ट्रेडिंग क्या होती है

Stock Market पेपर ट्रेडिंग क्या होता हैं ? पेपर ट्रेडिंग कैसे करते हैं ?
क्रिकेट के प्लेयर्स नेट प्रैक्टिस करते है। स्टॉक मार्केट ट्रेडर्स पेपर ट्रेडिंग करते हैं। समझ लिया, लेकिन थोड़ा ठहरो और पूरी बात को समझो। नेट प्रैक्टिस की तरह इसे भी लगातार करना होता हैं। पोजिशनल ट्रेडिंग के लिए स्ट्रेटेजी बनानी हो तो और भी ज्यादा वक्त देना होता हैं।
आपको यह बात जानकर हैरानी होगी की, स्टॉक मार्केट में 80% ट्रेडर्स पेपर ट्रेडिंग नहीं करते हैं। बस 20 % ट्रेडर्स ही यह करते हैं। इनमे से ही आगे चलकर ट्रेडिंग में करियर करते हैं।
पेपर ट्रेडिंग क्या हैं ?
"पेपर ट्रेडिंग याने की पेपर पर ट्रेडिंग करना।" आसान हैं ? तो ठीक हैं। इतनी आसान बात को मुश्किल क्यों बनाना ?
इस बात ट्रेडिंग क्या होती है पर ध्यान दें की, अपनी मेहनत की कमाई को स्टॉक मार्केट में निवेश करना जोखिम भरा काम हैं। और इससे भी ज्यादा जोखिम ट्रेडिंग में होती हैं। इसलिए नेट प्रैक्टिस तो बनती ही हैं। हैं ना ? इससे डर और लालच पर कंट्रोल करने में मदद मिलती हैं। फियर अँड ग्रीड के बारे में हम यहीं से दूसरे पेज पर जाकर पढ़ सकते हैं। और फिर यहाँ कंटीन्यू कर सकते हैं।
स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में, क्रिकेट की ही तरहा, गया तो सिक्स वर्ना कैच आउट वाली सिच्युएशन की संभावना रहती हैं। इसे पहचानने के लिए और बचने के लिए हमें पेपर ट्रेडिंग करनी होती हैं। और हम यह भी कह सकते हैं की, ट्रेडिंग में प्रॉफिट का सिक्सर लगाने के लिए हमें इसे करना चाहिए।
उदाहरण
हमें SBI के शेयर्स खरीदने हो तो हम ब्रोकर के जरिए बायिंग का ऑर्डर डालेंगे। इससे हमारी पोजीशन बनेगी। कीमत बढ़ने पर सेल करते हैं तो मुनाफा होगा। और अगर कीमत निचे जाती हैं तो लॉस उठाना पड़ सकता हैं।
लेकिन पेपर ट्रेडिंग में हम कागज पर ट्रेड को लिखते हैं। और क्या रिसल्ट आया है इसका मुआयना करते हैं। ऐसा करने से शुरू में लॉस उठाना नहीं पड़ता और स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग से परिचय भी होता हैं। जैसे की एक कहावत हैं की, साँप भी मर जाए और लाठी भी ना टुंटे।
पेपर ट्रेडिंग की सामग्री और स्टेप्स
यहाँ पर हम सामग्री और प्रोसेस को समझ लेते हैं।
पेपर ट्रेडिंग की सामग्री
पेपर, पेन्सिल या पेन हो तो भी चलेगा। मोबाईल या लॅपटॉप जो अवेलेबल हैं और इंटरनेट कनेक्शन। बस इतने से काम चल जाएगा।
महत्वपूर्ण बात
पेपर ट्रेडिंग करने के लिए डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट की आवश्यकता नहीं होती है। यह अगले स्टेप में आता हैं। आइए पहले हम पेपर ट्रेडिंग के स्टेप्स समज़ते हैं।
पेपर ट्रेडिंग करने के 8 स्टेप्स
1 ) स्टॉक मार्केट की जानकारी लेना, टेक्निकल एनालिसिस करना। यह हम इन्वेस्टिंग की वेबसाइट पर कर सकते हैं।
2 ) बायिंग, सेलिंग और स्टॉप लॉस ऑर्डर्स को समज़ना।
3 ) ट्रेडिंग के लिए स्टॉक्स, इंडेक्स, इत्यादि का चुनाव करना। इनकी लिस्ट बनाना।
4 ) अपने चुने हुए स्टॉक्स को चार्ट एनालिसिस के जरिए ट्रैक करना।
5 ) अपनी जानकारी के आधार पर ट्रेड तय करके कागज पर लिखना।
6 ) ट्रेड के लिए टार्गेट और स्टॉप लॉस लिख लेना।
7 ) टार्गेट हिट होने पर हमने क्या सही किया इसका स्टडी करना हैं। और स्टॉप लॉस हिट होने पर हमसे क्या गलती हुई इसका स्टडी करना हैं। इसे संक्षिप्त में लिख लेना हैं।
8 ) इस अनुभव का उपयोग अगले ट्रेड में परफॉर्मेंस सुधारने के लिए करना हैं।
इन 8 स्टेप्स को फॉलो करते हुए पेपर ट्रेडिंग करके हम Nifty 200 के साथ Intraday Trading करने में माहिर बन सकते हैं। यह इंट्राडे ट्रेडिंग करने की अच्छी ट्रिक हैं।
पेपर ट्रेडिंग कैसे करते हैं ?
