भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए रणनीतियाँ

कमोडिटी बाजार समाचार

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अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में आज चांदी के भाव में आई गिरावट, सोना गिरकर 51 हजार के करीब आया

आज वायदा बाजार में 24 कैरेट शुद्धता कमोडिटी बाजार समाचार वाले सोने का भाव 9:10 बजे 41 रुपये उछलकर 50,907 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है। सोने का भाव आज 50,862 रुपये प्रति दस ग्राम पर खुला था। खुलने के बाद एक बार यह 50,860 रुपये हो गया।

कुछ देर बाद इसमें तेजी आई और यह 50,907 रुपये प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड करने लगा। मल्‍टी कमोडिटी एक्‍सचेंज पर आज चांदी सोने की उल्‍ट दिशा में चली है। चांदी का रेट आज 305 रुपये गिरकर 60,233 रुपये हो गया है। चांदी का भाव 60,244 रुपये पर खुला था। एक बार भाव 60,066 रुपये तक चला गया। लेकिन बाद में यह थोड़ा संभला और 58,233 रुपये हो गया।

अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में सोने और चांदी के भाव गिरावट आई है। चांदी आज ज्‍यादा लुढ़की है। सोने का हाजिर भाव आज 0.47 फीसदी गिरकर 1,672.92 डॉलर प्रति औंस हो गया है। वहीं, अंतरराष्‍ट्रीय बाजार में चांदी का भाव आज 1.43 फीसदी घटकर 20.54 डॉलर प्रति औंस हो गया है।

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भारतीय सर्राफा बाजार में सोने की साप्ताहिक कीमतों में पिछले सप्‍ताह तेजी आई थी। वहीं, चांदी का रेट भी उछला था। बीते कारोबारी हफ्ते में सोने के भाव में 42 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी के भाव में 1,405 रुपये प्रति किलोग्राम का उछाल आया था।

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Market Times

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कमोडिटी वायदा बाजार में ट्रेडिंग के लिए यहां जानिए आसान तरीके

Market

अगर आप कमोडिटी वायदा बाजार (Commodity Futures Market) में ट्रेडिंग (Trading) करना चाहते हैं तो आपको बाजार की सही जानकारी का होना बहुत ही जरूरी है. हालांकि अभी भी बहुत से लोगों में कमोडिटी फ्यूचर्स मार्केट को लेकर जानकारी का अभाव है और यही वजह है कि कमोडिटी बाजार में ट्रेडिंग के लिए उतरे नए निवेशकों में डर बना रहता है. आज की इस रिपोर्ट में हम ऐसे ही निवेशकों के लिए जो कमोडिटी फ्यूचर मार्केट में ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं, उनको बेहद आसान भाषा में कमोडिटी मार्केट की बारीकियों को समझाने का प्रयास करेंगे. तो आइए जानने की कोशिश करते हैं कि कमोडिटी वायदा बाजार में ट्रेडिंग के वे बेहद आसान तरीके क्या हैं.

कमोडिटी वायदा में कैसे शुरू करें ट्रेडिंग
निवेशकों को कमोडिटी वायदा में ट्रेडिंग के लिए सबसे पहले ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना पड़ेगा. निवेशक इस ट्रेडिंग अकाउंट के जरिए खरीद और कमोडिटी बाजार समाचार बिक्री कर सकते हैं. ट्रेडिंग अकाउंट किसी ब्रोकिंग फर्म के साथ खुलवा जा सकता है. हालांकि ब्रोकर्स को MCX, NCDEX, BSE और NSE का सदस्य जरूर होना चाहिए. एक्सचेंज की वेबसाइट से ब्रोकर्स के बारे में जानकारी जुटाई जा सकती है. ट्रेडिंग अकाउंट के लिए पैन कार्ड, एड्रेस प्रूफ और बैंक अकाउंट का होना जरूरी है. MCX पर नॉन-एग्री कमोडिटी वायदा में ट्रेडिंग ज्यादा होती है. NCDEX पर एग्री कमोडिटी वायदा में ट्रेडिंग ज्यादा होती है. हालांकि BSE और NSE पर भी कुछ कमोडिटी में ट्रेडिंग होती है. नॉन-एग्री कमोडिटी में सोना-चांदी, क्रूड और मेटल शामिल हैं. वहीं एग्री कमोडिटी में ग्वार, चना, तिलहन, मसाला और शुगर में ट्रेडिंग होती है.

खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज पर पहले से मार्जिन तय
कमोडिटी बाजार से जुड़े जानकारों का कहना है कि कुछ रकम देकर पूरे सौदे को उठाना मार्जिन कहा जाता है. वहीं दूसरी ओर हाजिर बाजार में सौदे का पूरा भुगतान करना पड़ता है. हर कमोडिटी की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज पर पहले से मार्जिन तय है. आमतौर पर मार्जिन मनी 3 फीसदी से 5 फीसदी के बीच है. उतार-चढ़ाव की स्थिति में एक्सचेंज अतिरिक्त मार्जिन भी लगाता है. जानकार कहते हैं कि कमोडिटी ट्रेडिंग में शेयर बाजार की तरह लंबी अवधि नहीं होती है. कमोडिटी मार्केट में दो से तीन सीरीज में ही कारोबार होता है. निवेशकों को खरीद-बिक्री एक निश्चित अवधि में करना जरूरी है. शुरुआत में मिनी लॉट में ट्रेड करना समझदारी भरा कदम माना जाता है. बाजार की समझ बढ़ने के बाद बड़े लॉट में ट्रेड करना चाहिए और हर सौदे में स्टॉपलॉस जरूर लगाना चाहिए. निवेशकों को कई लॉट में ट्रेडिंग के लालच में कमोडिटी बाजार समाचार नहीं फंसना चाहिए. जानकारों का कहना है कि लिक्विड कमोडिटी में ट्रेड करना फायदेमंद रहता है.

जानकार कहते हैं कि कमोडिटी मार्केट में ट्रेडिंग के लिए आपको देश दुनिया की खबरों पर नजर बनाए रखनी होगी. कमोडिटी मार्केट पर दुनियाभर के सेंट्रल बैंकों के फैसले का असर साफतौर पर देखा जाता है. साथ ही एग्री कमोडिटी की बात करें तो फसल और उत्पादन अनुमान का असर भी दिखाई पड़ता है. जानकार कहते हैं कि कमोडिटी मार्केट में डिविडेंड और बोनस नहीं मिलता है और ट्रेडर्स को सौदा कटने के बाद ही फायदा या नुकसान होता है.

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वायदा बाजार : जोखिम कम मुनाफा ज्यादा, लेकिन रखें ये ध्यान!

👉🏻कमोडिटी यानी वायदा बाजार ग्लोबल बाजार सिस्टम की नींव में से एक है. शेयर मार्केट की तरह कमोडिटी बाजार में भी खरीद-फरोख्त की जाती है, लेकिन कुछ अलग तरीके से. शेयर बाजार में हम किसी कंपनी के अंश खरीदकर उसके नफा-नुकसान में हिस्सेदार बनते हैं, लेकिन कमोडिटी बाजार में कच्चे माल की खरीद-फरोख्त की जाती है. जिन चीजों की इस्तेमाल एक इंसान रोजमर्रा के जीवन में करता है, कमोडिटी में वे सभी चीजें आती हैं, जैसे दाल, चावल, मसाले, रुई, सोना, चांदी, लोहा आदि. इस बाजार में ज्यादातर कृषि उत्पादों को शामिल किया गया है। वस्तुओं के भावों पर होते हैं सौदे:- 👉🏻इस्तेमाल में लाई जाने वाली हर वस्‍तु कमोडिटी में आती है. कमोडिटी मार्केट में सामान के पुराने तथा नए भावों के आधार पर भविष्य के भावों में सौदे किए जाते हैं. यहां लाभ के लिए शेयर बाजार की तरह लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता. डिमांड के हिसाब से वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है. यहां कारोबारी किसी भी चीज के दाम आसमान पर चढ़ा देते हैं और किसी के उतार देते हैं. देश में खाने-पीने की चीजों में एकाएक महंगाई के पीछे कहीं हद तक वायदा बाजार का हाथ होता है. इसलिए जब भी किसी वस्तु के दाम अचानक आसमान छूने लगते हैं तो सरकार को मजूबरन उस वस्तु के वायदा बाजार पर रोक लगानी पड़ती है. इस बाजार में कीमतें मांग और सप्लाई के नियम से तय होती हैं। क्या है वायदा बाजार:- 👉🏻अगर आप कमोडिटी की थोड़ी बहुत भी जानकारी रखते हैं तो थोड़े बहुत निवेश में अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं. जैसे कि भारतीय मसालों की इंटरनेशनल मार्केट में बहुत मांग होती है, इसलिए मसालों के सौदे करके आप अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. कमोडिटी मार्केट में एक तय तारीख तक के लिए सौदे किए जाते हैं. हर महीने के आखिरी गुरूवार को सौदों का निपटारा होता है. अगर आप चाहें तो अपने सौदे को अगले महीने से भी आगे बढ़ा सकते हैं. वायदा कारोबार कमोडिटी एक्सचेंज में होता है. देश में एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स, एनएमसीई और आईसीईएक्स प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज हैं. वर्तमान में वायदा लेन-देन के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तर के पांच केंद्र हैं, इनमें 113 जिंसों की वायदा खरीद-बिक्री होती है. इसके अलावा 16 ऐसे केन्‍द्र हैं, जहां पर वायदा बाजार कमीशन द्वारा जिंसों में ही सौदे होते हैं. वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) का मुख्‍यालय मुंबई में है। बॉम्बे में कॉटन से शुरू हुई कमोडिटी मार्केट की शुरूआत:- 👉🏻कमोडिटी बाजार की शुरूआत 1875 में बॉम्‍बे कॉटन ट्रेड एसोशिएशन के साथ हुई थी. यहां पर केवल कॉटन के सौदे होते थे. इसके बाद 1900 में गुजराती व्‍यापारी मंडली ने बादाम, बीज और कपास के व्‍यापार के सौदे करने शुरू किए. 2007 में अभिषेक बच्चन की फिल्म 'गुरु' वायदा बाजार के खेल पर ही आधारित थी। इन बातों का रखें ध्यान:- 👉🏻अगर आप कृषि जिंसों का कारोबार करना चाहते हैं तो उस जिंस का उत्‍पादन, मांग और सप्‍लाई की जानकारी होनी चाहिए. फसल मौसम में उसकी आवक, मौसम की जानकारी और आने वाले समय में फसल कैसी होगी, कितनी फसल बाजार में आएगी, उसका क्या भाव रहेगा आदि की जानकारी होनी चाहिए.अगर आप धातु में सौदा करना चाहते हैं तो उसके उत्पादन, आयात निर्यात और उद्योग जगत में उस धातु के इस्तेमाल की जानकारी का गहराई से अध्‍ययन करना चाहिए। दो तरह से होता है व्यापार:- 👉🏻वायदा बाजार में दो तरह से सौदे होते हैं एक तो फ्यूचर क्या है फ्यूचर और ऑप्शन के आधार पर. इसमें अगर सौदों की खरीद-फरोख्त के लिए वस्तु के वास्तिक मूल्य की जरूरत नहीं होती है, केवल मार्जिन मनी पर ही सारा खेल चलता है. फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए कम निवेश की जरूरत होती है. यहां रोजाना नफा-नुकसान का हिसाब होता है. नुकसान होने पर ट्रेडर को उसकी भरपाई ब्रोकर को करनी होती है। स्त्रोत:- Zee Business, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!

