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स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली

स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली
समय के साथ निफ्टी का सेक्टोरल रूप बदल गया है। अपनी स्थापना के समय निफ्टी में कोई भी टेक्नोलॉजी कंपनी नहीं थी और केवल एक निजी बैंक था। आज निफ्टी की टॉप-10 कंपनियों में चार निजी बैंक हैं और इंफोसिस और टीसीएस के रूप में दो बड़ी आईटी कंपनीज हैं। लेकिन इसमें कोई सरप्राइस नहीं होगा कि आने वाले 5, 10 और 20 सालों में निफ्टी अभी से काफी बदल जाएगा। समय के साथ हम नई कंपनीज और नए सेक्टर्स को उभरते हुए देखेंगे। जैसे 5 साल पहले यहां कोई इंश्योरेंस कंपनी नहीं थी, लेकिन आज है। इसी तरह ई-कॉमर्स और इंटरनेट कंपनियां पहले पूरी तरह प्राइवेट थीं, लेकिन आज स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली हमारे पास जोमैटो है। इसके बाद फ्लिपकार्ट, पेटीएम, बायजू और दूसरे नए कंज्यूमर फेसिंग बिजनस इसे फॉलो करेंगे।

What Is Dividend Yield Fund in Stock Market

क्या है निफ्टी-50 और इसमें कैसे होता है शेयरों का चुनाव

निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा साल 1996 में लाया गया था।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। जब हम शेयर मार्केट में इनवेस्टमेंट, ट्रेडिंग, बुल, बेयर, इक्विटी आदि की बात कर रहे होते हैं, तो वास्तव में हम निफ्टी या सेंसेक्स के बारे में बात कर रहे होते हैं। निफ्टी और सेंसेक्स भारत की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियों को दर्शाते हैं। साथ ही ये भारतीय अर्थव्यवस्था की लॉन्ग टर्म हेल्थ का अनुमान लगाने के लिए एक बैरोमीटर का भी काम करते हैं। आज हम निफ्टी-50 की बात करने जा रहे हैं। हम जानेंगे कि इसका क्या मतलब है और इसमें कौन-सी कंपनियां शामिल होती हैं। यहां बताते चलें कि 5पैसा डॉट कॉम फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए एक बेहतर प्लेटफॉर्म है। यहां आप म्यूचुअल फंड में भी पैसा लगा सकते हैं। खास बात यह है कि यहां जीरो ब्रोकरेज की सुविधा मिलती है।

निफ्टी 50 क्या है?

निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भारत की टॉप 50 कंपनियों के भारित औसत का प्रतिनिधित्व करता है। वास्तव में, निफ्टी-50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज 50 की शॉर्ट फॉर्म है। निफ्टी-50 एक मार्केट इंडेक्स है। किसी भी इंडेक्स की तरह यह ब्लूचिप कंपनियों में इनवेस्टमेंट होल्डिंग्स के एक पोर्टफोलियो का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारतीय स्टेट बैंक, मारुति सुजुकी, टीसीएस, एशियन पेंट्स और 45 दूसरी इंडस्ट्री लीडिंग कंपनियां शामिल है। कई सारे म्यूचुअल फंड्स निफ्टी को अपने बेंचमार्क के रूप में यूज करते हैं। निफ्टी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज द्वारा साल 1996 में लाया गया था।

Limit Market and Day order In the stock market

निफ्टी 50 स्टॉक्स का चयन कैसे होता है?