जवाब में कहते हैं कि, नए ट्रेडर्स को बेसिक पेपर ट्रेडिंग करनी चाहिए। और जो ऑलरेडी ट्रेडर्स हैं, ट्रेडिंग करते हैं उनको एडव्हान्स लेवल के साथ पेपर ट्रेडिंग करनी चाहिए। स्टॉक मार्केट चर्निंग करने के लिए भी पेपर ट्रेडिंग उपयुक्त साबित होता हैं।
A ) पेपर ट्रेडिंग नए ट्रेडर्स के लिए
अगर हम नए ट्रेडर हैं। और शुरुआत करने जा रहे हैं तो, ऊपर दिए गए 8 स्टेप्स को इस तरह से फॉलो करना है।
1 ) स्टॉक मार्केट की जानकारी लेना। इसमें हम स्टॉक मार्केट में कौन-कौनसे शेयर्स हैं यह देखकर उनमे से कुछ शेयर्स की लिस्ट बनाएँगे। और उनकी प्राइस कितनी है यह जानकारी लेंगे।
2 ) टेक्निकल एनालिसिस करना। इसमें हम सिर्फ शेयर के प्राइस चार्ट को लेते हैं। चार्ट पर सपोर्ट, रेजिस्टेंस और ट्रेंड लाइन को सेट करते हैं। शुरुआत में इतना काफी है।
3 ) अब हम चार्ट के सेट अप के अनुसार बन रहे ट्रेड्स को कागज पर लिखेंगे। और रिजल्ट का स्टडी करेंगे।
B ) पेपर ट्रेडिंग अनुभवी ट्रेडर्स के लिए
अगर हम अनुभवी ट्रेडर हैं। और प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो, ऊपर दिए गए 8 स्टेप्स को इस तरह से फॉलो करना है।
1 ) स्टॉक मार्केट की जानकारी लेना। इसमें हम स्टॉक मार्केट की खबरें पढ़ेंगे। महवपूर्ण इंडेक्स की दिशा को समझेंगे। इस दिशा को फॉलो करने वाले शेयर्स की लिस्ट बनाएँगे। और उनकी प्राइस कितनी है यह जानकारी लेंगे।
2 ) टेक्निकल एनालिसिस करना। इसमें हम शेयर्स के प्राइस के चार्ट के साथ इंडेक्स के चार्ट को भी देखते हैं। चार्ट पर सपोर्ट, रेजिस्टेंस और ट्रेंड लाइन को सेट करते हैं। इसके साथ स्टॉक मार्केट के महत्वपूर्ण इंडीकेटर्स का इस्तेमाल करते हैं।
3 ) लाइव डाटा जैसे की पुट कॉल रेश्यो, शेयर्स के ट्रेडिंग वॉल्यूम, टोटल बायर्स सेलर्स इस जानकारी को समझेंगे।
4 ) अब हम चार्ट के सेट अप के अनुसार बन रहे ट्रेड्स को कागज पर लिखेंगे। और रिजल्ट का स्टडी करेंगे।
पेपर ट्रेडिंग की खासियतें
पेपर ट्रेडिंग हमारे ट्रेडिंग स्टाइल पर निर्भर हैं। इसपर मेरे ट्रेडिंग करने वाले, ज्यादातर भाई और बहनें कहेंगे की हमारी तो कोई स्टाइल हैं ही नहीं। उनके लिए खुशखबरी यह हैं की, पेपर ट्रेडिंग करो आपकी ट्रेडिंग स्टाइल अपने-आप बनती जाएंगी। जिसे की ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी भी कहते हैं।
" जिनके पास ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी होती हैं वह सुधार के लिए बैक टेस्टिंग करते हैं। और जिनके पास यह नहीं होती वो पेपर ट्रेडिंग करके अपने लिए ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी बना सकते हैं।"
रियल ट्रेडिंग करते वक्त, हम रियल मनी ट्रेडिंग अकाउंट में डालते हैं। और इसके जरिए ट्रेडिंग करते हैं। अगर हम नए हैं और हमें लॉस होता हैं तो यह हमारे लिए इमोशनल प्रॉब्लम बन सकता है। Stock Market % Game में फँसकर, स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के बारे में हमारा नजरिया निगेटिव हो सकता है। लेकिन पेपर ट्रेडिंग करने से हमें चार्ट को समझकर, प्राइस मूवमेंट को समझकर ट्रेडिंग करने की आदत हो जाती है।
