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वास्तविक खाता

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ओएलटीएएस (ऑनलाइन कर लेखा प्रणाली) के अंतर्गत कटौतीकर्ताओं/करदाताओं से प्राप्त समस्त प्रत्यक्ष कर भुगतान के भौतिक चालान लिंक सेल के माध्यम से टिन (कर सूचना तंत्र) हेतु प्रेषित आंकड़े तथा संग्राहक बैंक द्वारा दैनिक आधार पर अंकीकरण होता है। वर्तमान में, बैंकों को केवल तीन क्षेत्रों अर्थात् राशि, प्रमुख शीर्ष कोड तथा नाम से संबंधित आंकड़ों को संशोधित करने की अनुमति है। अन्य त्रुटियां केवल निर्धारण अधिकारी द्वारा संशोधित किए जा सकते हैं।

बैंकों द्वारा चालान सुधार की नई प्रक्रिया (भौतिक चालान के लिए):

स्थिति में सुधार करने के लिए, एक नया चालान सुधार तंत्र भौतिक चालान के स्थान पर दिया गया है. इस तंत्र के तहत, 1.9.2011 को अथवा के बाद किए आयकर भुगतान के लिए, निम्नलिखित क्षेत्रों संबंधित बैंक शाखा के माध्यम से सही किया जा सकता है:

➢ कर कटौती खाता संख्या/स्थार्इ खाता संख्या

➢ भुगतान की प्रकृति (टीडीएस कोड्स)

करदाता द्वारा सुधार अनुरोध के लिए समय सीमा इस प्रकार है:

क्र.सं. क्षेत्र के नाम में आवश्यक सुधार सुधार अनुरोध की अवधि (चालान जमा तारीख से)
1 कर खाता संख्या/स्थार्इ खाता संख्या 7 दिन
2 निर्धारण वर्ष 7 दिन
3 राशि 7 दिन
4 अन्य क्षेत्र (प्रमुख शीर्षक, अमुख्य शीर्षक, भुगतान की प्रकृति) 3 दिनों के भीतर

बैंक द्वारा सुधार के लिए समय सीमा कर-दाता द्वारा सुधार अनुरोध प्राप्त होने की तारीख से 7 दिन है।

परिवर्तन निम्नलिखित शर्तों के अनुसार बैंकों द्वारा की जा सकती है:

I. नाम में सुधार की अनुमति नहीं है।

II. अमुख्य शीर्षक और मूल्यांकन वर्ष सुधार की कोई भी संयोजन की एक साथ की अनुमति नहीं है।

III. स्थार्इ खाता संख्या/कर कटौती खाता संख्या में सुधार की अनुमति दी जाएगी केवल तब जब नर्इ स्थार्इ खाता संख्या/कर कटौती खाता संख्या के अनुसार नाम से चालान का नाम मिल जायेगा।

IV.राशि के परिवर्तन की केवल इस शर्त पर अनुमति दी जाएगी कि संशोधित की गर्इ ऐसी राशि बैंक से वास्तविक रूप में प्राप्त की और सरकार के खाते में जमा की गई राशि से अलग नहीं है।

V. एक एकल चालान के लिए, संशोधन केवल एक बार के लिए स्वीकृत वास्तविक खाता हैं। हालांकि जहां प्रथम संशोधन केवल राशि के लिए किया जाता है वहां एक द्वितीय संशोधन प्रतिवेदन अन्य क्षेत्रों में संशोधन हेतु स्वीकृत होगा।

VI. परिवर्तन सुधार अनुरोध वास्तविक खाता का कोई आंशिक स्वीकृति नहीं होगी, अर्थात् या तो सभी का अनुरोध परिवर्तन की अनुमति दी जाएगी, यदि वह सत्यापन की स्वीकृति देते हैं, या कोई परिवर्तन की अनुमति नहीं दी जाएगी, यदि अनुरोध किया परिवर्तनों में से किसी एक सत्यापन परीक्षण विफल रहता है।

