USD की वसूली

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में अस्थिरता आई. डिमांड-सप्लाई की चेन बिगड़ी. निवेशकों ने डर की वजह से दुनियाभर के बाज़ारों से पैसा निकाला और सुरक्षित जगहों पर निवेश किया. अमेरिकी निवेशकों ने भी भारत, यूरोप और दुनिया के बाकी हिस्सों से पैसा निकाला.
USD/PLN - अमरीकी डॉलर पोलिश ज़्लॉटी
USD PLN (अमरीकी डॉलर बनाम पोलिश ज़्लॉटी) के बारे में जानकारी यहां उपलब्ध है। आपको ऐतिहासिक डेटा, चार्ट्स, कनवर्टर, तकनीकी विश्लेषण, समाचार आदि सहित इस पृष्ठ के अनुभागों में से किसी एक पर जाकर अधिक जानकारी मिल जाएगी।
पीटर नर्स द्वारा Investing.com - यू.एस. मध्यावधि चुनावों से अनिश्चितता और इस सप्ताह के अंत में प्रमुख मुद्रास्फीति के आंकड़ों के आगे, रात भर के नुकसान के बाद स्थिर होकर, अमेरिकी.
जेफ्री स्मिथ द्वारा Investing.com-एक शीर्ष फेडरल रिजर्व अधिकारी ने चेतावनी देने के बाद, गुरुवार को यूरोप में शुरुआती व्यापार में डॉलर बढ़ा। अमेरिकी सेंट्रल बैंक
पीटर नर्स द्वारा Investing.com - अमेरिकी डॉलर बुधवार के शुरुआती यूरोपीय व्यापार में बढ़ गया, जापानी येन के मुकाबले 24 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया क्योंकि व्यापारियों को फेडरल.
USD/PLN - अमरीकी डॉलर पोलिश ज़्लॉटी विश्लेषण
रूस-यूक्रेन संघर्ष बढ़ने की चिंता आज उस समय बढ़ गई जब पोलैंड ने दावा किया कि एक रूसी रॉकेट पोलिश गांव पर उतरा, जिसमें दो पोलिश नागरिक मारे गए। हालांकि, राष्ट्रपति जोसेफ बिडेन ने.
ऐसा प्रतीत होता है कि डॉलर का डाउनट्रेंड भाप से बाहर चल रहा है। हमारे विचार में, मौजूदा स्तरों से एक और अमेरिकी डॉलर की वसूली की संभावना है क्योंकि बाजार फेड धुरी के दांव USD की वसूली पर पूरी.
तकनीकी सारांश
जोखिम प्रकटीकरण: वित्तीय उपकरण एवं/या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग में आपके निवेश की राशि के कुछ, या सभी को खोने का जोखिम शामिल है, और सभी निवेशकों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है। क्रिप्टो करेंसी की कीमत काफी अस्थिर होती है एवं वित्तीय, नियामक या राजनैतिक घटनाओं जैसे बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकती है। मार्जिन पर ट्रेडिंग से वित्तीय जोखिम में वृद्धि होती है।
वित्तीय उपकरण या क्रिप्टो करेंसी में ट्रेड करने का निर्णय लेने से पहले आपको वित्तीय बाज़ारों में ट्रेडिंग से जुड़े जोखिमों एवं खर्चों की पूरी जानकारी होनी चाहिए, आपको अपने निवेश लक्ष्यों, अनुभव के स्तर एवं जोखिम के परिमाण पर सावधानी से विचार करना चाहिए, एवं जहां आवश्यकता हो वहाँ पेशेवर सलाह लेनी चाहिए।
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डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत कैसे तय होती है?
किसी भी देश की करेंसी की कीमत अर्थव्यवस्था के बेसिक सिद्धांत, डिमांड और सप्लाई पर आधारित होती है. फॉरेन एक्सचेंज मार्केट में जिस करेंसी की डिमांड ज्यादा होगी उसकी कीमत भी ज्यादा होगी, जिस करेंसी की डिमांड कम होगी उसकी कीमत भी कम होगी. यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड है. सरकारें करेंसी के रेट को सीधे प्रभावित नहीं कर USD की वसूली सकती हैं.
