विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली

आधुनिक बाजार

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पैनासोनिक ने भारतीय बाजार पें पेश किए ये आधुनिक कैमरे, इनमें हैं कई आकर्षक फीचर

पैनासोनिक ने सोमवार को भारतीय बाजार में अपने पहले फुल फ्रेम मिररलेस ल्यूमिक्स एस सीरीज कैमरों को लॉन्च किया. कम्पनी ने इन कैमरों के दो मॉडल-ल्यूमिक्स एस1 और एस1 आर पेश किए हैं.

पैनासानिक ने भारतीय बाजार में पेश किए सैंसर युक्त कैमरे (फाइल फोटो)

पैनासोनिक ने सोमवार को भारतीय बाजार में अपने पहले फुल फ्रेम मिररलेस ल्यूमिक्स एस सीरीज कैमरों को लॉन्च किया. कम्पनी ने इन कैमरों के दो मॉडल-ल्यूमिक्स एस1 और एस1 आर पेश किए हैं. ल्यूमिक्स एस-1 की कीमत 199,000 रुपये है.यह कैमरा 24-105एमएम एफ4 लेंस से लैस होने के बाद 267,000 रुपये का होगा। दूसरी ओर, एस1 आर की कीमत 299,000 (सिर्फ बॉडी) है जबकि 24-105एमएम एफ4 लेंस के साथ इसकी कीमत 367,990 रुपये होगी.

इन कैमरों में लगे हैं सैंसर
ल्यूमिक्स एस1 और एस1 आर सीरीज के कैमरों में क्रमश: 24एमपी और 47.3एमपी फुल आधुनिक बाजार फ्रेम सीएमओएस सेंसर लगे हैं. कम्पनी ने अपने बयान में कहा है कि ये कैमरे ए-माउंट स्टैंडर्ड पर आधारित हैं और इनसे शानदार तस्वीरें मिलती हैं.

खास डिजाइन है इन कैमरों की
पैनासोनिक इंडिया के बिजनेस चीफ संदीप सहगल ने कहा, "नया ल्यूमिक्स सीरीज शानदार कंट्रोल, रग्ड डिजाइन के लिए जाना जाएगा.यह हेवी-फील्ड यूज के लिए उपयुक्त है. यह लम्बे समय तक सेवाएं देगा और पेशेवर फोटेग्राफी और वीडियोग्राफी को नया आयाम देने में सक्षम है."

वीडियो रिकार्डिग की सुविधा है इनमें
ल्यूमिक सीरीज इंडस्ट्री-लीडिंग वीडियो रिकार्डिग परफार्मेस के साथ आता है.यह इफेक्टिव इमेज स्टेबलाइजर से लैस है. इसमें रिच ग्रेडेशन है और यह सुपीरियर कलर रीप्रोडक्शन के लिए सक्षम है.

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कंपनी ने कहा लोग इन कैमरों को करेंगे पसंद
पैनासोनिक इंडिया एवं दक्षिण एशिया के अध्यक्ष एवं सीईओ मनीष शर्मा ने कहा, "इमेज इंडस्ट्री की मांग काफी जटिल है. यहां काफी कुछ करने की जगह है और इसी को देखते हुए हम एक क्रांतिकारी प्रॉडक्ट लेकर आए हैं. हमने हमेशा अपने ग्राहकों को सबसे पहले और सबसे नया देने में यकीन किया है और ल्यूमिक्स एस1 और एस1 आर हमारी इसी प्रतिबद्धता का उदाहरण हैं."

बाजार पर निबंध Essay on Market in Hindi

नमस्कार दोस्तों आपका स्वागत है आज का निबंध बाजार पर निबंध Essay on Market in Hindi पर दिया गया हैं. यहाँ हम स्टूडेंट्स के लिए मार्केट पर आसान निबंध दिया गया हैं. इस लेख में हम जानेगे कि बाजार क्या है इसका अर्थ महत्व और जीवन में बाजार की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी गई हैं.

बाजार पर निबंध Essay on Market in Hindi

बाजार पर निबंध Essay on Market in Hindi

एक एकला व्यक्ति अपनी समस्त आवश्यकताएं पूरी नही कर सकता है. उसे बाजार (अंग्रेजी में Market/ bazar) का सहारा लेना पड़ता है. सभ्यता के आरम्भ से ही मनुष्य एक दूसरे पर निर्भर रहा है.

