वित्तीय बाजारों के बारे में जानें

वित्तीय बाजार प्रणाली वित्तीय बाजारों के रूप में गठित किया गया है! कई प्रमुख उप बाजार में वित्तीय बाजार प्रणाली आम में अपनी बातें है!
खाद, खाद्य तेल और कोयला बिगाड़ सकते हैं सरकार की वित्तीय सेहत; क्या है उपाय, जानें इस बारे में विशेषज्ञों की राय
मौजूदा वक्त में वैश्विक संकट से कई देशों में हालात खराब हैं। जानकारों की मानें तो भारत पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ सकता है। कोयला संकट और खाद्य तेल के साथ साथ जनता को दी जाने वाली तमाम सब्सिडी से देश की आर्थिक सेहत प्रभावित हो सकती है।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। खाद, खाद्य तेल और कोयला सरकार की वित्तीय सेहत बिगाड़ सकते हैं। 80 करोड़ जनता को मुफ्त वित्तीय बाजारों के बारे में जानें अनाज देने के फैसले का भी वित्तीय सेहत पर असर दिखेगा। क्योंकि इन खर्चों का सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में अनुमान नहीं लगाया था। वित्तीय बाजारों के बारे में जानें अब वैश्विक हालात की वजह से सरकार को अतिरिक्त खर्च करना पड़ रहा है जबकि कमाई का फिलहाल अतिरिक्त जरिया नजर नहीं आ रहा है।
अधिक सब्सिडी देनी होगी
चीन में खाद का उत्पादन कम होने से आयातित खाद की कीमत बढ़ गई और सरकार को अब बजटीय प्रविधान के मुकाबले खाद पर अधिक सब्सिडी देनी होगी। चालू वित्त वर्ष के बजट में सरकार ने खाद सब्सिडी के मद में 1.05 लाख करोड़ रुपये का प्रविधान किया था, लेकिन अब खाद और रसायन मंत्री के मुताबिक यह सब्सिडी 2.5 लाख करोड़ रुपये तक जा सकती है।
मुफ्त अनाज देने से बढ़ेगा बोझ
सितंबर तक मुफ्त अनाज देने से फूड सब्सिडी के मद में भी सरकार बजट प्रविधान के अलावा 80,000 करोड़ का अतिरिक्त बोझ ले चुकी है। बजट में फूड सब्सिडी के मद में 2.06 लाख करोड़ रुपए का प्रविधान किया गया था। वित्तीय बाजारों के बारे में जानें खाद व मुफ्त अनाज स्कीम की वजह से सरकार का सब्सिडी बिल बजटीय प्रविधान के मुकाबले 2.25 लाख करोड़ अधिक हो चुका है जबकि अभी चालू वित्त वर्ष का एक महीना भी खत्म नहीं हुआ है।
चालू खाते के घाटे में होगी बढ़ोतरी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल ही में अपने एक अनुमान में कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत का चालू खाते का घाटा जीडीपी का 3.1 प्रतिशत तक पहुंच सकता है जबकि वित्त वर्ष 2021-22 में चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.6 प्रतिशत रहा। चालू खाते का घाटा बढ़ने की मुख्य वजह खाद्य तेल, खाद, कोयला व पेट्रोलियम पदार्थो के आयात बिल में होने वाली बढ़ोतरी है।
इंडोनेशिया ने लगाई है पाम आयल के निर्यात पर रोक
इंडोनेशिया ने पाम आयल के निर्यात पर रोक लगा दी है, इससे भारत का खाद्य तेल आयात बिल और बढ़ेगा। भारत अपनी खाद्य तेल की जरूरतों का 65 प्रतिशत आयात करता है। दूसरी तरफ बिजली उत्पादन के लिए जरूरत के मुकाबले कोयले की कमी को देखते हुए आयात में 15 वित्तीय बाजारों के बारे में जानें प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हो सकती है। इससे भी आयात बिल में बढ़ोतरी होगी और चालू खाते के घाटे में इजाफा होगा।
