एक उच्च समय सीमा की तुलना करें

बीएसएफ स्थापना दिवस: पीएम मोदी ने की बीएसएफ के कार्यों की सराहना
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 दिसंबर को सीमा सुरक्षा बल (BSF) के 58वें स्थापना दिवस पर बीएसएफ जवानों को बधाई दी और उनके काम की सराहना की। सीमा सुरक्षा बल की स्थापना वर्ष 1965 में देश की सीमाओं की रक्षा करने और अंतरराष्ट्रीय अपराध को रोकने के लिए की गई थी। यह बल केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया, स्थापना दिवस पर सभी बीएसएफ कर्मियों और उनके परिवारों को बधाई देता हूं। यह एक ऐसा बल है जिसका भारत की रक्षा करने और साथ देश की सेवा करने का एक उत्कृष्ट रिकॉर्ड है। उन्होंने आगे कहा कि मैं प्राकृतिक आपदाओं जैसी चुनौतीपूर्ण स्थितियों के दौरान बीएसएफ के महान कार्यों की भी सराहना करता हूं।
सीमा सुरक्षा बल का गौरवशाली इतिहास
बीएसएफ की स्थापना 1965 में की गई थी। यह बल पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ लगती भारत की 6386.36 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करता है। सीमा सुरक्षा बल का गौरवशाली इतिहास है। इस बल ने हर विपत्ति के समय अपने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया है। इसी तरह बीएसएफ ने 1971 को भारत पाकिस्तान युद्ध में अपनी वीरता का परिचय दिया। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा की बात हो या फिर नागालैंड, पंजाब या कोई अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्र की रक्षा करना हो, सब में हमारे वीर जवानों ने अपनी बहादुरी और पराक्रम का परिचय दिया है।
बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने की दुनिया की क्षमता खतरे मेंः एफएओ
खाद्य एवं कृषि का भविष्य (द फ्यूचर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर) शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2050 तक कृषि क्षेत्र पर दुनिया की 10 अरब आबादी को खिलाने का एक उच्च समय सीमा की तुलना करें बोझ होगा। अगर मौजूदा ट्रेंड को बदलने के विशेष प्रयास नहीं किए गए तो इतनी बड़ी आबादी के लिए भोजन उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती होगी
Team RuralVoice WRITER: Sunil Kumar Singh
बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने की विश्व की क्षमता खतरे में पड़ती जा रही है। अगर बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरण बदलाव नहीं किए गए तो दीर्घकालिक कृषि खाद्य प्रणाली को हासिल कर पाना नामुमकिन होगा। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) ने शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही है।
खाद्य एवं कृषि का भविष्य (द फ्यूचर ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर) शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2050 तक कृषि क्षेत्र पर दुनिया की 10 अरब आबादी को खिलाने का बोझ होगा। अगर मौजूदा ट्रेंड को बदलने के विशेष प्रयास नहीं किए गए तो इतनी बड़ी आबादी के लिए भोजन उपलब्ध करा पाना बड़ी चुनौती होगी।
रिपोर्ट में कृषि खाद्य प्रणाली की मौजूदा और उभरते ट्रेंड का विश्लेषण किया गया है। साथ ही इसमें यह भी आकलन करने की कोशिश की गई है कि भविष्य में ट्रेंड कैसा रह सकता है। रिपोर्ट में उन मुद्दों और समस्याओं की भी पहचान की गई है जिनका आने वाले दिनों में खाद्य पदार्थों के उपभोग और कृषि उत्पादन पर असर होगा।
रिपोर्ट में नीति नियंताओं से यह आग्रह किया गया है कि वे अल्पावधि की जरूरतों से ऊपर उठकर सोचें। इसके मुताबिक दूरदृष्टि की कमी, टुकड़ों-टुकड़ों में अपनाए गए दृष्टिकोण और महज तात्कालिक समाधान के उपाय सबके लिए भारी पड़ेंगे। इसलिए एक ऐसे दृष्टिकोण की जरूरत है जिसमें दीर्घकालिक लक्ष्य और सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता दी गई हो।
इसमें कहा गया है कि बढ़ती आबादी, बढ़ता शहरीकरण, मैक्रोइकोनॉमिक अस्थिरता, गरीबी और असमानता, भू राजनीतिक तनाव और युद्ध, प्राकृतिक संसाधनों को लेकर बढ़ती प्रतिस्पर्धा और जलवायु परिवर्तन सामाजिक आर्थिक प्रणाली को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल (टिकाऊ विकास के लक्ष्य) के अनेक बिंदुओं की तरफ हम नहीं बढ़ रहे हैं। इन लक्ष्यों को तभी हासिल किया जा सकता है जब कृषि खाद्य प्रणाली को उचित तरीके से बदला जाए।