करेंसी की कीमत को तय करने का दूसरा एक तरीका भी है. जिसे Pegged Exchange Rate कहते हैं यानी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट. जिसमें एक देश की सरकार किसी दूसरे देश के मुकाबले अपने देश की करेंसी की कीमत को फिक्स कर देती है. यह आम तौर पर व्यापार बढ़ाने औैर महंगाई को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है.
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उदाहरण के तौर पर नेपाल ने भारत के साथ फिक्सड पेग एक्सचेंज रेट अपनाया है. इसलिए एक भारतीय रुपये की कीमत नेपाल में 1.6 नेपाली रुपये होती है. नेपाल के अलावा मिडिल ईस्ट के कई देशों ने भी फिक्स्ड एक्सचेंज रेट अपनाया है.
डॉलर दुनिया की सबसे बड़ी करेंसी है. दुनियाभर में सबसे ज्यादा कारोबार डॉलर में ही होता है. हम जो सामान विदेश से मंगवाते हैं उसके बदले हमें डॉलर देना पड़ता है और जब हम बेचते हैं तो हमें डॉलर मिलता है. अभी जो हालात हैं उसमें हम इम्पोर्ट ज्यादा कर रहे हैं और एक्सपोर्ट कम कर रहे हैं. जिसकी वजह से हम ज्यादा डॉलर दूसरे देशों को दे रहे हैं और हमें कम डॉलर मिल रहा है. आसान भाषा में कहें तो दुनिया को हम सामान कम बेच रहे हैं और खरीद ज्यादा रहे हैं.
फॉरेन एक्सचेंज मार्केट क्या होता है?
आसान भाषा में कहें तो फॉरेन एक्सचेंज एक अंतरराष्ट्रीय बाजार है जहां दुनियाभर की मुद्राएं खरीदी और बेची जाती हैं. यह बाजार डिसेंट्रलाइज्ड होता है. यहां एक निश्चित रेट पर एक करेंसी के बदले दूसरी करेंसी खरीदी या बेची जाती है. दोनों करेंसी जिस भाव पर खरीदी-बेची जाती है उसे ही एक्सचेंज रेट कहते हैं. यह एक्सचेंज रेट मांग और आपूर्ति के सिंद्धांत के हिसाब से घटता-बढ़ता रहा है.
करेंसी का डिप्रीशीएशन तब होता है जब फ्लोटिंग एक्सचेंज रेट पर करेंसी की कीमत घटती है. करेंसी का डिवैल्यूऐशन तब होता है जब कोई देश जान बूझकर अपने देश की करेंसी की कीमत को घटाता है. जिसे मुद्रा का अवमूल्यन भी कहा जाता है. उदाहरण के तौर पर चीन ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया. साल 2015 में People’s Bank of China (PBOC) ने अपनी मुद्रा चीनी युआन रेनमिंबी (CNY) की कीमत घटाई.<
Bankers Poll : इस साल रुपये में गिरावट थमने के आसार नहीं, दिसंबर तक 84.50 का हो सकता है एक डॉलर
बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के एक पोल के मुताबिक इस साल रुपये में गिरावट जारी रहेगी.
Indian rupee to drop further to 84.50 per USD by year end: भारतीय करेंसी में गिरावट का सिलसिला जारी रहेगा और इस साल के अंत तक एक अमेरिकी डॉलर का भाव 84.50 रुपये तक जा सकता है. ये अनुमान बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के एक पोल में सामने आए हैं. गुरुवार को कराए गए इस पोल में शामिल एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत का व्यापार घाटा बढ़ना और अमेरिका में ब्याज दरों में लगातार इजाफा रुपये में गिरावट की बड़ी वजह है.