निफ्टी के पास अपनी कंपनियां चुनने के लिए एक बहुत अच्छी तरह परिभाषित और पारदर्शी कार्यप्रणाली है। इस सलेक्शन प्रोसेस को हम चार पार्ट्स में देख सकते हैं। यूनिवर्स ऑफ कंपनीज, बेसिक कंस्ट्रक्ट, लिक्विडिटी रूल्स, रीबैलेंसिंग और कॉन्स्टिट्यूशन रूल्स। निफ्टी का हिस्सा बनने के लिए किसी कंपनी को पहले नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होना पड़ता है। कंपनी एनएसई के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस सेगमेंट में ट्रेडिंग के लिए भी उपलब्ध रहनी चाहिए। बेसिक कंस्ट्रक्ट की बात करें, तो चुनी हुई कंपनी फ्री-फ्लोट मार्केट कैप के मामले में टॉप 50 कंपनीज में शामिल होनी चाहिए। तीसरी चीज है लिक्विडिटी और यहां केवल उन कंपनियों को चुना जाता है, जिनकी ट्रेडिंग वॉल्यूम हमेशा उच्च होती है। आखिरी है सेमी-एनुअल रीबैलेंसिंग एक्सरसाइज, जो यह तय करता है कि कौनसा स्टॉक निफ्टी में रहेगा, कौन-सा नया स्टॉक आएगा और कौन-सा मौजूदा शेयर निफ्टी से बाहर जाएगा। यह प्रोसेस हर साल जून और दिसंबर में होती है।

दो बड़े पावर एक्सचेंजों की जांच के आदेश

CERC orders investigation of power exchanges to check compliances to regulations

कमोडिटी एक्सचेंजों के सौदों में घोटाले और अन्य घटनाओं के बुरे अनुभवों से सबक लेते हुए केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी) ने दो बड़े पावर एक्सचेंजों इंडियन एनर्जी एक्सचेंज लिमिटेड (आईईएक्स) और पावर एक्सचेंज इंडिया लिमिटेड में कार्यप्रणाली की जांच के आदेश दिए हैं। इसके तहत एक्सचेंजों द्वारा नियमों के अनुपालन की जांच और समीक्षा की जाएगी।

सरकार के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि सीईआरसी इस जांच के लिए थर्ड पार्टी के सेवाओं की मदद ले सकती है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने किसी घोटाले की आशंका के मद्देनजर सीईआरसी द्वारा कार्रवाई करने की बात से इनकार किया है। सूत्रों का कहना है कि पावर नियामक की कोशिश दोनों एक्सचेंजों में रोजाना भारी लेनदेन को देखते हुए इनकी विस्तृत समीक्षा करने की है। इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना है कि दोनों एक्सचेंजों में कामकाज सुचारु रूप से चल रहा है।

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का भारत में इतिहास | History of stock exchange in India

स्टॉक एक्सचेंज क्या होता है? इसे जानने से पहले आपको स्टॉक एक्सचेंज की भारत में कैसे शुरुआत हुई? (History of stock exchange in स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली India) इसके बारे में जानना चाहिए|
यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है| चाहे आप इसे पढ़ाई के संबंध में लें, चाहे आप इसे बिजनेस के संबंध में लें|

यह बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है| दरअसल भारतीय पूंजी बाजार की घटनायें बड़ी ही रोचक और दिलचस्प हैं|

यदि हम भारत के शेयर मार्केट की बात करें तो भारत के पूँजीकरण में इसका अतुल्य योगदान है|

भारत में स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास (Stock exchange History in India)

इसका विचार 18वीं सदी के अंत में आया था| यह समय वह था जब पहली बार नेगोशिएबल सिक्योरिटी पहली बार जारी की गई थी|

एक बहुत पुराना कंपनी एक्ट था, जिसको कि शायद आज लोग जानते भी नहीं है (Company act 1850)|

यह वही समय था जब पहली बार लिमिटेड लायबिलिटी तथा इन्वेस्टर इंटरेस्ट की बात की गई थी|

सबसे पहले भारत में स्टॉक एक्सचेंज मुंबई में स्थापित हुआ था| स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की अनौपचारिक शुरुआत 1834 में हुई थी|

मुंबई स्टॉक एक्सचेंज की औपचारिक शुरुआत 1875 में हुई थी|

उस समय पर मुंबई को “Bombay” बोलते थे|

तब इसका नाम था “The native share and stock brokers association”

वर्तमान समय में इसका नाम “Bombay stock exchange (BSE)” है|

बीएसई की महत्वपूर्ण जानकारी (BSE important facts)