वित्त वर्ष 21-22 में अप्रैल-फरवरी में विभिन्न आयात वित्तीय बाजारों के बारे में जानें में होने वाली वृद्धि
वनस्पति तेल ---- 72.19 प्रतिशत
पेट्रोलियम पदार्थ ----- 95.72 प्रतिशत
कोयला ----- 86.54 प्रतिशत
(यह बढ़ोतरी वित्त वर्ष 20-21 की समान अवधि के मुकाबले है)
स्रोत: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
क्या है उपाय
विशेषज्ञों के मुताबिक अपने अतिरिक्त खर्च की पूर्ति के लिए सरकार को टैक्स दायरे को बढ़ाना होगा या फिर बजटीय प्रविधान के अलावा कर्ज लेना होगा। सरकार का राजस्व नहीं बढ़ने पर राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है या फिर इस पर लगाम के लिए सरकार को खर्च में कटौती करनी पड़ सकती है। चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
एक वित्तीय बाजार की जरूरत,
वित्तीय बाजारों बाजार वित्तपोषण कर रहे हैं, इस फंड प्रदाताओं और वित्त पोषण ऋण साधनों और बाजार में वित्तीय लेनदेन के माध्यम से दोनों पक्षों द्वारा की जरूरत के लिए संदर्भित करता है मोटे तौर पर, उपकरणों और प्रतिभूतियों के लेनदेन की एक किस्म के लिए, मुद्रा उधार और वित्तपोषण प्राप्त करने के लिए है बाजार में गतिविधि, वित्तीय बाजारों के और अधिक पूरी परिभाषा : वित्तीय बाजारों में वित्तीय आस्तियों के व्यापार और वित्तीय परिसंपत्ति की कीमतों के लिए एक तंत्र का निर्धारण कर रहे हैं! एक वित्तीय बाजार उसे कहते हैं जिसमें न केवल वित्तीय परिसंपत्तियों का निर्माण किया जाता है बल्कि उनका हस्तांतरण भी किया जाता है! इस तरह के बाज़ार में किसी सामान के वास्तविक हस्तांतरण को संपन्न न करके मुद्रा और वास्तविक सामानों और सेवाओं का हस्तांतरण किया जाता है! इसमें विनिमय की व्यवस्था संलग्न होती है! वस्तुतः इस व्यवस्था में वित्तीय हस्तांतरण या वित्तीय साख का सृजन आदि किया जाता है! वित्तीय आस्तियों के अंतर्गत लाभांश या ब्याज के रूप में भविष्य या आवधिक भुगतान के सन्दर्भ में पैसे की राशि को प्रतिपूर्ति के दावे के रूप में प्रस्तुत किया जाता है!
मुद्रा बाजार छोटी अवधि, कम जोखिम वाली पूंजी, और तरलता के सन्दर्भ में थोक ऋण बाजार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है. मुद्रा बाजार ज्यादातर सरकार के वित्तीय संस्थानों और बैंकों के अधीन होते हैं! इस तरह के बाज़ार में कोई राशि एक दिन से लेकर एक साल की अवधि तक मौजूद रहती है और लोगो के लिए आसानी तौर पर उपलब्ध रहती है!
पूंजी बाजार का मूल उद्देश्य लंबी अवधि के निवेश का वित्तपोषण होता है! इस तरह के बाज़ार में जोभी लेनदेन होते हैं वे सभी एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए होते हैं!
इस बाज़ार में कई विदेशी मुद्राओ की आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाता है और फिर उस पर बहस की जाती है! इस तरह के बाज़ार में कई विदेशी मुद्राओं का विनिमय किया जाता है! लेकिन यह विनिमय दर बाजार में उस दर पर निर्भर करता है की बाज़ार में कितने वित्त का हस्तांतरण किया गया!
ऋण बाजार उस बाज़ार के तौर पर परिभाषित किया जाता है जिसमें बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, एनबीएफसी सौदों और कम, मध्यम और लंबी अवधि के ऋण आदि के सन्दर्भ में व्यक्तियों और कंपनियों के बीच आपसी चर्चाए की जाती हैं!