हालांकि समय के बदलाव के साथ बाजार के स्वरूप का विस्तार होता रहा है. प्रारम्भ में मनुष्य की आवश्यकताएं बहुत कम थी, इस कारण बाजार भी छोटे हुआ करते थे. तथा वह अपने आस-पास से ही अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर लेता था.

प्राचीन समय में व्यक्ति बाजार में उनकी आवश्यकताओं की वस्तुएं देता था तथा अपनी आवश्यकता की वस्तुएं प्राप्त करता था. जैसे किसान अपने खेत में पैदा अनाज के बदले अपनी आवश्यकता का सामान प्राप्त करता था.

वह अनाज के बदले में जुलाहें से कपड़ा, लुहार से औजार तथा कुम्हार से बर्तन प्राप्त करता ठस. इस प्रकार वस्तु के बदले वस्तु देकर एक दूसरे की आवश्यकताएं पूरी की जाती थी.

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बाजार की यह प्रणाली वस्तु विनिमय कहलाती थी. एक ही स्थान पर रहने वाले लोग अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति इसी प्रकार से करते थे.

समय गुजरने आधुनिक बाजार के साथ साथ मनुष्य की आवश्यकताएँ बढ़ने लगी और उन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नयी नई वस्तुओं का निर्माण होने लगा.

वस्तुओं के निर्माण की नई नई विधियाँ खोजी गई, और जनसंख्या वृद्धि के साथ साथ बड़ी मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन किया जाने लगा.

कृषि एवं परम्परागत वस्तुओं के उत्पादन के साथ साथ लघु व कुटीर उद्योगों में आवश्यकता की अनेक वस्तुओं का उत्पादन होने लगा.

अब वस्तु के बदले वस्तु देने की प्रणाली के द्वारा लोगों को आवश्यकता पूर्ती में कठिनाई होने लगी. धीरे धीरे लेन देन की नई बाजार प्रणाली (Market system) का जन्म हुआ.

मुद्रा के विकास के साथ ही मुद्रा के बदले वस्तुओं के लेने देने की सुविधापूर्ण प्रणाली विकसित हुई. जब मूल्य के रूप में वस्तु न दी जाकर मुद्रा दी जाती है तो इसे मुद्रा विनिमय कहते है.

बाजार का आधुनिक स्वरूप (what is marketing concept)

आधुनिक युग मशीनों का युग है. बड़े बड़े कारखानों में लगे मजदूर हमारी आवश्यकता की हजार तरह की वस्तुए तैयार रखते है. आज व्यक्ति केवल अपने, गाँव, शहर या देश की ही नही बल्कि विदेशों में बनी वस्तुओं का उपयोग भी करने लगा है.

यह वस्तु विनिमय प्रणाली में संभव नही था, परन्तु मुद्रा विनिमय प्रणाली ने इसे संभव बना दिया है. हम बाजार जाते है और बाजार से अपनी आवश्यकता की बहुत सी चीजों को खरीदते है.

जैसे सब्जियां, साबुन, दंत मंजन, मसाले, ब्रेड, बिस्किट, चावल, दाल, कपड़े, किताबों, कोपियाँ आदि. हम जो कुछ खरीदते है, इन सभी वस्तुओं की सूची बनाई जाए तो वह बहुत लम्बी है. बाजार भी कई प्रकार के होते है. जहाँ हम अपनी आवश्यकता की वस्तुओं को खरीदने के लिए जाते है.

जैसे हमारे पडोस की गुमटी मोहल्ले की दूकान, साप्ताहिक हाट बाजार, बड़े बड़े शोपिंग काम्प्लेक्स और शॉपिंग मॉल आदि. आइये अब बाजार के इन विभिन्न स्वरूपों के बारे में जानते है.

बाजार के विभिन्न प्रकार व उनके कार्य (different types & classification of market in hindi)आधुनिक बाजार

मोहल्ले की दुकान (Neighborhood store)- बहुत सी दुकाने हमारे मोहल्ले में होती है, जो हमे कई तरह की सेवाएं और सामान उपलब्ध करवाती है.

हम पास की डेयरी से दूध, किराना व्यापारी से तेल मसाले व अन्य खाद्य पदार्थ तथा स्टेंनरी के व्यापारी से कागज पैन या फिर दवाइयों की दूकान से दवाई खरीदते है.