बाजार को बड़े सौदों के लिए नए तिल की आवक का इंतजार

राजकोट। तिल बाजार में अब बड़े सौदे इसलिए रुक गए है कि नए तिल की आवक मंडियों में उम्मीटद के अनुरुप नहीं हो रही। मार्केट यार्ड में आने वाले तिल से केवल काम चलाऊ सौदे हो रहे हैं, जबकि सभी की नजर नए तिल की आवक पर है कि यह कब बढ़ती है।Read More

यही वजह है कि तिल के दाम ठहर गए हैं। मार्केट यार्डस में आ रहे नए तिल की आवक किसी भी राज्यह में उम्दौ नहीं है एवं दिवाली तक इसमें खास चेंज की उम्मी द नहीं है।

कारोबारियों का कहना है कि मध्या प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्था।न में हुई ताजा बारिश से तिल की फसल को नुकसान और सप्ला ई पर गहरा असर पड़ा है। कारोबारियों का कहना है कि सरकारी आंकडों के मुताबिक तिल की बुवाई और उपज अच्छी दिख रही है लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। तिल का उत्पातदन डेढ़ से दो लाख टन आने का अनुमान है। कारोबारियों का कहना है कि सफेद तिल के भाव दिवाली तक रेंज बाउंड रहने की संभावना है। गुजरात की मंडियों में सफेद तिल का भाव 127-128 रूपए और काला तिल 120-137 रुपए प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा है। गुजरात की मंडियों में सफेद तिल की आवक 3500-4000 बोरी और काले तिल की आवक एक हजार बोरी के आसपास हो रही है।

भारत पिछले चार साल से अंतरराष्ट्रीय नेचुरल तिल बाजार से बाहर हो गया है। भारत हल्दा तिल बाजार से भी धीरे-धीरे बाहर हो रहा है एवं नाइजीरिया इस बाजार पर कब्जाह करता जा रहा है। यूरोपीयन देश और अमरीका अब भारत के बजाय नाइजीरिया से हल्द तिल की खरीद कर रहे हैं क्यों कि उन्हेंत वह भारत की तुलना में सस्तात मिल रहा है। दक्षिण अमरीकी देश भी अफ्रीकन तिल की खरीद करने लगे हैं।

भारतीय तिल का निर्यात वर्ष 2014-15 में 3.75 लाख टन था जो वर्ष 2021-22 में घटकर 2.65 लाख टन रह गया। वर्ष 2022-23 में इसके 2.50 लाख टन से कम रहने की संभावना है। किसानों द्धारा पेस्टी साइडस का उपयोग जमकर किए जाने से दुनिया में भारतीय तिल की मांग बुरी तरह प्रभावित हुई है। दक्षिण कोरिया के टेंडरों में अब भारत को कम ऑर्डर मिल सकते हैं क्योंतकि उसने 432 पेस्टीडसाइडस को टेस्टिंग में रखा है। भारतीय तिल का निर्यात आने वाले दिनों में केवल मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलिपींस और वियतनाम जैसे देशों में होता रहेगा।

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