एक शेयर बाजार भौतिक बाजार की खासियत है से पहले व्यापारियों को बाजार में लेनदेन, प्रतिभूतियों में इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन के परिसर के भीतर तय स्थानों और व्यापार सुविधाओं में केंद्रित है, जो भौतिक बाजार, है, लेकिन: वित्तीय बाजारों में, वहाँ दो प्रकार के होते हैं वर्तमान में पूरे विश्व के शेयर बाजारों डिजिटल व्यापार प्रणाली को अपनाया है, ताकि भौतिक बाजार धीरे - धीरे अदृश्य बाजार द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है, दूसरा यह है कि विभिन्न स्थानों (शरीर) या दूरसंचार बाजार में लेनदेन के साधनों का प्रयोग करने में बिखरे हुए व्यापारियों अदृश्य बाजार, है ऐसे ओटीसी बाजार के रूप में, वैश्विक विदेशी मुद्रा बाजार और शेयर बाजार के सभी अदृश्य वित्तीय बाजारों के बारे में जानें बाजार हैं!
वित्तीय बाजार प्रणाली वित्तीय बाजारों के रूप में गठित किया गया है! कई प्रमुख उप बाजार में वित्तीय बाजार प्रणाली आम में अपनी बातें है!
1, जोखिम (अनिश्चितता): अगर शेयर बाजार जोखिम, विदेशी मुद्रा बाजार में जोखिम है!
2, कीमत मूल्य के आधार पर, मांग और आपूर्ति का प्रभाव: शेयर कीमतों की अस्थिरता, बांड की कीमतों में उतार चढ़ाव, अंत में, आपूर्ति और मांग के प्रभाव मूल्य को प्रतिबिंबित!
3, शेयर कीमतों, विनिमय दर के उतार चढ़ाव और अन्य बुनियादी विश्लेषण व्यापक आर्थिक प्रभाव पर विचार करने के लिए आवश्यक है को प्रभावित करने, बांड की कीमतों संचलन प्रभावित करती है, लेकिन यह भी सूक्ष्म आर्थिक के प्रभाव पर विचार करें!
प्रासंगिक वित्तीय बाजार प्रणाली समान या असमान सामग्री :
1, वित्तीय बाजारों समारोह, अंतर - बैंक बाजार के समारोह, बांड बाजार के समारोह, शेयर बाजार के समारोह में, विदेशी मुद्रा बाजार में काम करता है, वायदा बाजार में काम करता है!
विदेशी मुद्रा बाजार में 2, प्रतिभागियों, वायदा बाजार सहभागियों, अंतर - बैंक बाजार सहभागियों!
3, छूट, rediscount rediscount.
4, विनिमय, वचनपत्र और चेक समानता और अंतर और इतने पर का बिल!
Financial Tips for 2021: नए साल में चाहते हैं वित्तीय आजादी, गांठ बांध लें ये जरूरी बातें
Financial Tips for 2021: अगर आप नए साल के लिए आइडिया तलाश रहे हैं, तो आपको कुछ रिजॉल्यूशन लेना चाहिए.
साल 2020 ने हमें इस बात की पूरी झलक दी है कि हमें हमेशा फाइनेंशियल बफर क्यों रखना चाहिए.
Financial Tips for 2021: निश्चित रूप से 2021 एक ऐसा साल है जिसका सभी को नई उम्मीद, जिज्ञासा और प्रत्याशा के साथ इंतजार है. कई वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां ट्रायल के अंतिम चरण में हैं. हो सकता है कि जल्द ही हमें फेस मास्क, फिजिकल डिस्टेंसिंग और कोरोना से बचने के कई उपायों से छुटकारा मिल जाए. दूसरे शब्दों में कहें तो ऐसा होने पर 2021 स्वतंत्रता का साल होगा, जिसमें लोग जीवन वित्तीय बाजारों के बारे में जानें का आनंद ले सकेंगे. लोग उन पहलुओं का आनंद लेंगे जिन पर हमने पहले कम ही ध्यान दिया था. साथ ही उनकी सराहना भी करेंगे. साल 2021 हमें नए सिरे से नई शुरुआत करने और वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने का सही मौका भी है. ऐसे में अगर आप नए साल के लिए आइडिया तलाश रहे हैं, तो आपको कुछ रिजॉल्यूशन लेना चाहिए.
