विदेशी मुद्रा व्यापार प्रणाली

क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है?

क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है?

विदेशी करंसी रखने पर हो सकती है सजा

हमारे देश में कोई भी नागरिक विदेशी करंसी अपने पास नहीं रख सकता। जब कोई शख्स विदेश जाता है तो उसे बैंक से.

ट्रैवलर चेक भी विदेशी करंसी ही माना जाता है। अगर कोई बिजनेसमैन बिजनेस के सिलसिले में विदेश जा रहा हो तो उसे कंपनी के स्टेटस से संबंधित कागज पेश करना होता है या फिर अगर वह कुछ खरीदने के लिए विदेश जा रहा हो तो उसे सरकार से लिया गया परमीशन लेटर बैंक के सामने पेश करना होता है और उस आधार पर बैंक उसे डॉलर जारी करती है। इस डॉलर के बदले उस शख्स को रुपये बैंक में डिपॉजिट करने होते हैं।

जुर्माना भी, सजा भी
अगर कोई आदमी बैंक से विदेशी करंसी जारी करा ले और 15 दिनों के भीतर विदेश न जा पाए तो उसे 15 दिनों के भीतर वह करंसी आरबीआई के ऑथराइज्ड डीलर के पास जमा करनी होगी। कानूनी जानकार नवीन माटा के मुताबिक अगर किसी शख्स के पास से विदेशी करंसी बरामद की जाती है तो उसके खिलाफ फेमा (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट) के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। प्रवर्तन निदेशालय केस दर्ज करता है और प्राप्त रकम से तीन गुणा पेनाल्टी लगाता है। साथ ही रकम भी जब्त की जा सकती है।

अग्रवाल के मुताबिक, अगर कोई शख्स विदेशी करंसी के साथ कस्टम क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है? एरिया में चला जाता है तो उसे बताना होगा कि यह करंसी कहां से जारी हुई। कस्टम एरिया में एयरपोर्ट, बंदरगाह या क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है? सड़क मार्ग में बॉर्डर एरिया आता है। अगर तय सीमा से ज्यादा करंसी बरामद होती है तो उस शख्स के खिलाफ कस्टम एक्ट-135 और 132 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। अवैध विदेशी करंसी के साथ पकड़े जाने पर संदिग्ध को यह बताना होता है कि करंसी कहां से आई?

अगर संदिग्ध करंसी का सही सोर्स नहीं बता पाता तो उसके खिलाफ कस्टम एक्ट-132 के तहत केस बनता है और दो साल तक कैद हो सकती है। साथ ही तय सीमा से ज्यादा रकम अगर किसी ने अपने पास रखी है या फिर बिना किसी अथॉरिटी के विदेशी करंसी रखी हुई है तो उसके खिलाफ कस्टम एक्ट-135 के तहत क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है? केस बनाता है और उसमें दोषी पाए जाने पर अधिकतम तीन साल तक कैद का प्रावधान है। अगर विदेशी करंसी के साथ कस्टम इलाके से कोई गुजरता है तो वहां कस्टम एक्ट के तहत कार्रवाई होगी लेकिन अगर इलाका कस्टम का नहीं हो तो प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी फेमा के तहत मामला बना सकते हैं।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6 अरब डॉलर गिरा, अक्टूबर 2020 के बाद से सबसे कम

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया है.

Published: August 27, 2022 8:52 PM IST

RBI

मुंबई: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया है. प्रभुदास लीलाधर में अर्थशास्त्री और क्वांट विश्लेषक ऋतिका छाबड़ा ने कहा, “भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त को घटकर 564 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो अक्टूबर 2020 के बाद सबसे कम है. आरबीआई (Reserve Bank of India) के क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है? साप्ताहिक सांख्यिकीय आंकड़ों से पता चलता है कि 19 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर गिरकर 564.053 अरब डॉलर हो गया. इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मौजूदा परिसंपत्तियों में गिरावट है, जिसका उपयोग आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये में गिरावट को कम करने के लिए कर रहा है.”

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इससे पहले के सप्ताह में 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.238 डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रह गया था. जुलाई के अंतिम सप्ताह में वृद्धि को छोड़कर हर एक सप्ताह में रिजर्व में गिरावट आई है. फरवरी के अंत में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से यह 26 सप्ताहों में से 20 के लिए गिर गया है.