इस साल 12% गिर चुका है रुपया
अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के पोल में शामिल 14 बैंकर्स और फॉरेन एक्सचेंज एडवाइजर्स के अनुमानों पर यकीन करें तो इस साल रुपये में कम से कम 9 साल की सबसे बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है. भारतीय करेंसी इस साल अब तक करीब 12 फीसदी गिर चुकी है. इससे पहले 2013 में पूरे साल के दौरान रुपये में इतनी गिरावट देखने को मिली थी. गुरुवार 20 अक्टूबर को डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 83.29 तक चला गया था, लेकिन रिजर्व बैंक के दखल देने के बाद शाम को 82.75 पर बंद हुआ. बुधवार को यह 83.01 पर बंद हुआ था.
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25 से 86 रुपये के बीच रह सकता है डॉलर
पोल में शामिल अलग-अलग एक्सपर्ट्स ने इस साल के अंत तक एक डॉलर का भाव 83.25 से 86 रुपये तक पहुंच जाने का अनुमान जाहिर किया है. सबके अनुमानों में अंतर जरूर है, लेकिन इस बात पर सभी सहमत हैं कि मौजूदा साल के दौरान रुपये में रिकवरी की उम्मीद नहीं है. बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकॉनमिस्ट मदन सबनवीस का अनुमान है कि दिसंबर तक डॉलर के मुकाबले रुपया 85 के स्तर तक गिर सकता है, क्योंकि बाहरी कारणों में कोई सुधार आने की संभावना नहीं दिख रही है. न सिर्फ डॉलर में तेजी है, बल्कि स्थानीय फंडामेंटल्स भी कमजोर बने हुए हैं. भारत का करेंट एकाउंट डेफिसिट (CAD) 3 से 3.5 फीसदी के बीच रहने के आसार हैं. व्यापार घाटा ऊंचे स्तर पर बने रहने के अलावा पोर्टफोलियो इनवेस्टमेंट भी अच्छा नहीं है. इन सभी कारणों से रुपये पर दबाव बना हुआ है.
मौजूदा साल के पहले 9 महीनों के दौरान एवरेज मंथली ट्रेड डेफिसिट 23.2 अरब डॉलर रहा है, जबकि 2021 में यह एवरेज 15.3 अरब डॉलर था. दूसरी तरफ यूएस फेड के ब्याज दरें तेजी से बढ़ाने का कैपिटल फ्लो पर भी बुरा असर पड़ा है. फेड हाइक के कारण इस साल डॉलर इंडेक्स अब तक 18 फीसदी बढ़ चुका है, जिसके चलते निवेशक इमर्जिंग मार्केट्स से पैसे बाहर निकाल रहे हैं. NSDL के आंकड़ों के मुताबिक इस साल विदेशी निवेशक अब तक भारतीय इक्विटी से 23.4 अरब डॉलर और डेट से 1.4 अरब डॉलर की रकम निकालकर बाहर ले जा चुके हैं.