I. कर दाता को संबंधित बैंक शाखा को सुधार के लिए अनुरोध प्रपत्र (दो प्रतियों में) जमा करना होगी।

II. करदाता को मूल चालान प्रतिपर्ण की प्रति संलग्न करनी पड़ेगी।

III. प्रपत्र 280, 282, 283 में चालान के वास्तविक खाता लिए वांछित सुधार के मामले में पैन कार्ड की प्रति संलग्न किया जाना आवश्यक है।

IV. एक कर दाता (एक व्यक्ति के अलावा) द्वारा किए गए भुगतान के लिए वांछित सुधार के मामले में , गैर व्यक्तिगत करदाता की मुहर के साथ मूल प्राधिकरण अनुरोध प्रपत्र के साथ संलग्न किया जाना आवश्यक है।

V. एक अनुरोध प्रपत्र प्रत्येक चालान के लिए प्रस्तुत किया जाता है।

निर्धारण अधिकारी द्वारा संशोधित चालान की प्रक्रिया दोनों भौतिक तथा र्इ-भुगतान चालान

चालान सुधार के लिए बैंकों हेतु उपलब्ध समय सीमा के बाद, निर्धारिती अपने या अपने आकलन अधिकारी को सुधार के लिए एक अनुरोध कर सकते हैं, जो वास्तविक मामलों में चालान डेटा में इस तरह के सुधार करने के लिए विभागीय ओएलटीएएस एप्लीकेशन के तहत अधिकृत है जो, संबंधित निर्धारिती को, करों की क्रेडिट का भुगतान कर सकें।

कर दाता द्वारा प्रतिवेदित चालान संशोधन के लिए बैंक को आवेदन हेतु आवेदन

करदाता कर कटौती खाता संख्या/स्थार्इ खाता संख्या :

अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का नाम:

(गैर व्यक्तिगत करदाता के मामले में)

विषय: चालान 280/281/282/283 में सुधार के लिए अनुरोध: [जो लागू नहीं है उसे काट दे]

मैं आपसे निम्न विवरण के अनुसार चालान डेटा में सुधार करने के लिए अनुरोध करता हूँ:

बीएसआर कोड चालान निविदा तिथि (नगद/चैक जमा तिथि) चालान क्र. सं.

वास्तविक खाता
क्र. सं. जिस क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है कृपया निशान लगाएं मूल विवरण संशोधित विवरण
1 कर कटौती खाता संख्या/स्थार्इ खाता संख्या (10 अंक)
2 निर्धारण वर्ष (वर्ष)
3 मुख्य शीर्ष कोड (4 अंक)
4 अमुख्य शीर्ष कोड (3 अंक)
5 भुगतान की प्रकृति (3 अंक)
6कुल राशि (13 अंक)

नोट: प्रासंगिक क्षेत्रों के समक्ष टिक करें जहां परिवर्तन आवश्यक हैं।

करदाता / अधिकृत हस्ताक्षरी तारीख

1. मूल चालान प्रतिपर्ण की प्रति वास्तविक खाता संलग्न करें।

2. चालान 280, 282, 283 सुधार के मामले में स्थार्इ खाता संख्या कार्ड की प्रति संलग्न करें।

3. एक गैर व्यक्तिगत करदाता के मामले में गैर व्यक्तिगत करदाता की मुहर के साथ मूल प्राधिकरण संलग्न करें।

4. सुधार के लिए अनुरोध प्रपत्र बैंक की शाखा में दो प्रतियों में प्रस्तुत किया जाना है।

लेखांकन के सुनहरे नियम क्या हैं?

प्रत्येक प्रक्रिया में आम तौर पर लागू नियमों का एक सेट होता है जिसका सभी को पालन करना चाहिए। ये नियम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये महत्वपूर्ण कार्यों के केंद्र में हैं। इसी तरह, लेखांकन के सुनहरे नियम हैं। तीन सुनहरे लेखांकन मानक हैं जिनकी चर्चा हम इस ब्लॉग में करेंगे। अस्तित्व की शुरुआत से ही लेखांकन का पता मेसोपोटामिया की सभ्यताओं से लगाया जा सकता है। लेखांकन के संस्थापक लुका पसिओली ने पहली बार डबल-एंट्री बहीखाता पद्धति का उल्लेख किया था, जिसका उपयोग आज किया जा रहा है। उन्नीसवीं सदी में स्कॉटलैंड ने चार्टर्ड अकाउंटेंसी के आधुनिक पेशे को जन्म दिया। लेखांकन से तात्पर्य आर्थिक संस्थाओं से संबंधित वित्तीय और गैर-वित्तीय सूचनाओं के मापन, प्रसंस्करण और साझाकरण से है। आम आदमी के शब्दों में, लेखांकन उन पर नज़र रखने के लिए वित्तीय लेनदेन की व्यवस्थित रिकॉर्डिंग है। यह संस्था की वर्तमान वित्तीय स्थिति की सटीक तस्वीर प्रदान करने के लिए नवीनतम लेनदेन के साथ खातों को अद्यतन रखने की भी आवश्यकता है।

