क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है?

Published on: November 06, 2022 19:38 IST
Cryptocurrency News: रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी जल्द आएगी, कैसे होगी क्रिप्टोकरेंसी से अलग, यहां जानें
Cryptocurrency News: रिजर्व बैंक काफी समय पहले ही अपनी डिजिटल करेंसी को लाने के बारे में संकेत दे चुका है और अब जब संसद में क्रिप्टोकरेंसी का बिल आने वाला है तो फैसला और अहम हो जाता है.
By: ABP Live | Updated at : 25 Nov 2021 05:24 PM (IST)
Edited By: Meenakshi
आरबीआई-क्रिप्टो (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Cryptocurrency News: जैसे ही खबर आई कि निजी क्रिप्टोकरेंसी को बैन या रेगुलेट करने के लिए भारत सरकार संसद के इस शीतकालीन सत्र में बिल ला सकती है, क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में घबराहट फैल गई. ज्यादातर क्रिप्टो एक्सचेंज लगभग क्रैश होते हुए दिखे और सभी बड़ी क्रिप्टोकरेंसी में कल 15 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखी गई.
सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन कल के कारोबार में ही 17 फीसदी टूट गई. अब ऐसे में एक और खबर आई है जो क्रिप्टोकरेंसी के बाजार को और परेशान कर सकती है.
RBI लाएगा अपनी डिजिटल करेंसी
लोकसभा की वेबसाइट पर क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 के बारे में जो जानकारी दी गई है उसके मुताबिक इस बिल का उद्देश्य देश में निजी क्रिप्टोकरेंसी के सर्कुलेशन पर रोक लगाना है. इसी में ये बात दी गई है कि देश का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के द्वारा एक डिजिटल करेंसी बनाने के लिए फ्रेमवर्क पर भी चर्चा इसी बिल के तहत की जाएगी.
लोकसभा की वेबसाइट पर क्या दिया है
वेबसाइट पर दिया गया है कि सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम लगाने या उन्हें रेगुलेट करने के लिए जो बिल लाया जाएगा उसके तहत कुछ क्रिप्टोकरेंसी को मंजूरी दी जा सकती है जिससे कि क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल और इसमें लगने वाली टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके.
क्या है CBDC या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी का अर्थ
क्रिप्टोकरेंसी एक ऐसी करेंसी है जिसे हम छू या देख नहीं सकते यानी ये डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है जिसे ऑनलाइन वॉलेट में ही रखा जा सकता है. ये फिजिकल मोड में नहीं होती लेकिन एक डिजिटल कॉइन के रूप में ऑनलाइन वॉलेट क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है? में रखी जा सकती है. चूंकि ये किसी सरकारी संस्था से मान्यता प्राप्त नहीं है इसलिए ये रेगुलराइज्ड भी नहीं है. लिहाजा आरबीआई एक ऐसी डिजिटल करेंसी लाएगा जो उसके द्वारा या किसी और सरकारी रेगुलेटरी संस्था द्वारा सत्यापित होगी और देश में लेनदेन के लिए कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त होगी.
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क्या है CBDC और क्रिप्टोकरेंसी के बीच का अंतर
सीबीडीसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर को साफ करते हुए आरबीआई ने कहा, "सीबीडीसी एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है, लेकिन यह क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में नहीं देखी जा सकती जो पिछले एक दशक में मशरूम की तरह उग आई हैं. निजी क्रिप्टोकरेंसी एक ऐतिहासिक कॉन्सेप्ट पर आधारित है लेकिन इसका कोई आंतरिक मूल्य नहीं है. जो लोग ये दावा करते हैं कि ये सोने के समान है वो साफ तौर पर अवसरवादी दिखते हैं. क्रिप्टोकरेंसी कोई कमोडिटी नहीं है और ये कोई आंतरिक मूल्य न होने के चलते किसी कमोडिटी जैसी भी नहीं हैं. सबसे ज्यादा पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसीज भी किसी व्यक्ति के कर्ज या देनदारियों को प्रतिनिधित्व नहीं करती हैं. ना तो इन्हें कोई जारी करने वाला है और ना ही ये पैसा हैं, निश्चित तौर पर करेंसी तो बिलकुल नहीं हैं. ये बात अब वैश्विक तौर पर भी समझी जाने लगी है.
इन सब बातों का आखिरकार अर्थ क्या है
सारी बातों को मतलब ये ही है कि क्रिप्टोकरेंसी और सीबीडीसी में एक मूल फर्क है जो सबसे अहम है. वो ये है कि सीबीडीसी को एक केंद्रीय बैंक द्वारा मान्यता मिली होगी और क्रिप्टोकरेंसी को नहीं. एक रेगुलेटेड करेंसी ना होने के चलते क्रिप्टोकरेंसी का गलत इस्तेमाल होने के काफी चांस है जैसे मनी लॉन्ड्रिंग या टेरर फंडिंग में इसका यूज हो सकता है.
