सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश

Gold Price: लगातार गिर रहा सोना क्या और गिरेगा, खरीदें, बेचें या होल्ड करें?
Gold: इंटरनेशनल मार्केट में सोना ढाई साल के निचले स्तर पर क्यों?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व (US Fed) के सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश ब्याज दर बढ़ाते ही भारत समेत अंतररार्ष्ट्रीय बाजार में सोने (Gold) की चमक फीकी पड़ गई है. शेयर बाजार में निवेश करने को लेकर उत्साही रहने वाले भारतीय सोने को खरा समझते हैं और उसमें निवेश का मौका तलाशते हैं.
एमसीएक्स पर सोने की कीमतों में पिछले सात महीने की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज हुई है तो वहीं अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना ढाई साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है.
आइए जानते हैं क्या है सोने का भाव और क्या सोना खरीदने का सही समय आ गया है?
क्या है सोने का भाव?
घरेलू बाजार एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर सोना की कीमतों में 0.25 फीसदी की गिरावट देखी गई है, जो पिछले सात महीने का निचला स्तर है. अब इसकी कीमत 49,321 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गई है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में एक फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. यहां इसकी कीमत 1656 डॉलर प्रति औंस पर है.
क्यों गिर रही है सोने की कीमत?
इसके पीछे सबसे बड़ी वजह अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी को माना जा रहा है. फेड ने महंगाई को नियंत्रण में लाने के लिए तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है और 0.75 फीसदी रेट बढ़ा दिया है.
IIFL सिक्यॉरिटीज के कमॉडिटी और करेंसी में रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता ने क्विंट हिंदी से कहा कि, "जो ब्याज दरों में बढ़ोतरी हुई है उसके बाद नकदी में कमी आई है और लोगों का जो निवेश है वो डॉलर की तरफ शिफ्ट हो रहा है. डॉलर इस वक्त पिछले 20 साल के उच्चतम स्तर को छू चुका है और इसके उलट जो बाकी बड़ी करेंसी हैं वो सब गिरावट का दौर झेल रही है."
क्या सोना खरीदने का यही सही समय है?
क्विंट हिंदी से बातचीत में आईआईएफएल सिक्यॉरिटीज के अनुज गुप्ता कहते हैं कि, "इंटरनेशनल मार्केट में सोने का भाव ढाई साल के निचले स्तर पर आ चुका है. हालांकि घरेलू बाजार में कोई बड़ी गिरावट नहीं हुई है क्योंकि यहां रुपया काफी कमजोर है."
निवेशक होने के नाते देखे तो खरीदारी से पहले थोड़ा और वेट एंड वॉच करना चाहिए. इसमें अभी और गिरावट देखने को मिल सकती है. इंटरनेशनल मार्केट में इसका भाव 1600 डॉलर प्रति औंस हो सकता है और एमसीएक्स पर अभी ये 48,000 के आसपास आ सकता है. गोल्ड आपको लॉन्ग टर्म में बढ़िया रिटर्न देगा.
वहीं मनी कंट्रोल से बातचीत में ओरिगो ई मंडी के असिस्टेंट जनरल मैनेजर (कमोडिटी रिसर्च) तरुण तत्संगी कहते हैं कि, साल के अंत तक स्पॉट मार्केट में सोने का भाव 46,000 रुपये तक आ सकता है. 50,000 से नीचे आने पर सोना खरीद सकते हैं. सोने का रेट अगले एक साल में रिटर्न दे सकता है लेकिन अगले तीन से चार महीनों में इसमें बड़ी गिरावट देखने को मिल सकती है.
सोने में निवेश के तरीके
सर्राफा बाजार से सोने के आभूषण खरीदने के अलावा इसमें निवेश के कई और भी तरीके हैं.
एक है सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड- इसमें किया गया निवेश पूरी तरह सुरक्षित है क्योंकि इसमें रिजर्व बैंक की सुरक्षा गारंटी मिलती है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 2.5% सालाना ब्याज के साथ सोने की कीमत बढ़ने का लाभ भी मिलता है. लेकिन इसमें किया गया निवेश 5 साल के लिए लॉक हो जाता है.
