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अस्थिर ब्याज क्या है?

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Additional Information

अस्थिर ब्याज क्या है?

1. उद्देश्य

1.1 पेंशनर / पारिवारिक पेंशनर के व्यक्तिगत खर्च जिसमें चिकित्सीय उपचार, यात्रा या अन्य अपरिहार्य व्यय शामिल है.

2. यूनियन कैश पात्रता

2.1 पेंशनर/पारिवारिक पेंशनर जो अधिवर्षिता/सेवानिवृति/स्वैच्छिक सेवानिवृति के कारण हमारे बैंक से पेंशन/पारिवारिक पेंशन का आहरण करते है /सामान्य परिवार पेंशन**

2.2 अधिकतम आयु जिसमें पेंशनर हेतु 75 वर्ष एवं पारिवारिक पेंशनर हेतु 70 वर्ष की पुनर्भुगतान अवधि शामिल है.

3. ऋण की प्रमात्रा

3.1 ऋण की पात्र प्रमात्रा मासिक सकल पेंशन (कर हटाकर कुल पेंशन) का 18 गुणा होगी, जो अधिकतम प्रमात्रा के अधीन :

ऋण के समय आयु

अधिकतम ऋण की प्रमात्रा

पेंशनर

पारिवारिक पेंशनर

4. पुनर्भुगतान

4.1 अधिकतम पुनर्भुगतान अवधि निम्नानुसार है :

आवेदन के समय आयु

अधिकतम पुनर्भुगतान अवधि

5. यूनियन कैश ब्याज दर

5.1 ब्याज दर 8.90 % प्रतिवर्ष (ईबीएलआर+2.10) अस्थिर

5.2 समय समय पर जारी मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार ब्याज दर वसूला जाएगा.

6. पूर्व भुगतान पर जुर्माना

6.1 पूर्व भुगतान पर कोई दंड नहीं है.

7. प्रतिभूति

7.1 कोई प्रतिभूति आवश्यक नहीं है.

8. गारंटी

8.1 इस योजना के अंतर्गत जीवनसाथी की व्यक्तिगत गारंटी या पारिवारिक पेंशन के लिए नामिती.

8.2 यदि पेंशनर अविवाहित/अविवाहिता/विधुर/विधवा है या पारिवारिक पेंशन के मामले में, आय अर्जन करने वाले अन्य परिवार के सदस्य (प्रमुख रूप से पुत्र/पुत्री) की व्यक्तिगत गारंटी या तृतीय पक्ष की गारंटी स्वीकार्य होगी, जिसके पास ऋण राशि के समकक्ष साधन हों.

9. यूनियन कैश ईएमआई कैलकुलेटर

9.1 ईएमआई कैलकुलेटर के लिएPlease Click hereक्लिक करें.

**शर्ते लागू**

**अधिक जानकारी के लिए हमारी नजदीकी शाखा से संपर्क करें**

प्रपत्र और दस्‍तावेज

  • पहचान का साक्ष्य (निम्न में से कोई)

    • पासपोर्ट
    • पैन कार्ड
    • कर्मचारी पहचान पत्र
    • कोई अन्य साक्ष्य

    • बिजली का बिल
    • टेलीफोन बिल
    • आधार
    • कोई अन्य मान्य साक्ष्य

    • ऋण अदायगी विवरण, यदि हो
    • जीवन बीमा पालिसी
    • किसी अन्य नियमित भुगतान का मान्य साक्ष्य.

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (एफ़एक्यू) : यूनियन कैश

    उत्तर :- ईबीएलआर का पूर्ण रूप एक्सटर्नल बेंचमार्क लैंडिंग रेट है. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो दर अपनाया है क्योंकि 01.10.2019 से अपने फ्लोटिंग रेट होम लोन को एक्सटर्नल बेंचमार्क से लिंक किया है.

    उत्तर:- एक्सटर्नल बेंचमार्क तीन महीने में कम से कम एक बार या बैंक/ आरबीआई द्वारा निर्धारित किसी अन्य आवृति पर रीसेट किया जाएगा.

    1. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया उस ऋण राशि का निर्धारण कैसे करेगी जिसके लिए मैं पात्र हूँ?