नाई की दूकान पर अपने बाल कटवाते है और ड्राई क्लीनर से वस्त्र धुलवाते व इस्त्री करवाते है. नाई व ड्राई क्लीनर हमे अपनी आधुनिक बाजार सेवाएं प्रदान करते है. इस तरह की दुकाने सामान्यतः पक्की व स्थायी होती है.

जबकि सड़क किनारे फुटपाथ पर सब्जियों के कुछ छोटे दुकानदार, फल विक्रेता और कुछ गाड़ी मैकेनिक आदि भी दिखाई देते है.

ये मोहल्ले की दुकाने कई अर्थों में उपयोगी होती है. वे हमारे घरों के करीब होती है. अतः हम सप्ताह के किसी दिन और किसी भी समय इन दुकानों पर जा सकते है.

साप्ताहिक बाजार (weekly shop)– साप्ताहिक बाजार का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि बाजार सप्ताह के लिए निश्चित दिन लगता है. इस तरह के बाजार में रोज खुलने वाली पक्की दुकाने नही होती है.

किसी निश्चित स्थान पर बहुत से व्यापारी एक निश्चित दिन खुले में ही दुकाने लगाते है और शाम को उन्हें समेट लेते है. अगले दिन वे अपनी दुकानों को किसी अन्य स्थान पर लगाते है.

ऐसे बाजारों को हाट बाजार भी कहा जाता है. साप्ताहिक बाजारों में रोजमर्रा की जरूरतों की बहुत सी चीजे सस्ते दामों में मिल जाती है.

ऐसा इसलिए कि इन बाजारों में एक ही तरह के सामानों की कई दुकाने होती है, जिससे उनमें आपस में प्रतियोगिता होती है, अतः खरीददारों को अवसर होता है. कि वे मोल तोल करके भाव कम करवा सके.

साथ ही उन्हें अपनी दुकानों का किराया, बिजली का बिल, सरकारी शुल्क, कर्मचारी की तनख्वाह आदि का भी खर्च नही करना पड़ता है. लोग अक्सर इन बाजारों में जाना पसंद करते है.

शॉपिंग कॉम्प्लेक्स व मॉल (Shopping Complex and Mall)- बड़े शहरों में कुछ इस प्रकार के बाजार भी होते है. जहाँ एक ही छत के नीचे अनेक वस्तुओं की दुकाने होती है. इन्हें लोग शॉपिंग कॉम्प्लेक्स के नाम से जानते है.

कुछ शहरी इलाकों में आपकों बहुमंजिला वातानुकूलित दुकानें भी देखने को मिलेगी, जिनकी अलग अलग मंजिलों पर अलग अलग तरह की वस्तुएं मिलती है. इन्हें शॉपिंग मॉल भी कहा जाता है.

विशेष बाजार (Special market)– शहर में कई स्थानों पर एक वस्तु विशेष के लिए विशेष बाजार आधुनिक बाजार होते है, जैसे कपड़ा बाजार, लोहा बाजार, अनाज बाजार आदि. इन बाजारों में एक ही प्रकार की वस्तु की कई दुकाने होती है.

थोक व्यापारी व फुटकर व्यापारी (Wholesaler and retailer in hindi)

वस्तुओं अथवा सामान का उत्पादन खेतों, घरेलु उद्योगों और कारखानों में होता है. लेकिन हम ये सामान इन उत्पादकों से सामान्यत सीधे सीधे नही खरीदते है.

वे लोग जो वस्तु के उत्पादक और वस्तु के उपभोक्ता के बिच में होते है, उन्हें व्यापारी (merchant) कहा जाता है. व्यापारी दो प्रकार होते है.

  1. वे व्यापारी जो उत्पादक से बड़ी मात्रा या संख्या में सामान खरीद लेते है, और इन्हें फिर छोटे छोटे व्यापारियों को बेच देते है, ये थोक व्यापारी कहलाते है. जैसे सब्जियों का ठोक आधुनिक बाजार व्यापारी 10-15 किलों सब्जी नही खरीदता है, बल्कि बड़ी मात्रा में 300-400 किलों तक सब्जी खरीद लेता है. वह उन्हें गली मोहल्ले के छोटे छोटे सब्जी विक्रेताओं को बेच देता है. यहाँ खरीदने वाले तथा बेचने वाले दोनों व्यापारी ही होते है.
  2. वह व्यापारी जो अंतः वस्तुएं हम उपभोक्ताओं को बेचता है, वह खुदरा या फुटकर व्यापारी कहलाता है. यह वही दुकानदार होता है. जो आपकों पड़ोस की दुकानों, साप्ताहिक बाजार या फिर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में सामान बेचता है.