उपयुक्त जानकारी
पेपर ट्रेडिंग के बारे में हमने यह जाना
स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग यह रिस्की बिजनेस है। इसमें डिसिप्लिन के सिवा पैसा कमाना मुश्किल होता है और डिसिप्लिन बनाने के लिए हमें कीमत चुकानी होती है।
यह कीमत हम, स्टॉक मार्केट रियल ट्रेडिंग अकाउंट में पैसे डालकर लॉस करके चुका सकते हैं या फिर पेपर ट्रेडिंग करके पेपर पर लॉस करके भी चुका सकते हैं। इससे हमारे रियल मनी का नुकसान नहीं होगा। और स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग के करियर में हम फिट हो सकते हैं या नहीं यह हमें पैसे गवाएं बिना पता चलता है।
पेपर ट्रेडिंग के रिजल्ट को ध्यान में रखते हुए हम तय कर सकते हैं कि, हमें स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग करना है या नहीं करना है। और हाँ तो अपनी आगे की दिशा तय कर सकते हैं।
जिस ट्रेडिंग कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगा रहे, वही बंद हो गई तो क्या होगा? जानिए आपका पैसा डूबेगा या बचा रहेगा
शेयर बाजार में निवेश करने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. यहां पर पारंपरिक निवेश की तुलना में ज्यादा रिटर्न मिलता है. हालांकि, शेयर बाजार में निवेश का जोखिम भी होता है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: आशुतोष वर्मा
Updated on: Jul 22, 2021 | 10:32 AM
अब आम आदमी भी शेयर बाजार में निवेश कर ज्यादा रिटर्न पाने में रुचि दिखा रहा है. यही कारण है कि बीते एक साल में रिकॉर्ड संख्या में डीमैट अकाउंट खोले गए हैं. पिछले महीने तक के आंकड़ों के अनुसार देशभर में करीब 6.9 करोड़ डीमैट अकांउट्स हैं. हालांकि, दूसरे देशों के मुकाबले आबादी के लिहाज से यह अनुपात अभी भी बहुत कम है. भारतीय शेयर बाजार में सबसे ज्यादा पैसा महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के लोग लगाते हैं. लक्षद्वीप, अंडमान एवं निकोबार से लेकर मिज़ोरम तक के लोग शेयर बाजार से अच्छी कमाई कर रहे हैं.
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए सबसे पहली जरूरत डीमैट अकाउंट की होती है. इसी अकाउंट में शेयर्स, ईटीएफ, बॉन्ड्स, म्यूचुअल फंड्स और सिक्योरिटीज को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रखा जाता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज एनसडीएल और सीडीएसल के साथ खोला जा सकता है. देश में कई स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां हैं, जो लोगों को शेयर बाजार में निवेश करने में मदद करती हैं. स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां ही इस सुविधा को आम आदमी तक पहुंचाती हैं. इस सुविधा के बदले ये ब्रोकरेज फर्म्स छोटी फीस वसूलते हैं.