फाइनेंशियल बफर
साल 2020 ने हमें इस बात की पूरी झलक दी है कि हमें हमेशा फाइनेंशियल बफर क्यों रखना चाहिए. यह न केवल हमें और हमारे परिवार को किसी भी इमरजेंसी जरूरत के लिए सुरक्षित करता है, बल्कि यह बेहतर वेल्थ क्रिएशन यानी दौलत बढ़ाने के लिए भी रास्ते खोलता है. मार्च में गिरावट के बाद से बेंचमार्क इंडेक्स 80 फीसदी तक बढ़ गए हैं. बाजार से इस साल करीब 12 फीसदी रिटर्न मिल चुका है. इस दौरान आईटी और फार्मा सहित कई शेयरों में कई गुना ग्रोथ देखने को मिली है. जितना अधिक आप निवेश करते हैं और निवेश को बनाए रखते हैं, आप रेलीवेंट मार्केट अपार्चुनिटी आने पर उतना ही अपनी दौलत बढ़ा सकते हैं.
खर्चों को चैनलाइज करना
आप निवेश शुरू कर रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कोई खर्च कम करने की आवश्यकता है. महान रोमन नाटककार प्लेटस के शब्दों में आपको अधिक पैसा बनाने के लिए पैसा खर्च करना हो. इसका मतलब यह था कि आपको अपने खर्च को इस तरह से चैनलाइज करना होगा कि वे आपके लिए वेल्थ क्रिएट करेंगे. ऐसे में बेकार के खर्च को बंद कर आप एसआईपी शुरू कर सकते हैं या स्टॉक खरीद सकते हैं. ऐसा करने से, आप वित्तीय के साथ-साथ अपनी शारीरिक फिटनेस भी सुनिश्चित करेंगे.
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वित्तीय ज्ञान
अगर बाजार के बारे में जानकारी नहीं है तो निवेशकों को कम मुनाफा कमाने और नुकसान उठाने की संभावना रहती है. यहां तक कि अगर आप एक सलाहकार, एक निवेश इंजन, या एक स्मॉलकेस की सिफारिश के अनुसार कुछ भी खरीद रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप उस इंस्टूमेंट की सभी पेचीदगियों के बारे में जानें जो आप खरीदने जा रहे हैं. यह सुनिश्चित करेगा कि आपके रिटर्न हमेशा अच्छे हों.
डाइवर्सिफाई
निवेशकों को कभी भी एक ही जगह अपना पूरा पैसा नहीं लगाना चाहिए. अगर आपने स्टॉक में निवेश किया है, तो सुनिश्चित करें कि आप अलग अलग सेक्टर के हिसाब से अपना निवेश डज्ञइवर्सिफाई कर रहे हैं. इसके अलावा, सोने या चांदी को एक वेटेज देकर इसे संतुलित करें. एक डाइवर्सिफाई पोर्टफोलियो जोखिम कम करता है.
कोडिंग सीखें
देश में होने वाले सभी ट्रेड्स में एक-तिहाई से अधिक एल्गोरिथम ट्रेड हैं. एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग (एल्गो ट्रेडिंग) सिक्योरिटीज की खरीद और बिक्री को ऑटोमेट करने के लिए ट्रेडिंग रणनीति का वर्चुअल मॉडलिंग है. इसे सीखना बहुत मुश्किल नहीं है. इसमें आपको बस एक कोड लिखना है और अपने कॉल को एल्गोरिदम में एक्शन के लिए फीड करना है. विकसित देशों में मार्केट का 80 फीसदी हिस्सा एल्गो ट्रेड्स का है. जिस तरह से ट्रेंडिंग और इंवेस्टमेंट में तकनीकी इस्तेमाल बढ़ रहा है, यह आंकड़ा और भी अधिक हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि भविष्य की जरूरतों के मुताबिक अभी से खुद को तैयार करें और पायथन या जावा जैसी भाषा सीखने की कोशिश करें.
(लेख: अमरजीत मौर्य, एवीपी, मिड कैप्स, एंजेल ब्रोकिंग)
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हरित बांड बाज़ार से आप क्या समझते हैं और यह भारत के लिए कैसे महत्वपूर्ण है?