दूसरा, गोल्ड ईटीएफ- एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के जरिए सोने में छोटा निवेश कर सकते हैं. यहां सोना यूनिट में खरीदा जाता है, एक यूनिट एक ग्राम होता है. इससे कम मात्रा में या SIP के जरिए भी सोना खरीदना आसान हो जाता है. गोल्ड ETF से खरीदे गए सोने की 99.5% शुद्धता की गारंटी होती है इसे संभालने की जरूरत भी नहीं होती क्योंकि यह डीमैट अकाउंट में होता है. जरूरत पड़ने पर इसे कभी भी स्टॉक एक्सचेंज पर बेचा जा सकता है.
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डिजिटल गोल्ड निवेश अन्य निवेश से कैसे बेहतर है?
सोना खरीदना आपके पोर्टफ़ोलियो में विविधता लाने का बेहतरीन तरीका है और इससे मैक्रोइकोनॉमिक और भौगोलिक राजनीतिक अनिश्चितता के दौरान आपको फ़ाइनेंशियल कवर भी मिलता है। जानिए कैसे?
अगर आप निवेश में नए हैं, तो आपको पता होना ज़रूरी है कि मौजूदा समय में निवेश के अच्छे विकल्प बेहद कम हैं (जब तक आप जोखिम नहीं लेना सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश चाहते)।
फ़िक्स-इंटरेस्ट निवेश, खास तौर पर फ़िक्स डिपॉजिट से रिटर्न प्राप्त करना बेहद कठिन है।
दूसरी ओर, शेयर और इक्वेटी में इतनी मज़बूती आई है कि उनके जोखिम भरे साधन बने रहने की संभावना है।
रियल एस्टेट लिक्विड नहीं है और इसे लांग टर्म प्लान माना जाता है। इसलिए, इसमें पहले से कुछ भी कहना संभव नहीं है।
लेकिन सोना? इसकी क़ीमत पिछले 10 सालों में 300% बढ़ चुकी हैं। इसके अभाव के कारण, सोने ने अनिश्चित बाज़ार में खुद को समय समय पर बड़े कवर के तौर पर साबित किया है।
आप बिना किसी अतिरिक्त लागत के डिजिटल गोल्ड में निवेश के ज़रिए उनके सोने को मौजूदा बाज़ार मूल्य पर दोबारा बेच सकते हैं।
क्या यह इसे सबसे अच्छा निवेश नहीं बनाता है?
सोने का, किसी भी रूप में, निवेश और व्यापार के मामले में सबसे लंबा रिकॉर्ड रहा है। इसे एक स्थिर और विश्वसनीय विकल्प माना जाता है।
हालांकि, सोने को रखने के तरीके में बदलाव है, लेकिन सोने में निवेश का चलन कभी खत्म नहीं होगा, खास तौर पर उन निवेशकों के लिए जो लंबे समय के लिए पूंजी बनाना चाहते हैं।
लोग सोने के पारंपरिक भौतिक रूप से ऑनलाइन और पेपरगोल्ड की तरफ़ आ रहे हैं। क्यों?
क्यों यह एक बेहतर और सुरक्षित सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश तरीका है।
सामान्य तौर पर सोने को निवेश में विविधता लाने के लिए जाना जाता है। यह म्यूचुअल फंड और स्टॉक जैसे दूसरे ज्यादा जोखिम वाले निवेश साधनों के प्रभाव को बेअसर करने में मदद करता है।
यह अस्थिर बाज़ार में अच्छा प्रदर्शन करता है और जोखिम कारकों में सुधार करने की क्षमता रखता है। अन्य संपत्तियां नीचे जाती हैं, सोना ही एकमात्र ऐसी संपत्ति है जो बढ़ती है।
लेकिन क्या आपको पता है इससे भी बेहतर क्या है? डिजिटल गोल्ड ।
डिजिटल गोल्ड भौतिक सोने का आधुनिक विकल्प है। यह एक्सचेंज रेट मैनिपुलेशन और वेरिएशन से मुक्त है और इसमें आप भौतिक सोने को बिना हाथ लगाए उसे दुनिया भर में कहीं भी बेच या खरीद सकते हैं। हां।
यह ऑनलाइन सोना खरीदने और निवेश करने का एक सुरक्षित, सुविधाजनक और किफ़ायती तरीका है जिसमें किसी अतिरिक्त भंडारण और परिवहन लागत की ज़रूरत नहीं पड़ती।
यह उन सभी लोगों के लिए अच्छा है जो निवेश शुरू करना चाहते हैं और तब तक सुरक्षित रहना चाहते हैं जब तक वे बाज़ार को अच्छी तरह समझ नहीं लेते।
