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बाजार के लिए वैश्विक रणनीति

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति

4 Graduate Certificate प्रोग्राम्स में वैश्विक व्यापार 2023

स्नातक प्रमाण पत्र एक स्नातक की डिग्री के रूप में ही शैक्षणिक स्तर से एक है, लेकिन यह एक और विशेष क्षेत्र में अक्सर होता है। यह यह है कि यह कुछ लोगों के लिए एक और अधिक सुविधाजनक विकल्प बना रही है, हासिल करने के लिए समय की एक कम राशि लेता है कि इसका मतलब है।

हमारे तेजी से वैश्विक विपणन में, यह एक वैश्विक संदर्भ से संचालित करने के लिए किसी भी व्यवसाय के लिए आवश्यक है. इस ज्ञान के साथ छात्रों को अत्यधिक रोजगार के बाजार में मांग रहे हैं के रूप में वैश्विक व्यापार में मास्टर डिग्री के लिए एक बेहतरीन विकल्प है यही कारण है कि.

मारुति सुजुकी ने भारत के कार बाजार के लिए बनाई नई रणनीति, जानिए इस प्लान में क्या है खास

सुजुकी ने 2021-2026 के लिए अपने नए मिड-टर्म प्लान की घोषणा कर दी है। इस प्लान में कंपनी ने अपने वैश्विक बाजार के लिए वैश्विक रणनीति लक्ष्यों जैसे इमिशन को कम करना और क्वॉलिटी एश्योरेंस को सुधारने ध्यान दिया है। साथ ही सुजुकी ने कहा कि वह भारत में इलेक्ट्रिफिकेशन को बढ़ावा देगी और पैसेंजर कार सेगमेंट में 50 प्रतिशत से ज्यादा मार्केट पर अपना वर्चस्व बनाए रखेगी।

कंपनी का कहना है कि वह इलेक्ट्रिफिकेशन टेक्नोलॉजी को विकसित करना जारी रखेगी और 2025 से गाड़ियों में उसे देना लागू करेगी। अनुमान है कि कंपनी किफायती इलेक्ट्रिक कारें उसी दौरान बाजार के लिए वैश्विक रणनीति लॉन्च कर सकती है।

अपनी कारों में माइल्ड हाइब्रिड सिस्टम पेश करने वाली मारुति पहली कार बाजार के लिए वैश्विक रणनीति कंपनी थी। हाइब्रिड कार और प्योर ईवी के मुकाबले इसका माइल्ड हाइब्रिड सिस्टम ग्रीन बाजार के लिए वैश्विक रणनीति मोबिलिटी की दिशा में एक छोटा कदम था। लेकिन, इसके माइल्ड हाइब्रिड सिस्टम ने ग्राहकों को ज्यादा माइलेज तो दिया ही साथ ही इनसे पॉल्यूशन भी काफी कम फैला। कंपनी की माइल्ड हाइब्रिड सिस्टम से लैस कारों ने यहां दूसरी कंपनियों की कारों को कड़ी से कड़ी चुनौती दी जो आज भी जारी है।

सुजुकी ने इस नई घोषणा के जरिए भारत में इलेक्ट्रिफाइड मॉडल के लिए अपने प्लान की पुष्टि की है। बता दें कि कंपनी ने ऑटो एक्सपो 2020 में स्विफ्ट हाइब्रिड को शोकेस किया था जिसमें 1.2-लीटर पेट्रोल इंजन के साथ इलेक्टिक मोटर भी दी गई थी। कंपनी का दावा है कि यह गाड़ी 32 किलोमीटर प्रति लीटर (जैपनीज़ टेस्ट साइकिल) का माइलेज देने में सक्षम है।

इसके अलावा कंपनी की ऑल-इलेक्ट्रिक वैगन आर को भी 2018 से टेस्टिंग के दौरान कई बार देखा जा चुका है। लेकिन, इस गाड़ी का निर्माण कार्य इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी, महंगी ईवी बैटरी और कम गवर्नमेंट सपोर्ट के चलते फिलहाल होल्ड पर है।