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उम्मीद करता हूँ दोस्तों बाजार पर निबंध Essay on Market in Hindi का यह निबंध आपको पसंद आया होगा. यदि आपको बाजार के बारे में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करें.

क्या मैं बागवानी प्रशिक्षण के साथ बागवान या माली के रूप में अपनी आय सुधार सकता हूं?

मेहनतकश वर्कर (ब्लू काॅलर वर्कर) किसी भी संस्थान की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं। वे जमीनी स्तर पर एक बड़ी जिम्मेदारी वहन करते हैं। वर्तमान कारोबारी माहौल में, शारीरिक कार्यों को शामिल करने वाले मैनुअल कार्यों या कार्यों की लगभग हर श्रेणी को कॉर्पोरेट रूप दिया जा रहा है। बागवान की नौकरी ऐसे ही कार्यों में से एक है। आप सोच रहे होंगे कि बड़ी कम्पनियों में नौकरी करने वाले माली कैसे आते हैं? आपको बता दें कि ज्यादातर कम्पनियां एक विशिष्ट आधार के ़रूप में अपने कार्यालय स्थापित करना पसंद करती हैं जिसमें एक पार्क या बगीचे को सकारात्मक रूप से शामिल किया जाता है। आजकल कार्यालयों में इनडोर प्लांट्स का होना भी करीब करीब जरूरी सा हो गया है। इसलिए कई कॉर्पोरेट कम्पनियां बागवान या माली को काम पर रखती हैं।

बागवान की नौकरी पाने में क्या चीजें मदद कर सकती हैं?

Gardening Training

इसके लिए कम् पनियां लगातार साॅफ्ट स्किल से लैस मेहनतकश वर्करों की तलाश में रहती हैं, ताकि वे संगठन में अच्छी तरह से फिट हों। बड़ी फर्मों के अलावा, देश के विभिन्न शहरों में हाउसकीपिंग और रख-रखाव एजेंसियां हैं जो बागवानों को काम पर रखती हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बागवानों की इन दिनों भारी मांग है। माली के लिए कौशल विकास के लिए एक अत्याधुनिक कार्यक्रम की शुरुआत करना, जिसमें कठिन और साॅफ्ट स्किल दोनों शामिल हैं, एक अच्छे आय अवसर के साथ आकर्षक नौकरी के लिए आवेदन करने में मदद करता है। इस तरह, दुनिया को निश्चित रूप से आपकी कीमत का पता चल जाएगा।

बागवान के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम में क्या क्या शामिल हैं?

कॉर्पोरेट कल्चर और कार्य प्रक्रियाओं के महत्व का उल्लेख करते हुए, हम आम तौर पर सफेद कॉलर श्रमिकों यानि प्रशासकीय कार्य करने वालों का उल्लेख करते हैं। लेकिन फिलहाल समय बहुत बदल गया है। आधुनिक बाजार उन्मुख कॉर्पोरेट वातावरण में, प्रशिक्षित मेहनतकश वर्करों को समान महत्व मिलता है। जैसा कि सबसे असंगठित क्षेत्रों में भी धीरे-धीरे आकार मिल रहा है, लेकिन तेजी से। यह एकदम सही समय है जब आप एक बागवान और एक टीम के सदस्य के रूप में अपने कार्य कौशल दिखाने के अवसरों को प्राप्त कर सकते हैं।

हार्ड वर्क प्राथमिक गुण हैं जो आपके कार्य प्रोफाइल को तय करेगा। आपको आपके ज्ञान के आधार पर रखा जाएगा। तो इस बारे में आपको क्या क्या पता होना चाहिए:

स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर – यह आपके जॉब प्रोफाइल को परिभाषित करेगा और उस विशेष प्रोफाइल में आपके द्वारा किए जाने वाले सभी कार्य।
क्या करें और क्या न करें – यह आपको अपने प्रोटोकॉल को जानने में मदद करेगा और यह सुनिश्चित भी करेगा कि आप सुरक्षित रूप से काम कर रहे हैं।
सूची बनाएं और बेहतर प्रयास करें – यह आवश्यक है क्योंकि इससे आपको पता चल जाएगा कि आपको इस नौकरी से क्या मिलेगाघ् एक बागवान के रूप में आपको क्या क्या काम करना चाहिए और आपके लिए सबसे बेहतरीन काम क्या होगा घ्
उपकरण और प्रौद्योगिकी – हर काम के लिए कुछ विशेष उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के उपयोग की आवश्यकता होती है। माली के लिए आवश्यक एक उपकरण अन्य नौकरियों की प्रोफाइल से पूरी तरह से अलग होगा। लेकिन एक माली के रूप में आपको बागवानी के लिए आवश्यक प्रत्येक उपकरण और तकनीकों के बारे में पता होना चाहिए।