समीक्षाधीन सप्ताह में एफसीए 5.779 अरब डॉलर गिरकर 501.216 अरब डॉलर हो गया. आगे बढ़ते हुए, छाबड़ा ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार निकट अवधि में दबाव में रहने की संभावना है क्योंकि डीएक्सवाई जुलाई के मध्य में अपने उच्च स्तर पर वापस आ गया है और तेल की कीमतें ऊंची रहने की उम्मीद है.

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ईडी ने अवैध ऑनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए OctaFX से संबंधित 21 करोड़ रुपये से अधिक के खातों को फ्रीज किया

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कई बैंक खातों को सील कर दिया है। ऑनलाइन विदेशी मुद्रा (विदेशी मुद्रा) व्यापार में अवैध रूप से लिप्त होने के लिए मेसर्स OctaFX और संबंधित संस्थाओं से संबंधित 21.14 करोड़ शेष।

इससे पहले, ईडी ने अंतरराष्ट्रीय दलालों, अर्थात् OctaFx ट्रेडिंग ऐप और वेबसाइट www.octafx.com के माध्यम से अवैध ऑनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए मेसर्स OctaFX इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और संबंधित कंपनियों के विभिन्न परिसरों में तलाशी ली थी।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत अधिकारियों द्वारा की गई जांच के अनुसार, उपरोक्त ऑनलाइन ट्रेडिंग ऐप और वेबसाइट भारत में मेसर्स ऑक्टाएफएक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सहयोग से काम कर रही हैं। लिमिटेड फॉरेक्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म, जिसे सोशल नेटवर्किंग साइटों पर व्यापक रूप से प्रचारित किया जा रहा है, उपयोगकर्ताओं को अपने प्लेटफॉर्म पर आकर्षित करने के लिए रेफरल-आधारित प्रोत्साहन मॉडल का पालन कर रहा है।

यह देखा गया है कि मुख्य रूप से यूपीआई/स्थानीय बैंक हस्तांतरण के माध्यम से उपयोगकर्ताओं से एकत्रित धन को विभिन्न नकली संस्थाओं के बैंक खातों में डाला जाता है और लेयरिंग के उद्देश्य से घरेलू स्तर पर अन्य बैंकों में स्थानांतरित किया जाता है। लेयरिंग जटिल वित्तीय लेनदेन की परतों के उपयोग के माध्यम से आपराधिक गतिविधि की आय को उनके मूल से अलग करने की प्रक्रिया है, जिससे धन को ट्रैक करने की प्रक्रिया को पूरा करना अधिक कठिन हो जाता है।

जांच के अनुसार, धन का उपयोग सीमा पार लेनदेन के लिए भी किया गया है। जांच में अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन विदेशी मुद्रा व्यापार दलालों और उनके भारतीय भागीदारों/एजेंटों के बीच सांठगांठ का भी पता चला है।

OctaFX ऐप और इसकी वेबसाइट को फॉरेक्स ट्रेडिंग में डील करने के लिए RBI द्वारा अधिकृत नहीं किया गया है। विदेशी मुद्रा व्यापार का संचालन और संचालन (किसी मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर नहीं किया जा रहा है) अवैध है और फेमा नियमों का भी उल्लंघन करता है।

जांच के दौरान, यह सामने आया कि विभिन्न भारतीय बैंकों के कई खाते निवेशकों/उपयोगकर्ताओं को OctaFX ट्रेडिंग ऐप और वेबसाइट पर फॉरेक्स ट्रेडिंग को सुविधाजनक बनाने के उद्देश्य से फंड इकट्ठा करने के लिए दिखाए जा रहे थे। संचित धन को एक साथ कई ई-वॉलेट खातों जैसे नेटेलर, स्क्रिल या डमी संस्थाओं के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दिया गया था।

इसके अलावा, यह भी सामने आया है कि ट्रेडिंग ऐप पर धोखाधड़ी की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा मैसर्स ज़ानमाई लैब्स प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से क्रिप्टो मुद्राओं/संपत्तियों को खरीदने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

मेसर्स ज़ानमाई लैब भारतीय रुपये में प्राप्त राशि को वज़ीरक्स वॉलेट में जमा करने के लिए बैंकिंग चैनल और एक पुल प्रदान कर रहा है, जिसने राशि को बिनेंस एक्सचेंज (केमैन द्वीप में उपयोग किया जाने वाला एक क्रिप्टो एक्सचेंज) में स्थानांतरित कर दिया, जिससे भारतीय मुद्रा के हस्तांतरण की सुविधा हुई। क्रिप्टो मुद्राओं के रूप में विदेशी संस्थाएं। आगे की जांच की जा रही है।