इस बात की भी संभावना है कि आप ये ब्रोकरेज फर्म्स ही किन्हीं कारणों से बंद हो जाए. ऐसी स्थिति में क्या आपका निवेश पूरी तरह से डूब जाएगा? कहीं स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी आपका पूरा पैसा लेकर तो नहीं भाग जाएगी? एक निवेशक के तौर पर आपके मन में जरूर इस तरह के सवाल उठ रहे होंगे. लेकिन अब आपको इसकी चिंता नहीं करनी हैं. क्योंकि हम आपको इस तरह के सभी सवालों के जवाब लेकर आए हैं.
ब्रोकरेज कंपनी बंद होने पर आपके निवेश का क्या होगा?
आप यह जानकार राहत की सांस ले सकते हैं कि स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी के डिफॉल्ट करने या बंद होने के बाद भी आपकी पूंजी या फंड पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा. ऐसा नहीं होगा कि स्टॉक ब्रोकर आपकी पूंजी लेकर भाग जाए. उदाहरण के तौर पर देखें तो जब हर्षद मेहता स्कैम सामने आया था, तब उनकी ब्रोकिंग कंपनी ग्रो मोर रिसर्च एंड एसेट मैनेजमेंट को सेबी ने बैन कर दिया था. लेकिन इस कंपनी के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगाने वाले लोगों को कोई नुकसान नहीं हुआ.
आपको सबसे पहले यह समझने की जरूरत कि ये स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियां महज एक बिचौलिए के तौर पर काम करती हैं. आपके फंड पर इनकी पहुंच सीधे तौर पर नहीं होती है ताकि वे आपकी पूंजी पर अपना हम जमा सकें. लेकिन इनके पास पड़ी अपनी फंड या पूंजी को इस्तेमाल करने के लिए आप इन्हें निर्देश दे सकते हैं.
स्टॉक्स और शेयरों का क्या होगा?
आपका फंड डीमैट अकाउंट में जमा होता है. ये डीमैट अकाउंट डिपॉजिटरीज के पास खुलात है. सेबी ने दो डिपॉजिटरीज – नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरीज लिमिटेड (NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (इंडिया) लिमिटेड (CDSL) को मंजूरी दी है. भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के प्रति सेबी की जवाबदेही होती है.
किसी भी समय पर एक निवेशक का स्टॉक या शेयर ब्रोकरेज फर्म्स के पास नहीं होता है. वे बस एक प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करते हैं. इनका काम बस आपके निर्देश के हिसाब से आपकी जगह ट्रेड करना है. बदले में ये आपसे फीस वसूलते हैं.
इसी प्रकार आपका म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) के पास होता है. ऐसे में अगर ब्रोकरेज फर्म बंद भी हो जाता है तो आपका म्यूचुअल फंड सुरक्षित रहेगा.
इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होता है ?
इंट्राडे ट्रेडिंग हम एक दिन में ही कर सकते है। इंट्राडे ट्रेडिंग में हमे एक दिन में ही लोस्स और प्रॉफिट हो जाता है। भारत में शेयर मार्केट मंडे से लेकर फ्राइडे तक सुबह 9 :15 से लेकर शाम के 3 :30 खुलता है। अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते है तो आप को इसी समय में शेयर को खरीदना और बेचना होगा। ज्यादातर निवेशक दो कारणों की बजह से इंट्राडे ट्रेडिंग करते है। पहला मार्जिन और दूसरा है न्यूज़।
मार्जिन क्या होता है
इंट्राडे में ब्रोकर अपने निवेशको को मार्जिन देते है। मार्जिन का मतलब है ब्रोकर अपने निवेशकों को निवेश करने के लिए पैसे उधार देते है। अगर आप के पास कम पैसे है और आप ज्यादा शेयर खरीदना चाहते है तो आप का ब्रोकर आप को मार्जिन देता है जिस से आप कोई भी कपनी के शेयर खरीद सकते है और जब आप के पास ज्यादा पैसे होंगे तो आप ज्यादा शेयर खरीद पाएंगे और अधिक लाभ कमा सकते है।
