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विकल्प रणनीति

विकल्प रणनीति
धवन की 5 गेंदबाजों की रणनीति से टीम इंडिया को यह नुकसान हुआ कि भारत के पास कोई अन्य बॉलिंग विकल्प नहीं था। टीम में धवन के अलावा गिल, श्रेयस अय्यर, सूर्यकुमार यादव, ऋषभ पंत और संजू सैमसन थे। इनमें से कोई भी खिलाड़ी गेंदबाजी नहीं करता। ऐसे में भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले वनडे में 6ठें गेंदबाज की कमी महसूस हुई।

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भाजपा के प्रति रणनीति में बदलाव करना राव इंद्रजीत सिंह की मजबूरी, BJP में बने रहने से बड़ा विकल्प नहीं

रेवाड़ी : गत दिनों मानेसर में आयोजित कार्यक्रम में सीएम से हाथ मिलाते राव। (फाइल फोटो)

नरेन्द्र वत्स : रेवाड़ी

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले राव इंद्रजीत सिंह (Rao Inderjit Singh) लगातार असहज नजर आते रहे हैं। भाजपा के रंग में रंगने की बजाय अक्सर पार्टी के प्रति तेवर तल्ख रहते हैं। उनके भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी के कई पुराने नेता और कार्यकर्ता असहज बनकर विकल्प रणनीति रह गए हैं। अहीरवाल में अपने व्यापक जनाधार के दम पर पार्टी हाईकमान को अहीरवाल के मामलों में अपनी शर्तों पर नचा चुके राव को अब अपनी राजनीतिक रणनीति में बदलाव करना ही होगा। इसकी शुरूआत उन्होंने मानेसर में आयोजित नितिन विकल्प रणनीति गड़करी के कार्यक्रम में सीएम मनोहरलाल से हाथ मिलाकर कर दी है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद अपनी नई रणनीति की घोषणा करने वाले राव भाजपा की अप्रत्याशित जीत के बाद अब पार्टी छोड़ने का जोखिम शायद ही उठा पाएं।

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Updated on: Apr 15, 2022 | 8:12 PM

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh) में हार, फिर विधानपरिषद (MLC Election) में करारी शिकस्त और समाजवादी पार्टी (SP) में मची बगावत ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को परेशान कर दिया है. अखिलेश समझ नहीं पा रहे हैं कि वह हार की समीक्षा करें या बागियों को संभालें. हालात यहां तक पहुंच गए कि अखिलेश यादव को अपने पिता मुलायम सिंह यादव को मैदान में उतरना ही पड़ा. अब सवाल यह है कि क्या मुलायम पार्टी के अंदर बगावत को खत्म कर पाएंगे? अखिलेश यादव 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के चक्रव्यूह को कैसे तोड़ेंगे? बड़ी बात यह भी है कि विकल्प रणनीति सपा जिस मुस्लिम और यादव समीकरण के सहारे लगभग 30 प्रतिशत वोट तक पहुंची थी और 2012 में सरकार बनाई थी. अब अगर मुसलमानों का भरोसा सपा से उठा तो अखिलेश यादव का राजनीतिक भविष्य क्या होगा?

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ऐसे जानिए ऑप्शन ट्रेडिंग से जुड़ी हर बात, होगा फायदा

Option Trading

पिछले कुछ सालों में हमने भारतीय डेरिवेटिव्स बाजार में ऑप्शन सेगमेंट की ट्रेडिंग गतिविधियों में तेज वृद्धि देखी है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) फ्यूचर और ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट में दैनिक कारोबार 4 लाख करोड़ को पार कर गई है और इस इंडेक्स में ऑप्शन का 80% से अधिक योगदान रहा है। यही कारोबार बैंक निफ्टी पर साप्ताहिक और मासिक समाप्ति के दिनों पर 10 लाख करोड़ से अधिक हो गया है। आजकल ऑप्शन सेगमेंट अपनी प्रोफ़ाइल के कारण अधिक लोकप्रिय हो गया है और यह 50 ओवर या टेस्ट सिरीज मैचों की तुलना में आईपीएल या टी-20 मैचों की लोकप्रियता की तरह ही लगता है। इस सेगमेंट में ट्रेडिंग गतिविधियाँ तेजी विकल्प रणनीति से बढ़ रही हैं क्योंकि यह सभी प्रकार के बाजार सेंटिमेंट्स का लाभ पाने का अवसर प्रदान करती है चाहे वह बुलिश, बियरिश, रेंज बाउंड या अत्यधिक अस्थिर हो। आइए पहले समझें कि ऑप्शन है क्या जो सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है? नकद बाजार, जहाँ शेयर खरीदे या बेचे जाते हैं, के अलावा एक्सचेंज में एक ऐसा सेगमेंट भी होता है जहाँ इन शेयरों या इंडेक्स के भविष्य और विकल्प खरीदे या बेचे जाते हैं।

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भारत और न्यूजीलैंड के बीच तीन वनडे मैच की सीरीज का पहला मुकाबला ऑकलैंड में खेला गया। इस मैच में मेजबानों ने टीम इंडिया को 7 विकेट से धूल चटाकर सीरीज में 1-0 की बढ़त बनाई। भारत की हार के बाद क्रिकेट पंडित टीम की परफॉर्मेंस पर चर्चा कर रहे हैं। बल्लेबाजी में जहां ऋषभ पंत और सूर्यकुमार जैसे बल्लेबाजों ने निराश किया, वहीं गेंदबाजी में युजवेंद्र चहल और अर्शदीप जैसे खिलाड़ी फ्लॉप रहे। इसके अलावा भारत ने कई कैच भी गंवाए जो टीम इंडिया की हार की मुख्य वजह में से एक है।

राजस्थान में भाजपा की क्या रणनीति

भारतीय जनता पार्टी के आला नेता राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने राज्य में यात्रा की योजना बनाई तो पार्टी ने इसके लिए हरी झंडी दी। विकल्प रणनीति लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि इस बार पार्टी उनके चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ना चाहती है। पार्टी उनकी जगह कोई नया चेहरा लाने की योजना बना रही है। हालांकि इसे लेकर कुछ आशंका भी है क्योंकि अभी तक की राजनीति में राजस्थान में पार्टी कोई दूसरा चेहरा नहीं बना पाई है। भाजपा के पास वसुंधरा का विकल्प नहीं है। इसके बावजूद पार्टी उनको सीएम दावेदार बना कर चुनाव लड़ने की बजाय सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ सकती है।

जानकर सूत्रों के मुताबिक सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ते हुए पार्टी यह मैसेज बनवाएगी कि कोई दूसरा नेता भी मुख्यमंत्री हो सकता है। इसके लिए विकल्प रणनीति केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को विधानसभा चुनाव लड़ाने की योजना पर काम हो रहा है। पार्टी अगर उनको विधानसभा चुनाव लड़ाती है तो अपने आप यह मैसेज बनेगा कि भाजपा के चुनाव जीतने पर वे मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उनको केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बहुत करीबी बताया जाता है और दो साल पहले जब कांग्रेस में बगावत की सुगबुगाहट हुई थी तब शेखावत के बारे में खबर आई थी कि वे कांग्रेस नेताओं के संपर्क में थे। राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने उनकी जांच भी कराई थी। सो, उनको आलाकमान की पसंद बताया जा रहा है। वैसे पहले राज्यवर्धन सिंह राठौड़ भी पसंद बताए जाते थे लेकिन इन दिनों वे अलग थलग हैं। वैसे उनको भी अगर विधानसभा चुनाव लड़ने को कहा जाता है तो तस्वीर और दिलचस्प हो जाएगी।

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