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The GST council in its 32nd meeting today accorded massive relief for MSME sector. — Arun Jaitley (@arunjaitley) January 10, 2019

Alwar Investors Summit: अलवर में कारोबारियों को बेहतर विकल्प मिलता है, इसलिए यहां करते हैं अधिक निवेश- जितेंद्र सिंह

अलवर में गुरुवार को इन्वेस्टर्स समिट (Alwar Investors Summit) में 200 एमओयू हुए हैं. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अलवर में कारोबारियों को बेहतर विकल्प मिलता है, इसलिए यहां इन्वेस्ट करते हैं.

अलवर. जिले में गुरुवार को इन्वेस्टर्स समिट (Alwar Investors Summit) का आयोजन किया गया. इस मौके पर देशभर के कारोबारियों ने अलवर में निवेश के लिए अपनी सहमति दी. इस मौके पर करीब 200 एमओयू (200 MOU in Alwar Investors Summit) भी हुए. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में मौजूद पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कारोबारियों को अलवर में बेहतर विकल्प मिलता है. अलवर क्योंकि दिल्ली और जयपुर के नजदीक है इसलिए यहां लेबर और कच्चा माल भी आसानी से मिल जाता है. इसलिए यहां अधिक निवेश करते हैं.

जितेंद्र सिंह ने बताया कि पांच जगहों पर नए उद्योग लगाने के लिए 128 प्रस्ताव मिले हैं. बीड़ा भिवाड़ी, पर्यटन विभाग तथा यूआईटी अलवर से 21 प्रस्ताव मिले हैं. अलवर जिले से 190 इंडस्ट्रियल इकाइयों में करीब 5 हजार 516 करोड़ रुपए का निवेश और 17 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा दिल्ली रोड शो में 116 इकाइयों ने किए 3 हजार 430 करोड़ के निवेश और करीब 17 हजार लोगों को रोजगार दिए जाने के प्रस्ताव मिले हैं. कुल मिलाकर अलवर में 306 इकाइयों में करीब 9 हजार करोड़ का निवेश और 34 हजार लोगों को रोजगार के प्रस्ताव अब तक मिल चुके हैं.

उन्होंने कहा कि अलवर से दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे और डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर गुजर रहा है. यह जिला देश और राज्य की राजधानी के बीच में है. यहां रोड, रेलवे, वायु परिवहन संचार तथा सेटेलाइट कनेक्टिविटी बेहतर है. पहले से यहां 20 हजार से अधिक एमएसएमई इकाइयां हैं. फूड प्रोसेसिंग, मेटल, केमिकल, इलेक्ट्रिक, टेक्स्टाइल, हॉस्पिटेलिटी और रियल स्टेट के तहत निवेश सबसे अधिक होगा.

17 हजार से अधिक रोजगार मिले
इस मौके पर उद्योग मंत्री शकुंतला रावत ने कहा अलवर में नए उद्योग लगाने के लिए 128 प्रस्ताव मिले हैं. यूआईटी अलवर से 21 प्रस्ताव मिले हैं. जिले से 190 इंडस्ट्रियल इकाइयों में करीब 5 हजार 516 करोड़ रुपए का निवेश और 17 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके अलावा दिल्ली रोड शो में 116 इकाइयों से करीब 3 हजार 430 करोड़ के निवेश तथा करीब 17 हजार लोगों को रोजगार दिए जाने के प्रस्ताव मिले हैं. कुल मिलाकर अलवर जिले में 306 इकायों में करीब 9 हजार करोड़ का निवेश और 34 हजार लोगों को रोजगार के प्रस्ताव मिल चुके हैं. उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में करीब 10 हजार करोड़ का निवेश होगा. इसके लिए कारोबारियों ने एमओयू किए हैं.

एक पोस्ट पर प्रमोशन के विकल्प में विफल होने पर दूसरी पोस्ट का ऑप्शन कानूनी सही नहीं- हाई कोर्ट

प्रमोशन के ऑप्शन पर हिमाचल प्रदेश विकल्प कारोबार हाई कोर्ट ने अहम व्यवस्था दी है. हाई कोर्ट ने कहा है कि एक पोस्ट पर प्रमोशन के विकल्प में विफल होने पर दूसरी पोस्ट का ऑप्शन विकल्प कारोबार कानूनी सही नहीं है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने प्रमोशन के ऑप्शन पर अहम व्यवस्था दी है. हाई कोर्ट ने कहा है कि एक पद के लिए प्रमोशन के विकल्प पर विफल होने के बाद दूसरे पद के लिए विकल्प देना कानूनी तौर पर न्यायोचित नहीं है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने वीपी राणा की याचिका को स्वीकार करते हुए उसे साल 2002 से रोजगार अधिकारी के पद पर प्रमोट करने के आदेश जारी कर दिए.