हरित बांड, हरित परियोजनाओ वित्तपोषण के लिए वित्तीय संसाधनों की मदद करने के लिए समकालीन साधन है। इसको बेहतर तरीके से समझने के लिए पहले हमे यह समझना होगा की 'बांड और बांड बाज़ार क्या हैं?'। बांड एक ऋण साधन है जिसके अंतर्गत निवेशको से धन जनित किया जाता है। बांड की परिपक्वता के पश्चात् धन को वापस कर दिया जाता है। बांड बाजार एक वित्तीय बाजार है जिसमें प्रतिभागियों को ऋण प्रतिभूतियों के जारी करने और व्यापार के वित्तीय बाजारों के बारे में जानें साथ प्रदान किया जाता है। इस लेख में हम हरित बांड बाज़ार से आप क्या समझते हैं और यह भारत के लिए कैसे महत्वपूर्ण है जैसे तथ्यों का विवरण दे रहे हैं।
हरित बांड, हरित परियोजनाओ वित्तपोषण के लिए वित्तीय संसाधनों की मदद करने के लिए समकालीन साधन है। इसको बेहतर तरीके से समझने के लिए पहले हमे यह समझना होगा की 'बांड और बांड बाज़ार क्या हैं?'। बांड एक ऋण साधन है जिसके अंतर्गत निवेशको से धन जनित किया जाता है। निवेशक को ब्याज के रूप में एक तय रकम की प्राप्ति होती है। बांड की परिपक्वता के पश्चात् धन को वापस कर दिया जाता है। बांड बाजार एक वित्तीय बाजार है जिसमें प्रतिभागियों को ऋण प्रतिभूतियों के जारी करने और व्यापार के साथ प्रदान किया जाता है। इस लेख में हम हरित बांड क्या है और भारत के लिए यह कैसे महत्वपूर्ण है जैसे तथ्यों का विवरण दे रहे हैं।
हरित बांड (Green Bond) क्या है?
हरित बांड मार्केट मूल रूप से ग्रीन पावर, सोलर पावर, बायोमास पावर, स्मॉल हाइड्रो पावर, वेस्ट-टू-पावर आदि जैसे हरित परियोजनाओं के लिए धन जुटाने का एक साधन है। यह सामान्य बांड से अलग है क्योंकि इस बांड से उठाए गए धन केवल हरित परियोजनाओ के लिए उपयोग किया जाता है। हरित बांड भी समान्य बांड की तरह होता है लेकिन दोनों में मुख्या अंतर यह है की जारीकर्ता के द्वारा जुटाए गए धन को हरित परियोजना के अंतर्गत इस्तेमाल किया जाता है।
हरित बांड भारत के लिए महत्वपूर्ण क्यों है?
1. COP-21 के अंतर्गत उद्धीष्ट निर्धारित राष्ट्रीय योगदान के महत्वकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु वितीय जरूरतों को पूरा करने में हरित बांड बाज़ार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
2. वर्तमान में भारत की नवीकरणीय उर्जा क्षमता 30 गिगावाट से 2022 में 175 गिगावाट तक ले जाने हेतु निधि की जरुरत को इसके माध्यम से पूरा किया जा सकता है।
3. नवीकरणीय उर्जा को बढ़ावा देने हेतु बाज़ार के माध्यम से आवंटित धन अप्रयाप्त रहा है। वितीय संस्थाओ द्वारा नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र में अधिकाधिक निवेश किया जा सकता है। अतः उर्जा के नवीकरणीय क्षेत्र को बढ़ावा देने हेतु भारत में हरित बांड बाज़ार की भूमिका अत्यंत महतवपूर्ण है। प्रमुख जारिकर्ताओ जैसे यस बैंक, भारतीय आयात-निर्यात बैंक, सीएलपी पवन चक्की सयंत्र एवं आईडीबीआई द्वारा कुल 110 करोड़ डॉलर के हरित बांड जारी करने के साथ ही भारत ने वर्ष 2015 में हरित बांड बाज़ार में प्रवेश किया। मार्च 2015 एक्जियम बैंक इंडिया ने 50 करोड़ डॉलर का पांचवर्षीय हरित बांड जारी किया जो भारत का प्रथम हरित बांड है।
हरित बांड बाज़ार अपेक्षाकृत नए परिसंपत्ति वर्ग है जो जलवायु परिवर्तन के समाधान में एक नया द्वार खोल सकता है। हरित बांड और सामान्य बांड के बीच का मुख्या अंतर यह है की हरित बांड में जारीकर्ता सार्वजनिक रूप से यह कहता है की वह पर्यवरणीय लाभ जैसे अक्षय उर्जा, कम कार्बन परिवहन आदि जैसी 'हरित परियोजनाओ, परिसंपतियो या व्यापारिक गतिविधियों के लिए पूंजी की उगाही कर रहा है।
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