न्यूज का बहुत प्रभाव
जब भी कोई कंपनी की न्यूज आती है तो शेयर मार्किट में उस न्यूज का बहुत प्रभाव होता है शेयरों के प्राइस ऊपर निचे होने लग जाते है। जिस का निवेश फायदा उठा कर एक दिन में ही लाभ कमा लेते है। ट्रेडिंग क्या होती है इन्ही दो करने की वजह से निवेशक इंट्राडे ट्रेडिंग करते है।
इंट्राडे ट्रेडिंग दो प्रकार की होती है।
- लॉन्ग इंट्राडे ट्रेडिंग
- शोर्ट इंट्राडे ट्रेडिंग
1.लॉन्ग इंट्राडे ट्रेडिंग
लॉन्ग इंट्राडे ट्रेडिंग हम को जब लगता है कि कोई कंपनी के शेयर का प्राइस बढ़ने वाला है तो हम अपने ब्रोकर से मार्जिन ले कर अपने ब्रोकर की प्लेटफार्म पर जा कर उस कंपनी के शेयर को खरीद कर इंट्राडे सिलेक्ट करेंगे जिस से हमारे ऑडर मार्जिन अप्लाई हो जायेगा। फिर हम उस में क्वांटिटी भर देंगे। इस से हमारा ऑडर अप्लाई हो जायेगा। आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर रहे है तो आप को उसी दिन ही शेयर को बेचना होगा। चाहे उस में आप का प्रॉफिट हो जा फिर लोस्स।
2.शोर्ट इंट्राडे ट्रेडिंग
शोर्ट इंट्राडे ट्रेडिंग में जब हम को लगता है कि किसी कंपनी के शेयर का प्राइस गिरने वाला है तो इस में हमारा ब्रोकर में कुछ शेयर उधार पर देता है जिसे हम अपने ब्रोकर के प्लेटफर में जा कर उस कंपनी के शेयर को बेच देते है उस समय उस शेयर का प्राइस 100 रुपए है तो आप उसे बेच देते है उस शेयर का प्राइस 10 रुपए ज्यादा गिर जाये तो आप उस कंपनी के शेयर खरीद कर अपने ब्रोकर को वापिस कर देंगे जो आप ने उस से उधार लिए थे। इस में आप ने ज्यादा प्राइस पर शेयर को बेच कर उसे कम प्राइस में खरीद लिए इस से आप को हर एक शेयर पर 10 रुपए का प्रॉफिट हुआ।
अगर इस में शेयर का प्राइस 10 रुपए ऊपर जाता तो इस में आप को हर एक शेयर पर 10 रुपए का नुकसान होता।
इंट्राडे ट्रेडिंग पर हमे कोन से नुकसान होते है
ब्रोकरेज
इंट्राडे ट्रेडिंग में हमे चाहे प्रॉफिट हो चाहे हमारा नुकसान हो हमारा ब्रोकर हमारे हर एक ऑडर पर चार्ज लेता है। उस के पैसे हमारे ट्रेडिंग अकाउंट में से कट जाते है। इंट्राडे में हम उस दिन ही शेयर खरीदते है और उस दिन ही बेचते है जिस के कारण हमारा ब्रोकर हमारे हर एक ऑडर पर चार्ज लेता है।
एक दिन का ही समय मिलना
इंट्राडे ट्रेडिंग में हम ने जिस दिन शेयर खरीदते होते है हमे उसे उसी दिन ही बेचना होता है। इस लिए हमारे पास शेयर खरीदने या बेचने के लिए थोड़ा समय ही होता है। अगर इस में हमारा लोस्स हो रहा हो फिर भी हमे शेयर को उसी दिन ही खरीदना या बेचना होता है।
इंट्राडे ट्रेडिंग में हमे एक दिन में ही शेयर खरीदने और बेचने होते है जिस के कारण इस में बहुत ज्यादा रिस्क होता है। इंट्राडे ट्रेडिंग से हमे ज्यादा फायदा और ज्यादा नुकसान दोनों ही हो सकते है। इस लिए अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते है तो आप को इंट्राडे ट्रेडिंग को अच्छी तरह से समझना होगा और इंट्राडे ट्रेडिंग में होने के बारे में भी पता होना चाहिए। तभी आप ट्रेडिंग में सफल हो सकते है।
आज हम ने इस आर्टिकल में जाना कि इंट्राडे ट्रेडिंग क्या होती है ,मार्जिन क्या होता है ,इंट्राडे ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है और इंट्राडे ट्रेडिंग से हमे क्या क्या नुकसान हो सकते है। मुझे उम्मीद है कि मेरे इस आर्टिकल से आप को इंट्राडे ट्रेडिंग के बारे में अच्छी तरह से समझ आ गया होगा। अगर आप को हमारा आर्टिकल पसंद आया है तो कमेंट करके जरूर बताए।
शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है
