट्रेडिंग के लिए मैं इस ऐप का उपयोग करता हूं। उनका ऐप आधारित प्लेटफार्म यकीनन ही उन्नत है एवं सभी तरह के उन्नत ट्रेडिंग टूल्स तथा इंडिकेटर से लैस है।
नुकसान
- वेब आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में सुधार की आवश्यकता है।
- कई बार ग्राहक सेवा एजेंट्स और रिलेशनशिप मैनेजर व्यस्त समय के दौरान ग्राहकों की समस्याओं का समाधान प्रदान करने के लिए उपलब्ध नहीं होते हैं।
बिना हिचकिचाहट यह भारत का उन्नत ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है। जीरोधा अपनी आधुनिक सेवाओं और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के कारण भारत की डिस्काउंट श्रेणी का श्रेष्ठ शेयर मार्केट ब्रोकर बन चुका है। अधिकांश रिटेल इन्वेस्टर्स तथा संस्थाएं जीरोधा को अपने डिफॉल्ट ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में पसंद करते हैं।
जीरोधा अकाउंट को ओपन करने की क्रमबद्ध प्रक्रिया की जानकारी के लिए इस पोस्ट को ध्यानपूर्वक पढ़िए।
ट्रेडर्स की पसंद
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कैट ने आठ करोड़ व्यापारियों का एमएसएमई का दर्जा बहाल करने की मांग
व्यापारियों के ट्रेडर्स की पसंद संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आठ करोड़ खुदरा और थोक व्यापारियों का सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) का दर्जा पुन: बहाल करने की मांग की है। कैट का कहना है कि ये व्यापारी सेवा उद्योग का हिस्सा हैं। व्यापारियों से एमएसएमई का दर्जा 2017 में वापस ले लिया गया था। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि सरकार ने जून, 2017 में खुदरा और थोक व्यापारियों को एमएसएमई की श्रेणी से हटा दिया था। इससे व्यापारियों को ऊंची दर या अनौपचारिक वित्तीय स्रोतों से कर्ज लेने के लिए बाध्य होना पड़ता है।
Amazon-Flipkart की फेस्टिव सेल पर संकट के बादल! ट्रेडर्स ने क्यों कहा प्रतिबंध लगाए सरकार
व्यापारियों के संगठन कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने ई-कॉमर्स कंपनियों Amazon और Flipkart की फेस्टिवल सेल और उसमें दिए जा रही भारी छूट को सरकार की FDI नीति 2018 का उल्लंघन करार दिया है. साथ ही सरकार से फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है. CAIT ने दोनों ई-कॉमर्स कंपनियों की ओर से अपनी फेस्टिवल सेल का बचाव करने वाले बयान पर कड़ी आपत्ति भी जताई है.
क्या कहती है FDI पॉलिसी
खंडेलवाल ने कहा कि ये कंपनियां सरकार की FDI पॉलिसी का घोर उल्लंघन कर रही हैं. पॉलिसी में ई-कॉमर्स कंपनियों की भूमिका को अच्छी तरह से परिभाषित किया है और इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है. FDI नीति के प्रमुख प्रावधानों के अनुसार, ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस मॉडल में 100% FDI की अनुमति है और जिसके तहत ई-कॉमर्स कंपनियां तकनीकी प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य कर सकती हैं. इसमें आगे कहा गया है कि इस तरह की ई-कॉमर्स कंपनियां ट्रेडर्स की पसंद केवल बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) सेगमेंट में रहेंगी और बिजनेस टू कंज्यूमर्स (बी2सी) की गतिविधियों ट्रेडर्स की पसंद के लिए अपने प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल बिल्कुल नहीं कर सकेंगी. इसके अलावा, पॉलिसी स्पष्ट रूप से कहती है कि ई-कॉमर्स कंपनियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कीमतों को प्रभावित नहीं करेंगी और बाजार में प्रतिस्पर्धा के स्तर को बनाए रखेंगी.
खंडेलवाल ने अमेजन और फ्लिपकार्ट दोनों के बयान का दृढ़ता से खंडन करते हुए कहा कि जब उन्हें केवल बी2बी व्यापार के लिए अनुमति दी गई है तो फेस्टिवल सेल के आयोजन की आवश्यकता क्या है? उपभोक्ताओं को आकर्षित करने वाले बड़े विज्ञापन देना क्यों जरूरी है? बी2बी बिक्री का मतलब है कि उनके प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड विक्रेता अपना माल केवल व्यापारिक संस्थाओं को बेचेंगे और किसी भी उपभोक्ता को नहीं, जबकि उनके प्लेटफॉर्म पर पूरी बिक्री केवल उपभोक्ताओं को ही होती है, जो कि नीति का उल्लंघन है.
केवल वैल्युएशन बढ़ाना है मकसद
खंडेलवाल ने कहा कि अगर ये कंपनियां इतनी पारदर्शी और कानून का पालन करने वाली हैं तो फ्लिपकार्ट पर रजिस्टर्ड 1,00,000 विक्रेताओं और अमेजन पर रजिस्टर्ड 5,00,000 विक्रेताओं में से गत 5 वर्षों में वे पहले कौन से 10 विक्रेता हैं जिन्होंने सबसे अधिक सामान बेचा है, इसकी सूची जारी करनी चाहिए. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इसमें यह पाया जाएगा कि हर वर्ष समान रूप से 10 कंपनियों का एक ही समूह लगभग 80% माल बेच रहा है और वह भी केवल सीधे उपभोक्ताओं को, जो नियमानुसार गलत है. बाकी विक्रेता इनके प्लेटफॉर्म पर केवल मूकदर्शक होते हैं और इन प्लेटफॉर्म्स पर व्यापार करने का कोई अवसर नहीं पाते हैं, जिससे पता चलता है कि इन कंपनियों का आपूर्ति, कीमतों और पर सीधा नियंत्रण है जो कि नीति का एक खुला उल्लंघन है.
ये ई-कॉमर्स कंपनियां वास्तव में व्यापार नहीं करतीं बल्कि अपनी कंपनी की वैल्युएशन बढ़ाती हैं और उसी के लिए अपने पोर्टल पर अधिकतम डिस्काउंट देती हैं. इससे इन कंपनियों के पोर्टल पर आने वाले लोगों की संख्या में इजाफा हो और कंपनियों का मूल्यांकन बढ़े. डिस्काउंट देने से हुए नुकसान की भरपाई इन कंपनियों के इन्वेस्टर करते हैं क्योंकि वैल्युएशन बढ़ने में उनका बहुत फायदा होता है. इसलिए अंततः यह ई-कॉमर्स में वैल्युएशन गेम है न कि सामान बेचने के लिए प्लेटफॉर्म.
ई-कॉमर्स का नहीं करते विरोध
खंडेलवाल ने आगे कहा कि देश के व्यापारी किसी भी प्रतिस्पर्धा से डरते नहीं हैं और ई-कॉमर्स का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन इसके लिए समान स्तर की प्रतिस्पर्धा का होना जरूरी है. ई-कॉमर्स कंपनियां बड़े डिस्काउंट देती हैं, जिससे बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा रहती है.
CAIT ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री से इन ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा सरकार की FDI नीति के घोर उल्लंघन पर तुरंत गौर करने और घोषित फेस्टिवल सेल पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है. CAIT ने सरकार से इन कंपनियों के बिजनेस मॉडल की जांच करने का भी आग्रह किया है. CAIT को उम्मीद है कि सरकार तुरंत इन कंपनियों के खिलाफ ट्रेडर्स की पसंद कार्रवाई करेगी.
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