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Tally सीखें हिंदी में। - Tally में वाउचर एंट्री के टाइप देखना एवं वाउचर एंट्री करना।

1. वाउचर एंट्री के टाइप देखना 2. वाउचर एंट्री करना Voucher: एक वाउचर एक दस्तावेज होता है, जो किसी वित्तीय ट्रांजेक्शन का विवरण होता है | मैन्युअल एंट्री में इस जर्नल एंट्री भी कहते है | वाउचर में सभी बिजनेस ट्रांजेक्शन पूर्ण विवरण के साथ रिकॉर्ड किया जाता है | Types of Voucher: Tally.ERP 9 में पूर्व निधारित निम्नलिखित वाउचरके प्रकार है | 1) Contra (F4) : यह प्रकार केवल बैंक अकाउंट और कैश ट्रांजेक्शन के लिए उपयोग होता है | उदाहरण के लिए आपने बैंक में कैश जमा किया या बैंक से कैश निकाला या फिर एक बैंक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसा ट्रान्सफर किया तो इन्हे Contra में लेना चाहिए| लेकिन बैंक से लोन लिया तो यह इस वाउचर टाइप में नही आएगा| Eg. 1) Open Bank Account in Bank of India with Rs. 5000 2) Withdrawn from Bank of India Rs. 2000 2) Payment (F5) : यह प्रकार तब सिलेक्ट करे जब ट्रांजेक्शन कैश में हो| उदाहरण के लिये जब cash a/c या किसी बैंक अकाउंट से कैश से भगतान किया हो तो इस टाइप को सिलेक्ट करे| E.g. 1) Machinary Purchase for cash Rs. 20000 2) Salary Paid Rs. 300

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मार्गदर्शन:- कैसे और कहाँ से करें Hotel Management की प्रवेश परीक्षा की तैयारी?

क्या है होटल मैनेजमेंट(Hotel Management) Hotel Management दुनिया के सबसे बड़े रोजगारों में से एक है। कोर्स खत्म करने के बाद इसमें नौकरी के बहुत अवसर हैं , मैनेजर और कार्यकारी के रूप में। यह कार्यक्षेत्र में एक व्यवसायिक काम है। इसमें डेस्क, सर्विस, रसोई, कैटरिंग, बार और आस्पिटेलिटी की व्यवस्था शामिल है। बाबर्ची , खानपान(catering) में लोकप्रिय विशेषज्ञों में से एक है। इस कोर्स की समाप्ति के बाद विद्यार्थी होटल उद्योगों, क्रूजर शिप आदि में नियुकत किए जाते हैं और वे अपना व्यापार भी शुरू कर सकते हैं। Also Read~ ★ कैसे करें Fashion Designing की प्रवेश परीक्षा की तैयारी? ★ मार्गदर्शन:-कैसे करे एयरहोस्टेस की तैयारी। एयरहोस्टेस कैसे बने। होटल मैनेजमेंट में उपलबध कोर्स (Courses Offered by hotel management): ★ Wildlife Photography में बनाये कैरियर। कैसे और कहाँ से करें तैयारी। Bachelor of Arts in Hotel Management Bachelor of Hotel Management (BHM) Bachelor of Science in Hotel Management BA (Hons) in Hotel Management BBA in Hotel Management Master of Science in