आपका शांत स्वभाव का होना आपकी अतिरिक्त योग्यता हैं जो एक सफल पेशेवर कैरियर और व्यक्तिगत विकास के लिए अपेक्षित और आवश्यक हैं। इस क्षेत्र में प्रशिक्षण कार्यक्रम भी कुछ अत्यंत विशेष योग्यताएं आपमें विकसित करने के लिए डिजाइन किया गया है।

संगठनात्मक कौशल – एक संगठन का एक हिस्सा होने के नाते, आपको एक सिस्टम के अनुसार काम करना होगा। आपको संगठनात्मक मूल्यों को सीखने और अपनाने और तदनुसार काम करने की आवश्यकता है। लेकिन, इसके लिए बागवानी प्रशिक्षण आवश्यक है, अन्यथा आप ऐसा नहीं कर पाएंगे।

टाइम मैनेजमेंट स्किल – यह एक सर्वोत्कृष्ट कौशल है जो प्रत्येक संगठनात्मक सदस्य के पास होना चाहिए। एक बागवान के रूप में, आपको पूरे क्षेत्र को कवर करने और प्रबंधन करने में बहुत सटीक होना चाहिए। ग्राहक कभी भी अव्यवस्थित बागवान को नहीं रखना चाहता, क्योंकि इससे सभी पौधों खराब हो सकते हैं। संगठन भी किसी भी ऐसे लोगों को काम पर नहीं रखना चाहते जिनमें समय प्रबंधन कौशल न हो। बागवान का कौशल विकास आपके अंदर समय प्रबंधन के निर्माण में मदद करता है।

कम्युनिकेशन स्किल – संचार केवल एक साॅफ्ट स्किल नहीं है जो आपकेे सफल संगठनात्मक जीवन के लिए होना चाहिए, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण जीवन कौशल भी होना चाहिए। हमारे सही संचार कौशल के सामने कई अन्य चीजें नगण्य हो जाती हैं। आधुनिक बाजार संचार कौशल में आपको अधिक कुशलता से काम करने और वरिष्ठों के निर्देशों का पालन करने में मदद करने के कई पहलू हैं। आधुनिक संचार आपकी कई चीजों में बदलाव ला रहा है। यह मौखिक या भौतिक की बजाए अधिक डिजिटल हो रहा है। बागवानी की कक्षाओं में आपको बेहतर संचार के तरीके सिखाए जाते हैं।

प्राॅबलम साॅल्विंग स्किल – ये ऐसे स्किल हैं जो हमें एक स्थिति को बेहतर तरीके से समझने, अंतर्निहित मुद्दों का पता लगाने और उन्हें जल्द से जल्द हल करने में मदद करते हैं। समस्याएं तकलीफ देने वाली, समय खराब करने वाली और मनोबल बढ़ाने वाली होती हैं। खासकर जब आप किसी काम को पूरा करने के लिए समयबद्ध होते हैं, तो समाधान खोजने के लिए विशेष कौशल की आवश्यकता होती है बागवानी के पाठ्यक्रम का लाभ यह है कि इसके आपको यह समझ आ जाएगा कि कैसे आप लोगों को हस्तक्षेप के बिना किसी समस्या को जल्दी और तेजी से कैसे हल कर सकते हैं।

सॉफ्ट स्किल्स में आपकी दक्षता के साथ-साथ बागवानी में आपकी दक्षता आपको पूर्ण पेशेवर बनाती है।

सर्वोत्तम अवसरों को हासिल में आॅनलाइन बागवानी पाठ्यक्रम आपकी कैसे मदद करता हैं?