    उत्तर:- हम आपकी पेंशन और पुनर्भुगतान क्षमता के आधार पर ऋण पात्रता का निर्धारण करेंगे. अन्य महत्वपूर्ण कारकों में आपकी आयु और क्रेडिट सूचना ब्यूरो (सिबिल/एक्सपेरियन) आदि ट्रैक रिकॉर्ड शामिल हैं

    उत्तर:-पूर्व- अनुमोदित होने पर तत्काल स्वीकृति प्राप्त की जा सकती है .

    उत्तर: - ऋण स्वीकृत होने के बाद तत्काल भुगतान.

    उत्तर:- आप अपनी नजदीकी शाखा से आवेदन पत्र प्राप्त कर सकते हैं या इसे हमारी वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं और इसे दस्तावेजों और प्रसंस्करण शुल्क के चेक के साथ किसी भी यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शाखा में जमा कर सकते हैं. इसके अलावा, आपके पास हमारी वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करने का विकल्प है.

    1. क्या यूनियन कैश लोन के साथ बीमा पॉलिसी खरीदना अनिवार्य है?

    उत्तर:- यह वैकल्पिक है और पूरी तरह से उधारकर्ता के विवेक पर निर्भर करता है. हालांकि आवेदक किसी भी अप्रत्याशित अस्थिर ब्याज क्या है? स्थिति से निपटने के लिए स्वीकृत ऋण राशि की सीमा तक कवर की मांग कर सकते हैं.

    ICICI Bank Hikes FD Rates: एफडी पर मिलेगा ज्यादा रिटर्न, ICICI Bank ने फिर की फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी

    FD Rate Hike: बैंक के मुताबिक मौजूदा अस्थिरता और चढ़ाव के माहौल में आईसीआईसीआई बैंक का एफडी बेहद सुरक्षित साबित हो सकता है.

    By: ABP Live | Updated at : 26 Aug 2022 06:53 PM (IST)

    ICICI Bank Hikes अस्थिर ब्याज क्या है? FD Rates: फिक्स्ड डिपॉजिट में गाढ़ी कमाई रखना आकर्षक होता जा रहा है. देश की दिग्गज निजी आईसीआईसीआई बैंक ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है. 7 दिनों से लेकर 10 वर्ष के डिपॉजिट पर बैंक अब 3.50 फीसदी से लेकर 5.90 फीसदी ब्याज देगा. आईसीआईसीआई बैंक की एफडी में बढ़ोतरी का फैसला 26 अगस्त, 2022 से लागू हो गया है.

    कितनी बढ़ी ब्याज दरें
    आईसीआईसीआई बैंक ने 2 करोड़ से लेकर 5 करोड़ रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया है. 7 दिनों से लेकर 29 दिनों तक के एफडी पर 3.50 फीसदी ब्याज मिलेगा. 30 से लेकर 45 दिनों तक के एफडी पर 3.60 फीसदी, 46 से लेकर 60 दिनों तक के एफडी पर 4 फीसदी, 61 से 90 दिनों के एफडी पर 4.75 फीसदी ब्याज मिलेगा. 91 से 184 दिनों के एफडी पर 5.25 फीसदी , 185 से 270 दिनों तक के एफडी पर 5.40 फीसदी ब्याज मिलेगा. 271 दिनों से लेकर 1 साल के तक के एफडी पर 5.60 फीसदी 1 से 5 साल तक के एफडी पर 6.05 फीसदी और 5 साल 1 दिन से लेकर 10 साल तक के एफडी पर 5.90 फीसदी ब्याज मिलेगा.

    आईसीआईसीआई बैंक के वेबसाइट पर दी जानकारी के मुताबिक आप एफडी में डिजिटल तरीके के साथ ब्रांच में जाकर भी एफडी खुलवा सकते हैं. बैंक के मुताबिक मौजूदा अस्थिरता और चढ़ाव के माहौल में आईसीआईसीआई बैंक का एफडी बेहद सुरक्षित साबित हो सकता है. बैंक ने अपने वेबसाइट में कहा है कि आईसीआईसीआई बैंक के एफडी को AAA रेटिंग मिला हुआ है.