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Published at : 25 Nov 2021 05:21 PM (IST) Tags: Cryptocurrency Bitcoin RBI digital currency Cryptocurrency in India cryptocurrency news RBI Digital Currency हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
क्रिप्टोकरेंसी का दुनिया के बाजार में चलता है सिक्का, जानें इसके बारे में सबकुछ
नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है। इसे यह नाम इसलिए मिला क्योंकि इसके सुरक्षित ट्रांजेक्शन्स के लिए इनक्रिप्शन का इस्तेमाल होता है। इसका अर्थ है कि क्रिप्टोकरेंसी के डाटा को ट्रांसमिट करने और वालेट में स्टोर करने के लिए एक बहुत ही एडवांस कोडिंग का इस्तेमाल होता।
भुगतान का तरीका
क्रिप्टकरेंसी असल में एक डिजिटल पेमेंट सिस्टम है। मगर क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है? इस सिस्टम में अन्य डिजिटल माध्यमों की तरह ट्रांजेक्शन के लिए किसी बैंक की अनुमति की जरूरत नहीं होती। यह पीयर-टू-पीयर नेटवर्क सिस्टम से संचालित होती है और कोई भी कहीं से इसे भेज सकता है और प्राप्त कर सकता है।
क्या है पीयर-टू-पीयर सिस्टम
पीयर-टू-पीयर सिस्टम में कोई अपना एक सर्वर नहीं होता। सभी कंप्यूटर नेटवर्क से जुड़े होते हैं।
कहां रखी जाती है डिजिटल करेंसी डिजिटल करेंसी अपके डिजिटल वालेट में रहती है। जब कोई अपना डिजिटल करेंसी फंड ट्रांसफर करता है तो यह पब्लिक लेजर में दर्ज होता है।
कैसे काम करती है यह
क्रिप्टोकरेंसी एक पब्लिक लेजर जिसे ब्लॉकचेन कहते हैं के जरिए चलती है। इसमें करेंसी का सारा ट्रांजेक्शन अपडेट होता है और यह करेंसी होल्डर के पास रहता है।
कैसे बनती है
क्रिप्टोकरेंसी बनाने की प्रक्रिया माइनिंग कहलता है इसमें कंप्यूटर की जटिल गणितीय समस्याओं को सुलझाने की क्षमता का इस्तेमाल सिक्के का डिजिटल रूप बनाने के लिए किया जाता है।
कहां से मिलती हैै
क्रिप्टोकरेंसी को ब्रोकर्स से खरीदा जाता है और इसे क्रिप्टोग्राफिक वालेट में रखा जाता है और वहीं से खर्च किया जा सकता है।
क्या खरीद सकते हैं
बिटकॉइन को जब लांच किया गया था तो यह सोचकर किया गया था कि यह दैनिक मार्केटिंग के लिए होगी और इससे एक कप कॉफी से लेकर कंप्यूटर और टिकट तक खरीदे जा सकें। मगर जल्द ही इसकी मांग बढ़ी और इसके दाम काफी ऊंचे हो गए। अब ये बड़े भुगतान में इस्तेमाल होती है।
उपलब्ध क्रिप्टोकरेंसियां
बिटकॉइन: पहली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन है। इसे 2009 में बनाया गया। इसके प्रति लोगों ने खूब रुचि दिखाई और इसकी कीमत आसमान छूने लगी।
इथेरियम: ईथर या इथेरियम नाम से प्रचल्लित इस क्रिप्टोकरेंसी को 2015 में विकसित किया गया। बिटकॉइन के बाद यह दूसरी सबसे प्रसिद्ध क्रिप्टोकरेंसी है।
लाइटकॉइन: इसे बिटकॉइन की तर्ज पर ही विकसित किया गया है मगर आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल की बजे से इसे ज्यादा तेजी से ट्रांसफर किया जा सकता है।
रिपल: यह डिस्ट्रीब्यूटेड लेजर सिस्टम है, जिसे 2012 में बनाया गया था। यह असल में यह केवल क्रिप्टोकरेंसी ही नहीं है, बल्कि एक यह विभिन्न तरह के ट्रांजेक्शन को ट्रेक करने वाला सिस्टम है। इसके पीछे जो कंपनी है, वह विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए काम करती है।
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Cryptocurrency से आरबीआई की Digital Currency अलग कैसे? किसमें निवेश फायदेमंद, कौन डुबाएगा लुटिया
Cryptocurrency vs Digital Currency: क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है? अगर आप डिजिटल करेंसी को भी क्रिप्टोकरेंसी समझने की भुल करते हैं तो आपको जान लेना चाहिए कि दोनों में क्या अंतर है और डिजिटल करेंसी किन मायनों में क्रिप्टोकरेंसी से अलग है।
Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: November 06, 2022 19:38 IST
Photo:INDIA TV Cryptocurrency से आरबीआई की Digital Currency अलग कैसे?