अपने स्किल को हर संभव तरीके से विकसित होने दें। एक बागवान के रूप में आप अपनी नौकरी में असाधारण हो सकते हैं, लेकिन वर्तमान संगठनों में जहां आप आवेदन कर रहे हैं वहां के लिए आपके पास निश्चित योग्यता या ज्ञान की कमी हो सकती है। संगठित क्षेत्र में नौकरी पाना आपके जैसे मेहनतकश वर्करों के लिए आनंद का पल होता है। यह कंपनी के लिए बहुत अच्छा है और साथ ही उन्हें आपके जैसा एक कुशल बागवान या माली भी मिलेगा। ज्यादा जिम्मेदारियों के साथ निश्चित आय, काम के निश्चित घंटे और अवसर भी बढ़ते हैं, और फ्रिंज लाभ यानी बीमा, बीमारी के लिए वेतन सहित छुट्टियां तथा पेंशन जैसे लाभ बागवान की नौकरी को और भी आकर्षक बनाते हैं। तो आप एक अच्छे पाठ्यक्रम के लिए श्जूनूनश् की सहायता लें और एक अच्छे पाठ्यक्रम का चयन कर अपने सपनों को साकार करें।

आधुनिक बाजार

बाजार में मांग के अनुरूप फसलों की खेती करें किसान : नितीश कुमार

बाजार में मांग के अनुरूप फसलों की खेती करें किसान : नितीश कुमार

- जिलाधिकारी ने किसान मेला व प्रदर्शनी का किया शुभारंभ

अयोध्या, 14 नवम्बर (हि.स.)। जनपद स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन एवं रवि उत्पादकता गोष्टी, किसान मेला एवं प्रदर्शनी का आयोजन सोमवार को आयोजित की गई। जिलाधिकारी नितीश कुमार ने दीप प्रज्जवलित कर राजकीय बालिका इंटर कॉलेज परिसर में आयोजित किसान मेले व गोष्ठी का शुभारंभ किया।

जिलाधिकारी ने इस मौके पर कहा कि कृषि विभाग से संबंधित समस्त विभागों को मुख्य रूप से कृषि विभाग, उद्यान विभाग, पशुपालन, मत्स्य, डेयरी, भूमि संरक्षण इत्यादि कार्यक्रमों, योजना से संबंधित पंपलेट व प्रचार साहित्य/सामग्री प्रत्येक ग्राम पंचायत में संचालित लाइब्रेरी में कृषि कॉर्नर स्थापित करें। आगामी 15 दिनों के अंदर यह सामग्री रखवाने के निर्देश उप कृषि निदेशक को दिए। कहा कि इससे किसानों को समस्त विभागों की सूचनाएं एक स्थल पर किसानों को प्राप्त हो सकेगी और अधिक से अधिक कृषक योजनाओं का लाभ सुगमता से प्राप्त कर सकें।

जिलाधिकारी ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना, कृषि सिंचाई योजना, ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर सिस्टम, पॉलीहाउस, नेट हाउस स्थापित करने के लिए किसानों को आगे आकर इन योजना ऑन लाइन लाभ लेने की अपील की। साथ ही उद्यान के क्षेत्र में केले की खेती कर कृषक भाई को अपनी आय बढ़ाने के लिए भी प्रेरित किया।

जिलाधिकारी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना से बीहड बंजर सुधार करके कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतरीन तरीके से जिले के समस्या के क्षेत्रों में कराने के निर्देश दिए गए। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने किसानों से आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग करने तथा बाजार में मांग के अनुरूप फसलों की खेती करने तथा किसान भाईयों को फसल उत्पादन के साथ आधुनिक बाजार उसके भंडारण की भी अच्छी व्यवस्था रखने को कहा, जिससे बाजार भाव अधिक होने पर अपने फसलों व उत्पादों को बेचकर अधिक आय प्राप्त कर सकें।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने भी उपरोक्त किसान मेले में कहा कि किसान भाइयों से उन्नत किस्म की कृषि किए जाने एवं भूमि से संबंधित विवादों से दूर रहने की बात कही। कहा कि यदि भूमि से संबंधित में किसी प्रकार का विवाद है तो उसका हल पुलिस विभाग के द्वारा निर्धारित विभिन्न पुलिस दिवसों, थाना दिवस आधुनिक बाजार व संपूर्ण समाधान दिवस में उपस्थित होकर उसका निस्तारण कर अपनी विभिन्न समस्याओं का निस्तारण कर सकते हैं। कृषि के क्षेत्र में अच्छी उत्पादन उत्पादकता भी प्राप्त कर सकते हैं।