Maruti Wagon R EV India Launch Delayed Beyond 2020

महंगी बैटरी कॉस्ट की समस्या से निपटने के लिए मारुति सुजुकी ने तोशिबा और डेनसो के साथ एमओयू भी साइन किया है जिससे गुजरात में बैटरी मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को सेटअप किया जा सके। मारुति की स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड कारों और मास मार्केट ईवी को लॉन्च होने में कई साल लगेंगे। लेकिन, अनुमान है कि कंपनी माइल्ड हाइब्रिड टेक्नोलॉजी का बेहतर वर्जन (यूरोप वाले 48 वोल्ट सिस्टम की तरह ही) यहां पेश कर सकती है जिससे बेहतर माइलेज मिलेगा और इमिशन भी कम होगा। वर्तमान में मारुति माइल्ड हाइब्रिड टेक्नोलॉजी अपनी बलेनो, विटारा ब्रेज़ा, अर्टिगा, एक्सएल6, एस-क्रॉस और सियाज़ कार के साथ देती है।

बढ़ते वैश्विक दबाव के बीच बदल रही है चीन की आर्थिक रणनीति

चीन

पिछले चार दशकों से चीन की अर्थव्यवस्था अपने निर्यात पर निर्भर है. लेकिन अब राष्ट्रपति शी जिनपिंग बदलाव चाहते हैं - अब वो अपने घरेलू बाज़ार को बेहतर बनाने पर ज़ोर दे रहे हैं ताकि एक आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाई जा सके.

अपनी नई योजना को उन्होंने 'डुअल सर्कुलेशन' का नाम दिया है. इस शब्द का प्रस्ताव पहली बार मई महीने में रखा गया था. अब ये आधिकारिक बयानों, भाषणों और सरकारी मीडिया की कमेंट्री का हिस्सा बन गया है.

अर्थव्यवस्था के इस नए मॉडल से जुड़ी विस्तृत जानकारियां मौजूद नहीं हैं. इसका उद्देश्य "घरेलू मार्केट में सर्कुलेशन" पर है यानी देश के अंदर ही उत्पादन, वितरण और खपत बढ़ाना और "दुनियाभर में सर्कुलेशन" को जारी रखना यानी बाजार के लिए वैश्विक रणनीति कि बाहरी दुनिया से चीन व्यापार करता रहेगा.

इमेज स्रोत, STR/AFP via Getty Images

चीन में खपत-आधारित विकास की दिशा में अर्थव्यवस्था का पुनर्गठन कम से कम 2008 के बाद से एक प्रमुख नीतिगत लक्ष्य रहा है - तर्क यह है कि निर्यात और निवेश के नेतृत्व वाला मॉडल लंबे समय तक स्थिरता नहीं दे सकता.

इस प्रयास में तेज़ी लाई जा रही है क्योंकि जिस अंतरराष्ट्रीय माहौल ने चीन की तरक़्क़ी में मदद की है, उसमें धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है. चीन को अब एक ऐसी अर्थव्यवस्था की ज़रूरत है जो बाहरी झटकों का सामना कर सके.

रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने वैश्विक रसायन और उर्वरक बाजार का नेतृत्व करने के लिए भारत का अपना मॉडल बनाने का आह्वान किया

“प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के विजन के अनुरूप रसायन और पेट्रो रसायन क्षेत्र भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदल सकता है”। यह बात आज केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने रसायन और पेट्रो रसायन सलाहकार मंच की तीसरी बैठक में कही। इस अवसर पर रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा भी उपस्थित थे।

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इस अवसर पर अपने संबोधन में डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा कि भारतीय रसायन और पेट्रो रसायन उद्योग में देश के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की पर्याप्त क्षमता है। उन्होंने जोर देकर कहा, “भारत को रसायनों और उर्वरकों के वैश्विक बाजार का नेतृत्व करने के लिए अपना खुद का मॉडल बनाने की जरूरत है।” उन्होंने कंपनियों और सलाहकार मंच से “भविष्य की रणनीति बनाने का आग्रह किया जो वैश्विक मांगों और संबंधित उद्योगों की उभरती जरूरतों के अनुरूप हो। भारत में चुनौती का सामना करने की क्षमता है; बस एक ऐसी रणनीति की जरूरत है जो परिणामों पर केंद्रित हो।”