ब्लैक मनी पर चोट, सबसे ज्यादा मुंबई के लोगों की दुबई में अवैध संपत्ति

आयकर विभाग के आपराधिक जांच प्रकोष्ठ ने 2000 भारतीय नागरिकों की पहचान की है जिनके पास दुबई में संपत्तियां हैं लेकिन उन्होंने अपने आईटी रिटर्न में इसे घोषित नहीं किया.

कालेधन के खिलाफ सरकार की मुहिम जारी

दिव्येश सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2020,
  • (अपडेटेड 12 फरवरी 2020, 11:35 PM IST)
  • कुछ लोगों के लिए कालेधन को खपाने के लिए दुबई सबसे बेहतर जगह
  • आयकर विभाग ब्लैक मनी एक्ट के तहत आरोपियों पर करेगा कार्रवाई
  • आयकर विभाग को सही जवाब नहीं मिलने पर संपत्ति हो सकती है जब्त

आयकर विभाग के आपराधिक जांच प्रकोष्ठ ने 2000 क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है? भारतीय नागरिकों की पहचान की है जिनके पास दुबई में संपत्तियां हैं. लेकिन उन्होंने अपने आईटी रिटर्न में इसे घोषित नहीं किया. काले धन के खिलाफ जारी मुहिम के तहत एजेंसी ने ये कदम उठाया है. एजेंसी की जानकारी के मुताबिक कुछ लोगों ने हाल फिलहाल के वर्षों में विदेश में संपत्तियां खरीदीं और शेल कंपनियों को ट्रांसफर कीं. ये सब गलत तरीके से कमाए पैसे को छुपाने रखने और आयकर बचाने के मकसद से किया गया.

काले धन के खिलाफ सरकार की मुहिम

बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी करने और काला धन विदेश में खपाने वालों के खिलाफ आयकर विभाग ने कमर कसी हुई है. काले धन को खपाने के लिए दुबई सबसे नजदीक और पसंदीदा जगह बना हुआ है.

जिन 2000 लोगों और कंपनियों की पहचान की गई हैं उनमें कई कारोबारी, टॉप प्रोफेशनल्स और सरकारी अधिकारी भी शामिल हैं. आयकर विभाग ब्लैक मनी एक्ट के तहत आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगा. ऐसे लोग जिनके पास विदेश में संपत्ति है. लेकिन उन्होंने उसे घोषित नहीं किया और जो संपत्ति खरीदने के लिए इस्तेमाल क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है? किए गए पैसे का स्रोत बताने में नाकाम रहे तो ब्लैक मनी एक्ट के तहत उन पर अभियोग चलाया जाएगा.

जांच में गड़बड़ी

आयकर कानून के सेक्शन FA (विदेशी संपत्ति) के मुताबिक सालाना आईटी रिटर्न भरते वक्त देश के बाहर खरीदी गई संपत्तियों, संसाधनों और कंपनियों की जानकारी देना ज़रूरी होता है. दुबई में संपत्ति रखने वाले 2000 लोगों में से करीब 600 ने आय के स्रोत या खरीद के वक्त भुगतान को लेकर अन्य संबंधित कागजात की जानकारी नहीं दी.

ऐसे लोगों पर अभियोग चलाने के साथ इनकी संपत्ति ज़ब्त की जा सकती है. इसके अलावा उन से संपत्ति के मूल्य के 300% तक की पेनल्टी वसूली जा सकती है. साथ ही ब्लैक मनी एक्ट के तहत कारावास भी भुगतना पड़ेगा. दुबई में संपत्ति खरीदने के रूट को मनी लॉन्डरर्स, स्मगलर, क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है? अंडरवर्ल्ड गैंगस्टर्स और नशीले पदार्थों के कारोबारी भी करते रहे हैं.

सबसे ज्यादा मुंबई के लोग

जिन 2000 लोगों की पहचान की गई हैं उनमें सबसे ज्यादा मुंबई के हैं. इसके बाद केरल और गुजरात का नंबर आता है. बता दें कि सेक्शन FA (विदेशी संपत्ति) वर्ष 2011-12 में शुरू किया गया. तभी से विदेश में खरीदी गई संपत्ति को आईटी रिटर्न में घोषित करना अनिवार्य है.