यह डिविडेंड देने वाली संपत्ति है। सोने के भाव में मामूली बढ़त भी सोने के शेयर में बेहतरीन लाभ देती है, और अगर आप सोने के मालिक हैं, तो आप ROI में निवेश करके वास्तविक सोने के मालिकों से ज़्यादा लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
हर निवेश के फ़ायदे और नुकसान दोनों होते हैं। यहां डिजिटल गोल्ड संबंधी सभी जानकारियां प्राप्त करें और भौतिक और डिजिटल गोल्ड में अंतर जानें।
इससे बेहतर निवेश मौजूद होंगे, लेकिन उनमें जोखिम की संभावना भी रहती है।
यही मुख्य कारण है कि लोग अपनी मेहनत की कमाई को इतने जोखिम में निवेश करना नहीं चाहते।
साथ ही इसमें ज़्यादा पूंजी की ज़रूरत भी पड़ती है जो हर व्यक्ति के लिए संभव नहीं है।
इसके अलावा, एक अध्ययन के मुताबिक, हज़ार में एक औसत भारतीय अपने वेतन की 10% से कम बचत कर पाता है।
यह आंकड़ा चिंताजनक है। वित्तीय सलाहकार सलाह देते हैं कि अगर आप आराम से रिटायर होना चाहते हैं, तो आपको कई दशकों तक अपनी आय का 15% बचाकर रखना चाहिए।
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Investment in Gold: शेयर बाजार से नहीं मिल रहा रिटर्न? गोल्ड के इन निवेश विकल्पों में पैसा लगाकर कमाएं बढ़िया मुनाफा
एक अनुमान के अनुसार धरती पर करीब 1,सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश 90,000 टन गोल्ड (Gold) की इन्वेंट्री मौजूद है। जैसा कि हम उम्मीद कर सकते हैं, इसका करीब 50 फीसद सिर्फ ज्वैलरी के रूप में है। इसके बाद करीब 20 फीसद इंडिविजुअल्स के पास है, जो कि गोल्ड बार (Gold Bar), गोल्ड कॉइन्स (Gold Coins), गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (Gold ETF) और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds) आदि के रूप में मौजूद है। इसके बाद अगला 17 फीसद दुनिया के केंद्रीय बैंकों के पास है और बचा हुआ 13 फीसद आपके स्मार्टफोन्स, माइक्रोचिप्स और मेडिसिन में उपयोग हुआ है। अब आप सोचेंगे कि कौन-सी मेडिसिन में सोना यूज होता है, तो हम आपको बता दें कि दंत चिकित्सा में लंबे समय तक चलने वाली फिलिंग को आकार देने के लिए सोने का उपयोग होता है। सोने में निवेश (Investment in Gold) कर आप इससे अच्छी इनकम कमा सकते हैं। आज हम आपको सोने में निवेश के सबसे बेहतर तरीके के बारे में बताएंगे।
फिजिकल गोल्ड के नुकसान
फिजिकल गोल्ड (Physical Gold) खरीदने का नुकसान यह है कि मेकिंग और डिजाइनिंग चार्जेज के चलते यह अधिक महंगा हो जाता है। इसे आप लॉकर आदि में रखते हो तो आपको उस पर भी पैसा खर्च करना पड़ेगा। साथ ही फिजिकल गोल्ड को बेचना भी महंगा है, क्योंकि यह पूरी तरह प्योर गोल्ड (Pure Gold) नहीं होता है। इसके अलावा आपको अपने पास इसका प्यूरिटी सर्टिफिकेट भी रखना होगा। कुछ परिस्थितियों में, आपने यह कहां से खरीदा इस पर भी सवाल उठ सकते हैं।
ये हैं सोने के अन्य निवेश विकल्प
फिजिकल गोल्ड के अलावा सोने में डिजिटल गोल्ड (Digital Gold), गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF), गोल्ड म्यूचुअल फंड्स (Gold Mutual Funds), सॉवरेन गोल्ड बांड्स (Sovereign Gold Bonds) आदि जैसे विभिन्न फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स के माध्यम से भी निवेश किया जा सकता है। इन सब निवेश प्रोडक्ट्स के बीच एक बात यह कॉमन है कि इनकी कीमतें सोने के भाव से लिंक्ड होती है। लेकिन इसके अलावा, इनके बीच लागत, रिटर्न्स, लिक्विडिटी, रिस्क, लॉक-इन पीरियड, खरीदारी के विकल्प और टैक्स के मामले में ढेर सारे डिफरेंसेज हैं।
क्यों खरीदें सोना?