रिपोर्ट में 18 सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरण कारकों की पहचान की गई है जिन्हें ‘ड्राइवर’ कहा गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे यह कारक कृषि खाद्य प्रणाली में होने वाली विभिन्न गतिविधियों को आकार देते हैं। इनमें खेती के अलावा खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य पदार्थों का उपभोग भी शामिल है। इसमें गरीबी और असमानता, भू-राजनैतिक अस्थिरता, संसाधनों की कमी तथा जलवायु परिवर्तन को महत्वपूर्ण कारकों में रखा गया है और कहा गया है कि भविष्य का खाद्य कैसा होगा वह इस बात पर निर्भर करेगा कि हम इन कारकों का प्रबंधन किस तरीके से करते हैं। अगर हालात अभी की तरह बने रहे तो खाद्य असुरक्षा, संसाधनों की कमी और अस्थिर आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि विकास के टिकाऊ लक्ष्य (एसडीजी) को हासिल करने के रास्ते से दुनिया काफी अलग हट गई है। इसमें कृषि खाद्य के लक्ष्य को हासिल करना भी शामिल है। ऐसे अनेक कारण हैं जो निराशा बढ़ाने वाले हैं, लेकिन रिपोर्ट में यह उम्मीद भी जताई गई है कि अगर सरकारें, उपभोक्ता, बिजनेस, अकादमिक जगत और अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब भी गंभीरता पूर्वक कार्य करें तो दीर्घकालिक बदलाव लाना संभव है।
Post Office FD Interest Rates : इन योजनाओं पर मिलेगा 7.एक उच्च समय सीमा की तुलना करें 5% से अधिक ब्याज, बैंकों की FD से भी अधिक
Post Office FD Rates : भारत का मध्यम वर्ग बचत के लिए डाकघर बचत योजनाओं ( Post Office Saving Schemes ) पर बहुत अधिक निर्भर करता है ! इसलिए यहां हम आपको पोस्ट ऑफिस ( Post Office ) की कुछ ऐसी योजनाओं के बारे में बता रहे हैं, जिन पर ब्याज ( Interest Rate ) 7.5 फीसदी से ज्यादा है और यह कई बैंकों की एफडी से भी ज्यादा है ! जानिए उनके बारे में..
Post Office FD Rates
Post Office FD Rates
डाकघर बचत योजनाओं ( Post Office Saving Schemes ) में सबसे लोकप्रिय राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (NSC) है ! यह एक प्रकार का बांड है जो 6.8% का वार्षिक ब्याज ( Interest Rate ) प्रदान करता है, लेकिन इसका भुगतान बांड की परिपक्वता के बाद ही किया जाता है !
एनएससी में केवल 1,000 रुपये की शुरुआती राशि से ही निवेश ( Investment ) किया जा सकता है ! इसकी एक उच्च समय सीमा की तुलना करें मैच्योरिटी 5 साल की होती है ! लेकिन 72 के नियम के अनुसार देखा जाए तो NSC ( National Saving Certificate ) में निवेश किए गए पैसे को दोगुना होने में 10.7 साल लगते हैं !
Post Office FD Interest Rates
उच्च ब्याज के कारण, डाकघर ( Post Office ) का किसान विकास पत्र (KVP) मध्यम वर्ग के लोगों के बीच एक अच्छा बचत उपकरण है ! आमतौर पर लोग इसे सिर्फ पैसे को दोगुना करने के लिए खरीदते हैं ! यह 6.9% का वार्षिक चक्रवृद्धि ब्याज देता है ! इस तरह इसमें निवेश ( Investment ) किया गया पैसा 10.4 साल में दोगुना हो जाता है ! KVP (Kisan Vikas Patra) में न्यूनतम 1,000 रुपये का निवेश किया जा सकता है !
डाकघर एक राष्ट्रीय बचत मासिक आय योजना ( Post Office MIS Scheme ) भी चलाता है ! इस पर ग्राहक को सालाना 6.6% का ब्याज ( Interest Rate ) मिलता है, लेकिन इसका भुगतान उसके खाते में मासिक आधार पर किया जाता है ! इस योजना ( POMIS ) में निवेश एक खाते में अधिकतम 4.5 लाख रुपये और संयुक्त खाते में 9 लाख रुपये की अधिकतम सीमा के साथ 1,000 एक उच्च समय सीमा की तुलना करें रुपये से शुरू होता है !
SCSS Scheme
डाकघर वरिष्ठ नागरिकों ( Post Office Senour Citizen ) के लिए एक अलग बचत योजना SCSS चलाता है ! इसमें निवेश करने वाले व्यक्ति को सालाना 7.4% ब्याज मिलता है ! और ब्याज का भुगतान तिमाही आधार पर किया जाता है ! इसमें 60 साल से ऊपर का कोई भी व्यक्ति निवेश ( Investment ) कर सकता है और इस निवेश की अधिकतम सीमा 15 लाख रुपये है !
