डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए

8) अभी आप किन सेक्टर्स को लेकर पॉजिटिव हैं?
म्युचुअल फंड्स में इन्वेस्ट कैसे करे – आसान हिन्दी में बेहतरीन आर्टिकल्स की एक शुरुआती गाइड
म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट हर एक इन्वेस्टर के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं । जिसका कारण है इससे मिलने वाले फायदे। इसके कईं फायदों में से कुछ सबसे महत्वपूर्ण फ़ायदे नीचे दिए हैं, जो इन्वेस्टर्स को अपनी ओर खींचते है और डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए जिसकी वजह से –
- इन्वेस्टर्स कितनी भी राशि के साथ शुरुआत डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए कर सकते हैं ( 500 जितना कम भी )
- इन्वेस्टर्स, अलग-अलग स्टॉक्स और डेट,गोल्ड जैसे इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं
- हर महीने ऑटोमेटेड इन्वेस्मेंट्स शुरू कर सकते हैं (SIP)
- डीमैट अकाउंट खोले बिना भी इन्वेस्ट कर सकते हैं
शुरुआती इन्वेस्टर्स के लिए इस म्युचुअल फंड इन्वेस्टमेंट गाइड में हमने कुछ आर्टिकल्स को आपके लिए चुना है। जो म्युचुअल फंड को समझने में और कैसे इन्वेस्ट करना शुरू करें, इसमें आपकी मदद करेंगे। हम सुझाव देंगे कि आप इस पेज को बुकमार्क कर लें ताकि आप इन आर्टिकल्स को अपनी सुविधा के अनुसार कभी भी पढ़ सकें।
क्या है लिक्विड फंड, जानें मौजूदा दौर में निवेश फायदेमंद है या नहीं
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 22 Feb 2021 01:02 PM (IST)
लिक्विड फंड , डेट फंड की एक कैटेगरी है जो डेट और मनी मार्केट के इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कॉमर्शियल पेपर, कॉल मनी, सरकारी सिक्योरिटी, ट्रेजरी बिल वगैरह में निवेश करता है. इसमें 91 दिनों तक की मैच्योरिटी अवधि होती है. लिक्विड फंड में निवेश करने सबसे बड़ा फायदा लिक्विडिटी का है. लिक्विडिटी का मतलब किसी संपत्ति को कितनी जल्दी बेच या खरीद कर उसे कैश में बदला जा सकता है.
लिक्विड फंड में जोखिम कम लेकिन अभी निवेश करना ठीक ? चूंकि लिक्विड फंड डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं, जो निश्चित ब्याज दर की पेशकश करते हैं, इसलिए इसमें निवेश से मिलने वाले रिटर्न तय होता है. सिक्योरिटीज़ के मैच्योर होने पर, निवेशक को निश्चित ब्याज के साथ मूल राशि मिल जाती है. शॉर्ट टर्म मैच्योरिटी अवधि के कारण, लिक्विड फंड ज्यादा आकर्षक होते हैं. लिक्विड फंड में निवेश पर कोई लॉक-इन अवधि नहीं है. निवेश के 7 दिनों के बाद निवेश की गई पूंजी को वापस लेने पर कोई एग्जिट फीस शुल्क नहीं है. लेकिन इस वक्त लिक्विड फंड उतने आकर्षक नहीं रह गए हैं. हाल में म्यूचुअल फंड कैटेगरी में लिक्विड फंडों से सबसे ज्यादा निकासी देखने को मिल रही है. जनवरी में निवेशकों ने लिक्विड फंडों से करीब 45 हजार करोड़ रुपये निकाले. दरअसल मार्केट में लिक्विडिटी की अधिकता के कारण लिक्विड फंड डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए में रिटर्न घट रहा है और निवेशक इनसे निकल रहे है.