रिटर्न के नजरिये से देखें..तो सोने ने पिछले 40 वर्षों में 9.6 फीसद की दर से सालाना रिटर्न दिया है। रिस्क के नजरिये से देखे, तो सोने ने इक्विटीज की तुलना में निश्चित रूप सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश से कम अस्थिरता दिखाई है। दरअसल, सोने और शेयर बाजारों के बीच एक तरह का उलटा संबंध होता है। जब शेयर बाजारों में गिरावट आती है या बहुत अधिक अनिश्चितता होती है, तो सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। जब अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट आती है या कोई बड़ी वित्तीय आपदा आ जाए जैसे 1991-92, 2000, 2008/2009 और साल 2020 में आई, तो सोना काफी अच्छा परफॉर्म करता है।
कैसे खरीदा जा सकता है सोना?
सोने को फिजिकल फॉर्मेट और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में खरीदा जा सकता है। आप कई एप्स के माध्यम से डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं। इसके बाद कई गोल्ड म्यूचुअल फंड्स आते हैं। गोल्ड ईटीएफ की बात करें, तो इसके जरिए आप अपने डीमैट अकाउंट से भी सोना खरीद सकते हैं। इसके बाद आता है सॉवरेन गोल्ड बांड। सॉवरेन गोल्ड बांड कुछ अवधि के लिए ही उपलब्ध रहता है। भारतीय रिजर्व बैंक हर एक से दो महीने में इश्यू लेकर आता है, जिसमें आप सॉवरेन गोल्ड बांड खरीद सकते हैं। इन इश्यू या buying windows की लिस्ट आपको आरबीआई की वेबसाइट पर मिल जाएगी। यह विंडो पांच दिनों के लिए खुली रहती है।
कहां कितना है रिस्क?
फिजिकल गोल्ड में चोरी हो जाने, क्वालिटी के साथ छेड़छाड़, मेकिंग प्रोसेस के साथ थोड़ा कम हो जाने सहित कई छोटे-बड़े इश्यूज होते हैं। डिजिटल गोल्ड के साथ बड़ा जोखिम नियामकीय स्तर पर कमी है। यहां कोई सेबी नहीं है, कोई आरबीआई नहीं है या कोई भी अन्य रेगूलेटरी बॉडी नहीं है, जो इन कंपनियों के मामलों को देखे। रेगूलेशन की कमी डिजिटल गोल्ड के लिए एक बड़ा माइनस पॉइंट है। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेट फंड्स या गोल्ड ईटीएफ ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जो फिजिकल गोल्ड द्वारा समर्थित हैं। ईटीएफ सीधे रूप से सोने या सोने के खनन और रिफाइनिंग कंपनियों में निवेश करता है। गोल्ड ईटीएफ के लिए यह एक बड़ा प्लस पॉइंट है, क्योंकि यह फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट वास्तविक सोने से समर्थित है। वहीं, एक गोल्ड म्यूचुअल फंड सीधे रूप से ईटीएफ का विस्तार है.. क्योंकि अधिकांश गोल्ड म्यूचुअल फंड्स कई सारे गोल्ड ईटीएफ में निवेश करते हैं। गोल्ड इटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स के बारे में एक अच्छा पॉइंट यह है कि ये दोनों प्रोडक्ट्स सेबी की निगरानी के साथ आते हैं। इसके अलावा सॉवरेन गोल्ड बांड के साथ रिस्क बहुत ही कम है। यहां जोखिम तब है, जब भारत सरकार सॉवरेन गारंटी में डिफॉल्ट हो जाए।
कितना लगता है टैक्स
जब आपका इन्वेस्टमेंट मैच्योर होता है या जब आप बिक्री करते हैं, उस समय आपको टैक्स देना होता है। फिजिकल गोल्ड, डिजिटल गोल्ड, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स की बिक्री से मिले कैपिटल गेन पर टैक्स लगता है। यह टैक्स आपके होल्डिंग पीरियड पर निर्भर करता है। अगर सोने को तीन साल के अंदर मुनाफे के साथ बेचा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इसका मतलब है कि मुनाफा आपकी आय में जुड़ सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश जाएगा और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगेगा। अगर सोना तीन साल के बाद मुनाफे पर बेचा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा। इस मामले में आपका लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के साथ 20 फीसद होगा। सॉवरेन गोल्ड बांड से प्राप्त हुआ सारा ब्याज आपकी आय में जुड़ता है, और इस पर आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स लगता है। वहीं, अगर सॉवरेन गोल्ड बांड आठ साल बाद रिडीम किया जाता है, तो सारा कैपिटल गेन पूरी तरह टैक्स फ्री होता है।
कैसे और कितना सोना खरीदना होगा आपके लिए फायदेमंद? जानिए इससे जुड़ी सभी काम की बातें
सोना में निवेश करने से पहले हमें कई तरह की बातों को ध्यान में रखना चाहिए. मौजूदा समय में सोना खरीदने के लिए कई तरह के रास्ते हैं. अपने जरूरत और निवेश लक्ष्य को ध्यान में रखकर ही उचित विकल्प के जरिए निवेश करना चाहिए.