प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय-व्यय खाता में अंतर लिखिए

गैर व्यापारिक संस्था द्वारा बनाया जाने वाला प्राप्ति भुगतान एवं आय-व्यय खाता है पिछले आर्टिकल में इन दोनों खाते के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई हैं। बहुत से स्टूडेंट का Quires आ रहा था कि सर प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय व्यय खाता में अंतर क्या होता है बताएं तो दोस्तों आज का पोस्ट प्राप्ति तथा भुगतान खाता में अन्तर से संबंधित है।

प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय आय-व्यय में अंतर

इन दोनों खाते के बीच निम्नलिखित अंतर पाया जाते हैं-

  1. प्राप्ति एवं भुगतान खाता एक वास्तविक खाता ( Real Account) होता है जबकि आय-व्यय नाममात्र खाता ( Nominal Account )होता है।
  2. इस खाते में प्रारंभ में ही Opening Balance यानी कि Cash in hand तथा Cash at Bank लिखना होता है जबकि आय-व्यय खाता में Opening Balance से शुरुआत नहीं किया जाता हैं। प्रत्येक अवधि के लिए नए सिरे से बनाना होता है।
  3. यह खाता स्वतंत्र विवरण होता है क्योंकि इसके साथ B/S का होना आवश्यक नहीं होता है लेकिन आय-व्यय खाते के लिए आर्थिक चिट्ठा आवश्यक होता हैं।
  4. इस खाते के अंत में Cash Balance ज्ञात किया जाता है इस Cash Balance के शेष को अगले लेखांकन वर्ष में ले जाया जाता है लेकिन आय-व्यय खाते के अंत में व्यय पर आय की अधिकता या आय पर व्यय की अधिकता ज्ञात किया जाता है इसे अगले लेखकांन में नहीं ले जाया जाता है।
  5. प्राप्ति एवं भुगतान खाते को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य सभी नगक प्राप्ति, भुगतान के संबंध में सूचना प्राप्त करना तथा वर्ष के अंत वास्तविक खाता में Cash in hand, Cash at Bank निकालना है जबकि आय-व्यय खाते का मुख्य उद्देश्य सभी आय एवं व्यय/खर्च के संबंध में शुद्ध परिणाम हेतू Surplus व वास्तविक खाता Deficit ज्ञात करना है।

लाभ न कमाने वाली संस्था का स्थिति विवरण तैयार करना

जो संस्थाएं लाभ नहीं कमाती है उनका आर्थिक चिट्ठा प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा तलपट की सहायता से बनाया जाता है। आर्थिक चिट्ठा वैसे ही बनाया जाता है जिस प्रकार से लाभकारी संस्था द्वारा तैयार किया जाता है।

तलपट और प्राप्ति एवं भुगतान खाता से Balance Sheet तैयार करते समय कुछ बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता हैं।

  • Recepits and Payments Account में प्रदर्शित की गई सूचना में से Closing Balance ( Cash in hand, Cash at Bank ) को Balance Sheet के संपत्ति पक्ष में लिखेंगे।
  • स्थायी संपत्तियों को भी संपत्ति भाग में लिखा जाएगा। उदाहरण – विनियोग, भवन, भूमि, निवेश, फर्नीचर आदि। यदि किसी संपत्ति के राशि में Depreciation का प्रावधान हो तो Depreciation जरूर काट कर लिखें।
  • पूंजी कोष को वास्तविक खाता दायित्व भाग में लिखेंगे। इसमें चालू वर्ष के Surplus को Add ( + ) कर देते हैं और Deficit ( – ) रहने पर Minius कर दिया जाता है।
  • विशेष दान, आजीवन सदस्यता शुल्क, पूंजीगत प्राप्ति आदि को Liabilities Side में दिखाया जाता है इन्हें पूंजी कोष में जोड़ कर दिखाना चाहिए।
  • प्रश्न में अतिरिक्त सूचनाएं रहने वास्तविक खाता पर Adjustment अवश्य करना चाहिए तथा उसको उचित भाग में लिखना चाहिए।

आपने आज सीखा

आज के इस पोस्ट में आपने प्राप्ति एवं भुगतान खाता तथा आय व्यय खाते के बीच क्या अंतर होता है उसे जाना और साथ में गैर व्यापारिक संस्था के द्वारा आर्थिक चिट्ठा कैसे तैयार किया जाता है उसे भी आपने सीखा।

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