किसान मेले पर गोष्ठी में मुख्य रुप से जिला कृषि अधिकारी, एस.डी.ओ. सदर, जिला उद्यान अधिकारी, जिला गन्ना अधिकारी, जिला कृषि भूमि संरक्षण अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी, एलडीएम, डीडीएम व विभिन्न ए.पी.ओ, स्वयं सहायता समूह के प्रतिनिधिगण ने मेले में अपनी सहभागिता प्रदान करते हुए अपने विचार किसानों के साथ साझा किया। इसके अतिरिक्त किसान भाइयों को इफको के तरफ से विभिन्न प्रकार के उत्पाद क्षेत्रीय प्रबंधक एके सिंह के द्वारा किसानों में वितरित किया गया। कृषि विभाग की तरफ से किसान मेले में आए हुए समस्त प्रगतिशील कृषक व महिलाओं को डी कंपोजर नि:शुल्क वितरित किया गया जिससे कि यह पराली का उचित रूप से प्रबंधन सुनिश्चित कर सकें। मेले में विभिन्न विभागों एवं निजी संस्थाओं द्वारा किसी से जुड़े हुए विभिन्न उत्पादों एवं योजनाओं की स्टाल भी लगाए गए जिसका जिलाधिकारी द्वारा अवलोकन भी किया गया।

किसान मेले में मुख्य रुप से उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी डीडीएम नाबार्ड क्षेत्रीय प्रबंधक एके सिंह कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ शशिकांत यादव द्वारा जनपद में कृषि विभाग के द्वारा संचालित योजनाओं के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी उपलब्ध कराते हुए पराली प्रबंधन के विषय में विशेष रूप से प्रकाश डाला।

7 असाधारण दुर्लभ माइक्रोकार जो कभी भारत में उपलब्ध थीं

यदि आप भारत में कार बाजार का अनुसरण कर रहे हैं, तो आपको Tata Nano के बारे में अवश्य पता होना चाहिए। Nano एक आधुनिक समय की माइक्रोकार है जिसने बाजार में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और बेहद कम मांग के कारण इसे बंद करना पड़ा। Nano से पहले हम में से कई लोगों ने Reva इलेक्ट्रिक माइक्रो कार भी देखी थी। लेकिन माइक्रोकार कोई नई अवधारणा नहीं है। अतीत में उनमें से काफी कुछ रहे हैं। यहां आधुनिक बाजार उन सभी माइक्रोकार्स की सूची दी गई है जो भारतीय बाजार में बिक्री के लिए इस्तेमाल होती थीं।

Bajaj PTV

7 असाधारण दुर्लभ माइक्रोकार जो कभी भारत में उपलब्ध थीं

बजाज वर्तमान में भारत में Qute बेचता है, लेकिन बहुत पहले, ब्रांड ने PTV के साथ “माइक्रो कार” सेगमेंट में प्रवेश किया, जो निजी परिवहन वाहन में फैलता है। Bajaj ने पहली बार वाहन को 1980 के दशक में वापस बनाया था, जब ब्रांड अपने ऑटोरिक्शा से एक कार बनाने की कोशिश कर रहा था। उस समय Bajaj द्वारा बेचे जाने वाले ऑटोरिक्शा की इकाइयों की संख्या पर एक अधिरोपण था।

PTV एक ऑटोरिक्शा फ्रेम पर आधारित था, जिसे रैक और पिनियन स्टीयरिंग व्हील की सुविधा के लिए काट दिया गया था। इसने ऑटोरिक्शा के नियमित हैंडलबार को बदल दिया। यह एक 145cc सिंगल-सिलेंडर इंजन और एक मैटेलिक बॉडी द्वारा संचालित है। Bajaj ने कुल 10 प्रोटोटाइप बनाए लेकिन उन्होंने कभी उत्पादन में प्रवेश नहीं किया।

Sipani Badal

7 असाधारण दुर्लभ माइक्रोकार जो कभी भारत में उपलब्ध थीं

Sipani Badal मूल रूप से रिलायंट रॉबिन हैं जिन्हें हम में से कई लोगों ने Rowan Atkinson आधुनिक बाजार मिस्टर बीन टेली सीरीज़ में देखा होगा। यह 198-सीसी, दो-स्ट्रोक पेट्रोल इंजन, जो पिछले पहियों को शक्ति भेजता था, को रिलायंट रॉबिन की अवधारणा के आधार पर भारत लाया गया था। द रिलायंट रॉबिन एक तीन पहियों वाली कार थी जो यूके में बेची जाती थी और फिर 1970 के दशक में Badal हमारे पास आए। यह एक बेहद अजीब दिखने वाली कार थी और इसमें फाइबरग्लास की बॉडी थी और यह आसानी से लुढ़क भी जाती थी।