Cryptocurrency vs Digital Currency: क्रिप्टोकरेंसी और केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) दोनों ने पूरे भारत में लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। डिजिटल एसेट्स के रूप में सामान्य स्थिति के बावजूद दोनों में काफी अंतर है। पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग का मानना है कि सीबीडीसी डीमैटरियलाइज्ड बैंक नोट की तरह होता है, और उसका क्रिप्टोकरेंसी से कोई लेना-देना नहीं है।
सीबीडीसी डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य
क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती है। हालांकि, सीबीडीसी जैसे रेगुलेटेड डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य हो सकते हैं। मैकिन्से ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्टेबल कॉइन के प्रचलन में तेजी से वृद्धि के साथ केंद्रीय बैंकों ने अपनी स्टेबल डिजिटल करेंसी का पता लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
आरबीआई द्वारा जारी किया गया डिजिटल टोकन
सीबीडीसी या भारतीय ई-रुपया आरबीआई द्वारा जारी किया गया एक डिजिटल टोकन है और यह देश की फिएट करेंसी से जुड़ा हुआ है। ब्लॉकचैन विशेषज्ञों के एक समूह ब्लॉकचैन काउंसिल का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के विकास ने कैशलेस सोसाइटी और डिजिटल करेंसी में रुचि बढ़ा दी है, जिसके चलते दुनिया भर की सरकारें और केंद्रीय बैंक सरकार समर्थित डिजिटल करेंसी के उपयोग पर विचार कर रहे हैं।
सीबीडीसी के ये हैं बड़े फायदे
सीबीडीसी का प्राथमिक उद्देश्य कंपनियों और उपभोक्ताओं को गोपनीयता, हस्तांतरणीयता, सुगमता और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। काउंसिल का कहना है, सीबीडीसी एक जटिल वित्तीय प्रणाली के लिए आवश्यक रखरखाव को भी कम करता है, सीमा पार लेनदेन लागत में कटौती करता है और उन लोगों को कम लागत वाले विकल्प देता है जो अब दूसरे धन हस्तांतरण विधियों का उपयोग करते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में ये है अंतर
केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी डिजिटल करेंसी अपने मौजूदा स्वरूप में डिजिटल मुद्राओं के उपयोग से जुड़े खतरों को भी कम करती है। दूसरी ओर क्रिप्टोकरेंसी बहुत अस्थिर है, उनका मूल्य हर समय बदलता रहता है। उपयोग के मामलों के संदर्भ में क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति और मुद्रा दोनों के रूप में वगीर्कृत किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी के प्राइस पर अटकलें लगाने के लिए व्यक्ति निवेश बाजारों में हिस्सा ले सकता है। वे खुद को मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता से बचाने के लिए बिटकॉइन जैसी विशेष परियोजनाओं का भी उपयोग कर सकते हैं।
बिटकॉइन और एथेरियम का उपयोग कोई भी लेनदेन और भुगतान करने के लिए कर सकता है। काउंसिल के अनुसार, आज पहले से कहीं अधिक व्यापारी और स्टोर क्रिप्टोकरेंसी पेमेंट स्वीकार करते हैं। सीबीडीसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच कई विरोधाभास हैं।
भारत का डिजिटल रुपया क्रिप्टोकरेंसी से कितना अलग? जानिए कैसा होगा भविष्य का पैसा
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा?
डिजिटल रुपये (Digital Rupees) की सुगबुगाहट पिछले एक साल से थी, आखिरकार इसका पायलट प्रोजेक्ट 1 नवंबर से शुरू क्रिप्टो करेंसी का उपयोग कैसे किया जाता है? हो गया। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मंगलवार को डिजिटल रुपये का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया है। लेकिन, सभी के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह क्रिप्टोकरेंसी जैसा होगा? इसे किस तरह संचालित किया जाएगा? आइए एक-एक करके जानते हैं कि भविष्य का पैसा कैसा होगा?