Updated on: Mar 16, 2021 | 5:36 PM
भारत में लोगों के पास निवेश के कई विकल्प उपलब्ध हैं. लेकिन सोने में निवेश को सबसे बेहतरीन विकल्पों में से एक माना जाता है. अधिकतर लोग सोना रिटर्न के लिए नहीं बल्कि सुरक्षा के लिहाज से खरीदते हैं. माना जाता है कि सोना और स्टॉक दोनों एक दूसरे से विपरित दिशा में चलते हैं. इसका साफ मतलब है कि जब सोने का भाव बढ़ता है तो स्टॉक मार्केट में गिरावट देखने को मिलती है. ऐसे में जब शेयर बाजार में बिकवाली का दौर चल रहा हो तो सोना आपके लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. साथ ही इससे पोर्टफोलियो के विस्तार करने में भी मदद मिलती है.
हालांकि, पोर्टफोलियो में सोने की हिस्सेदारी को कितनी रखनी है, इसको लेकर कई तरह की राय है. यह जोख़िम उठाने की क्षमता, उम्र, लिक्विडिटी की जरूरत, निवेश की अवधि, इनकम और रिटर्न की उम्मीद जैसे कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है.
कम जोख़िम उठाने वाला व्यक्ति अपने पोर्टफोलियो को ज्यादा डायवर्सिफाई रखता है. ऐसे लोग उन विकल्पों में निवेश करने पर विशेष ध्यान देते हैं, जो शेयर बाजार के उलटे दिशा में चलते हैं. ऐसे व्यक्ति सोने में 15 से 30 फीसदी तक का निवेश करते हैं. दूसरी ओर, अधिक जोख़िम की क्षमता रखने वाले सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश लोग सोने में अधिकतम 15 फीसदी तक ही निवेश करना पसंद करते हैं.
कैसे करें सोने में निवेश?
सोने में निवेश करने के लिए आपके पास कई तरीके हैं. सबसे पहले हम इन्हीं विकल्पों के बारे में बात करते हैं.
1. गोल्ड म्यूचुअल फंड्स
ये वो फंड्स हैं जो गोल्ड में निवेश करने वाले ETF में निवेश करते हैं. आमतौर पर इसमें निवेश का खर्च बहुत कम होता है. यह करीब 0.09-0.20 फीसदी ही होता है. यह एक तरह के ओपेन-एंडेड फंड्स होते हैं, जिसमें अगर आप एक साल से पहले निकलते हैं तो रकम की एक फीसदी आपको पेनाल्टी के तौर पर देनी पड़ सकती है. हालांकि, कुछ गोल्ड म्यूचुअल फंड्स भी ऐसे ही हैं, जिनका एग्ज़िट लोड 15 दिनों का ही है. निप्पोन इंडिया गोल्ड सेविंग्स फंड भी इन्हीं में से एक हैं.
2. डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसे कम से कम मात्रा में भी खरीदा जा सकता है. आप जब चाहें, तब लाइव सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश मार्केट में अपने गोल्ड की बिक्री कर कमा सकते हैं. कुछ प्लेटफॉर्म्स तो गोल्ड की फिज़िकल डिलीवरी भी देते हैं. डिजिटल गोल्ड में निवेश करने का नुकसान है कि इसके लिए कोई रेगुलेटरी मैकेनिज़्म नहीं है.
3. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
सोने में निवेश करने के लिए यह भी एक अच्छा विकल्प माना जाता है. इस विकल्प की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें जोख़िम कम है और कोई मैनेजमेंट फीस भी नहीं देना होता है. हालांकि, इसमें लिक्विडिटी की सुविधा उतनी बेहतर नहीं है. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश की सबसे अच्छी बात यह है कि इसपर सालाना 2.5 फीसदी का अतिरिक्त रिटर्न मिलता है. अगर इस इन्वेस्टमेंट को मैच्योरिटी तक रखा जाता है तो इसके कैपिटल गेन्स पर टैक्स भी नहीं दिया जा सकता है.
4. गोल्ड ईटीएफ
गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना ज्वेलरी खरीदने या गोल्ड सेविंग्स स्कीम में निवेश करने से बेहतर विकल्प माना जात है. लेकिन इनके साथ डीमैट चार्ज का बोझ भी होता है. गोल्ड ईटीएफ को स्टॉक मार्केट पर लिस्ट होता है. गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने से पहले इस ट्रैक करना और लिक्विडिटी के बारे में पूरी जानकारी जुटाना जरूरी होता है. हालांकि, गोल्ड ईटीएफ का एक्सपेंस रेशियो 0.20 फीसदी से ज्यादा नहीं होता है.
5. गोल्ड सेविंग्स स्कीम्स
यह एक ऐसा स्कीम है जिसमें आगे की तारीख पर सोना खरीदने के लिए पैसे जुटाने में मदद करता है. इसमें सोना खरीदारी पर डिस्काउंट भी मिलता है. यह स्कीम उन लोगों के लिए सबसे बेहतर है, जो सोना में निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन उनके पास कम पैसा है. निवेश के नजरिए से कई ऐसे विकल्प हैं, जिनका एक्सपेंस रेशियो बेहद कम है.
6. ज्वेलरी
जानकारों का कहना है कि निवेश के नज़रिए से कभी भी सोने में निवेश नहीं करना चाहिए. दरअसल, ज्वेलरी पर अच्छा खासा मेकिंग चार्ज देना पड़ता है. इसके अलावा इसपर जीएसटी भी देय होता है. ये दोनों चार्ज मिलाकर 25 फीसदी तक पहुंच सकता है. हालांकि, ज्वेलरी की लिक्विडिटी सबसे ज्यादा होती है. इसके चोरी होने का भी खतरा होता है.
7. गोल्ड बार और सिक्के
अगर कोई व्यक्ति फिज़िकल गोल्ड में निवेश करना चाहता है तो गोल्ड बार या कॉइन उनके लिए अच्छा विकल्प बन सकता है. इसपर 3 फीसदी जीएसटी और मेकिंग चार्ज देना होता सोने में निवेश कैसे करें सोने में निवेश है. गोल्ड बार और कॉइन पर मेकिंग चार्ज ज्वेलरी की तुलना में कम होता है.
क्या है सोने पर टैक्स देने की व्यवस्था?
बिक्री के समय: अगर सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड को मैच्योरिटी तक रखा जाता है तो इसपर कोई कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होता है. जबकि, अन्य सभी गोल्ड इन्वेस्टमेंट पर कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है. डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स की तरह ही गोल्ड निवेश पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है. गोल्ड निवेश से बाहर निकलने पर निवेशक की जो कमाई होती है, उसी रकम पर कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है.
खरीदते समय: फरवरी महीने में बजट में वित्त मंत्री ने ऐलान किया था कि सोने पर आयात शुल्क को घटाकर 7.5 फीसदी किया जा रहा है. पिछले टैक्स व्यवस्था की तुलना में यह कम है. हालांकि, आयात शुल्क में कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर और डेवलपमेंट सेस के नाम पर 2.5 फीसदी का अतिरिक्त टैक्स वसूला जाएगा. गोल्ड पर 3 फीसदी की जीएसटी और ज्वेलरी मेकिंग पर 5 फीसदी की जीएसटी देनी होती है.