चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर

चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर
शेयर मार्केट शब्दकोश' शेयर बाजारों में प्रयोग की जानेवाली नई शब्दावली और शब्दों को समझने में नए कारोबारियों को आनेवाली कठिनाइयों को दूर करने के लिए तैयार किया गया है। सेमिनारों में हिस्सा लेने, वित्तीय कार्यक्रमों को देखने या सुनने और वित्तीय बाजार पर लिखी सामग्री को पढ़ते समय यह पुस्तक मूल्यवान संदर्भ साधन बन सकती है। इस पुस्तक में वित्त और शेयर बाजार में प्रयोग में लाए जाने वाले 600 शब्दों के साथ ही 100 से अधिक संक्षिप्त शब्द और संक्षिप्त विवरण दिए गए हैं।
शेयर बाजार में सफल होने के लिए आवश्यक जानकारी और ज्ञान को बढ़ानेवाली एक व्यावहारिक चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर पुस्तक।
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, जिसे आमतौर पर यूलिप पॉलिसी के रूप में जाना जाता है, निवेश और बीमा कवर का एक पूरा पैकेज है जो धन बढ़ाने में मदद करता है। आमतौर पर, यूलिप पारदर्शी और लचीले होते हैं, जिससे व्यक्ति को आवश्यकता के अनुसार अपनी योजना को अनुकूलित करने की अनुमति मिलती है। यह आपको बीमा कवरेज प्रदान करता है और आपको योग्य निवेश विकल्पों में अपने प्रीमियम का एक हिस्सा निवेश करने की अनुमति देता है जिसमें स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड और बहुत कुछ शामिल हैं। यूलिप इंश्योरेंस में निवेशक अपने निवेश को ऋण से इक्विटी में स्वैप कर सकते हैं और इसके विपरीत स्तंभ से चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर पोस्ट तक चलने या दंडित होने की चिंता किए बिना भी कर सकते हैं।
यूलिप प्लान पहली बार 1971 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा पेश किए गए थे और तब से इन योजनाओं को भारतीय बीमा बाजार द्वारा सराहा गया है।
आज, अधिक प्रदाताओं ने यूलिप योजनाओं के खेल में टैप किया है और न्यूनतम शुल्क पर नए युग की सुविधाओं के साथ ऐसी योजनाओं की पेशकश करके अपने ग्राहकों की जरूरतों को सफलतापूर्वक पूरा कर रहे हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, बजाज लाइफ, एचडीएफसी सहित सभी प्रमुख बीमा कंपनियां भारतीय उपभोक्ताओं को यूलिप प्लान के असंख्य ऑफर करती हैं।
आइए खरीदारी का निर्णय लेने से पहले यूलिप प्लान की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।
यूलिप प्लान का महत्व क्या है?
यूलिप प्लान आपको 18 साल की उम्र में जल्दी निवेश करने की अनुमति देता है। जब कोई पॉलिसीधारक यूलिप प्लान के लिए नियमित प्रीमियम का भुगतान करता है, तो बीमाकर्ता जीवन बीमा कवर के लिए इसके एक हिस्से का उपयोग करता है। शेष राशि का उपयोग विभिन्न ऋण और इक्विटी निवेशों के लिए किया जाता है, इस प्रकार आपके रिटायरमेंट के बाद के जीवन को वित्तीय रूप से समर्थन देने के लिए चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर पर्याप्त धन जमा होता है। ऐसी योजनाओं का सबसे अनिवार्य हिस्सा यह है कि पॉलिसीधारक लॉक-इन अवधि के बाद किसी भी समय पॉलिसी का कार्यकाल निर्धारित कर सकता है और बाहर निकल सकता है। यूलिप रिटायर होने और रिटायरमेंट के बाद जीवन का आनंद लेना शुरू करने का निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है।
यूलिप प्लान की बेहतर समझ के लिए यहां एक उदाहरण दिया गया है।
30 साल के कमल अपनी पत्नी के साथ यात्रा करने के लिए पर्याप्त धन के साथ 60 साल की उम्र में रिटायर होना चाहते हैं। वह नियमित और संभावित खर्चों जैसे कि घरेलू आवश्यक वस्तुओं, चिकित्सा बिलों, क्षति और मरम्मत आदि के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, इस प्रकार, उन्होंने अनुमान लगाया कि सेवानिवृत्ति के बाद एक स्वतंत्र चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर और आरामदायक जीवन जीने के लिए लगभग 5 करोड़ रुपये की आवश्यकता होनी चाहिए। कमल अब लगभग 15,000 रुपये के मासिक प्रीमियम के साथ यूलिप प्लान का विकल्प चुन सकते हैं। अपनी सेवानिवृत्ति के समय 60 वर्ष की आयु पर, वह अपनी आवश्यकताओं के आधार पर नियमित आय या एकमुश्त के रूप में रिटर्न प्राप्त करने का निर्णय ले सकता है। यूलिप प्लान आपको लाइफ़ कवर सुरक्षा प्रदान करते हुए आपके प्रीमियम को अपनी पसंद के फ़ंड के प्रकार में निवेश करके काम करते हैं।
यह कैसे काम करता है?
यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान के लिए आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम का उपयोग धन और जीवन बीमा बनाने के लिए किया जाता है। प्लान के शुरुआती वर्षों में, प्लान के खर्चों के लिए प्रीमियम की एक बड़ी राशि का उपयोग किया जाता है। बाद में, प्रीमियम को दो अलग-अलग खंडों में विभाजित किया जाता है- निवेश और बीमा।
आपकी पसंद के फंड में निवेश की गई राशि के लिए इकाइयां जारी की जाती हैं; यह ऋण, इक्विटी या दोनों का संयोजन हो सकता है। इकाइयों का आवंटन मूल निधि के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। शुरुआती 2 से 3 प्लान वर्षों में, उच्च खर्चों की कटौती के कारण, फंड का मूल्य कम रहेगा। इसके अलावा, मृत्यु दर में भी मासिक रूप से कटौती की जाएगी। यह किसी व्यक्ति को जीवन बीमा प्रदान करने के लिए बीमा राशि है और आपके द्वारा चुने गए फंड मूल्य के रूप में बदल जाएगी। इन फंडों के रखरखाव के लिए, एक राशि जिसे फंड प्रबंधन शुल्क के रूप में संदर्भित किया जाता है, काट लिया जाएगा।
Asset Allocation Scheme बाजार के मौजूदा उतार-चढ़ाव भरे हालात का लाभ लेने के लिए एसेट एलोकेशन स्कीम सबसे अच्छी स्थिति में
File Photo
By : एस नरेन, ईडी और सीआईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी
पूरे देश में कोरोना संक्रमण फैलने चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर की भयावह तेजी के साथ ही भारतीय शेयर बाजार में भारी दबाव का आलम दिखा है। लगातार बढ़ते संक्रमण से पैदा हालातों ने अभी शक्ल ही लेनी शुरू की है इसिलए आने वाले कुछ समय में मार्केट का सेंटिमेंट कमजोर ही रहने वाला है। चूंकि एक साल पहले भी हम इस तरह के हालात से गुजर चुके हैं, इसलिए हमारा मानना है कि चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर कॉरपोरेट सेक्टर और निवेशक, दोनों अब आऩे वाली चुनौतियों से बेहतर तरह से निपटने की स्थिति में है।
हमें उम्मीद है कि आने वाले कुछ समय में कोरोना संक्रमण के बढ़ती तेजी की तुलना में वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज होगी। भारत में भी वैक्सीनेशन विकसित देशों की तरह ही रफ्तार पकड़ सकेगी।
एक बार महामारी के नियंत्रण में आते ही बाजार में रिकवरी तेज हो जाएगी। हमारा मानना है कि हम इकनॉमिक रिकवरी का चक्र देख सकते हैं क्योंकि अमेरिकी चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर केंद्रीय बैंक यानी फेडरल रिजर्व को हम आगे लगातार ऐसा रुख अपनाते देख सकते हैं, जिससे इसे समर्थन मिलता रहे। लेकिन यह दौर ज्यादा देर तक टिकने वाला नहीं लगता क्योंकि चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर बाजार के सामने कोरोना की चुनौतियों के अलावा फेडरल रिजर्व की ओर से बढ़ाई गई ब्याज दरों का सामना करना पड़ सकता है । इसके अलावा फेडरल रिजर्व की ओर से क्वांटेटिव इजिंग को वापस लेने की स्थिति में भी हालात मुश्किल भरे हो सकते हैं। इनमें से कोई भी स्थिति अमेरिकी और पूरे ग्लोबल मार्केट को पटरी से उतार सकती है।