हाई कोर्ट ने मामले से जुड़े तथ्यों का अवलोकन करने के बाद यह पाया कि प्रार्थी को वर्ष 2002 से रोजगार अधिकारी के पद पर प्रमोशन के लाभ लेने से वंचित होना पड़ा, क्योंकि प्रार्थी सांख्यिकीय सहायक के लिए प्रमोशन का केवल एक ही चैनल था और दूसरी तरफ निजी तौर पर प्रतिवादी बनाये गए वरिष्ठ सहायक मोहिंदर सिंह के लिए प्रमोशन के दो चैनल थे. हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि श्रम एवं रोजगार विभाग द्वारा वरिष्ठ सहायकों को पदोन्नति के लिए एक से अधिक अवसर देने के अपने विकल्पों का प्रयोग करने देना मनमाना है और कानून की नजर में न्यायोचित नहीं है.

चुनाव का सिद्धांत, पहली बार में, एक कर्मचारी पर यह चुनाव करने का दायित्व डालता है कि क्या वह पदोन्नति के लिए ए या स्ट्रीम बी का विकल्प चुनना चाहता है. कोर्ट ने कहा कि एक बार, उसने उस विशेष विकल्प का प्रयोग किया है, तो उसे बाद में उसके उस विकल्प से पीछे हटने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. वरिष्ठ सहायकों के पास सांख्यिकीय सहायकों की तुलना में प्रमोशन के दो चैनल थे. हर स्तर पर वरिष्ठ सहायकों को एक विकल्प की अनुमति है. वे या तो रोजगार अधिकारी के पद पर पदोन्नति का विकल्प चुनें या अधीक्षक, विकल्प कारोबार ग्रेड-ए के पद पर प्रमोशन का विकल्प चुनें.

हाई कोर्ट ने कहा कि चुनाव का सिद्धांत ऐसी स्थिति में अपना महत्व खो देता है क्योंकि ऐसा पदाधिकारी हर स्तर पर उस पद का चुनाव करेगा, जो उसे उपलब्ध है. वहीं, दूसरी तरफ सांख्यिकीय सहायक असहाय होकर छोड़ दिया जाएगा क्योंकि सांख्यिकीय सहायक के पास केवल पदोन्नति के लिए केवल एक ही चैनल है. कोर्ट ने कहा कि विभाग ने वर्ष 2002 में फिर से मोहिंदर सिंह से विकल्प मांगा है, वह कानून की नजर में गलत है. विशेषतया जब उसने वर्ष 2001 में अधीक्षक, ग्रेड-टू के चैनल के लिए विकल्प दिया था और उसे अधीक्षक, ग्रेड-टू के पद के खिलाफ प्रमोशन के लिए सीनियोरिटी के आधार पर प्रतीक्षा करनी थी. उसे अपने पहले के विकल्प से हटने और फिर से एक विकल्प कारोबार नए विकल्प के लिए जाने की अनुमति नहीं दी जा सकती थी.

कोर्ट ने उपरोक्त टिप्पणियों के मद्देनजर प्रार्थी की याचिका को स्वीकार करते हुए मोहिंदर सिंह की प्रमोशन को रोजगार अधिकारी के पद पर गलत ठहराया, चूंकि मोहिंदर सिंह सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इस स्थिति में प्रदेश उच्च न्यायालय ने उनके प्रमोशन के आदेश को रद्द करना उचित नहीं समझा. लेकिन प्रार्थी को मोहिंदर सिंह के रोजगार अधिकारी के पद पर प्रमोशन की तारीख से रोजगार अधिकारी के पद पर प्रमोट करने के आदेश जारी किए.

छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत: अब 40 लाख रुपये तक के कारोबार को जीएसटी से छूट

जीएसटी काउंसिल की 32वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए

छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत: अब 40 लाख रुपये तक के कारोबार को जीएसटी से छूट

खास बातें

  • कंपोजीशन स्कीम के तहत व्यवसायी साल में एक बार रिटर्न भर सकेंगे
  • टैक्स हर तिमाही जमा कराना होगा
  • पहले जीएसटी से छूट की सीमा 20 लाख रुपए थी

छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत देते हुये जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी से छूट की सीमा को दोगुना कर 40 लाख रुपये कर दिया. इसके अलावा अब डेढ़ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली इकाइयां एक प्रतिशत दर से जीएसटी भुगतान की विकल्प कारोबार कम्पोजिशन योजना का फायदा उठा सकेंगी. यह व्यवस्था एक अप्रैल से प्रभावी होगी. पहले एक करोड़ रुपये तक के कारोबार पर यह सुविधा प्राप्त थी. हालांकि, राज्यों को 20 लाख रुपये या 40 लाख रुपये की छूट सीमा में से किसी को भी चुनने का विकल्प होगा. क्योंकि कुछ राज्य छूट सीमा बढ़ाने को राजी नहीं थे. उनका कहना था कि छूट सीमा बढ़ाने से उनके करदाताओं का आधार सिकुड़ जायेगा. उन्हें विकल्प चुनने के लिय्रे एक सप्ताह का समय दिया गया है.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि छोटे कारोबारियों के लिये जीएसटी छूट सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये सालाना कर दिया गया है जबकि पूर्वोत्तर राज्यों में इसे बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया गया है. पूर्वोत्तर राज्यों के व्यवसायियों के लिये पहले यह सीमा दस लाख रुपये थी. जीएसटी परिषद की इस पहल से पंजीकृत 1.17 करोड़ कारोबारियों में विकल्प कारोबार विकल्प कारोबार विकल्प कारोबार से करीब 70 प्रतिशत का फायदा होगा. उद्योग मंडल सीआईआई का ऐसा कहना है. सूत्रों ने कहा कि यदि सभी राज्यों द्वारा छूट सीमा दोगुनी करने के फैसले को लागू किया जाता है तो इससे सालाना 5,200 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा. इसके अलावा परिषद ने केरल को दो साल के लिए राज्य में एक प्रतिशत ‘आपदा' उपकर लगाने की अनुमति दे दी है.

केरल में पिछले साल भयंकर बाढ़ से जानमाल का काफी नुकसान हुआ. राज्य में पुननिर्माण एवं पुनर्वास कार्यों के लिये अतिरिक्त राजस्व जुटाने के वास्ते राज्य सरकार उपकर लगाने की मांग कर रही थी. वित्त मंत्री ने कहा कि कम्पोजिशन योजना के तहत छोटे व्यापारियों को अपने कारोबार के आधार पर एक प्रतिशत का कर देना होता है. एक अप्रैल से अब इस योजना का लाभ डेढ़ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले उठा सकते हैं. इसके अलावा 50 लाख रुपये तक का कारोबार करने वाले सेवा प्रदाता और माल आपूर्ति दोनों काम करने वाले कारोबारी भी जीएसटी कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुन सकते हैं. उन्हें छह प्रतिशत की दर से कर देना होगा.

कम्पोजिशन योजना के तहत लिये गये इन दोनों निर्णयों से राजस्व पर सालाना 3,000 करोड़ रुपये तक का प्रभाव होगाय जेटली ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘जीएसटी विकल्प कारोबार परिषद ने अपनी 32वीं बैठक में बृहस्पतिवार को एमएसएमई क्षेत्र को बड़ी राहत दी है.''

The GST council in its 32nd meeting today accorded massive relief for MSME sector.

— Arun Jaitley (@arunjaitley) January 10, 2019

जेटली ने कहा कि रीयल एस्टेट क्षेत्र की जीएसटी दर तय करने के मुद्दे पर एक सात सदस्यीय मंत्री समूह बनाया गया है. लॉटरी को जीएसटी के दायरे में लाने के मामले में भी अलग अलग विचार रहे इस पर भी एक मंत्री समूह विचार करेगा. जेटली ने कहा कि कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुनने वालों को सालाना सिर्फ एक कर रिटर्न दाखिल करनी होगी और हर तिमाही में एक बार कर का भुगतान करना होगा. उन्होंने कहा, ‘‘जीएसटी का एक बड़ा हिस्सा संगठित क्षेत्र और बड़ी कंपनियों से आता है. इन सभी फैसलों का मकसद एसएमई की मदद करना है. उन्हें कई विकल्प दिए गये हैं. यदि वे सेवा क्षेत्र में हैं तो छह प्रतिशत कर का विकल्प चुन सकते हैं.