डेट ऑरिएन्टेड हाइब्रिड फ़ंड
एक ऋण-उन्मुख हाइब्रिड फंड अपनी कुल संपत्ति का कम से कम 60% बॉन्ड, डिबेंचर, सरकारी प्रतिभूतियों, आदि में निवेश करता है, शेष 40% इक्विटी में निवेश किया जाता है।
ये फंड डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए अपनी कुल संपत्ति का न्यूनतम 65% इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स और शेष ऋण प्रतिभूतियों और नकदी में निवेश करते हैं। कराधान के लिए, उन्हें इक्विटी फंड माना जाता है ।
मंथली इंकम प्लान
मंथली इंकम प्लान एक हाइब्रिड फंड हैं जो मुख्य रूप से फिक्स्ड इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं और अपने कॉर्पस के एक छोटे हिस्से को इक्विटी और इक्विटी से संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स में आवंटित करते हैं।
आर्बिट्राज फंड एक बाजार में कम कीमत पर स्टॉक खरीदते हैं और इसे दूसरे में उच्च कीमत पर बेचते हैं। फंड मैनेजर लगातार आर्बिट्राज अवसरों की तलाश में रहता है और फंड के रिटर्न को अधिकतम करता है।
हाइब्रिड म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले विचार करने के लिए कारक
1. हाइब्रिड फंड अपने पोर्टफोलियो में परिसंपत्तियों के आवंटन के लिए एक निवेश जोखिम अनुपात रखते हैं। इसलिए, इसमें शामिल जोखिमों की अच्छी समझ पाने के लिए योजना के पोर्टफोलियो का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, यदि आप एक इक्विटी-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड में निवेश कर रहे हैं, तो आपको फंड के मालिक के शेयरों को देखना होगा। प्रमुख रूप से बड़े-कैप या छोटे / मिड-कैप हैं? इससे आपको जोखिमों को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलती है। इसके अलावा, यह आपको उस तरह का रिटर्न भी देगा जो आप उम्मीद कर सकते हैं।
2. चूंकि हाइब्रिड फंड विभिन्न प्रकारों में आते हैं, इसलिए स्कीम चुनने से पहले अपने जोखिम सहिष्णुता, वित्तीय लक्ष्यों और निवेश क्षितिज पर विचार करना महत्वपूर्ण है। यदि आपको नियमित आय की आवश्यकता है, तो एक डेट फंड्स में किसे निवेश करना चाहिए ऋण-उन्मुख हाइब्रिड फंड के लिए चयन करने से अतिरिक्त इक्विटी घटक के कारण शुद्ध डेट फंड की तुलना में बेहतर रिटर्न मिल सकता है। सुनिश्चित करें कि आप निवेश करने से पहले इन कारकों पर विचार करें।
बाजार के मौजूदा हालात में निवेश को लेकर लग रहा है डर, ऐसे बनाएं मजबूत पोर्टफोलियो
भारत में महंगाई दर उच्च है, लेकिन यह मैनेजबल रही है और अर्थव्यवस्था ने भी लचीलापन दिखाया है। बड़े घरेलू आधार को देखते हुए हमारा मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था प्रत्याशित ग्लोबल मंदी से अपेक्षाकृत कम प्रभावित रह सकती है।
Updated: | Mon, 14 Nov 2022 06:15 PM (IST)
शेयर बाजार में कभी तेजी आ रही है तो कभी गिरावट। साल 2022 में अबतक भले ही बाजार पॉजिटिव हैं, लेकिन अनिश्चितताएं बनी हुई हैं. इसके पीछे कई तरह के ग्लोबल फैक्टर ज्यादा जिम्मेदार हैं. जैसे महंगाई, रट हाइक, मंदी की आशंका और जियो पॉलिटिकल टेंशन। फिलहाल इस बीच निवेशक अपने निवेश को लेकर या तो कनफ्यूज हो रहे हैं या डरे हुए हैं. आखिर मौजूदा हालात में उन्हें कहां निवेश करना चाहिए।
1) बाजार के जो मौजूदा हालात हैं, उस बारे में आप क्या सोचते हैं? भारतीय बाजारों का आउटलुक कैसा दिख रहा है?
हाइलाइट्स
म्यूचुअल फंड के माध्यम से इक्विटी मार्केट में निवेश को अन्य तरीकों से ज्यादा जोखिमरहित माना जाता है.
बाजार में गिरावट के दौरान भी अगर निवेशक निवेश बरकरार रखता है तो उसे लॉन्ग टर्म में फायदा होता है.
नुकसान से बचने के लिए निवेश में विविधता होनी आवश्यक है.
नई दिल्ली. जब आप इक्विटी मार्केट (Equity Market) या इससे संबंधित इनवेस्टमेंट टूल्स में निवेश करते हैं तो फायदे के साथ-साथ नुकसान होने की संभावना भी रहती है. अगर निवेशक ने जैसा सोचकर निवेश किया है और वैसा न हो तो इनवेस्टर अपनी मूल पूंजी (कैपिटल) भी खो सकता है. हालांकि यह भी एक हकीकत है कि हाई रिस्क निवेश शानदार रिटर्न भी देता है.
ऐसे निवेशक जो कम जोखिम उठाकर इक्विटी मार्केट में निवेश (Investing In Equity Market) करना चाहते हैं उनके लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) एक बेहतरीन इनवेस्टमेंट टूल है. लेकिन, ऐसा भी नहीं है कि म्यूचुअल फंड में घाटा नहीं होता. इसमें भी निवेश कई बार नुकसान में चला जाता है. लेकिन, म्यूचुअल फंड निवेश के घाटे को दूर किया जा सकता है. इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है.