चूंकि हम एक ग्लोबल दुनिया में रहते हैं इसलिए शेयर बाजार की स्थिति के लिए सिर्फ स्थानीय हालात ही नहीं बल्कि ग्लोबल हालात भी जिम्मेदार होते हैं। इसलिए ग्लोबल हालात में बदलाव के साथ भी भारतीय मार्केट में भी करेक्शन दिखने को मिल सकता है। लेकिन यहां से निश्चित तौर पर ऊंची वोलेटिलिटी के लिए जगह बनती दिखती है। निवेशक इस जोखिम से सिर्फ डायनेमिक एसेट एलोकेशन के जरिये ही निपट सकते हैं।
जहां तक मैक्रो इकोनॉमिक हालात जैसे, महंगाई का सवाल है तो इसमें थोड़ी सी तेजी चिंता की बात नहीं है। इतिहास में अगर देखें तो पाएंगे कि अगर महंगाई ऐसी है, जिसे नियंत्रित किया जा सकता है तो इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है। ऐसे समय में चीजों की बिक्री ज्यादा होती है। इसका हाल का उदाहरण रियल एस्टेट सेक्टर की बिक्री में आई तेजी है। इससे महंगाई को कारोबारी लेनदेन या ट्रांजेक्शन या इससे बढ़ाने में नकारात्मक चीज नहीं मानना चाहिए।
इस वक्त हम चुनिंदा बैंकों, बिजली, टेलीकॉम, सॉफ्टवेयर और मेटल सेक्टर को लेकर सकारात्मक हैं। हमारा मानना है कि कोविड के बाद आईटी तमाम सेक्टरों में एक ऐसा सेक्टर है, जिसके शेयरों ने पिछले साल की चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर तुलना में अपनी री-रेटिंग करवाई है। सवाल यह है कि मौजूदा कीमतों पर इसने कितनी बढ़त हासिल की है। इसके अलावा हमारा यह भी मानना है कि कमोडिटी कंपनियों की ओर से प्रदर्शन की अच्छी गुंजाइश बनी हुई है। हम मानते हैं कि काफी समय से किसी भी कमोडिटी में पर्याप्त निवेश नहीं हुआ है। इसलिए कमोडिटी शेयरों में तेजी की पर्याप्त संभावना है। इस वक्त कमोडिटी से जुड़ी किसी भी इंडस्ट्री में शायद ही कोई बड़ा निवेश दिख रहा है।
इस वक्त जो निवेशक शेयरों में निवेश का एक्सपोजर चाहते हैं वह लंबी अवधि ( कम से कम दस साल) को ध्यान में रखते हुए एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
जो लोग पांच साल से कम निवेश अवधि का चुनाव करना चाहते हैं वे हाइब्रिड किस्म की स्कीमों जैसे एसेट अलोकेशन स्कीम या बैलेंस्ड एडवांटेज कैटेगरी में निवेश कर सकते हैं।
इस कैटेगरी के फंड बाजार के उतार-चढ़ाव और इसके बदलते माहौल का फायदा लेने के हिसाब से अच्छी स्थिति में होते हैं। इसमें फंड मैनेजरों के पास इक्विटी और डेट के बीच एसेट आवंटित करने के लिए काफी गुंजाइश होती है। उन्हें डेट और चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर इक्विटी की बेहतर स्थिति के आधार पर दोनों के बीच एसेट आवंटित करने में लचीलेपन का लाभ मिल जाता है।
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