शेयर मार्केट में बहुत सारे लोगों को नहीं पता Option Trading क्या है, Call और Put क्या है। शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग करने के लिए बहुत सारे माय्धाम है उनमे से एक है Option Trading। बहुत सारे लोग शेयर मार्केट में Call & Put खरीद करके ट्रेडिंग करते हैं। आज हम सरल भाषा में जानेंगे Option Trading कैसे करे, क्या हैं-
Option Trading क्या हैं:-
आपको नाम से ही पता लग गया होगा Option का मतलब विकल्प। उदाहरण के लिए- मान लीजिये आप एक कंपनी का 1000 शेयर 5000 रुपये प्रीमियम देकर 1 महीने बाद का 100 रुपये में खरीदने का Option लेते हो। ऐसे में उस कंपनी ट्रेडिंग क्या होती है का शेयर 1 महीने बाद 70 हो गया तब आपके पास विकल्प (Option) रहेगा उस शेयर को नुकसान में ना खरीदने का।
ऐसे में आपका प्रीमियम का पैसा डूब जायेगा। आप्शन ट्रेडिंग में नुकसान आपका उतना ही है जितना पैसा आपने प्रीमियम लेते समय दिया था। तो ऐसे में नुकसान कम से कम करने के लिए Option का प्रयोग होता हैं।
Call और Put क्या है:-
Option Trading दो तरह का होता है एक है Call और दूसरा Put। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दोनों तरफ पैसा लगा सकते हैं। आप यदि Call खरीद रहे हो तो तेजी की तरफ पैसा लगा रहे हो ठीक उसी तरह Put खरीदते हो तो मंदी की तरफ पैसा लगा रहे हो। आप जिस प्राइस के ऊपर Call खरीदा उसके ऊपर का प्राइस जाने के बाद ही आपको फ़ायदा होगा। ठीक उसी तरह Put खरीदा तो जिस प्राइस के ऊपर खरीदा उसके नीचे गया तो ही आपको फ़ायदा होगा।
Option Trading का Expiry कब होता है:-
Option Trading में दो तरह का Expiry होता है एक होता है सप्ताह और दूसरा होता है महीना में। सप्ताह (Weekly Expiry) में हर गुरूवार को ही NIFTY 50 और BANK NIFTY का expiry होता हैं। महीना में शेयर का अंतिम गुरूवार expiry होता है, जो शेयर Option Trading में लिस्टेड हैं।
कब ज्यादा नुकसान हो सकता है:-
जो लोग Call या Put Option को खरीदते है उनको Premium का ही ज्यादा से ज्यादा नुकसान हो सकता है। लेकिन जो लोग Call और Put को बेच देते है उनका नुकसान असीमित हैं। बहुत बड़े बड़े ट्रेडर ही Call या Put को बेचते हैं उसके पास नॉलेज के साथ पैसा भी बहुत होता हैं।
Option Trading कैसे करे:-
ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आप एक कंपनी का 1 शेयर नहीं खरीद सकते आपको LOT में खरीदना पड़ेगा. Nifty50 का एक Lot 75 का होता है लेकिन शेयर में ज्यादा होता हैं। किसी भी शेयर और Nifty50, Bank NIfty का Option खरीदने के लिए आपको जाना होगा आपके Demat Account में। उसके बाद जो भी खरीदना है उसमे आपको देखने को मिलेगा Option Chain आप उस पर से आपको Call या Put जो भी खरीदना है खरीद सकते हैं।
क्या आपको Option Trading करना चाहिए हमारी राय:-
दोस्तों आप यदि नए हो शेयर मार्केट में तो आपको इतना जोखिम नहीं लेना है। आपको लंबे समय के लिए शेयर में इन्वेस्ट करना चाहिए। Option Trading बहुत ज्यादा रिस्क भी है और रिवॉर्ड भी। आप यदि सही तरीके से पैसा लगाएंगे तो आपको बहुत अच्छा मुनाफा होगा। किसी के दिए हुए नुस्के से आप बिल्कुल मत इन्वेस्ट करो आप पहले सीखिए उसके बाद इन्वेस्ट करे।
आशा करता हु आप हमारे पोस्ट शेयर मार्केट में Option Trading क्या है, Call और Put क्या है पढ़के आपको सिखने को मिला। और भी शेयर मार्केट के बारे में जानने के लिए आप हमारे और भी पोस्ट को पढ़ सकते हैं।