भारत में विदेशी मुद्रा व्यापार के लिए रणनीतियाँ

व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक

व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक

नासिक जोन- लासलगांव, सिन्नार, रणवाड़, नंदुरशिंगोट में बैंक ऑफ महाराष्ट्र शाखाओं के लिए किराए पर परिसर का अधिग्रहण

बैंक ऑफ महाराष्‍ट्र कभी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस के माध्‍यम से किसी भी उद्देश्‍य हेतु बैंक खाते के ब्‍यौरे नहीं मांगता।
बैंक सभी ग्राहकों से अपील करता है कि ऐसे किसी भी फोन कॉल/ई-मेल/एसएमएस व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक का उत्‍तर न दें, और किसी से भी, किसी भी उद्देश्‍य हेतु अपने बैंक खाते के ब्‍यौरे साझा न करें। किसी से भी अपने डेबिट/क्रेडिट कार्ड का सीवीवी/पिन साझा न करें।

नहीं चलेगी Dollar की दादागिरी, रुपये में होगा इंटरनेशनल ट्रेड, भारत को होंगे ये फायदे!

कई जानकार ये भी बता रहे हैं कि बदली वैश्विक परिस्थितियों में कई देश रुपये को स्वीकार करना पसंद करेंगे. खासकर रूस पर हाल में लगे प्रतिबंध के बाद देशों को आभास हुआ है कि डॉलर पर निर्भरता कितनी खतरनाक साबित हो सकती है और इस कारण दुनिया भर में इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

भारत को होंगे कई फायदे (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 12 जुलाई 2022, 9:58 AM IST)
  • अब रुपये में भी होगा इंटरनेशनल ट्रेड
  • पूरी व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक दुनिया में बढ़ेगा रुपये का महत्व

बदलते वैश्विक घटनाक्रमों (Global Events) के चलते भारत का व्यापार घाटा (India Trade Deficit) नियंत्रण करना मुश्किल हो रहा है. इस कारण रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने एक ऐसा कदम उठाने का ऐलान किया है, जिसकी मांग कई अर्थशास्त्री (Economists) लंबे समय से कर रहे थे. सेंट्रल बैंक ने अंतत: तय कर लिया कि अब इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट (International Trade Settlement) रुपये में भी होगा. जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक के इस कदम से जहां एक ओर डॉलर पर भारत की निर्भरता (Dollar Dependence) कम होगी, वहीं दूसरी ओर यह व्यापार घाटे को कम करने में मददगार साबित हो सकता है.

कई सालों से चल रही व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक थी इस व्यवस्था की चर्चा

रिजर्व बैंक ने सोमवार को शाम में एक परिपत्र जारी किया. उसमें बताया गया कि अब रुपये में इनवॉयस बनाने, पेमेंट करने और आयात-निर्यात का सेटलमेंट करने की अतिरिक्त व्यवस्था की गई है. बताया जा रहा है कि रिजर्व बैंक का यह कदम ट्रेड सेटलमेंट की करेंसी के तौर पर रुपये को बढ़ावा देने वाला साबित होगा. इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट के लिए रुपये का इस्तेमाल करना लंबे समय से चर्चा के केंद्र में रहा है. हालांकि हर बार बात यहां अटक जाती थी कि आयात और निर्यात के सेटलमेंट के लिए रुपये को किस हद तक स्वीकार किया जाएगा. हालांकि अभी रूस और यूक्रेन के बीच महीनों से जारी लड़ाई तथा करेंट अकाउंट के घाटे (CAD) ने रिजर्व बैंक को ऐसा करने के लिए प्रेरित कर दिया.

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इस तरह होगा रुपये में इंटरनेशनल ट्रेड

रिजर्व बैंक ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि यह वैश्विक व्यापार (Global Trade) को बढ़ावा देने और भारतीय रुपये में वैश्विक व्यापारिक समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को सपोर्ट करने के लिए उठाया गया कदम है. इस व्यवस्था को अमल में लाने से पहले मंजूरी प्राप्त डीलर बैंकों को रिजर्व बैंक के फॉरेन एक्सचेंज डिपार्टमेंट से पूर्व अनुमति लेने की जरूरत होगी. इस व्यवस्था के तहत दो देशों की मुद्रा की विनिमय दर बाजार पर निर्भर रह सकती है. जो भारतीय आयातक इस व्यवस्था के तहत आयात करेंगे, उन्हें रुपये में भुगतान करना होगा. रुपये में प्राप्त भुगतान पार्टनर कंट्री के संबंधित बैंक के स्पेशल वॉस्ट्रो अकाउंट में जमा होगा. वहीं जो भारतीय निर्यातक इस व्यवस्था को अपनाएंगे, वे भी पार्टनर कंट्री के संबंधित बैंक के स्पेशल वॉस्ट्रो अकाउंट में रुपये में ही भुगतान लेंगे.