    19 अगस्त 2022 को आईसीआईसीआई बैंक ने 2 करोड़ रुपये से कम अस्थिर ब्याज क्या है? एफडी पर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की थी. जिसमें 3 साल 1 दिन से लेकर 5 साल के एफडी पर 6.10 फीसदी ब्याज मिल रहा है, जिसमें सीनियर सिटीजन को 0.50 फीसदी ज्यादा ब्याज मिल रहा है.

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    Published at : 26 Aug 2022 06:52 PM (IST) Tags: ICICI Bank FD Rate Hike ICICI Bank Fixed Deposit Rates FD Rate ICICI Bank Hikes FD Rates हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

    तेज ग्रोथ, तीव्र अस्थिरता— भारतीय अर्थव्यवस्था नए वित्तीय वर्ष में क्या उम्मीद कर सकती है

    भारत और विदेशों में जिस तरह कोविड-19 की लहर के बाद लहर आ रही है, यह साल अच्छी और बुरी खबरों का गवाह बनता रहेगा, जिससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता की स्थिति बनी रह सकती है.

    सोहम सेन का चित्रण | ThePrint

    वित्तीय वर्ष 2020-21 समाप्त होने जा रहा है. अर्थव्यवस्था तो तेजी से रफ्तार पकड़ेगी लेकिन आने वाले साल में वित्तीय बाजारों में काफी अस्थिरता दिखाई दे सकती है. एक तरफ घरेलू और विदेशी वित्तीय और मौद्रिक गतिविधियां बढ़ने और दूसरी तरफ अनिश्चितता के कारण संपत्ति मूल्यों में उतार-चढ़ाव आ सकता है.

    2020-21 को जहां उत्पादन घटने के लिए याद रखा जाएगा, वहीं अर्थव्यवस्था में सुधार के बीच नई संभावनाओं के आकार लेने और ब्याज दरों में उछाल के कारण 2021-22 में तेजी से वृद्धि और तीव्र अस्थिरता की स्थिति बने रहने के आसार है.

    भारत और विदेश दोनों जगह जिस तरह कोविड-19 की लहर के बाद लहर आ रही है, यह साल अच्छी और बुरी खबरों का गवाह बनता रहेगा, अस्थिर ब्याज क्या है? जिससे वित्तीय बाजारों में अस्थिरता की स्थिति बनी रह सकती है. भारत और विदेशों में, बांड बाजारों और सरकारों और केंद्रीय बैंकरों के बीच उठापटक आने वाले महीनों में भी जारी रहने की संभावना है, जो सरकारी बॉन्ड बेचने और यील्ड कम रखने की कोशिश करेंगे.

    आउटपुट बढ़ने की उम्मीदों और मुद्रास्फीति से ब्याज दरें चढ़ने का दबाव बनेगा. यह बॉन्ड बाजार और स्टॉक मार्केट दोनों पर असर डालेगा. यदि लोग अधिक खर्च करना शुरू करते हैं, और सरकारें अधिक उधार लेने की कोशिश करती हैं, तो ब्याज दरें नीचे आने की संभावना नहीं रहती. ऐसे में पहले की तरह जब ग्रोथ धीमी थी, पूंजी प्रवाह बढ़ने पर ब्याज दरें नीचे आने जैसी स्थिति नहीं बन सकती है.

    अमेरिका में हायर यील्ड

    भारत में पिछले कुछ हफ्तों में सरकार की तरफ उम्मीद से ज्यादा उधार लेने की घोषणा किए जाने से सरकारी बॉन्ड पर ब्याज में तेजी आनी शुरू हुई है. यद्यपि आरबीआई ने पूंजी प्रवाह और बॉन्ड पर निगाहें टिकाए रखने वालों की निश्चिंतता बढ़ाने के लिए खुले बाजार में खरीदारी और संचालन में सुधार वाले कई कदम उठाए हैं, लेकिन यील्ड में तेजी का दबाव बरकरार है. 1.9 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के राजकोषीय प्रोत्साहन के कारण अपेक्षा से अधिक सुधार ने मुद्रास्फीति बढ़ने की आशंका उत्पन्न कर दी है. फेडरल रिजर्व नीतियों के जरिये उदार रुख के आश्वासनों के बावजूद अमेरिकी राजकोषीय यील्ड अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के कारण घरेलू बाजार में यील्ड ने फिर मजबूती पकड़ी है.