हाल के कुछ साल में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते प्रचलन की वजह से दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के सामने अपने देश की करेंसी को बचाए रखने का संकट भी धीरे-धीरे खड़ा हो रहा है। यही वजह है कि सभी देश अपने-अपने स्तर पर क्रिप्टोकरेंसी को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसीज को कोई रेगुलेट नहीं करता है इसलिए इसके जरिए टेरर फंडिंग की भी बात सामने आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसीज के संचालन को लेकर कई बार चिंता भी व्यक्त की है। इस साल बजट में सरकार की तरफ से जब डिजिटल रुपये का ऐलान हुआ तभी यह बात स्पष्ट हो गई थी कि भारत सरकार किसी प्रकार मौका क्रिप्टोकरेंसीज को नहीं देना चाहती है। तब रही-कही कसर क्रिप्टोकरेंसी पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगाकर पूरा कर दिया था। आइए जानते हैं जिस डिजिटल रुपये को भारत, क्रिप्टोकरेंसी के बराबर खड़ा करने की सोच रहा है वह है क्या? रिजर्व बैंक इसे रेगुलेट कैसे करेगा? इन सबके अलावा हम और आप जैसे आम आदमी इसका उपयोग कैसे कर पाएंगे।
क्या है डिजिटल रुपया?
अभी हम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से जारी 100, 200 रुपये के नोट्स और सिक्के का उपयोग करते हैं। इसी का डिजिटल स्वरूप ही डिजिटल रुपया कहलाएगा। टेक्निकल भाषा में इसे सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) भी कह सकते हैं। यानी रुपये का इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म, जिसका उपयोग हम बिना स्पर्श किए (कॉन्टैक्टलेस ट्रांजैक्शन) करेंगे। बता दें, सरकार ने इसका ऐलान 2022 के बजट में किया था।
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क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपये में अंतर क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी रेगुलेट नहीं करता है। यह पूरा तरह से ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निर्भर करता है। इसलिए यह लेन-देन के लिए आधिकारिक करेंसी नहीं माना जाती है। वहीं, डिजिटल रुपये को रिजर्व बैंक जारी करेगा। इसका संचालन पूरी तरह आरबीआई के हाथ में होगा और बैंक अपने ग्राहकों को इसे बांट सकते हैं।
एक-दूसरे को कैसे करेंगे ट्रांसफर
डिजिटल रुपये के रिटेल वर्जन यानी जिसका उपयोग हम और आप जैसे सामान्य लोग करेंगे वह टोकन आधारित हो सकता है। व्यक्तियों को रसीद भी दी जा सकती है (जैसे ई-मेल इत्यादि)। डिजिटल रुपये को ट्रांसफर करते वक्त पासवर्ड जैसे डीटेल्स की जरूरत पड़ सकती है, क्योंकि यह पूरी तरह से प्रोग्राम्ड होगा तो इसलिए शुरुआती समय में इसे सेक्टर बेस्ड ही जारी किया जा सकता है। उदाहरण के रूप में खाद की सब्सिडी डिजिटल रुपये में ट्रांसफर की जाए।
क्या डिजिटल रुपये पर मिलेगा ब्याज?
नहीं, डिजिटल रुपये पर आरबीआई की तरफ से कोई भी ब्याज नहीं दिया जाएगा।
पैसे के लेन-देन पर रहेगी आरबीआई की नजर
जब हमें कोई नोट देता है तो किसी को पता नहीं होता है कि इससे पहले किस-किस के पास से यह पैसा गुजरा है। डिजिटल रुपये में ऐसा नहीं होगा। रिजर्व बैंक सभी पैसे का पता कर पाएगा कि यह किसके-किसके पास से गुजरा है। खासकर बड़े अमाउंट पर कड़ी नजर रहेगी।
बिना इंटरनेट के कर पाएंगे डिजिटल रुपये को ट्रांसफर?