जिन लोगों की आयकर विभाग ने पहचान की है उन पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन एक्ट (FEMA) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी कार्रवाई करेगा. हाल में ED ने विदेश में काला धन रखने वालों के खिलाफ मुहिम शुरू की है. इसके तहत भारतीय नागरिकों की ओर से गैर कानूनी तरीके से खरीदी गई अचल संपत्तियों की पहचान की जा रही है. फेमा एक्ट के सेक्शन 4 के तहत भारत में रहने वाला कोई भी नागरिक भारत के बाहर विदेशी मुद्रा, विदेशी प्रतिभूति या कोई अचल संपत्ति ना तो रख सकता है और ना ही उसे ट्रांसफर कर सकता है.

ED की दबिश में हुआ था खुलासा

बता दें कि इस साल 17 जनवरी को ED ने बीएमसी के पूर्व चीफ इंजीनियर के घर पर फेमा से जुड़े केस में तलाशी ली थी. इस तलाशी के दौरान ED अधिकारियों ने दुबई में कथित तौर पर गैर कानूनी ढंग से खरीदी गई संपत्ति से जुड़े कागजात जब्त किए गए थे. ये पूर्व चीफ इंजीनियर बीएमसी के बिल्डिंग प्रस्ताव विभाग और विकास प्लान विभाग जैसे अहम जगहों पर तैनात रह चुका था. एजेंसी ने पूर्व चीफ इंजीनियर की पहचान नहीं खोली लेकिन बताया जा रहा है कि करीब 7 वर्ष पहले वो बीएमसी से सेवानिवृत्त हुआ था.

बताया जाता है कि पूर्व चीफ इंजीनियर ने दुबई के पार्क आईलैंड, बोनेयर मार्सा में 89 वर्ग मीटर की संपत्ति 2012 में 70 लाख रुपए में खरीदी. लेकिन इस संपत्ति को खरीदने के लिए इस्तेमाल की गई रकम कहां से आई, चीफ इंजीनियर इसकी जानकारी नहीं दे सका.

59 लाख रुपये की विदेशी मुद्रा जब्त

दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल की टीम ने एक भारतीय यात्री को पकड़ा है, जिसके पास से 59 लाख रुपये मूल्य के 11 हजार यूएस डॉलर और 2 लाख यूएई दिरहम बरामद की गई है। यात्री की पहचान सुमित कुमार के रूप में हुई है। ये एयर इंडिया की फ्लाइट नम्बर IX-135 से शारजाह जाने वाला था।

सीआईएसएफ प्रवक्ता के अनुसार, बिहेवियर डिटेक्शन के आधार पर सीआईएसएफ की टीम को टर्मिनल 3 के चेकइन एरिया के ‘C’ रो में खड़े एक हवाई यात्री पर शक हुआ। संदिग्ध गतिविधियों क्या विदेशी मुद्रा खरीदना अवैध है? के आधार पर उसके लगेज की जांच के लिए उसे गेट नम्बर 3 के रैंडम चेकिंग पॉइंट की तरफ डायवर्ट किया गया।

एक्स रे मशीन से स्क्रीनिंग के दौरान उसके बैग में संदिग्ध इमेज नजर आया। जिसके बाद सीआईएसएफ की टीम ने चेकइन प्रोसेस के लिए जाने दिया, और उस पर नजरें बनाये रखी। इसकी जानकारी सीआईएसएफ के वरिष्ठ अधिकारियों को दी गयी।

यात्री के चेकइन और इम्मीग्रेशन प्रक्रिया पूरी करने के बाद, उसे पूछताछ और लगेज की जांच के लिए रोका गया। उसके हैंड बैग की तलाशी में 22 हजार यूएस डॉलर और 2 लाख युएई दिरहम बरामद किया गया। जिसे बैग में बनाये गए फॉल्स बॉटम में छुपा कर रखा गया था।

बरामद विदेशी मुद्रा की कीमत 59 लाख रुपये बताई जा रही है। पूछताछ में वो इन करेंसी को ले जाने का कोई वैलिड डॉक्युमेंट्स नहीं दे पाया। जिस पर सीआईएसएफ ने बरामद विदेशी मुद्रा को जब्त कर यात्री सहित कस्टम के हवाले कर दिया।

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