BSEमहत्वपूर्ण तथ्य
स्थानPhiroze Jeejeebhoy Towers, Dalal Street, Mumbai- 40000, भारत
स्थापित9 जुलाई 1877
लिस्टिंग की संख्या5400 से अधिक
सूचकांकबीएसई सेंसेक्स, एसएंडपी बीएसई मिडकैप, एसएंडपी बीएसई स्मॉलकैप, एसएंडपी बीएसई लार्जकैप, बीएसई 500
Phones91-22-22721233/4, 91-22-66545695 (Hunting)
Fax91-22-22721919
CINL67120MH2005PLC155188
Email[email protected]
Website www.bseindia.com
बीएसई की महत्वपूर्ण जानकारी (BSE important facts)

उम्मीद करता हूं, आपको यह पोस्ट “भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का इतिहास” पसंद आई होगी|

What is Share Market in Hindi: शेयर मार्केट भारत में कैसे काम करता है? यहां विस्तार से समझिए

What is Share Market in Hindi: शेयर मार्केट भारत में कैसे काम करता है? यहां विस्तार से समझिए

Share Market in Hindi: शेयर बाजार को लेकर अक्सर आम लोगों के मन में भ्रम की स्थिती रहती है। Share Market के सही नॉलेज से आपको बादशाह बना सकता है। इसलिए इस लेख में जनेंगे कि Share Market kya Hai? (What is Share Market in Hindi) और यह भारत में कैसे काम करता है?

Share Market in Hindi: ज्यादातर लोग यह कहते है कि शेयर मार्केट बरमूडा ट्रायंगल की तरह है जिसमें वह उलझ कर रह जाते है, जबकि ऐसा नहीं है स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली Share Market को अच्छे से समझ लिया जाएं तो आप इस क्षेत्र के बादशाह स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली बन सकते है। शेयर मार्केट को समझने के लिए आपको राकेट साइंस जैसा दिमाग नहीं लगाना है, आप रिस्क और रिटर्न की क्षमता का आंकलन करके Share Market को अच्छी तरह समझ सकते है। शेयर बाजार ठीक उसी बाजार की तरह है जहां आप सब्जियां खरीदने जाते है, बस Share Market में सब्जियों की जगह शेयरों की खरीद और बिक्री होती है।

एनएसई और बीएसई एक्सचेंज शुक्रवार से टी+1प्रकिया शुरू करेंगे, निवेश को बढ़ावा मिलेगा

स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई शुक्रवार से छोटे निपटान चक्र या टी + 1 शासन शुरू करेंगे, एक ऐसा कदम जो ग्राहकों के लिए मार्जिन की आवश्यकता को कम करने और इक्विटी बाजारों में खुदरा निवेश को बढ़ावा देने में मदद करेगा। T+1 (ट्रेड प्लस वन) का मतलब है कि वास्तविक लेनदेन होने के एक दिन के भीतर बाजार व्यापार से संबंधित निपटान को मंजूरी देनी होगी। स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली वर्तमान में, भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेडों का निपटान लेनदेन के बाद दो कार्य स्टॉक एक्सचेंज की कार्य प्रणाली दिवसों में किया जाता है (T+2)। स्टॉक एक्सचेंज एनएसई और बीएसई ने नवंबर में एक संयुक्त बयान में घोषणा की कि वे बाजार मूल्य के मामले में निचले -100 शेयरों के साथ 25 फरवरी से चरणबद्ध तरीके से टी + 1 निपटान चक्र को लागू करेंगे। इसके बाद, मार्च के अंतिम शुक्रवार से समान बाजार मूल्य मानदंड के आधार पर 500 स्टॉक जोड़े जाएंगे और इसी तरह हर अगले महीने में। यह पहली बार नहीं है जब बाजार नियामक सेबी ने निपटान चक्र को छोटा करने का फैसला किया है। इससे पहले 2002 में, पूंजी बाजार नियामक ने निपटान चक्र में दिनों की संख्या को T+5 दिनों से घटाकर T+3 दिन कर दिया था, और फिर 2003 में इसे घटाकर T+2 दिन कर दिया गया था।

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