रिजर्व बैंक डिजिटल रुपये के ऑफलाइन मोड पर काम कर रहा है। यानी जब कभी ये आम लोगों के उपयोग में आए तो वह इसका उपयोग ऑफलाइन भी कर पाएं।
1 नवंबर से पायलट प्रोजेक्ट शुरू
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सोमवार को जारी एक बयान में कहा, 'डिजिटल रुपये (होलसेल ट्रांजैक्शन) का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इस टेस्टिंग के तहत सरकारी सिक्योरिटीज में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा।' आरबीआई ने 'केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा' (central bank digital currency OR CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में कदम बढ़ाते हुए डिजिटल रुपये का पायलट टेस्टिंग शुरू करने का फैसला किया है। थोक खंड (Wholesale Transactions) के लिए होने वाले इस परीक्षण में नौ बैंक शिरकत करेंगे। इन बैंकों की पहचान भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी के रूप में की गई है।
पहले दिन कैसा रहा रिस्पांस
मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार पहले दिन डिजिटल रुपये के पायलट प्रोजेक्ट में सेकेंड्री मार्केट गर्वमेंट बॉन्ड का ट्रांजैक्शन 2.75 अरब डॉलर रुपये का हुआ है। तीन सिक्योरिटीज में नए रूट से यह ट्रेड सेटल्ड हुआ है।
Cryptocurrency से आरबीआई की Digital Currency अलग कैसे? किसमें निवेश फायदेमंद, कौन डुबाएगा लुटिया
Cryptocurrency vs Digital Currency: अगर आप डिजिटल करेंसी को भी क्रिप्टोकरेंसी समझने की भुल करते हैं तो आपको जान लेना चाहिए कि दोनों में क्या अंतर है और डिजिटल करेंसी किन मायनों में क्रिप्टोकरेंसी से अलग है।
Edited By: Vikash Tiwary @ivikashtiwary
Published on: November 06, 2022 19:38 IST
Photo:INDIA TV Cryptocurrency से आरबीआई की Digital Currency अलग कैसे?
Cryptocurrency vs Digital Currency: क्रिप्टोकरेंसी और केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) दोनों ने पूरे भारत में लाखों लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। डिजिटल एसेट्स के रूप में सामान्य स्थिति के बावजूद दोनों में काफी अंतर है। पूर्व वित्त सचिव एससी गर्ग का मानना है कि सीबीडीसी डीमैटरियलाइज्ड बैंक नोट की तरह होता है, और उसका क्रिप्टोकरेंसी से कोई लेना-देना नहीं है।
सीबीडीसी डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य
क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया मुद्रा के रूप में स्वीकार नहीं कर सकती है। हालांकि, सीबीडीसी जैसे रेगुलेटेड डिजिटल कॉइन क्रिप्टो का भविष्य हो सकते हैं। मैकिन्से ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में स्टेबल कॉइन के प्रचलन में तेजी से वृद्धि के साथ केंद्रीय बैंकों ने अपनी स्टेबल डिजिटल करेंसी का पता लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं।
आरबीआई द्वारा जारी किया गया डिजिटल टोकन
सीबीडीसी या भारतीय ई-रुपया आरबीआई द्वारा जारी किया गया एक डिजिटल टोकन है और यह देश की फिएट करेंसी से जुड़ा हुआ है। ब्लॉकचैन विशेषज्ञों के एक समूह ब्लॉकचैन काउंसिल का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी के विकास ने कैशलेस सोसाइटी और डिजिटल करेंसी में रुचि बढ़ा दी है, जिसके चलते दुनिया भर की सरकारें और केंद्रीय बैंक सरकार समर्थित डिजिटल करेंसी के उपयोग पर विचार कर रहे हैं।
सीबीडीसी के ये हैं बड़े फायदे
सीबीडीसी का प्राथमिक उद्देश्य कंपनियों और उपभोक्ताओं को गोपनीयता, हस्तांतरणीयता, सुगमता और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है। काउंसिल का कहना है, सीबीडीसी एक जटिल वित्तीय प्रणाली के लिए आवश्यक रखरखाव को भी कम करता है, सीमा पार लेनदेन लागत में कटौती करता है और उन लोगों को कम लागत वाले विकल्प देता है जो अब दूसरे धन हस्तांतरण विधियों का उपयोग करते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल करेंसी में ये है अंतर
केंद्रीय बैंकों द्वारा जारी डिजिटल करेंसी अपने मौजूदा स्वरूप में डिजिटल मुद्राओं के उपयोग से जुड़े खतरों को भी कम करती है। दूसरी ओर क्रिप्टोकरेंसी बहुत अस्थिर है, उनका मूल्य हर समय बदलता रहता है। उपयोग के मामलों के संदर्भ में क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति और मुद्रा दोनों के रूप में वगीर्कृत किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी के प्राइस पर अटकलें लगाने के लिए व्यक्ति निवेश बाजारों में हिस्सा ले सकता है। वे खुद को मुद्रास्फीति और आर्थिक अस्थिरता से बचाने के लिए बिटकॉइन जैसी विशेष परियोजनाओं का भी उपयोग कर सकते हैं।
बिटकॉइन और एथेरियम का उपयोग कोई भी लेनदेन और भुगतान करने के लिए कर सकता है। काउंसिल के अनुसार, आज पहले से कहीं अधिक व्यापारी और स्टोर क्रिप्टोकरेंसी पेमेंट स्वीकार करते हैं। सीबीडीसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच कई विरोधाभास हैं।