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डॉ. मांडविया ने जोर देते हुए कहा, “आइए, हम निर्णय लेने का अपना मॉडल बनाएं जो परामर्शी और बहुआयामी हो। इसमें भारत को अपनी घरेलू और वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए जरूरी उपाय भी शामिल हों”। उन्होंने उद्योग और शिक्षाविदों से अनुसंधान एवं विकास (आर एंड डी) में भागीदारी करने का भी आग्रह किया जो इस क्षेत्र में घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करे। उन्होंने कहा, “हम रसायनों के लिए एमएसएमई जैसे विशिष्ट क्षेत्रों की चुनौतियों और आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुसंधान एवं विकास को लक्षित कर सकते थे।”

रसायन एवं उर्वरक राज्य मंत्री श्री भगवंत खुबा ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सरकार की उद्योग-अनुकूल नीतियों और देश में व्यापार को आसान बनाने के लिए की गई विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला। इस बात का उल्लेख करते हुए कि भारत एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, उन्होंने कहा कि भारतीय रासायनिक और पेट्रो रसायन उद्योगों में देश के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की अपार संभावनाएं हैं।

इस कार्यक्रम में पेट्रो रसायन पर सलाहकार मंच द्वारा प्रस्तुत संभावित योजना पर चर्चा की गई और “उद्योग परिदृश्य को समझना” विषय पर रिपोर्ट भी जारी की गई।

देश में रासायनिक और पेट्रो रसायन क्षेत्र के विकास को प्रभावित करने वाली बाधाओं की पहचान करने और नीतिगत हस्तक्षेपों के माध्यम से उद्योग के विकास को आसान बनाने के लिए 10 जुलाई 2019 को रसायन और पेट्रो रसायन क्षेत्र के लिए एक सलाहकार मंच का गठन किया गया है। सलाहकार मंच की भूमिका उद्योग संघों को उन मुद्दों को उठाने के लिए एक मंच प्रदान करना है जिसे अन्य मंत्रालयों के समन्वय से हल किया जा सकता है। यह हितधारकों को इस क्षेत्र में देश को “आत्म-निर्भर” बनाने के लिए नीतियां बनाने और नई पहल करने के लिए अपनी नई जानकारी प्रदान करने का अवसर भी प्रदान करता है। ‘सलाहकार मंच’ में उद्योग संघ, शैक्षणिक संस्थान, सीएसआईआर प्रयोगशालाएं, पीएसयू और राज्यों के प्रतिनिधि सदस्य शामिल हैं। यह सलाहकार मंच केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री की अध्यक्षता में कार्य करता है।

बाजार के लिए वैश्विक रणनीति


बोगोटा, 08 अगस्त (वार्ता) कोलंबिया के राष्ट्रपति गुसतोवो पेट्रो (gustovo petro) ने अवैध नशीले पदार्थो की तस्करी (illicit drug trafficking) से निपटने के लिए एक नयी वैश्विक रणनीति बनाने का आह्वान किया है। बीबीसी के अनुसार रविवार को अपने उद्घाटन समारोह में बोलते हुए देश के पहले वाम नेता ने मादक पदार्थो पर युद्व को विफल घोषित कर दिया। कोलंबिया में दशकों से चल रहे गृह युद्ध में सैंकड़ों हजारों लोग मारे गए जो कि मादक पदार्थो के व्यापार से प्रेरित थे।
वर्षीय बोगोटा के पूर्व मेयर और पूर्व विद्रोही सेनानी को जून में एक कट्टरपंथी घोषणा पत्र (radical manifesto) बाजार के लिए वैश्विक रणनीति पर चुना गया था जिसमें असमानता से लड़ने और नई तेल परियोजनाओं पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया गया था। पेट्रो ने मौजूद भीड़ से कहा कि यह एक नए वैश्विक सम्मेलन का समय है। मादक पदार्थो पर युद्ध विफल हो गया है। उन्होंने कहा कि हर साल उत्तरी अमेरिका के 70,000 लोग ओवरडोज से मर जाते है।

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