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    आरबीआई ने बाजारों की स्थिरता के लिए फिर से पूंजी प्रवाह बढ़ाने संबंधी कई कदम उठाए हैं लेकिन अमेरिका में बदली स्थितियां भारत के बांड बाजार को अस्थिर करने की क्षमता रखती हैं.

    चिंता इस बात की है कि अमेरिका में हायर यील्ड की वजह से भारत सहित तमाम उभरती अर्थव्यवस्थाओं की पूंजी बाहर जा सकती है. इससे रुपये पर दबाव बढ़ सकता है. लेकिन करीब 600 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड विदेशी मुद्रा भंडार और इस वर्ष करंट एकाउंट सरप्लस होने की संभावना के साथ भारत 2013 का टेपर टैंट्रम जैसा संकट फिर खड़ा होने पर उनसे निपटने के लिए बेहतर स्थिति में नजर आ रहा है—उस समय भारत में मुद्रास्फीति लगभग 10 प्रतिशत थी, जबकि इस समय यह उससे लगभग आधे स्तर पर है.

    वैश्विक स्तर पर ईंधन की बढ़ी कीमतें आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति की चाल के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं. फरवरी महीने में मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से अधिक हो गई है जिसकी मुख्य वजह ईंधन की बढ़ी कीमतें हैं. लगातार उच्च मुद्रास्फीति आरबीआई के लिए उदार रुख अपनाए रखने में चुनौती बन सकती है. इससे आरबीआई को ब्याज दरें बढ़ाने पर विचार करना पड़ सकता है, जिससे हाल के महीनों में अर्थव्यवस्था में आई रफ्तार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है. यह चुनौतीपूर्ण होगा, खासकर यह देखते हुए कि बैंक ऋण की ग्रोथ असमान और कमजोर बनी हुई है.

    सकारात्मक वृद्धि

    2020-21 में सरकार ने महामारी के कारण उपजे आर्थिक संकट को दूर करने और व्यवसायों को फिर खड़ा करने में मदद के लिए विभिन्न चरणों में कई उपायों की घोषणा की. इनमें एमएसएमई को कोलैटरल-फ्री लोन, एनबीएफसी की मदद के लिए आंशिक ऋण गारंटी, और पूंजीगत व्यय और रोजगार को बढ़ावा देने के उपाय शामिल थे.

    आरबीआई ने बैंको को व्यवसायों को कम ब्याज पर कर्ज देने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पूंजी तरलता बढ़ाने संबंधी कई उपायों की घोषणा की थी. आरबीआई ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित कंपनियों को सहारा देने के लिए 31 अगस्त 2020 तक पूरे छह महीने के लिए बैंक ऋण पर मोराटोरियम घोषित कर दिया था. इसके बाद जरूरी हो ऋण फिर से जारी करने के लिए बैंकों द्वारा अधिक लचीलापन अपनाए जाने के लिए ऋणों का एकमुश्त पुनर्गठन किया गया. कर्जदारों की मुश्किलें और घटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में एनपीए के वर्गीकरण पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

    आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे जोर पकड़ने और सरकार और आरबीआई की तरफ से अर्थव्यवस्था को मजूबती देने वाले कदमों की बदौलत अर्थव्यवस्था ने तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है. 2021 के पहले दो महीनों में अर्थव्यवस्था सुधरने में तेजी देखी जा रही है. पीएमआई विनिर्माण और सेवाएं, बिजली उत्पादन, जीएसटी संग्रह और यात्री वाहनों की बिक्री में निरंतर वृद्धि जैसे संकेतक मजबूती से इस बात को दर्शाते भी हैं. सरकार ने चालू वर्ष में जीडीपी 8 प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया है.

    अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने के साथ ही नियामक प्रतिबंध संबंधी विभिन्न कदम धीरे-धीरे वापस हो रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने एनपीए वर्गीकरण पर रोक हटा दी है. एनपीए की पहचान और वर्गीकरण पर रोक हटने से बैंक ऐसे खातों की पहचान कर पाएंगे जो गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों के रूप में ब्याज का भुगतान नहीं कर रहे. इससे बैंकिंग प्रणाली में अनिश्चितता समाप्त होगी, वहीं बैड लोन में वृद्धि हो सकती है.

    इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के निलंबन को हटा दिया जाएगा. हालांकि, चिंता इस बात की है कि इससे नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के तहत दायर होने वाले मामलों की संख्या बढ़ सकती है, कंपनी दिवालिया होने से पहले लेनदारों को सभी विकल्पों का आकलन करना होगा.

    (इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

    (श्रेयस शर्मा ने एडिट किया है)

    (इला पटनायक एक अर्थशास्त्री हैं और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर हैं राधिका पाण्डेय एनआईपीएफपी में कंसल्टेंट हैं. व्यक्त विचार निजी हैं)

    Monetary Policy Committee,नीतिगत ब्याज दरों में मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने कितना प्वाइंट बढ़ाया है

    Monetary Policy Committee: केंद्रीय रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने 5 अगस्त 2022 को हुई मासिक मॉनेटरी पॉलिसी की समीक्षा करने के बाद नीतिगत ब्याज दरों में 50 बेसिक प्वाइंट की बढ़ोतरी की है। इसके बाद रेपो रेट 4.9 परसेंट से बढ़कर 5.4 परसेंट हो गया है। रिजर्व बैंक के वर्तमान गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपनी बैठक की घोषणा में कहा है कि हम हाई इन्फ्लेशन की समस्या से वर्तमान में गुजर रहे हैं और फाइनेंशियल मार्केट में अस्थिर हैं। वैश्विक और घरेलू परिदृश्य को देखते हुए मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने बेंचमार्क्स रेट में बढ़ोतरी करने का फैसला किया है। 5 अगस्त 2022 के बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट कोविड-19 के पूर्व स्तर पर पहुंच गया है।

    यह लगातार तीसरा हाइक है इसके पहले आरबीआई ने मई और जून में अस्थिर ब्याज क्या है? कुल मिलाकर 0.90 फ़ीसदी की बढ़ोतरी की थी यानी कि पिछले 4 महीनों में रेपो रेट में 1.4 परसेंट की बढ़ोतरी हुई है। हाई इन्फ्लेशन को काबू में करने के लिए आरबीआई रेपो रेट को 25 से 20 तक बेसिक प्वाइंट तक बढ़ा सकती है। शक्तिकांत दास ने यह भी कहा है कि मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी इन्फ्लेशन कंट्रोल करने के लिए नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का फैसला किया है।

    वह ब्याज दर जिस पर एक देश का केंद्रीय बैंक घरेलू बैंकों को प्रायः बहुत ही अल्पकालिक ऋण के रूप में पैसा उधार देता है, उसे कहा जाता है:

    Key Points

    • रेपो रेट एक अल्पकालिक उपाय है और यह अल्पकालिक ऋणों को संदर्भित करता है और बाजार में धन की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
    • बैंक दर एक दीर्घकालिक उपाय है और यह आरबीआई की दीर्घकालिक मौद्रिक नीतियों द्वारा नियंत्रित होता है।

    Additional Information

    • नकद दर
      • मुद्रा दर बैंकों के बीच अस्थिर अल्पकालिक अग्रिमों की वित्तीय लागत है।
      • दूसरा रेपो चार्ज तब होता है जब आरबीआई बैंकों से पैसा उधार लेता है, जबकि बाजार के अंदर अतिरिक्त तरलता होती है।
      • फरवरी 2020 तक समकालीन रेपो शुल्क 5.15% है।

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      Last updated on Nov 9, 2022

      SSC Stenographer Admit Cards have been released for the WR, CR, MPR, NER & NWR Regions & Application Status for all regions is active on 11th November 2022! The notification for SSC Stenographer Recruitment 2022 was released on 20th August 2022. Candidates could apply for the said post till 5th September 2022. The CBE for the same will be conducted on 17th November 2022 and 18th November 2022. The SSC Stenographer Selection Process comprises Computer Based Examination, and Skill Test. The finally appointed candidates will be entitled to a Pay Scale of INR ₹7,600 - ₹14,500.

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