चिली में डॉलर का समापन मूल्य 22 मार्च को USD से CLP तक
अमेरिकी डॉलर का भुगतान औसतन 793.80 चिली पेसो के करीब किया गया था, जो पिछले दिन औसतन 803.01 चिली पेसो की तुलना में 1.15% की कमी थी।
पिछले सप्ताह की तुलना में, अमेरिकी डॉलर में 0.48% की कमी दर्ज की गई; हालांकि एक साल के लिए इसने अभी भी 8.81% की वृद्धि को बनाए रखा है। पिछली तारीखों के साथ इस डेटा का विश्लेषण करना, हाल की तारीखों में एक स्थिर प्रवृत्ति को मजबूत करने में असमर्थ साबित करना। पिछले दिनों की अस्थिरता के विषय में, यह 11.3% था, जो वार्षिक अस्थिरता के आंकड़े (13.47%) से कम है, ताकि इस अंतिम चरण में यह उम्मीद से कम चल रहा हो।
की वसूली चिली पेसो
1975 से चिली का कानूनी निविदा रहा है, यह पेसो साइन ($) के उपयोग को फिर से शुरू करता है और इसे सेंट्रल बैंक ऑफ चिली द्वारा विनियमित किया जाता है, जो बनाए गए धन की मात्रा को नियंत्रित करता है।
चिली की मुद्रा 1817 में देश की आजादी के बाद स्थापित की गई थी, लेकिन यह 1851 तक था कि चिली पेसो में दशमलव प्रणाली स्थापित की गई थी, जो अब 100 सेंट है। जैसे-जैसे समय बीतता गया है, मुद्रा बदल रही है, लेकिन वर्तमान में इसे पूरे पेसो में गिना जाता है।
आज तक, आप 5, 10, 50, 100 और 500 पेसो के सिक्के पा सकते हैं, बाद वाला देश में उत्पादित पहला द्विधात्वीय सिक्का है। 2009 में, 20 और 200 पेसो के सिक्के बनाने का प्रयास किया गया था, लेकिन बिल को कांग्रेस ने खारिज कर दिया था। इस बीच, 2017 में यह अनुमोदित किया गया था कि 1 और 5 पेसो के सिक्कों को बंद कर दिया जाना चाहिए।
Rupee vs Dollar: रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 81 से भी नीचे, अभी और कितनी आएगी कमजोरी
भारतीय रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 81 के लेवल से भी नीचे चला गया.
Indian rupee on record low: भारतीय रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले पहली बार 81 के लेवल से भी नीचे चला गया. रुपया आज 81.13 प्रति डॉलर के भाव पर ट्रेड कर रहा है. यह घरेलू करंसी के लिए अबतक का सबसे कमजोर स्तर है. जबकि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में उछाल के कारण 10 साल का बॉन्ड यील्ड 6 बेसिस प्वॉइंट उछलकर 2 महीने के उच्च स्तर 3.719 फीसदी पर पहुंच गया है. बता देकं कि यूएस फेड ने सिंतबर महीने की पॉलिसी में ब्याज दरों में 75 बेसिस प्वॉइंट का इजाफा किया है और आगे भी सख्ती के संदेश दिए हैं. इससे डॉलर को सपोर्ट मिलेगा.
इस साल 8.5 फीसदी कमजोरी
भारतीय रुपया आज 81.03 प्रति डॉलर पर खुला और 81.13 प्रति डॉलर के आलटाइम लो को छू लिया. इसके पहले गुरूवार को रुपया 80.87 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. यानी इसमें आज करीब 0.35 फीसदी कमजोरी आई है. यह पिछले 8 सेशन में 7वां सेशन है, जब रुपये में गिरावट आई है. इस साल अब तक रुपये में करीब 8.48 फीसदी की गिरावट आई है.
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रुपये में जारी रहेगी गिरावट
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स के ट्रेजरी हेड अनिल भंसाली का कहना है कि फेडरल रिजर्व के हॉकिश यानी आक्रामक रुख को देखते हुए रुपये में अभी और गिरावट आने की आशंका है. उनका मानना है कि रिजर्व बैंक रुपये को संभालने के लिए बाजार में दखल तो जरूर देगा, लेकिन मौजूदा हालात में रुपये में गिरावट आएगी. एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट दिलीप परमार का मानना है कि मौजूदा हालात में आरबीआई का दखल भी अस्थायी सपोर्ट ही साबित होगा और उससे भारतीय करेंसी में गिरावट रुख पूरी तरह बदल नहीं जाएगा.
IIFL के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च अनुज गुप्ता के मुताबिक यूएस फेड के रेट हाइक के एलान के बाद डॉलर इंडेक्स को सपोर्ट मिला है. रुपये के साथ अन्य करंसी में भी गिरावट आई है. चाहे वह एशियाई करंसी हो, यूरो हो या ब्रिटिश पौंड. उनका कहना है कि रुपये में अभी और गिरावट आने के आसार हैं और यह जल्द ही 82 प्रति डॉलर का स्तर छू सकता है.