Scootacar

7 असाधारण दुर्लभ माइक्रोकार जो कभी भारत में उपलब्ध थीं

जर्मन फुलडामोबिल रिलायंट रॉबिन का जवाब था और यह भारत में भी आया। यह एक और थ्री-व्हील कार थी लेकिन सेट-अप अलग था क्योंकि सिंगल व्हील को पीछे की तरफ रखा गया था। Scootacar में 500 सीसी का Villiers इंजन लगा था, जो निश्चित रूप से अपने समय में काफी शक्तिशाली था।

Gogomobile

7 असाधारण दुर्लभ माइक्रोकार जो कभी भारत में उपलब्ध थीं

Gogomobile एक और जर्मन माइक्रोकार थी जिसे भारत में निर्मित होने की उम्मीद थी। इसमें 250cc का सिंगल-सिलेंडर इंजन लगा था जो कार को 100 किमी/घंटा तक थ्रॉटल कर देता था। कुछ इकाइयाँ भारत आईं लेकिन उत्पादन कभी शुरू नहीं हुआ।

Meera Mini

7 असाधारण दुर्लभ माइक्रोकार जो कभी भारत में उपलब्ध थीं

इसे एक ऐसे बाजार में लॉन्च किया गया था जहां भारत में 90 के दशक से संबंधित लोगों के हाथ में क्रय शक्ति थी। हालाँकि, Tata Nano के बारे में सोचने से बहुत पहले, श्री शंकरराव कुलकर्णी ने 1945 में पहली माइक्रोकार की अवधारणा की थी। पहला प्रोटोटाइप 1949 तक तैयार हो गया था और भारत में बनी पहली टू-सीटर कार थी। कार की लागत को कम करने के लिए, पारंपरिक निलंबन प्रणाली में उपयोग किए जाने वाले स्पेयर पार्ट्स की लागत से बचाने के लिए, यह एक ऑल-रबड़ निलंबन और एक एयर कूल्ड इंजन के साथ आया था।

यह 1951 में मात्र 19 Bhp इंजन के साथ आई थी और अधिकतम 90 आधुनिक बाजार किमी/घंटा तक जा सकती थी। इसने 21 किमी/लीटर का माइलेज दिया जो उस समय के लिए काफी अच्छा है। श्री कुलकर्णी इस कार के साथ लचीला थे और इसे आम जनता के लिए लॉन्च करने से पहले इसे अपग्रेड करने के लिए अलग-अलग बदलाव करते रहे। आखिरी ज्ञात संस्करण 1970 में तैयार किया गया था, जिसमें एक V-twin इंजन 14 Bhp पावर का उत्पादन करता था। इसे लगभग INR12000 के मूल्य टैग के साथ बेचने का निर्णय लिया गया था। हालांकि, इन वर्षों तक Maruti Suzuki ने 800 के साथ बाजार में प्रवेश किया और कारों के इस सेगमेंट के लिए बाजार को पूरी तरह से बदल दिया।

Trishul Diesel Tourer

7 असाधारण दुर्लभ माइक्रोकार जो कभी भारत में उपलब्ध थीं

इस मिनी Jeep का निर्माण बिहार के पटना में Trishul Crafts Auto Ltd द्वारा किया गया था। मॉडल का नाम Trishul Diesel Tourer था और यह चार सीटों, एक रैगटॉप छत और “Trishul” के रूप में एक हुड आभूषण के साथ आया था। यह सिंगल-सिलेंडर Greaves-Lombardini डीजल इंजन के साथ आया था। यह फोल्डेबल फ्रंट विंडशील्ड के साथ पूरी तरह से Jeep जैसा था।

Rajah Creeper

7 असाधारण दुर्लभ माइक्रोकार जो कभी भारत में उपलब्ध थीं

Rajah Group कुछ अनोखे वाहनों के साथ सामने आया। Kerala-based Rajah Group, जिसे बीड़ी बनाने और बेचने का अनुभव था, ने एक ऑटोमोबाइल डिवीजन बनाया। उन्होंने छोटे टू-सीटर का प्रदर्शन किया और इसका नाम Rajah Creepy रखा। यह किसी और चीज की तुलना में एक बॉक्सी एटीवी जैसा था। क्रीपर का आधिकारिक तौर पर 2012 ऑटो एक्सपो में अनावरण किया गया था और यह 800cc इंजन द्वारा संचालित था।

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