विनिर्माण और व्यापार में हैं और डेढ़ करोड़ रुपये का कारोबार है तो एक प्रतिशत कर देना होगा। वे 40 लाख रुपये तक की छूट सीमा का लाभ ले सकते हैं।'' राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि अभी जीएसटी छूट की सीमा 20 लाख रुपये है, लेकिन 10.93 लाख करदाता ऐसे हैं जो 20 लाख रुपये की सीमा से नीचे हैं लेकिन कर अदा कर रहे हैं. पांडेय ने स्पष्ट किया कि 40 लाख रुपये की छूट की सीमा उन इकाइयों के लिए है जो वस्तुओं का कारोबार करते हैं और राज्य के भीतर व्यापार करते है. एक राज्य से दूसरे राज्य में कारोबार करने वाली इकाइयों को यह छूट सुविधा नहीं मिलेगी. कम्पोजिशन योजना के तहत व्यापारी और विनिर्माता एक प्रतिशत की रियायती दर से कर का भुगतान कर सकते हैं. रेस्तरांओं को इसके तहत पांच प्रतिशत जीएसटी देना होता है.

जीएसटी के तहत पंजीकृत इकाइयों की संख्या 1.17 करोड़ से अधिक है. इनमें से 18 लाख इकाइयों ने कम्पोजिशन योजना का विकल्प चुना है. नियमित करदाता को मासिक आधार पर कर देना होता है जबकि कम्पोजिशन योजना के तहत आपूर्तिकर्ता को तिमाही आधार पर कर चुकाना होता है. इसके अलावा कम्पोजिशन योजना के तहत करदाता को सामान्य करदाता की तरह विस्तृत रिकॉर्ड रखने की जरूरत नहीं होती. एमएसएमई को राहत पर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी की अगुवाई वाले मंत्री समूह ने रविवार को छूट सीमा को बढ़ाकर 40 लाख रुपये करने का फैसला किया था. मंत्री समूह के इन फैसलों को बृहस्पतिवार को परिषद के समक्ष रखा गया. ‘‘जीएसटी से छूट की सीमा को 20 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये किया गया लेकिन केरल और छत्तीसगढ़ ने इसे 20 लाख रुपये ही रखने पर जोर दिया. इसलिये राज्यों को यह विकल्प दिया गया है.'' सेवा प्रदाताओं की कम्पोजिशन योजना के बारे में सुशील मोदी ने कहा, ‘‘जीएसटी में नई कम्पोजिशन योजना में 50 लाख रुपये का कारोबार और छह प्रतिशत की दर होगी. छत्तीसगढ़ और कांग्रेस शासित राज्य आठ प्रतिशत जीएसटी चाहते थे. बाहर कांग्रेस निम्न कर की बात करती है और बैठक में ऊंची कर के लिये लड़ती है.''

Video: छोटे कारोबारियों को राहत, 40 लाख से कम कारोबार GST से बाहर

MP News : सरकार के विकल्प से संतुष्ट नहीं शराब कारोबारी, 80 फीसदी दुकानें बंद

MP News : सरकार के विकल्प से संतुष्ट नहीं शराब कारोबारी, 80 फीसदी दुकानें बंद

MP News : भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। प्रदेश में पहली बार शराब कारोबारी और सरकार आमने-सामने आ गए हैं। सरकार दुकानें खुलवाना चाहती है और कारोबारी बंद रखना। दरअसल, वाणिज्यिक कर विभाग ने लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान की भरपाई का जो विकल्प दिया है, उससे दुकान संचालक संतुष्ट नहीं हैं। अपनी मांगों पर अड़े कारोबारियों ने मंगलवार को 80 फीसदी दुकानें बंद रखीं। उधर, सरकार ने इन्हें 28 मई तक विकल्प (दो माह अतिरिक्त ठेका चलाने और वार्षिक शुल्क में छूट) चुनने का मौका दिया है।