इन फैक्टर्स ने रिजर्व बैंक को किया मजबूर

आपको बता दें कि कच्चा तेल समेत अन्य ग्लोबल कमॉडिटीज की कीमतों में हालिया समय में तेजी आई है. खासकर भारत के तेल आयात का बिल (Oil Import Bill) गंभीर तरीके से बढ़ा है. इसने भारत के चालू खाता घाटे को चिंताजनक स्तर पर पहुंचा दिया है. अभी ऐसी आशंका है कि 2022-23 में भारत का चालू खाता घाटा बजट के अनुमान के डबल से भी ज्यादा व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक होकर 100 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है. यह चालू खाता घाटा (Current Account Deficit) ऐसे समय बढ़ रहा है, जब दुनिया भर में ब्याज दर बढ़ने लगे हैं. भारत में भी रिजर्व बैंक महंगाई को काबू करने के लिए ब्याज दरों को बढ़ा रहा है. इससे सरकार के लिए चालू खाता घाटे की भरपाई करना महंगा होता जा रहा है. दूसरी ओर दुनिया भर में बढ़ती ब्याज दरों के चलते विदेशी निवेशक (FPI) भारतीय बाजार को छोड़कर जा रहे हैं.

बदले हालात में रुपये को होगा फायदा

जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक के इस नए कदम की सफलता पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करती है कि कितने पार्टनर देश रुपये में भुगतान को स्वीकार करते हैं. चूंकि रिजर्व बैंक ने कहा है कि पार्टनर देश की करेंसी और रुपये की विनिमय दर बाजार पर निर्भर रह सकती है, लेकिन ऐसा तभी संभव होगा जब अमुक देश के साथ भारत का ठीक-ठाक व्यापार हो. हालांकि दूसरी ओर कई जानकार ये भी बता रहे हैं कि बदली वैश्विक परिस्थितियों में कई देश रुपये को स्वीकार करना पसंद करेंगे. खासकर रूस पर हाल में लगे प्रतिबंध के बाद देशों को आभास हुआ है कि डॉलर पर निर्भरता कितनी खतरनाक साबित हो सकती है और इस कारण दुनिया भर में इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

विदेशी मुद्रा भंडार 7.7 करोड़ डॉलर घटकर 635.828 अरब डॉलर पर

नई दिल्ली। देश के विदेशी मुद्रा भंडार (country’s foreign exchange reserves) में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट (fall for the third consecutive week) जारी रही। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) (Reserve Bank of India (RBI)) के आंकड़ों के मुताबिक 10 दिसंबर 2021 को समाप्त हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 7.7 करोड़ डॉलर घटकर 635.828 अरब डॉलर रह गया। आरबीआई के आंकड़े के अनुसार इससे पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 1,783 अरब डॉलर घटकर 635.905 अरब डॉलर व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक रह गया था।

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आरबीआई के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक 10 दिसंबर को समाप्त समीक्षाधीन हफ्ते में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट आना था, जो कि कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होता व्यापार विदेशी मुद्रा नासिक है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार इस दौरान एफसीए 32.1 करोड़ डॉलर घटकर 572.86 अरब डॉलर रह गया। हालांकि, इस दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 29.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 38.709 अरब डॉलर हो गया।

आलोच्य हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास विशेष आहरण अधिकार 3.7 करोड़ डॉलर घटकर 19.089 अरब डॉलर रह गया। वहीं, आईएमएफ में देश का मुद्रा भंडार एक करोड़ डॉलर घटकर 5.17 अरब डॉलर रह गया। उल्लेखनीय है कि डॉलर में अभिव्यक्त किए जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट-बढ़ को भी शामिल किया जाता है। (एजेंसी, हि.स.)

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