Post Office FD Interest
इसके अलावा लोग डाकघर से सुकन्या समृद्धि योजना खाता ! और लोक भविष्य निधि (PPF) में निवेश की सुविधा भी ले सकते हैं ! यह क्रमशः 7.6% और 7.1% का ब्याज देता है ! पीपीएफ खातों ( PPF Account ) के एक उच्च समय सीमा की तुलना करें लिए सरकारी ब्याज समय-समय पर बदलता रहता है ! सरकार फिक्स्ड डिपॉजिट ( Fixed Deposit ) समेत अन्य बचत योजनाओं पर ब्याज में भी बदलाव कर सकती है !
Fixed Deposit Interest Rate
डाकघर बचत योजनाओं ( Post Office Saving Schemes ) पर मिलने वाले ब्याज की तुलना बैंकों की FD ( Fixed Deposit ) से करें ! तो ज्यादातर बैंकों की FD पर मिलने वाला ब्याज 2.5% से लेकर 5.5% तक होता है! एक्सिस बैंक ( Axis Bank ) द्वारा दी जाने वाली उच्चतम ब्याज दर 5.75% है ! जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट ( Fixed Deposit ) पर अधिकतम ब्याज दर 6.5% है ! जबकि डाकघर में यह 7% से अधिक है !
जरुरी जानकारी | हिमाचल प्रदेश में गेहूं की दो अधिक उपज देने वाली किस्में पेश
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग ने राज्य में खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गेहूं की दो अधिक उपज देने वाली किस्में डीबीडब्ल्यू 222 और डीबीडब्ल्यू 187 पेश की हैं।
शिमला, 30 नवंबर हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग ने राज्य में खाद्यान्न उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए गेहूं की दो अधिक उपज देने वाली किस्में डीबीडब्ल्यू 222 और डीबीडब्ल्यू 187 पेश की हैं।
अधिक उपज देने वाली गेहूं की किस्में डीबीडब्ल्यू 222 और डीबीडब्ल्यू 187, मौजूदा किस्मों के 35-37 प्रति क्विंटल की तुलना में 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की उपज देती हैं।
हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के संबंधित मामले के विशेषज्ञ राजीव मिन्हास ने कहा कि इन दो किस्मों के लगभग 23,000 क्विंटल बीज 50 प्रतिशत सब्सिडी पर किसानों को दिए गए एक उच्च समय सीमा की तुलना करें हैं।
मिन्हास ने कहा कि डीबीडब्ल्यू 222 (करण नरेंद्र) में उच्च जंग प्रतिरोध और सहनशीलता है और बुवाई के समय अनुकूलन के अलावा बेहतर कृषि संबंधी विशेषताएं हैं, जबकि डीबीडब्ल्यू 187 (करण वंदना) प्रोटीन और आयरन से भरपूर है।
कृषि निदेशक बी आर ताखी ने कहा कि कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर, सोलन, बिलासपुर और सिरमौर जिलों की निचली पहाड़ियों में नई किस्मों को समय पर (15 अक्टूबर से 15 नवंबर) बोया गया है क्योंकि बारिश ने मिट्टी में आवश्यक नमी पैदा की और वर्षा आधारित क्षेत्रों में भी गेहूं की समय पर बुवाई का मार्ग प्रशस्त किया।
प्रदेश में 3.30 लाख हेक्टेयर में गेहूं का उत्पादन हो रहा है और उत्पादन का लक्ष्य 6.17 लाख टन का है।
गेहूं, धान, मक्का, जौ और तिलहन मुख्य खाद्यान्न हैं।
खाद्यान्नों के अलावा एक उच्च समय सीमा की तुलना करें एक उच्च समय सीमा की तुलना करें आलू, सब्जियां और अदरक राज्य की मुख्य व्यावसायिक फसलें हैं और सब्जियों के तहत 82,000 हेक्टेयर क्षेत्र, आलू के तहत 15.10 हजार हेक्टेयर और अदरक (हरा) के तहत तीन हजार हेक्टेयर का खेत रकबा प्रस्तावित है।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि किसान अधिक लाभ प्राप्ति और सब्जियों की अधिक उपज और विदेशी किस्मों को उगाने के लिए वाणिज्यिक फसलों में विविधता ला रहे हैं। सेब उत्पादन के लिए जाना जाने वाला हिमाचल अब एक सब्जी के प्रमुख केंद्र के रूप में भी उभर रहा है।
वर्ष 2022-23 में सब्जी, आलू एवं अदरक (हरा) का उत्पादन लक्ष्य क्रमशः 1,759 हजार टन, 195 हजार टन एवं 34 हजार टन निर्धारित किया गया है।
राज्य में सब्जियों का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है और इसका उत्पादन पहले ही राज्य में खाद्यान्न उत्पादन को पार कर चुका है।
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