27 मई को हाईकोर्ट में दुकान संचालकों की याचिका पर सुनवाई है। उधर सरकार की रणनीति 28 मई तक चुप्पी साधकर रखने की है। मामला नहीं सुलझने पर 29 मई को शराब दुकानों को लेकर रणनीति तय की जाएगी। प्रदेश में इस बार तीन हजार 605 (एक हजार 61 विदेशी और दो हजार 544 देसी) शराब दुकानों के लिए 25 प्रतिशत अधिक विकल्प कारोबार दर पर ठेके हुए हैं। सरकार को इससे करीब साढ़े 13 हजार करोड़ रुपये की वार्षिक आय होने की उम्मीद है और विभिन्न तरह के लाइसेंस शुल्क को भी मिला लिया जाए तो करीब 15 हजार करोड़ रुपये का राजस्व आबकारी से मिलने का अनुमान लगाया गया है।

ठेकेदारों ने आकर्षक आबकारी नीति के तहत ठेके लिए थे, लेकिन नया वित्तीय वर्ष शुरू होते ही कोरोना महामारी ने ऐसी दस्तक दी कि लॉकडाउन हो गया और शराब दुकानें करीब डेढ़ माह खुल ही नहीं पाईं। जबकि ठेकेदारों के मुताबिक यही वह सीजन होता है, जब शराब की सर्वाधिक खपत होती है। राजस्व के नुकसान को मद्देनजर रखते हुए लॉकडाउन के दौरान ही जब सरकार ने सशर्त शराब दुकानें खोलने की अनुमति दी तो कुछ जिलों में ठेकेदार तैयार ही नहीं हुए।

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हालांकि पहले अपर मुख्य सचिव वाणिज्यिक कर और फिर गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा के साथ वार्ता में मिले आश्वासन के बाद ज्यादातर दुकानें खुल गईं। इसी बीच विभाग ने शराब दुकानें सुबह सात से शाम सात बजे तक खोलने के अलावा ई-पास जैसी कुछ अन्य सुविधाएं भी दीं। मंत्री समूह ने चर्चा के बाद लॉकडाउन में हुए नुकसान की पूर्ति के लिए विकल्प दिया, जिससे शराब कारोबारी संतुष्ट नहीं हुए।

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वाणिज्यिक कर विभाग ने देसी और विदेशी शराब विकल्प कारोबार की विक्रय दर में दस-दस फीसदी की वृद्धि के साथ लॉकडाउन की अवधि का वार्षिक शुल्क घटाने, ठेका 31 मई 2021 तक करने और वार्षिक शुल्क जमा करने की समय सारिणी में बदलाव का विकल्प दिया। आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे का कहना था कि सरकार ने हर तरह से कारोबारियों को सहूलियत देने का काम किया है। विकल्प चुनने पर 31 मई 2021 तक दुकानों के संचालन का अधिकार मिलेगा।

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वहीं, लिकर एसोसिएशन के प्रवक्ता राहुल जायसवाल का कहना है कि समस्या अभी है और इलाज कुछ समय बाद देने की बात कही जा रही है। यह पूरी तरह से अव्यावहारिक है। दो माह का अतिरिक्त समय सशुल्क दिया जा रहा है, जो संचालकों द्वारा 25 प्रतिशत महंगी दर पर लिए ठेके में और वृद्धि करेगा। इस समय खपत नहीं है, इसलिए हम खपत के आधार पर एक्साइज ड्यूटी लेने की मांग कर रहे हैं। जिसे दरकिनार कर सरकार ने अपने विकल्प राजपत्र में प्रकाशित कर दिए हैं।

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यही वजह है कि भोपाल, इंदौर, उज्जैन, छिंदवाड़ा, शहडोल, जबलपुर, ग्वालियर सहित कई अन्य जिलों में शराब दुकानें बंद हो गई हैं। अशोक नगर, गुना, नरसिंहपुर, हरदा सहित कुछ अन्य जिले हैं, जहां अलग-अलग कारणों से दुकानें खुली हुई हैं। उधर सरकार की रणनीति भी यही है कि हाईकोर्ट में सुनवाई होने तक चुप्पी साध कर रखी जाए। 28 मई तक वैसे भी विकल्प चुनने का समय दिया गया है। इसके बाद शराब दुकानों को लेकर रणनीति तय की जाएगी।

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